1 00:00:02,000 --> 00:00:07,000 Downloaded from YTS.MX 2 00:00:08,000 --> 00:00:13,000 Official YIFY movies site: YTS.MX 3 00:00:49,258 --> 00:00:53,804 फ़ायरबॉल: विज़िटर्स फ़्रॉम डार्कर वर्ल्डस 4 00:01:01,186 --> 00:01:04,438 मेरीदा, मैक्सिको"मृतकों का दिवस" 5 00:01:10,070 --> 00:01:13,031 यूकाटन प्रायद्वीप में मेरीदा वह जगह है 6 00:01:13,115 --> 00:01:18,704 जहाँ हमारे ग्रह कासबसे बड़ा महाप्रलय घटित हुआ था। 7 00:01:19,162 --> 00:01:22,416 एक पूरा क्षुद्रग्रह यहीं आकर टकराया था। 8 00:01:23,125 --> 00:01:27,379 यह मनुष्यों के जन्म सेकई करोड़ साल पहले हुआ था, 9 00:01:27,462 --> 00:01:32,217 लेकिन फिर भी यह आग के गोले की प्रथापुनर्निरूपण प्रतीत होती है। 10 00:01:33,135 --> 00:01:37,222 निश्चित तौर पर,प्राचीन माया लोगों को यह नहीं पता होगा। 11 00:01:42,394 --> 00:01:44,897 हमें नहीं पता भविष्य मेंहम पर क्या आने वाला है... 12 00:01:44,980 --> 00:01:45,981 चेल्याबिन्स्क, साइबेरिया 13 00:01:46,064 --> 00:01:47,983 ...जो अंततः हमारा विनाश कर देगा। 14 00:01:48,483 --> 00:01:52,154 पर वह दिखेगा तो साइबेरिया केऊपर दिखने वाले इस आग के गोले की तरह, 15 00:01:52,237 --> 00:01:54,239 बस इससे कहीं बड़ा होगा। 16 00:01:56,658 --> 00:01:59,411 डैशबोर्ड पर लगे साधारण कैमरों नेजो रिकॉर्ड किया, 17 00:01:59,494 --> 00:02:01,788 वह एक वैज्ञानिक कल्पना जैसा लगता है। 18 00:02:32,694 --> 00:02:34,905 ब्रह्माण्ड के अंधेरे हिस्सों से, 19 00:02:34,988 --> 00:02:38,408 दूसरी दुनिया के लोग आ चुके हैं। 20 00:02:38,492 --> 00:02:41,370 और अनगिनत लोग अभी भी आने वाले होंगे। 21 00:02:45,207 --> 00:02:46,834 वोल्फ़ क्रीक क्रेटरपश्चिम ऑस्ट्रेलिया 22 00:02:46,917 --> 00:02:49,461 अगर कुछ बड़ा होना होगा, 23 00:02:49,545 --> 00:02:53,215 तो वह दिन की रोशनी में भीआसमान को प्रकाशित कर देगा। 24 00:02:53,757 --> 00:02:56,844 पर वह सब शायद अभी लाखों साल बाद हो। 25 00:03:00,806 --> 00:03:04,309 उल्का-पिंड हमारे ग्रह सेहमेशा से टकराते रहे हैं, 26 00:03:04,393 --> 00:03:08,063 और बड़े उल्का-पिडों ने तोपूरे भूदृश्य बदल दिए हैं। 27 00:03:08,939 --> 00:03:12,734 पर उन्होंने संस्कृतियों पर भीगहरा असर छोड़ा है। 28 00:03:14,069 --> 00:03:16,655 इसका एक अच्छा उदाहरण है इस्लामी संस्कृति। 29 00:03:17,155 --> 00:03:19,491 प्राचीन परंपरा के अनुसार, 30 00:03:19,575 --> 00:03:23,120 अल्लाह ने जन्नत से एक पत्थर नीचे भेजा, 31 00:03:23,203 --> 00:03:27,374 आदम और हव्वा का मार्गदर्शन करने के लिएकि वेदी कहाँ बनाई जाए। 32 00:03:29,209 --> 00:03:31,128 उल्का-पिंड उस जगह नीचे आया 33 00:03:31,211 --> 00:03:34,590 जहाँ बाद में पवित्र शहर,मक्का का निर्माण हुआ। 34 00:03:38,468 --> 00:03:41,597 मक्का, सऊदी अरब 35 00:03:41,680 --> 00:03:45,559 हम यहाँ इस्लामी दुनिया केसबसे पवित्र स्थान पर हैं। 36 00:03:46,185 --> 00:03:48,187 इसके मध्य में है, काबा। 37 00:03:48,687 --> 00:03:52,065 इसके पूर्वी कोने में गड़ा हुआ है,काला पत्थर। 38 00:03:52,649 --> 00:03:56,278 पैगंबर मुहम्मद के इस्लाम कीस्थापना करने से कम से कम 39 00:03:56,361 --> 00:04:01,825 एक हज़ार वर्ष पहले से भीइसकी पूजा की जाती थी। 40 00:04:04,369 --> 00:04:08,207 काला पत्थर चारों ओर सेचाँदी में मढ़ा हुआ है 41 00:04:08,290 --> 00:04:11,251 और किसी को भीउसका विश्लेषण नहीं करने दिया जाता, 42 00:04:11,335 --> 00:04:14,463 पर यह लगभग निश्चित हैकि यह एक उल्का-पिंड है। 43 00:04:18,759 --> 00:04:23,013 इस्लाम धर्म मेंक़रीब 190 करोड़ लोग श्रद्धा रखते हैं। 44 00:04:23,430 --> 00:04:24,681 तीर्थयात्रियों के लिए, 45 00:04:24,765 --> 00:04:28,602 काला पत्थर परम पूजनीय है। 46 00:04:29,102 --> 00:04:33,774 इसे अनगिनत लोग हाथ से छूते और चूमते हैं। 47 00:04:35,692 --> 00:04:41,114 गैर-मुस्लिम होने के कारण, हमें इसपवित्र शहर में कदम भी नहीं रखने दिया जाता, 48 00:04:41,823 --> 00:04:46,870 और इसलिए हमें एक श्रद्धालु के मोबाइल सेखींची गई तस्वीरों पर ही निर्भर करना पड़ा। 49 00:05:13,689 --> 00:05:18,277 वापस इस शांत, विशालऑस्ट्रेलियाई रेगिस्तान में। 50 00:05:21,238 --> 00:05:24,533 कैम्ब्रिज यूनीवर्सिटी के क्लाइव ओपेनहेमर, 51 00:05:24,616 --> 00:05:29,121 जिन्होंने हमारी इस फ़िल्म की यात्राआरंभ की थी, मुझे बता रहे हैं... 52 00:05:30,622 --> 00:05:35,294 वैज्ञानिकों को धरती में बनेइस विशाल गड्ढे का पता सन् 1947 में ही लगा, 53 00:05:35,377 --> 00:05:37,379 जब यह ऊपर हवा में से नज़र आया। 54 00:05:37,921 --> 00:05:41,133 और यह गड्ढा करीब एक किलोमीटर चौड़ा है। 55 00:05:41,216 --> 00:05:42,217 क्लाइव ओपेनहेमर 56 00:05:42,301 --> 00:05:46,388 और यह तब बना जबलौह क्षुद्रग्रह का एक टुकड़ा, 57 00:05:47,097 --> 00:05:51,518 जिसका नाप युद्धपोत जितना था और जो 15 किमीप्रति सेकंड की रफ़्तार से आकर 58 00:05:51,602 --> 00:05:53,812 धरती से टकराया। 59 00:05:54,313 --> 00:05:58,275 और यहाँ धरती पर इस गड्ढे की दीवारें 60 00:05:58,358 --> 00:06:00,194 प्राचीन पत्थरों से बनी हैं 61 00:06:00,277 --> 00:06:03,447 जो टकराव के कारण चूर-चूर होकरइधर-उधर बिखर गए थे। 62 00:06:04,281 --> 00:06:10,329 वह उल्का ख़ुद तो लगभग पूरा वाष्पित हो गया, 63 00:06:10,871 --> 00:06:12,998 और उसके कुछ ही टुकड़े 64 00:06:13,081 --> 00:06:17,169 आसपास के रेगिस्तान मेंबिखरे पड़े मिले हैं। 65 00:06:19,755 --> 00:06:21,840 धमाके से बाहर गिरी चीज़ों की आकृति से 66 00:06:21,924 --> 00:06:26,094 लगता है कि उल्का उस दिशा से आई। 67 00:06:26,929 --> 00:06:29,223 उस समय इतना असाधारण तापमान होता है 68 00:06:29,306 --> 00:06:32,059 कि उससे एक विशालऊष्मीय धुएँ का गुबार उत्पन्न होता है 69 00:06:32,142 --> 00:06:34,937 जो वायुमंडल को चीरता हुआसमताप मण्डल तक जाता है, 70 00:06:35,020 --> 00:06:40,025 और बहुत बड़े क्षेत्र मेंपिघला हुआ मलबा बरसता है। 71 00:06:40,108 --> 00:06:43,278 और बेशक़, उस टकराव से 72 00:06:43,820 --> 00:06:46,448 विशाल भूकंपीय ऊर्जा उत्पन्न होती है, 73 00:06:46,532 --> 00:06:47,699 जिसके कारण आते हैं बड़े भूकंप। 74 00:06:47,783 --> 00:06:50,452 यहाँ पर तो हम रेगिस्तान के बीच में हैं, 75 00:06:50,536 --> 00:06:56,750 पर अगर आप आज के शहरी माहौल मेंऐसा कुछ होने की कल्पना करो, 76 00:06:56,834 --> 00:06:59,086 तो उससे तबाही मच जाएगी। 77 00:06:59,169 --> 00:07:02,881 कभी कोई उल्का-पिंड किसी से टकराया नहीं? 78 00:07:02,965 --> 00:07:08,387 एक महिला थी जिसे एक उल्का-पिंड लगा था 79 00:07:08,470 --> 00:07:11,348 जो उसकी छत के बीच में से आकर 80 00:07:11,431 --> 00:07:15,269 उसे लगा जब वह कुरसी पर बैठीटीवी देख रही थी। 81 00:07:15,352 --> 00:07:16,603 सायलाकॉगा उल्का-पिंड। 82 00:07:16,687 --> 00:07:18,021 30 नवंबर, 1954दोपहर 12:46 बजे 83 00:07:18,897 --> 00:07:21,441 वह जीवित तो बच गईपर उसे बहुत बड़ी चोट लगी थी। 84 00:07:21,525 --> 00:07:24,236 एन हॉजेससायलाकॉगा, अलाबामा 85 00:07:27,990 --> 00:07:32,411 चाहे गड्ढे के आसपास का क्षेत्रकाफ़ी उजाड़ और सूना लगता है, 86 00:07:32,494 --> 00:07:35,956 इस जगह पर आदिवासी लोग हमेशा से रहते थे। 87 00:07:37,165 --> 00:07:39,376 उनमें से कई लोग कलाकार के तौर परआजीविका कमाते हैं। 88 00:07:39,459 --> 00:07:40,460 बिलीलूना कला केन्द्र 89 00:07:40,544 --> 00:07:43,881 जैसे कि सबसे क़रीब का बिलीलूना का समुदाय। 90 00:07:45,174 --> 00:07:49,887 एक लाख साल से पहले हुई घटना का प्रभावउन्होंने नहीं देखा हो सकता 91 00:07:49,970 --> 00:07:52,139 पर हाल ही में कुछ अन्य घटनाएँ हुईं 92 00:07:52,222 --> 00:07:54,850 जिन्होंने शायदउनकी लोक स्मृति को झकझोरा हो। 93 00:07:55,559 --> 00:08:00,314 उनके चित्रों में, अकसर यह गड्ढारूपांकन के तौर पर नज़र आता है, 94 00:08:00,397 --> 00:08:02,482 पर इसका महत्व इससे कहीं गहरा है। 95 00:08:04,776 --> 00:08:06,653 हम केटी डार्की से मिले 96 00:08:06,737 --> 00:08:09,781 जो समुदाय केसबसे अच्छे कलाकारों में से है। 97 00:08:09,865 --> 00:08:12,242 यह आपका बनाया हुआ चित्र है, है ना? 98 00:08:12,326 --> 00:08:13,744 चलिए इसे देखते हैं। 99 00:08:17,456 --> 00:08:19,875 अब हमें बताइए यहाँ हम यह क्या देख रहे हैं। 100 00:08:19,958 --> 00:08:21,126 यह बहुत सुंदर चित्र है। 101 00:08:21,210 --> 00:08:22,586 यह रेत की पहाड़ी है... 102 00:08:23,754 --> 00:08:25,506 और यह घास है। 103 00:08:25,589 --> 00:08:28,342 और इसमें कहीं "कांडी" नहीं है।कोई आलू नहीं। 104 00:08:28,425 --> 00:08:29,426 केटी डार्कीचित्रकार 105 00:08:29,510 --> 00:08:32,429 बहुत समय पहले की बात है,बूढ़े लोग बताते हैं... 106 00:08:34,847 --> 00:08:38,769 एक आदमी पक्षियों का शिकार करने गयाऔर कई नदियों-नालों में से गुज़रा। 107 00:08:38,852 --> 00:08:43,857 पर वह नदी के नीचे बनीएक सुरंग में से जा रहा था, 108 00:08:44,608 --> 00:08:46,151 पर हम इसे नाला कहते हैं। 109 00:08:46,235 --> 00:08:48,946 और वह गड्ढे के दूसरी ओर बाहर निकला 110 00:08:49,446 --> 00:08:54,618 और फिर चलकर वापस उस जगह गयाजहाँ से वह आया था 111 00:08:55,244 --> 00:08:56,495 जब वह शिकार कर रहा था। 112 00:08:57,955 --> 00:09:01,917 और इस कहानी में, यह गड्ढा,यह कैसे बना था? 113 00:09:02,000 --> 00:09:03,168 इसकी उत्पत्ति कैसे हुई? 114 00:09:03,794 --> 00:09:07,381 कार्तिया (गैर-आदिवासी) लोग कहते हैंवहाँ उल्का-पिंड गिरा था। 115 00:09:07,464 --> 00:09:10,926 -यह हमारी कहानी है, श्वेत लोगों की कहानी।-श्वेत लोगों की कहानी। 116 00:09:11,009 --> 00:09:13,929 कुछ लोग कहते हैं वहाँ कोई तारा गिरा था। 117 00:09:15,222 --> 00:09:17,891 पर हमारे पूर्वजोंऔर वृद्ध लोगों ने हमें बताया है 118 00:09:18,642 --> 00:09:21,353 कि वह इंद्रधनुषी सर्प थाजो गड्ढे में गिर गया था। 119 00:09:22,062 --> 00:09:25,774 तो ऐसे हमने गड्ढे के बारे मेंतीन अलग कहानियाँ सुनी हैं। 120 00:09:25,858 --> 00:09:27,359 पर वे मिलकर एक हो जाती हैं। 121 00:09:28,902 --> 00:09:30,487 हम हमेशा बच्चों को लेकर जाते हैं। 122 00:09:31,405 --> 00:09:34,116 हर सप्ताहांत हम जाकर वहाँ समय बिताते हैं। 123 00:09:34,199 --> 00:09:39,830 और वहाँ हमें अपने पूर्वजोंऔर हमारे परिवार की उपस्थिति महसूस होती है, 124 00:09:40,330 --> 00:09:44,710 कि वे हमारा ध्यान रखते हैंजब हम गड्ढे के पास जाकर समय बिताते हैं। 125 00:09:45,961 --> 00:09:47,963 वह हमारे लिए बहुत ख़ास जगह है। 126 00:09:48,463 --> 00:09:51,216 हमारे परिवारों के लिए भी। 127 00:10:30,047 --> 00:10:32,883 उल्का-पिंड जहाँ-तहाँ, कहीं भी गिरे हैं। 128 00:10:32,966 --> 00:10:36,845 एक फ़्रांस के ऐल्सस क्षेत्र में गिरा,जो बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ। 129 00:10:39,014 --> 00:10:44,394 यहाँ उसने मानवीय मसले बदल दिए।इतिहास पर असर डाला। 130 00:11:09,086 --> 00:11:12,130 थोड़ी दूर, एन्सिसहाइम शहर है। 131 00:11:12,548 --> 00:11:13,715 एन्सिसहाइमऐल्सस, फ़्रांस 132 00:11:13,799 --> 00:11:17,636 सोलहवीं सदी में,यहाँ विश्व का इतिहास रचा गया था, 133 00:11:17,719 --> 00:11:21,431 क्योंकि एक गिरते हुए पत्थर के द्वाराहैप्सबर्ग साम्राज्य ने 134 00:11:21,515 --> 00:11:23,767 वैधता प्राप्त की। 135 00:11:24,935 --> 00:11:27,771 जहाँ वह गिरा था,वह जगह एक फ़लक लगाकर चिह्नित की गई है। 136 00:11:31,817 --> 00:11:34,778 क्लाइव, कैम्ब्रिज यूनीवर्सिटी केअपने एक सहयोगी, 137 00:11:34,862 --> 00:11:36,864 साइमन शाफ़र को लेकर आए। 138 00:11:36,947 --> 00:11:38,365 साइमन शाफ़रकैम्ब्रिज यूनीवर्सिटी 139 00:11:38,448 --> 00:11:43,662 वह एक विज्ञान के इतिहासकार हैंऔर गिने-चुने बचे बहुश्रुतों में से एक हैं। 140 00:11:44,621 --> 00:11:49,376 क्या हुआ था उस दिन...सात नवंबर, 1492, को? 141 00:11:49,960 --> 00:11:53,839 तो, उस अनोखे दिन, 142 00:11:53,922 --> 00:11:58,468 दक्षिणपूर्वी आकाश में उस दिशा सेएक आग का गोला प्रकट हुआ, 143 00:11:58,552 --> 00:12:03,223 जो सीटी की आवाज़ें निकालता हुआबहुत तेज़ी से आ रहा था। 144 00:12:03,307 --> 00:12:08,729 और फिर सुबह के 11:30 बजेवह आकर इस मैदान में टकराया। 145 00:12:09,188 --> 00:12:11,940 ज़्यादातर ख़बरों के अनुसार, 146 00:12:12,024 --> 00:12:14,651 उस समय मैदान में केवल एक व्यक्ति खड़ा था। 147 00:12:14,735 --> 00:12:16,069 एक गड़रिया। 148 00:12:16,153 --> 00:12:18,488 और उसने एक बहुत अद्भुत चीज़ देखी होगी। 149 00:12:18,572 --> 00:12:24,244 उसे दिखा होगा कि एक 300 पाउंड कापत्थर आकर मैदान से टकराया 150 00:12:24,328 --> 00:12:26,872 और ज़मीन में एक बड़ा गड्ढा कर दिया। 151 00:12:27,497 --> 00:12:30,792 सात नवंबर, 1492, 152 00:12:30,876 --> 00:12:33,962 वह क्षण जब यह पत्थर गिरा 153 00:12:34,046 --> 00:12:40,093 एक और महत्वपूर्ण स्थलावतरण केकुछ ही दिन बाद हुआ था: 154 00:12:40,177 --> 00:12:43,722 क्रिस्टोफ़र कोलंबस और उनके दल का 155 00:12:43,805 --> 00:12:47,017 कैरीबियन में, उनकी नई दुनिया में आगमन। 156 00:12:48,101 --> 00:12:50,729 अंततः, यह कोलंबस की ही मेहरबानी है 157 00:12:50,812 --> 00:12:53,899 कि इस खेत में मकई उग रही है। 158 00:12:53,982 --> 00:12:59,279 यह यूरोपाई कृषि में उन फसलों केप्रकटीकरण का नतीजा है 159 00:12:59,363 --> 00:13:02,866 जो तब तक केवलअमरीकी महाद्वीपों पर ही उगती थीं। 160 00:13:03,367 --> 00:13:07,287 वास्तव में,उस पत्थर का गिरना इतना महत्वपूर्ण था 161 00:13:07,371 --> 00:13:11,834 कि सन् 1492 के बारे मेंबताने वाले कुछ वृत्तांतों में तो 162 00:13:11,917 --> 00:13:14,920 केवल एन्सिसहाइम पत्थर का ही ज़िक्र है 163 00:13:15,003 --> 00:13:17,089 और कोलम्बस का नाम तक नहीं है। 164 00:13:18,590 --> 00:13:23,595 उन लोगों के विचार में,शायद ईश्वरीय इच्छा से वह एक 165 00:13:23,679 --> 00:13:27,641 महत्वपूर्ण शहर, ऐल्सस के 166 00:13:27,724 --> 00:13:30,102 एन्सिसहाइम के बहुत पास गिरा। 167 00:13:30,185 --> 00:13:32,104 उस समय एन्सिसहाइम 168 00:13:32,187 --> 00:13:36,483 दुनिया के इस हिस्से मेंऑस्ट्रियाई फ़ौजों का 169 00:13:36,567 --> 00:13:38,318 मुख्यालय था। 170 00:13:38,402 --> 00:13:42,489 और पत्थर के गिरने के दो सप्ताह के अंदर, 171 00:13:42,990 --> 00:13:46,076 ऑस्ट्रियन फ़ौज का नायक, 172 00:13:46,159 --> 00:13:50,581 उनका सेनाध्यक्ष,मैक्सीमिलियन, भी शहर में आ गया। 173 00:13:51,957 --> 00:13:56,295 पर, भगवान के लिए, बताओ तोयह पत्थर उस समय यहाँ क्यों गिरा? 174 00:13:56,378 --> 00:14:02,885 इस पत्थर का इस खेत में गिरने का कारणभगवान के लिए ही था। 175 00:14:03,510 --> 00:14:04,887 उन लोगों के लिए, 176 00:14:05,387 --> 00:14:09,349 आकाश से आए चमत्कारिकअलौकिक संकेत, संदेश होते थे। 177 00:14:09,433 --> 00:14:12,936 यह एक तरह से उनके लिएमैक्सीमिलियन की प्रजा को 178 00:14:13,020 --> 00:14:15,647 भगवान द्वारा भेजा गया ई-मेल था, 179 00:14:15,731 --> 00:14:18,066 यह बताने के लिए कि उसका शासन जायज़ है, 180 00:14:18,150 --> 00:14:19,943 कि वह अपने दुश्मनों को हराएगा, 181 00:14:20,027 --> 00:14:22,321 और उन्हें उसके आदेश मानने चाहिए। 182 00:14:22,404 --> 00:14:24,489 आप इनकी ओर इतने आकर्षित क्यों हैं? 183 00:14:24,948 --> 00:14:29,828 शायद उल्का-पिंडों की एक चीज़जिसके कारण मुझ पर इनका जुनून सवार है, 184 00:14:29,912 --> 00:14:35,042 वह यह है कि इनसे कुछ आभास होता है,इनका कुछ मतलब होता है। 185 00:14:35,125 --> 00:14:40,005 यह आते हैं, या ऐसा सोचा जाता था,अन्य प्रकार की गिरती चीज़ों के साथ। 186 00:14:40,088 --> 00:14:45,802 जैसे कि शरीर के टुकड़ोंऔर मेंढकों और खूनी बारिशों के साथ। 187 00:14:45,886 --> 00:14:48,472 प्लेग और अन्य विपत्तियों के साथ। 188 00:14:48,555 --> 00:14:53,185 उल्का-पिंड जैसी चीज़ एक जीव है, 189 00:14:53,268 --> 00:14:56,480 लगभग एक जानवर समझ लीजिए,जो हमसे बात करता है। 190 00:14:56,563 --> 00:15:00,192 और यह मुझे बहुत शक्तिशालीऔर भावपूर्ण विचार लगता है। 191 00:15:00,275 --> 00:15:06,281 यह विचार कि...उल्का-पिंडों का कुछ अर्थ होता है, 192 00:15:07,157 --> 00:15:11,995 और मानवता का काम है,यह समझना कि वह क्या अर्थ है। 193 00:15:13,038 --> 00:15:15,624 बिना उबाऊ हुए, साइमन शाफ़र, 194 00:15:15,707 --> 00:15:20,045 अगले आठ घंटों तक,लगातार बोलना जारी रख सकते थे। 195 00:15:20,128 --> 00:15:25,050 पर हम स्थानीय संग्रहालय मेंअसली पत्थर के अवशेष देखना चाहते थे। 196 00:15:26,093 --> 00:15:29,680 वह कल्पनाओं को आमंत्रित करता है,अवास्तविक लगता है। 197 00:15:31,682 --> 00:15:35,102 शहर का मेयर हमसे मिलना चाहता था। 198 00:15:35,185 --> 00:15:38,856 यहाँ वह उल्का-पिंड के दोस्तों के साथ हैं। 199 00:15:40,065 --> 00:15:43,986 यह प्रतीक एक मध्यकालीनलकड़ी के साँचे से लिया गया है। 200 00:15:44,570 --> 00:15:46,321 यह आपको हर जगह दिखाई देंगे। 201 00:15:47,781 --> 00:15:53,537 पर आज इसका मतलब है सदियों पुराने अतीतऔर सदियों आगे के भविष्य के बारे में सोचना। 202 00:15:54,872 --> 00:15:58,417 क्या यह "ब्रदरहुड ऑफ़ द स्टोन" के सदस्य 203 00:15:58,500 --> 00:16:01,420 किसी बहुत आगे केभविष्य के बारे में सोच रहे हैं? 204 00:16:02,129 --> 00:16:03,964 उनके मन में क्या चल रहा है? 205 00:16:04,548 --> 00:16:07,718 इनकी क्या दूरगामी योजनाएँ हैं? 206 00:16:09,678 --> 00:16:12,806 क्या होगा अगर मानव जाति लुप्त हो गई? 207 00:16:14,016 --> 00:16:19,313 किसी दूसरी आकाशगंगा से आनेवाले भविष्य केअंतरिक्षयात्रियों को यह दिखाने के लिए 208 00:16:19,396 --> 00:16:24,276 कि हम अपने घायल साथी को अकेला नहीं छोड़ते,हम क्या छोड़ कर जाएँगे? 209 00:16:25,861 --> 00:16:30,616 पत्थर के साथ ही,हमें यह मीडिया प्रस्तुतीकरण दिखा। 210 00:16:36,330 --> 00:16:38,248 "हैलो, मेरा नाम जॉन है," 211 00:16:38,332 --> 00:16:42,503 प्रतिकृति कहती है, इस आशा में कि दूसरेग्रह के लोगों को फ़्रेंच आती होगी। 212 00:16:42,586 --> 00:16:44,379 "मैं एक खनिक हूँ। 213 00:16:44,463 --> 00:16:47,508 और हमारी दुनिया इतनी सुंदर दिखती थी।" 214 00:16:49,510 --> 00:16:53,805 "जब हमारे ग्रह के लिए खतरारात के आकाश में प्रकट हुआ, 215 00:16:54,223 --> 00:16:55,807 तो हमने कुछ पूर्वोपाय किए। 216 00:16:56,225 --> 00:17:00,103 हमने सुरंगें खोदींऔर भूमिगत आश्रयस्थान बनाए। 217 00:17:00,562 --> 00:17:04,441 हमें लगता हैहम पूरे एक दशक तक बच सकते हैं। 218 00:17:05,192 --> 00:17:07,528 अगर कोई बड़ा आग का तूफान आया, 219 00:17:07,611 --> 00:17:11,156 तो मुझे यकीन हैकि मानव जाति उससे बच जाएगी। 220 00:17:11,823 --> 00:17:15,035 पर मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं हूँ।मैं तो केवल एक खनिक हूँ।" 221 00:17:18,372 --> 00:17:20,958 "आपकी यात्रा के सुखद अंत के लिएमेरी शुभकामनाएँ।" 222 00:17:34,471 --> 00:17:36,223 वॉलहाल एरीना 223 00:17:36,306 --> 00:17:37,307 ओस्लो, नॉर्वे 224 00:17:37,391 --> 00:17:42,062 अगला गंतव्य, ओस्लो, नॉर्वे मेंएक बड़ा खेलों का क्रीड़ांगन। 225 00:17:43,856 --> 00:17:48,485 यह इतना बड़ा हैकि इसमें एक पूरा फ़ुटबॉल का मैदान है। 226 00:17:49,945 --> 00:17:52,823 पर हमारी दिलचस्पी थी उसकी छत में, 227 00:17:52,906 --> 00:17:56,785 और एक व्यक्ति में जिसका नाम है यॉन लारेसन, 228 00:17:56,869 --> 00:17:59,079 जो नॉर्वे का सबसे मशहूर जैज़ संगीतकार है। 229 00:17:59,162 --> 00:18:00,163 यॉन लारेसन 230 00:18:01,206 --> 00:18:03,792 पर यहाँ इस बड़ी छत पर उनके होने का 231 00:18:03,876 --> 00:18:07,462 कारण है उनका एक नागरिक वैज्ञानिक होना। 232 00:18:26,732 --> 00:18:29,610 यह सब कैसे शुरू हुआ?आपने यह जगह कैसे ढूँढी? 233 00:18:30,319 --> 00:18:33,780 मैंने... गूगल अर्थ पर ढूँढा 234 00:18:33,864 --> 00:18:37,451 और यह मुझे सबसे बड़ी छत दिखी। 235 00:18:37,534 --> 00:18:42,539 और उन दिनों यह खेल क्रीड़ांगनशायद ओस्लो में सबसे बड़ा था। 236 00:18:42,956 --> 00:18:45,542 और फिर मैंने देखा कि... 237 00:18:46,502 --> 00:18:50,714 छोटी चीज़ें इस पर से लुढ़क करयहाँ इकट्ठी हो जाएँगी 238 00:18:50,797 --> 00:18:52,716 और नाली के पास पहुँच कर रुक जाएँगी। 239 00:18:52,799 --> 00:18:56,428 और जैसा कि हम देख सकते हैं,यहाँ बहुत गंदगी है 240 00:18:56,512 --> 00:18:59,806 पर इसी के बीच में हमेंब्रह्मांडीय धूल के कण भी मिलेंगे। 241 00:19:00,516 --> 00:19:01,975 आपने यह कैसे शुरू किया? 242 00:19:02,059 --> 00:19:06,522 आप चार दशक से एक सफल संगीतकार रहे हैं। 243 00:19:07,105 --> 00:19:10,817 आप छतों पर कैसे पहुँच गए?क्या अपने प्रशंसकों से बचना चाहते थे? 244 00:19:10,901 --> 00:19:14,780 नहीं। मैंने हमेशा से पत्थर इकट्ठे किए हैंऔर भूविज्ञान में मेरी दिलचस्पी रही है। 245 00:19:14,863 --> 00:19:17,950 पूरी ज़िंदगी यह मेरा शौक रहा है। 246 00:19:18,033 --> 00:19:23,789 तो दस साल पहले, एक सुबहमैं बाहर बैठ कर नाश्ता कर रहा था 247 00:19:23,872 --> 00:19:28,627 जब अचानक मैंने अपनी मेज़ परएक चमकता काला बिंदु देखा 248 00:19:28,710 --> 00:19:31,505 जो दो सेकंड पहले तक वहाँ नहीं था। 249 00:19:31,588 --> 00:19:33,423 मैंने उसे अपनी उँगली से उठाया 250 00:19:33,507 --> 00:19:36,927 और एक शौकिया खनिज-विज्ञानी कीमेरी पृष्ठभूमि के कारण, 251 00:19:37,010 --> 00:19:39,680 मैं देख सकता था,"वाह, यह तो दरअसल एक छोटा पत्थर है।" 252 00:19:40,264 --> 00:19:41,598 और हम सोचने लगे, 253 00:19:41,682 --> 00:19:45,602 "यह कहाँ से आया होगा?क्या यह अंतरिक्ष से है? मुझे नहीं पता।" 254 00:19:45,686 --> 00:19:49,815 पर फिर मैंने गूगल करना शुरू कियाऔर मुझे पता चला 255 00:19:49,898 --> 00:19:54,987 कि सूक्ष्म उल्कापिंड नामक कुछ अजीब छोटे 256 00:19:55,070 --> 00:19:56,405 ब्रह्मांडीय धूल के कण होते हैं। 257 00:19:56,488 --> 00:19:57,614 और तब यह सब शुरू हुआ। 258 00:19:57,698 --> 00:19:59,074 और आपको लगता है यहाँ पर वे हैं। 259 00:19:59,157 --> 00:20:02,494 इस गंदगी को उठाने के लिएकैसे उपकरण चाहिए? 260 00:20:03,203 --> 00:20:05,289 मेरा मुख्य हथियार है यह चुम्बक। 261 00:20:05,372 --> 00:20:08,208 और यह चुम्बकमैं इसलिए इस्तेमाल करता हूँ क्योंकि... 262 00:20:08,792 --> 00:20:10,961 सूक्ष्म उल्कापिंड चुम्बकीय होते हैं। 263 00:20:11,044 --> 00:20:14,173 पहले तो मैं चुम्बक को ही 264 00:20:14,256 --> 00:20:17,593 एक छोटे ज़िपलॉक प्लास्टिक केलिफ़ाफ़े में डालता हूँ, ऐसे। 265 00:20:18,635 --> 00:20:20,929 और उससे हुक आराम से पकड़ी जाती है... 266 00:20:21,013 --> 00:20:25,934 हैरानी की बात है कि ऐसे साधारणउपकरणों के साथ यॉन लारेसन ने 267 00:20:26,018 --> 00:20:29,646 विज्ञान की एक पूरी तरहनई शाखा शुरू कर दी है। 268 00:20:30,022 --> 00:20:33,275 और यह हमारा नमूना चुनने का क्षेत्र होगा। 269 00:20:33,358 --> 00:20:35,694 मैं इसे ज़मीन पर घुमाऊँगा, इस तरह। 270 00:20:37,070 --> 00:20:42,201 भारी कण लुढ़क जाएँगेऔर सबसे भारी हिस्से पर रहेंगे। 271 00:20:42,993 --> 00:20:46,830 यह कुछ अति सूक्ष्मचुम्बकीय कण हो सकते हैं। 272 00:20:47,372 --> 00:20:49,791 मैं इन्हें बाद मेंमाइक्रोस्कोप से देखूँगा। 273 00:20:49,875 --> 00:20:53,754 इन अंतरिक्ष के कणों की प्रतिदिनपृथ्वी की ओर प्रवाह की क्या दर है? 274 00:20:53,837 --> 00:20:55,297 क्या हमारे पास कोई आँकड़े हैं? 275 00:20:55,380 --> 00:20:57,799 हाँ, लगभग 100 मैट्रिक टन। 276 00:20:57,883 --> 00:21:04,181 समझ लो कि रेत के दो बड़े ट्रक प्रतिदिनपृथ्वी के ऊपर ब्रह्मांडीय धूल डाल रहे हैं। 277 00:21:04,264 --> 00:21:08,101 पर वह हर साल प्रति वर्ग मीटर में 278 00:21:08,185 --> 00:21:11,855 एक कण के बराबर हुआ। 279 00:21:12,314 --> 00:21:14,942 यह कण संदेशवाहक होते हैं, है ना? 280 00:21:15,025 --> 00:21:17,861 यह आपके लिए कोई ख़ास संदेश लगता है। 281 00:21:17,945 --> 00:21:19,029 हाँ, मेरे लिए तो यह है। 282 00:21:19,112 --> 00:21:22,824 और यह सृष्टि की सबसे पुरानी वस्तु है। 283 00:21:23,408 --> 00:21:25,202 इससे ज़्यादा दूर तक कुछ नहीं गया है। 284 00:21:25,285 --> 00:21:29,331 जब मैं एक सूक्ष्म उल्कापिंड उठा करअपनी उँगली पर महसूस करता हूँ, 285 00:21:30,082 --> 00:21:34,127 किसी मनुष्य ने इससे पुरानीकिसी वस्तु को नहीं छुआ होगा। 286 00:21:34,211 --> 00:21:38,465 यह सच में जैसे अनंतकाल कोआँख में आँख डालकर देखना है। 287 00:21:38,549 --> 00:21:42,302 यह किसी अन्य पीढ़ी के अवशेष हैं, 288 00:21:42,386 --> 00:21:44,513 मरते सितारों की पिछली पीढ़ी के। 289 00:21:45,055 --> 00:21:49,268 तो इसका एक इतिहास हैजो सृष्टि के आरंभ तक जाता है। 290 00:21:52,187 --> 00:21:53,897 यह हैं यन ब्रेली कीहले, 291 00:21:53,981 --> 00:21:57,901 एक भूवैज्ञानिक जो माइक्रोस्कोप सेयॉन के नमूनों की जाँच करेंगे। 292 00:21:57,985 --> 00:21:59,611 यन ब्रेली कीहले 293 00:21:59,695 --> 00:22:02,072 वायट अर्प जैसी उनकी पोशाक हमें पसंद आई। 294 00:22:02,614 --> 00:22:04,199 इनका जन्म टेक्सास में हुआ। 295 00:22:05,158 --> 00:22:06,660 पर इनके बारे में और भी कुछ विशेष है। 296 00:22:07,286 --> 00:22:09,913 यह चार बार कैंसर को मात दे चुके हैं, 297 00:22:09,997 --> 00:22:14,793 जिनमें से दो बार, इनके अनुसार,मौत छू कर निकली। 298 00:22:15,711 --> 00:22:19,089 कैंसर अनुसंधान मेंयोगदान करने की इच्छा से, 299 00:22:19,173 --> 00:22:24,052 यह अब कैंसर के नए उपचारों केअग्रगामी कार्य में शामिल हैं। 300 00:22:24,553 --> 00:22:25,971 यह अज्ञात जगह है। 301 00:22:26,054 --> 00:22:29,808 यहाँ हम फ़ोटोग्राफ़ किए हुएदस्तावेज़ बनाने की कोशिश करते हैं। 302 00:22:30,601 --> 00:22:32,936 -और यह हैं यन कीहले, मेरे दोस्त।-हैलो। 303 00:22:33,020 --> 00:22:34,479 हम कई सालों से एक साथ काम करके 304 00:22:34,563 --> 00:22:39,610 सूक्ष्म उल्कापिंडों की हाईरेज़ोल्यूशनवाली रंगीन तस्वीरें 305 00:22:40,110 --> 00:22:44,948 इतने बड़े आकार में बनाते हैंजितनी दुनिया में और कहीं नहीं बनतीं। 306 00:22:45,866 --> 00:22:47,659 आपको कितना बड़ा करना होता है? 307 00:22:47,743 --> 00:22:49,995 आप देख सकते हैं कि यह कण इतने छोटे हैं 308 00:22:50,078 --> 00:22:52,289 कि इन्हें देखना संभव ही नहीं है। 309 00:22:52,372 --> 00:22:57,127 हमें 2,000 गुणाया बेहतर होगा, 3,000 गुणा वृद्धि चाहिए। 310 00:22:57,544 --> 00:23:00,964 और फिर पहली फ़ोटो का व्यास एक मीटर होगा। 311 00:23:01,048 --> 00:23:02,132 हमें इतना ही चाहिए। 312 00:23:02,549 --> 00:23:04,718 पता है, जब सब कहते हैं यह असंभव था, 313 00:23:04,801 --> 00:23:07,596 अब हमने एक बिल्कुलनए किस्म का विज्ञान बना दिया है। 314 00:23:07,679 --> 00:23:12,309 और तुम्हें याद है हमारेसहयोगियों की क्या प्रतिक्रिया थी। 315 00:23:12,392 --> 00:23:14,645 -उनका हँस-हँस कर बुरा हाल था...-हाँ। ओह, हाँ। 316 00:23:14,728 --> 00:23:17,689 ...जब उन्होंने हमें पूछा,"क्या करने वाले हो तुम? क्या? 317 00:23:18,148 --> 00:23:20,192 सब जानते हैं कि यह असंभव है। 318 00:23:20,275 --> 00:23:24,488 जानते हो ना, संकेत ध्वनि अनुपात,एक बटा एक अरब से भी ऊपर होता है। 319 00:23:24,571 --> 00:23:25,739 करके दिखाओ तो जानें।" 320 00:23:27,241 --> 00:23:29,868 क्या उससे आपको बुरा लगा, उस समय? 321 00:23:29,952 --> 00:23:31,078 बिल्कुल नहीं। 322 00:23:31,703 --> 00:23:33,330 विज्ञान में ऐसे ही काम होता है। 323 00:23:33,413 --> 00:23:37,042 यहाँ भावनाओं का कोई काम नहीं।यह बस जिज्ञासा के बारे में है। 324 00:23:37,668 --> 00:23:39,962 तो यह आज ही का है। 325 00:23:40,754 --> 00:23:43,799 जब हम इस प्रकार कीविशेष संरचना देखते हैं तो समझ जाते हैं, 326 00:23:43,882 --> 00:23:48,136 "अच्छा, यह सूक्ष्म उल्कापिंड हैऔर कोई औद्योगिक कण नहीं है।" 327 00:23:48,220 --> 00:23:50,264 और ज़ाहिर हैअभी यह काफ़ी धुँधला है। 328 00:23:50,347 --> 00:23:52,432 क्या हम... क्या हम इसकी फ़ोटो ले सकते हैं? 329 00:23:53,267 --> 00:23:54,643 -हम... नहीं।-नहीं। 330 00:23:54,726 --> 00:23:55,811 अगर हम बस... 331 00:23:55,894 --> 00:24:00,148 हमारे दिल की धड़कनें, अगर हम ज़्यादाजोश में आ जाएँ, तो विघ्न उत्पन्न करेंगी। 332 00:24:00,232 --> 00:24:01,275 इसलिए यह संभव नहीं है। 333 00:24:01,358 --> 00:24:04,069 फ़ोटो लेने के समयहमें कमरे से बाहर जाना पड़ता है। 334 00:24:04,778 --> 00:24:07,406 यह सारे कण, दरअसल, आए कहाँ से हैं? 335 00:24:07,489 --> 00:24:10,617 यह अच्छा सवाल हैक्योंकि जवाब हमें भी नहीं पता। 336 00:24:11,118 --> 00:24:13,203 ज़ाहिर है, ये अंतरिक्ष से आए हैं। 337 00:24:13,287 --> 00:24:15,706 इनमें से कुछ तोक्षुद्रग्रह घेरे से आए हैं। 338 00:24:15,789 --> 00:24:17,916 बाकी धूमकेतु संबंधित पदार्थ हो सकते हैं। 339 00:24:18,417 --> 00:24:23,839 पर, यह भी हो सकता है, ये अन्य आकाशगंगाओं,अन्य सौर मंडलों के कण हों। 340 00:24:24,673 --> 00:24:27,759 हमें प्रत्येक कण की अलग सेउत्पत्ति के बारे में नहीं पता। 341 00:24:28,343 --> 00:24:29,803 यह अद्भुत है। 342 00:24:29,887 --> 00:24:33,724 हर मंगलवार की रात कोजब यॉन नई सामग्री लेकर आता है 343 00:24:34,224 --> 00:24:35,726 हम भौंचक्के रह जाते हैं। 344 00:24:35,809 --> 00:24:37,895 हम जैसे फिर से बच्चे बन जाते हैं। 345 00:24:37,978 --> 00:24:41,857 यह कण अंतरिक्ष में भीछोटे और अकेले होते हैं। 346 00:24:41,940 --> 00:24:46,820 कुछ कभी भी इतने बड़े नहीं हुए 347 00:24:46,904 --> 00:24:49,031 जैसे कि, एक इमारत जितने... 348 00:24:49,114 --> 00:24:52,284 जो क्षुद्रग्रह घेरे में छोटे ग्रहों कानिर्माण शुरू कर रहे हों। 349 00:24:52,743 --> 00:24:56,788 यह दरअसल ब्रह्मांडीय धूल है।ब्रह्माण्ड में धूल चारों ओर मिलेगी। 350 00:24:57,289 --> 00:25:01,293 यहाँ ऊपर, उदाहरण स्वरूप,यह लौह-निकल मिश्रित धातु है। 351 00:25:02,920 --> 00:25:07,633 और यहाँ पर क्रिस्टलीकरण कीबड़ी अच्छी शुरुआत है। 352 00:25:07,716 --> 00:25:09,593 केवल काँच से शुरू हुआ है। 353 00:25:10,552 --> 00:25:13,013 और अब इनका क्रिस्टलीकरण होकरऑलिवीन क्रिस्टल बनेंगे। 354 00:25:13,722 --> 00:25:18,227 और यहाँ बाहर लौह सल्फ़ाइड काबहुत बारीक किनारा है। 355 00:25:18,310 --> 00:25:21,355 यह लगभग, एक तरह का,बर्फीला बहिर्ग्रह लगता है। 356 00:25:21,438 --> 00:25:22,898 यह ठोस टुकड़े लगते हैं। हाँ। 357 00:25:22,981 --> 00:25:25,651 हिम शिलाओं के टूटने के कारण। 358 00:25:25,734 --> 00:25:28,153 यह वाला कुछ ख़ास दिलचस्प लगता है। 359 00:25:28,237 --> 00:25:34,117 परिमण्डल में प्रवेश के समयइसका तापमान बहुत ज़्यादा है। 360 00:25:34,201 --> 00:25:36,453 आगे की तरफ़, जो ऊपर है, 361 00:25:36,537 --> 00:25:40,082 यह पृथ्वी के परिमण्डल मेंइसके बढ़ने की दिशा है। 362 00:25:40,165 --> 00:25:45,337 फिर जब इसकी गति कम होनी शुरू होती है,धातु का भारी भीतरी हिस्सा 363 00:25:45,420 --> 00:25:49,049 निष्क्रियता से... आगे धकेला जाता है 364 00:25:49,508 --> 00:25:53,929 और कण के आगे धातु के ढेर जैसा बन जाता है। 365 00:25:54,763 --> 00:25:58,475 फिर, वही ख़ास,आगे की तरफ़, लौह-निकल के साथ। 366 00:25:58,559 --> 00:26:04,147 तो, हालांकि अब तकहमने 2500 अलग-अलग नमूने इकट्ठे किए हैं, 367 00:26:04,231 --> 00:26:05,858 कोई भी दो एक जैसे नहीं हैं। 368 00:26:06,817 --> 00:26:08,861 तो जब आप... 369 00:26:08,944 --> 00:26:11,989 सूक्ष्म उल्कापिंडों और ब्रह्मांडीय धूल केकणों को जानने लगते हैं 370 00:26:12,072 --> 00:26:16,702 तो आपको समझ आएगा कि वे पृथ्वी केस्थलीय भूविज्ञान से बहुत भिन्न हैं। 371 00:26:16,785 --> 00:26:21,164 वे एक गति संबंधी प्रक्रिया सेगुज़रे हैं, अतिवेग से, 372 00:26:21,248 --> 00:26:23,959 बंदूक की गोली से 50 गुणा अधिक गति से 373 00:26:24,418 --> 00:26:26,503 और अत्यंत उच्च तापमान से गुज़रे हैं। 374 00:26:26,587 --> 00:26:29,506 और अंत में ये अंतरिक्ष से आएखजाने की तरह हैं। 375 00:27:08,253 --> 00:27:13,509 जो सुंदरता और विचित्रता हमनेअभी देखी, वह और भी विचित्र बन सकती है। 376 00:27:13,592 --> 00:27:15,219 यह ऐसी आकृति दिखाई देती है। 377 00:27:16,094 --> 00:27:19,556 अगर आप इसे पकड़ कर रखें,तो मैं आगे बोर्ड तक जाकर और... 378 00:27:19,640 --> 00:27:22,476 जिस आकृति काक्लाइव यहाँ प्रक्षेपण कर रहे हैं, 379 00:27:22,559 --> 00:27:26,480 वह ऐसी चीज़ का सबूत हैजिसे असंभव माना जाता था। 380 00:27:26,563 --> 00:27:30,108 यह क्रिस्टलीय स्वरूप केपदार्थ से संबंधित है 381 00:27:30,192 --> 00:27:32,945 जो बिल्कुल असंभव लगता था। 382 00:27:33,028 --> 00:27:35,489 तथाकथित क्वाज़ीक्रिस्टल। 383 00:27:36,281 --> 00:27:37,449 पॉल स्टाइनहार्ड्टप्रिंस्टन यूनीवर्सिटी 384 00:27:37,533 --> 00:27:40,369 यह वह व्यक्ति हैं जिन्होंने उसेअसंभव मानने से इनकार कर दिया। 385 00:27:40,827 --> 00:27:46,750 दुनिया भर में मशहूर ब्रह्माण्ड विज्ञानी,प्रिंस्टन यूनीवर्सिटी के पॉल स्टाइनहार्ड्ट 386 00:27:46,834 --> 00:27:52,881 आपको क्वाज़ीक्रिस्टल का सबूत मिल गया,सृष्टि का प्राकृतिक क्वाज़ीक्रिस्टल 387 00:27:52,965 --> 00:27:55,259 जो उल्का-पिंड में मिला। 388 00:27:55,342 --> 00:27:57,261 पर, क्वाज़ीक्रिस्टल होता क्या है? 389 00:27:58,387 --> 00:28:02,891 क्वाज़ीक्रिस्टल पदार्थ का वह स्वरूप हैजो हम लोगों को असंभव लगता था। 390 00:28:03,392 --> 00:28:07,145 हज़ारों सालों से हमें यक़ीन था कि हमनेसाबित कर दिया है कि यह असंभव है। 391 00:28:08,230 --> 00:28:12,067 पर जैसा अब हम जान चुके हैं,ना केवल यह संभव है, 392 00:28:12,150 --> 00:28:14,611 बल्कि यह बहुत पहलेसृष्टि में बनाया जा चुका है, 393 00:28:14,695 --> 00:28:16,280 हमारे सोचने से भी कहीं पहले। 394 00:28:16,363 --> 00:28:17,990 पर एक सरल चीज़ से शुरुआत करते हैं। 395 00:28:18,824 --> 00:28:21,660 क्रिस्टल की आकृति क्रम में होती है, 396 00:28:21,743 --> 00:28:24,413 आपके बाथरूम के फ़र्श की टाइलों की तरह। 397 00:28:24,496 --> 00:28:27,374 -अच्छा।-सादे चौकोर टुकड़े। 398 00:28:27,457 --> 00:28:30,169 चौकोर टाइलें बिना जोड़ के जुड़ जाती हैं। 399 00:28:30,252 --> 00:28:33,839 पर पंचभुजों के साथ,जहाँ पाँचगुना समरूपता चाहिए 400 00:28:33,922 --> 00:28:35,465 आपके सामने जल्दी हीसमस्या खड़ी हो जाती है। 401 00:28:35,924 --> 00:28:38,177 थोड़ा इस ओर से बाहर निकालते हैं। 402 00:28:38,677 --> 00:28:40,095 और... 403 00:28:40,512 --> 00:28:42,264 मुझे दिख रहा है समस्या कहाँ से आएगी। 404 00:28:42,347 --> 00:28:44,183 हाँ, आपने देखा क्या हो रहा है? 405 00:28:44,266 --> 00:28:47,436 यहाँ रिक्त स्थान बन गया है।तो अब हमें कुछ चयन करने होंगे। 406 00:28:47,519 --> 00:28:49,313 इस जगह को तो हम नहीं भर पाएँगे। 407 00:28:49,396 --> 00:28:51,023 मैं इसे वहाँ रख सकता हूँ या वहाँ, 408 00:28:51,106 --> 00:28:53,192 -पर कभी भी कोई तरीका नहीं होगा जिससे...-हाँ। 409 00:28:54,401 --> 00:28:55,986 परमाणुओं को रिक्त स्थान बिल्कुल नहीं पसंद 410 00:28:56,069 --> 00:28:58,280 तो जैसे ही असली परमाणुओं मेंरिक्त स्थान बनते हैं, 411 00:28:58,363 --> 00:29:00,490 वे इधर-उधर घूम कर उनको भर देंगे। 412 00:29:00,574 --> 00:29:04,077 पदार्थ के लिए पाँचगुना समरूपतापूरी तरह निषिद्ध थी। 413 00:29:04,536 --> 00:29:09,208 पर क्वाज़ीक्रिस्टलइससे भी ज़्यादा जटिल और रहस्यमयी होते हैं। 414 00:29:10,083 --> 00:29:13,545 पहले एक क्वाज़ीक्रिस्टल कीआकृति पर नज़र डाल कर 415 00:29:13,629 --> 00:29:16,298 देख लेते हैं वह कैसे दिखते हैं। 416 00:29:16,381 --> 00:29:20,677 तो, यह मेज़ पर लगी टाइलिंगइसका एक अच्छा उदाहरण है। 417 00:29:20,761 --> 00:29:25,098 अगर आप ध्यान दें तो आपको दिखेगा यहकेवल दो टुकड़ों, इन दो आकृतियों से बनी है। 418 00:29:25,641 --> 00:29:26,808 ये तो चूज़े हैं। 419 00:29:27,684 --> 00:29:30,145 यह बच्चों की पहेली जैसी लगती है, 420 00:29:30,229 --> 00:29:33,315 पर इसके पीछे उच्च स्तर का गणित है। 421 00:29:34,316 --> 00:29:38,487 यह आकृति 70 के दशक मेंसर रॉजर पेनरोज़ ने ढूँढी थी। 422 00:29:39,363 --> 00:29:40,489 सर रॉजर पेनरोज़ 423 00:29:40,572 --> 00:29:43,367 एक गणितज्ञ और कभी-कभीएक ब्रह्माण्ड विज्ञानी भी। 424 00:29:44,201 --> 00:29:47,412 हैरानी की बात हैकि एक क्वाज़ीक्रिस्टल आकृति... 425 00:29:47,496 --> 00:29:48,997 दर्ब-ए-इमाम दरगाहइस्फ़हान, ईरान 426 00:29:49,081 --> 00:29:51,708 ...ईरान के इस्फ़हान मेंएक दरगाह में देखी जा सकती है। 427 00:29:52,167 --> 00:29:56,964 बिना इसमें अंतर्निहितगणितीय सिद्धांतों की जानकारी के, 428 00:29:57,047 --> 00:30:00,092 पाँच सौ साल से भी पहले के कारीगरों ने 429 00:30:00,175 --> 00:30:04,596 पाँचगुना समरूपता केअसंभव रेखागणित को हल कर लिया। 430 00:30:05,597 --> 00:30:06,807 यह लो, हो गया। 431 00:30:09,226 --> 00:30:10,352 अब, मैं आपको चेता दूँ... 432 00:30:10,435 --> 00:30:12,563 चेतावनी सही थी। 433 00:30:13,021 --> 00:30:16,733 हाँ, बेशक़, अब यह इतना जटिल है 434 00:30:16,817 --> 00:30:20,279 कि हम आपकोविस्तार से बताकर तंग नहीं करेंगे। 435 00:30:20,737 --> 00:30:22,239 केवल एक नमूना। 436 00:30:22,948 --> 00:30:27,911 तो, एक आइकोसहेड्रन के बजाय, हमारे पासआइकोसहेड्रा का आइकोसहेड्रन है। 437 00:30:28,495 --> 00:30:31,790 और हमने कहा, "ओह, शायद बाहर की ओरकुछ बनाते जाने का यह एक तरीका है 438 00:30:31,874 --> 00:30:33,375 जो इस संरचना को बरकरार रखेगा।" 439 00:30:34,042 --> 00:30:35,252 पर हमारे सामने समस्या आ गई। 440 00:30:35,961 --> 00:30:38,964 पर इस प्रतिरूप ने हमारी समस्या सुलझा दी। 441 00:30:39,047 --> 00:30:41,967 यह एक असली क्वाज़ीक्रिस्टल का प्रतीक है। 442 00:30:42,050 --> 00:30:44,052 ...और आप केवल एक यह सतह बना... 443 00:30:44,136 --> 00:30:47,848 अब स्टाइनहार्ड्ट प्रकृति मेंएक क्वाज़ीक्रिस्टल ढूँढना चाहते थे। 444 00:30:50,225 --> 00:30:53,353 तो फिर आप कमचटका में फ़ील्डवर्क करने गए। 445 00:30:53,437 --> 00:30:55,606 उसकी प्रेरणा आपको ज़रूर यह सैद्धांतिक... 446 00:30:55,689 --> 00:30:57,524 हाँ। इस प्रतिरूप से प्रेरित होकर। 447 00:30:57,608 --> 00:30:58,901 क्योंकि यह प्रतिरूप यही बताता है: 448 00:30:58,984 --> 00:31:02,779 "दरअसल, अगर परमाणुओं के पास शक्तियाँ हैंजो इन इंटरलॉक की तरह हैं, 449 00:31:02,863 --> 00:31:05,324 उनके पास यह संरचनाबनाने के अलावा कोई चारा नहीं है।" 450 00:31:05,407 --> 00:31:06,950 इसने तुरंत मुझे सोचने पर मजबूर किया, 451 00:31:07,034 --> 00:31:11,413 क्या यह संभव है कि प्रकृति ने मनुष्य सेपहले क्वाज़ीक्रिस्टल बना दिया हो?" 452 00:31:11,496 --> 00:31:16,627 तो फिर शुरू हुई कई दशक लंबीप्राकृतिक क्वाज़ीक्रिस्टल की तलाश। 453 00:31:17,169 --> 00:31:20,297 आख़िरकार हमें फ़्लोरेंस में लूका बिन्डीनामक एक खनिज विज्ञानी मिला... 454 00:31:20,380 --> 00:31:21,882 लूका बिन्डीयूनीवर्सिटी ऑफ़ फ़्लोरेंस 455 00:31:21,965 --> 00:31:25,802 ...जिसके पास उसके संग्रहालय मेंएक छोटा सा नमूना था... 456 00:31:26,303 --> 00:31:28,889 एक पत्थर, एक पेचीदा सा पत्थर, 457 00:31:28,972 --> 00:31:32,226 जिसके अंदर क्वाज़ीक्रिस्टल काएक छोटा कण था। 458 00:31:32,976 --> 00:31:35,229 उस नमूने की जाँच करके 459 00:31:35,312 --> 00:31:39,274 हमें कुछ संकेत मिले कि हमारे हाथ मेंकिसी उल्का-पिंड का एक टुकड़ा है। 460 00:31:39,358 --> 00:31:44,655 पर यह साबित करने के लिए हमें पता करना थाकि वह पत्थर आया कहाँ से था 461 00:31:44,738 --> 00:31:47,616 और कुछ और नमूने इकट्ठे करने की कोशिशकरनी थी ताकि साबित कर सकें। 462 00:31:48,158 --> 00:31:51,203 तो पॉल स्टाइनहार्ड्ट और लूका बिन्डी 463 00:31:51,286 --> 00:31:54,915 सुदूर पूर्वी रूस में,बेरिंग स्ट्रेट के पास 464 00:31:54,998 --> 00:31:56,959 एक अभियान लेकर निकल पड़े। 465 00:31:59,878 --> 00:32:04,091 लाल निशान उल्का-पिंड केटुकड़ों की जगह दिखाता है। 466 00:32:05,008 --> 00:32:09,763 वे लिस्टवेनीट्योवी नामकएक खाड़ी के पास मिले थे 467 00:32:10,180 --> 00:32:12,099 जिसके बारे में कभी किसी ने नहीं सुना। 468 00:32:13,141 --> 00:32:18,438 उस अभियान में पहलेरूसी भूविज्ञानी दल के सदस्य भी शामिल थे 469 00:32:18,522 --> 00:32:22,317 जिन्होंने कई दशक पहले पहला नमूना ढूँढा था। 470 00:32:36,874 --> 00:32:39,918 उन्हें अनजान भूभाग से गुज़रना पड़ा, 471 00:32:40,002 --> 00:32:42,921 जो पॉल स्टाइनहार्ड्ट के लिएबिल्कुल नया था, 472 00:32:43,005 --> 00:32:49,636 जो कभी प्रिंस्टन यूनीवर्सिटी केबगीचे से आगे कहीं बाहर नहीं गए थे। 473 00:33:00,397 --> 00:33:03,817 हज़ारों मच्छरों ने उनका जीना दूभर कर दिया। 474 00:33:04,318 --> 00:33:07,696 यहाँ हम उन्हें उनके चेहरे परएक मच्छरदानी के साथ देख रहे हैं। 475 00:33:08,280 --> 00:33:10,365 उनको ढंग से नींद नहीं आती थी। 476 00:33:10,782 --> 00:33:15,370 भालू केवल उनके सपनों में ही नहीं आते थे,वे वास्तव में वहाँ थे। 477 00:33:16,622 --> 00:33:20,584 उल्का-पिंड के टुकड़े ढूँढने के लिएउनकी कड़ी मेहनत रंग लाई। 478 00:33:21,710 --> 00:33:25,172 उनकी खोज की पहली जांच आशाजनक थी। 479 00:33:26,215 --> 00:33:30,344 अब बिन्डी और स्टाइनहार्ड्ट के पासख़ुशी मनाने का कारण था, 480 00:33:30,427 --> 00:33:35,307 हालांकि अभी उन्हें पता नहीं चल सकता थाकि उनमें क्वाज़ीक्रिस्टल हैं या नहीं। 481 00:33:37,351 --> 00:33:41,647 नए मिले नमूने की एक्स-रे विवर्तन आकृति में 482 00:33:41,730 --> 00:33:44,900 निषिद्ध पाँचगुना समरूपता दिखी, 483 00:33:44,983 --> 00:33:49,363 सबूत कि उल्का-पिंड के अंदरक्वाज़ीक्रिस्टल थे। 484 00:33:49,446 --> 00:33:52,199 क्या आप बता सकते हैं आपकोक्या महसूस हुआ जब आपने यह देखा? 485 00:33:52,950 --> 00:33:56,662 शायद सब कुछ... मेरे लिए उस क्षण मेंसमय जैसे रुक गया था। 486 00:33:58,247 --> 00:33:59,248 जैसे... 487 00:34:00,832 --> 00:34:04,336 इस प्रतिरूप को देखते हीमुझे तुरंत पता चल गया 488 00:34:04,419 --> 00:34:07,464 कि हम जो इतने दशकों सेप्राप्त करने की कोशिश कर रहे थे 489 00:34:07,548 --> 00:34:09,424 अब प्राप्त कर लिया है। 490 00:34:09,507 --> 00:34:13,762 साथ ही, हमने प्रमाणित कर लिया थाकि यह क्वाज़ीक्रिस्टल 491 00:34:13,846 --> 00:34:17,516 ना केवल प्रकृति में बना थाबल्कि अंतरिक्ष में बना था। 492 00:34:17,599 --> 00:34:19,016 उल्का-पिंडों के अध्ययन का केन्द्र 493 00:34:19,101 --> 00:34:22,312 पदार्थ के गुप्त रहस्यों को छोड़ कर 494 00:34:22,771 --> 00:34:27,525 हम ज़्यादा साधारण पत्थरों की ओर बढ़ते हैंजो हमारे ऊपर गिर चुके हैं। 495 00:34:27,609 --> 00:34:30,070 ...तो यहाँ हमने चिपकू पायदान रखे हैं। 496 00:34:31,905 --> 00:34:36,534 एरिज़ोना स्टेट यूनीवर्सिटी के पासबहुत बड़ा संग्रह है। 497 00:34:36,618 --> 00:34:39,329 बाहर की धूल-मिट्टीइस साफ़ तहखाने में जाएगी। 498 00:34:39,413 --> 00:34:40,539 लॉरेंस गार्वीएरिज़ोना स्टेट यूनीवर्सिटी 499 00:34:40,621 --> 00:34:42,666 पर शानदार कहानियाँहमारा इंतज़ार कर रही थीं। 500 00:34:42,748 --> 00:34:43,583 तो जब हम अंदर जाएँ, 501 00:34:43,667 --> 00:34:45,752 जूतों से मिट्टी निकालने के लिएइस पर पैर रख कर जाना। 502 00:34:45,835 --> 00:34:46,670 ठीक है। 503 00:34:46,753 --> 00:34:49,464 लॉरेंस गार्वी, वहाँ केअध्यक्ष ने हमें सब दिखाया। 504 00:34:49,547 --> 00:34:53,927 हमने यहाँ हवा का दबाव बनाकर रखा हैताकि साफ़ हवा अंदर आती रहे। 505 00:34:54,011 --> 00:34:55,637 -मिट्टी निकल गई? अच्छा है।-हाँ। 506 00:34:55,721 --> 00:34:59,308 और यहाँ कैमरे लगे हैं।कैमरे को देख कर मुस्कराओ, हाथ हिलाओ। 507 00:34:59,933 --> 00:35:02,519 पर सबसे महत्वपूर्ण यह है 508 00:35:02,603 --> 00:35:05,355 कि जब हम ऐसेउल्का-पिंडों के संस्थान में हों 509 00:35:05,439 --> 00:35:08,734 तो उल्का-पिंडों कोजितना संभव हो, साफ़ रखें। 510 00:35:08,817 --> 00:35:10,694 आमतौर पर, हम ख़ुद कोसाफ़ रखने की कोशिश करते हैं। 511 00:35:10,777 --> 00:35:13,822 यहाँ हम नमूनों से हमारी उँगलियों कीचिकनाहट दूर रखने की कोशिश करते हैं। 512 00:35:13,906 --> 00:35:16,700 तो आप दस्ताने पहन लीजिए,और मैं भी पहन लूँगा। 513 00:35:16,783 --> 00:35:18,660 और हम यह इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मैं आपको 514 00:35:18,744 --> 00:35:23,123 एक शानदार उल्का-पिंड दिखाना चाहता हूँजो कुछ सप्ताह पहले ही गिरा है, 515 00:35:23,207 --> 00:35:24,875 और दरअसल, कोस्टा रिका पर गिरा था। 516 00:35:24,958 --> 00:35:28,962 और यह उल्का-पिंडकार्बनिक यौगिकों से भरा पड़ा है। 517 00:35:29,046 --> 00:35:30,464 और यह महत्वपूर्ण है। 518 00:35:30,547 --> 00:35:32,257 क्योंकि इससे हमेंहमारे प्रारंभिक सौर मंडल के 519 00:35:32,341 --> 00:35:35,636 और शायद यहाँ परजीवन की उत्पत्ति के बारे में भी पता चलेगा। 520 00:35:35,719 --> 00:35:39,223 अब, मैंने नमूनों को यहाँविशेष अलमारियों में रखा हुआ है। 521 00:35:39,306 --> 00:35:40,849 यह नाइट्रोजन अलमारियाँ हैं। 522 00:35:40,933 --> 00:35:43,018 ठीक है? तो हमारे पासनाइट्रोजन है... ड्राइ नाइट्रोजन। 523 00:35:43,101 --> 00:35:46,605 महत्वपूर्ण बात यह है: अलमारियों मेंड्राइ नाइट्रोजन लगातार डाली जा रही है। 524 00:35:46,688 --> 00:35:51,401 तो जब मैं इसे खोलूँगा तो आपकोनाइट्रोजन डलने की आवाज़ सुनाई देगी। 525 00:35:51,485 --> 00:35:53,612 और यह उल्का-पिंड अब संरक्षित हैं। 526 00:35:53,695 --> 00:35:56,740 उन पर पानी नहीं जा रहा।उन पर ऑक्सीजन नहीं जा रही। 527 00:35:56,823 --> 00:35:59,660 तो उन्हें संरक्षित रखने काफिलहाल यह सबसे उत्तम तरीका है। 528 00:35:59,743 --> 00:36:00,994 तो वह है यह सिसकारी? 529 00:36:01,078 --> 00:36:02,329 वह है यह सिसकारी। 530 00:36:03,372 --> 00:36:06,458 तो, उदाहरण स्वरूप, यह है... 531 00:36:08,502 --> 00:36:11,380 एक बहुत अद्भुत उल्का-पिंड। 532 00:36:12,089 --> 00:36:13,674 यह लो, देखा इसका नाम क्या है? 533 00:36:14,216 --> 00:36:15,551 "द डॉगहाउस।" 534 00:36:16,802 --> 00:36:17,803 तो फिर... 535 00:36:21,807 --> 00:36:23,100 तो... 536 00:36:23,183 --> 00:36:24,977 कहना पड़ेगा, इसे गिराना मत। 537 00:36:25,060 --> 00:36:27,646 -कोशिश करूँगा। ठीक है।-कृपया इसे गिराना मत। 538 00:36:30,858 --> 00:36:35,988 तो यह पत्थर कुछ ही सप्ताह पहलेकोस्टा रिका में गिरा है। 539 00:36:36,071 --> 00:36:37,781 और यह वालावास्तव में एक कुत्ता-घर में गिरा 540 00:36:37,865 --> 00:36:39,908 जब कुत्ता उसमें सो रहा था। 541 00:36:39,992 --> 00:36:43,287 -आशा है कुत्ते को चोट नहीं लगी।-उससे कुछ ही मिलीमीटर दूर गिरा 542 00:36:43,370 --> 00:36:46,373 और कुत्ते के पास ही ज़मीन में धँस गया। 543 00:36:46,999 --> 00:36:49,168 तो यह विशेष इसलिए भी है 544 00:36:49,251 --> 00:36:51,170 क्योंकि इसमें कुत्ते के कुछ बालअभी भी चिपके हुए हैं। 545 00:36:51,253 --> 00:36:52,379 सच में! 546 00:36:52,462 --> 00:36:55,174 और एक चीज़ जो इसे अद्भुत बनाती है, 547 00:36:55,257 --> 00:36:57,759 वह यह है कि अगर तुम इसे सूँघो... 548 00:36:59,094 --> 00:37:02,890 तो तुम्हें वास्तव में उनकार्बनिक यौगिकों की गंध आएगी जो इसमें हैं। 549 00:37:02,973 --> 00:37:06,476 ये 450 करोड़ साल पुराने यौगिक हैं 550 00:37:06,560 --> 00:37:09,313 जो किसी शुरू के ग्रह पर बने थे... 551 00:37:09,396 --> 00:37:11,440 वह ग्रह अब समाप्त हो चुका है... 552 00:37:11,523 --> 00:37:13,275 और इस पत्थर में कैद हो गए 553 00:37:13,358 --> 00:37:17,446 और 400 करोड़ साल तकक्षुद्रग्रह घेरे में बैठे रहे 554 00:37:17,529 --> 00:37:19,865 और फिर, किसी कारण से,यह क्षुद्रग्रह घेरे से निकल कर 555 00:37:19,948 --> 00:37:21,325 कोस्टा रिका में आ गिरा 556 00:37:21,408 --> 00:37:23,952 और अब यहाँ हमारेउल्का-पिंड के तहखाने में है। 557 00:37:24,036 --> 00:37:26,163 यह गंध कैसी है? यह जैसे कोई... 558 00:37:26,246 --> 00:37:28,624 हमें ठीक तरह पता नहींपर हमें लगता है यह चीज़... 559 00:37:28,707 --> 00:37:31,126 यह नेफ़थलीन जैसा है। वैसा ही कुछ है। 560 00:37:31,210 --> 00:37:33,045 उसी यौगिक जैसा कुछ है। 561 00:37:33,128 --> 00:37:34,880 किसी विलायक द्रव जैसा कुछ? 562 00:37:34,963 --> 00:37:36,632 हाँ, कुछ-कुछ। 563 00:37:36,715 --> 00:37:38,800 मैं इसे वापस रख देता हूँ,आपको फिर से ना उठाना हो तो। 564 00:37:38,884 --> 00:37:40,177 -नहीं, मैं...-वैसे, 565 00:37:40,260 --> 00:37:42,387 यह लाल रंग कुत्ता-घर की छत से है। 566 00:37:43,430 --> 00:37:46,892 और सफ़ेद कुत्ता-घर की ज़मीन से है। 567 00:37:46,975 --> 00:37:49,019 और क्या कुत्ते को तुरंत समझ आया 568 00:37:49,102 --> 00:37:51,688 कि उसके पास आसमान से कोई मेहमान आया है? 569 00:37:51,772 --> 00:37:54,399 उसे नहीं पता चला पर मज़े की बात यह है 570 00:37:54,483 --> 00:37:58,946 कि गंध के कारण लोगों ने उल्का-पिंडढूँढने के लिए कुत्तों का इस्तेमाल किया है। 571 00:37:59,029 --> 00:38:01,114 उन्हें यह गंध ढूँढने के लिएप्रशिक्षित किया जा सकता है। 572 00:38:02,074 --> 00:38:03,242 इसे अब वापस रख देते हैं। 573 00:38:09,665 --> 00:38:12,501 यह जिकीपिल्को क्षेत्र से टोलूका लौह है। 574 00:38:12,584 --> 00:38:13,585 यह लो, इसे उठा कर देखो। 575 00:38:13,669 --> 00:38:15,629 इसे अपने पैर पर मत गिराना। वह टूट जाएगा। 576 00:38:15,712 --> 00:38:16,713 अरे, बाप रे। 577 00:38:16,797 --> 00:38:18,882 तो, इसका वज़न होगा, क़रीब, 578 00:38:18,966 --> 00:38:22,219 पता नहीं, 30 किलो, 40 किलो,केवल इस एक पत्थर का। 579 00:38:22,302 --> 00:38:23,595 यह खरा कच्चा लोहा है? 580 00:38:23,679 --> 00:38:25,556 यह खरा लोहा है पर निकल मिला हुआ लोहा। 581 00:38:25,639 --> 00:38:28,225 -लाओ, गिर ना जाए। तैयार।-मैं आपको दे देता हूँ। 582 00:38:29,643 --> 00:38:33,313 टकराव से होने वाली एक बहुत अद्भुत घटनाजो कभी टीवी पर देखने को नहीं मिलती, 583 00:38:33,397 --> 00:38:35,691 वह है यह पदार्थ, टेक्टाइट्स। 584 00:38:35,774 --> 00:38:40,445 अब, यहाँ हमारे पास है...पृथ्वी पर कुछ प्रहार हुआ 585 00:38:40,529 --> 00:38:44,449 जिससे पृथ्वी की सतह काबहुत बड़ा हिस्सा पिघल गया। 586 00:38:44,533 --> 00:38:47,786 इस मामले में,शायद कई हज़ार वर्ग किलोमीटर धरती। 587 00:38:47,870 --> 00:38:50,455 वह शायद उसी क्षण पिघल गई होगी। 588 00:38:50,539 --> 00:38:52,291 और फिर उस टकराव के झटके से 589 00:38:52,374 --> 00:38:55,669 पृथ्वी के लगभग एक-तिहाई हिस्से परयह पदार्थ छिटक कर बिखर गया होगा। 590 00:38:55,752 --> 00:38:56,753 यह कब हुआ? 591 00:38:56,837 --> 00:38:59,590 हमें लगता है शायद... हमने इसकासमय 750,000 साल पहले का लगाया है। 592 00:38:59,673 --> 00:39:01,675 तो, सुनने में बहुत लंबा समय लगता है 593 00:39:01,758 --> 00:39:04,511 पर भूवैज्ञानिक समय अवधि की दृष्टि से,यह कल ही की बात है। 594 00:39:04,595 --> 00:39:06,680 -यह घटना हाल ही में हुई है।-यह काँच है? 595 00:39:06,763 --> 00:39:09,266 यह बस... तो यह है यहाँ... अगर आप सुनो... 596 00:39:10,434 --> 00:39:13,562 यह काँच है पर यहपृथ्वी से बाहर का काँच नहीं है। 597 00:39:13,645 --> 00:39:18,317 यह पृथ्वी का ही हैजिसका यह सारा हिस्सा पिघल गया था, 598 00:39:18,400 --> 00:39:22,613 वह पिघल कर सारी धरती पर छिड़का गया। 599 00:39:22,696 --> 00:39:26,450 तो आपको यह चीज़ेंदक्षिणपूर्वी एशिया, फ़िलीपींस, 600 00:39:26,533 --> 00:39:29,244 इन्डोनेशिया से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक 601 00:39:29,328 --> 00:39:31,496 और फिर नीचे अंटार्कटिका में भी मिलेंगी। 602 00:39:31,580 --> 00:39:34,333 तो यह बहुत बड़ी घटना थी। 603 00:39:34,416 --> 00:39:37,211 पर इनकी आकृतियों को देखो।पता है यह आकृतियाँ हमें क्या बता रही हैं? 604 00:39:37,294 --> 00:39:41,965 यह हमें बता रही हैं कि यह पदार्थछिड़का गया और फिर हवा में ही जम गया। 605 00:39:43,133 --> 00:39:45,260 अगर हम लोग यहाँ होते जब यह यहाँ गिरा था 606 00:39:45,344 --> 00:39:46,887 तो हम लोग ख़त्म हो जाते? 607 00:39:46,970 --> 00:39:48,180 सब कुछ, पूरी तरह। 608 00:39:48,263 --> 00:39:50,974 कल्पना करो... कई हज़ार वर्ग किलोमीटर... 609 00:39:51,058 --> 00:39:54,937 उसके नीचे सब कुछ लगभग तत्काल हीकाँच में परिवर्तित हो गया। 610 00:39:55,312 --> 00:39:57,689 तो, हाँ। आप वहाँ बैठकर चाय पी रहे होते, 611 00:39:57,773 --> 00:39:59,942 और आप काँच में बदल जाते। सब कुछ। 612 00:40:04,863 --> 00:40:08,742 बाह्य अँधेरी दुनिया से आने वालेहर पत्थर की 613 00:40:08,825 --> 00:40:10,327 अपनी कहानी है। 614 00:40:21,672 --> 00:40:26,635 इतिहास के हर समय में, उल्का-पिंडों नेमनुष्य की सोच को आकर्षित किया है। 615 00:40:27,427 --> 00:40:30,639 एक मोबाइल की रोशनी जितना साधारण उपकरण भी 616 00:40:30,722 --> 00:40:35,602 कहीं दूर से आए इन यात्रियों कीरहस्यमयी सुंदरता का गुणगान करता है। 617 00:41:04,381 --> 00:41:05,799 यहाँ हमारे पास... 618 00:41:05,883 --> 00:41:10,596 टैम्पी, एरिज़ोना मेंउसी उल्का-पिंडों के अध्ययन के केन्द्र में 619 00:41:10,679 --> 00:41:13,307 हम डॉ. मीनाक्षी वाधवा से मिले, 620 00:41:13,390 --> 00:41:16,852 जो उल्का-पिंडों केसर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों में से हैं। 621 00:41:16,935 --> 00:41:19,062 ...40,000 अलग-अलग उल्का-पिंड हैं। 622 00:41:19,146 --> 00:41:20,480 मीनाक्षी वाधवाभूमंडलीय वैज्ञानिक 623 00:41:20,564 --> 00:41:23,567 -जिसमें बारबरा हेपवर्थ की एक कृति भी है।-हाँ। बिल्कुल। 624 00:41:24,943 --> 00:41:28,363 हाँ और हम यहाँ जो भी काम करते हैं,ये उसका एक बहुत बढ़िया स्रोत हैं। 625 00:41:28,447 --> 00:41:29,698 दूसरी दुनिया के दूत 626 00:41:29,781 --> 00:41:31,783 यह क्या है? 627 00:41:31,867 --> 00:41:34,953 तो वह गोल चीज़ जो आप देख रहे हो, 628 00:41:35,037 --> 00:41:37,664 यह एक छोटा सा... 629 00:41:37,748 --> 00:41:40,334 आप सोच लीजिए यह एक छोटी सी बूँद है 630 00:41:40,417 --> 00:41:43,420 जो सौर मंडल कीएकदम शुरुआत के समय मौजूद थी, 631 00:41:43,504 --> 00:41:46,381 लगभग 450 करोड़ साल पहले। 632 00:41:46,465 --> 00:41:48,258 क्या यह ग्रहों के बनने से पहले था? 633 00:41:48,342 --> 00:41:51,929 हाँ। यह तब था जब केवल गैस और धूल थी। 634 00:41:52,012 --> 00:41:54,890 और कुछ नहीं था। कोई ग्रह नहीं थे,ना ही पृथ्वी थी। कुछ नहीं था। 635 00:41:55,474 --> 00:41:57,059 और यह हैं... 636 00:41:57,142 --> 00:42:00,896 इन्हें अग्नि वर्षा की बूँदें कहा गया है 637 00:42:00,979 --> 00:42:04,233 जो... उस निहारिका में से,उस गैस और धूल के बादल से 638 00:42:04,316 --> 00:42:06,443 निकल कर अभी जम ही रही थीं। 639 00:42:06,527 --> 00:42:09,530 शायद किसी किस्म कीआकस्मिक प्रक्रिया के कारण 640 00:42:09,613 --> 00:42:12,491 जो हमारे सौर मंडल के सबसे शुरू केइतिहास में हो रही थीं। 641 00:42:12,574 --> 00:42:15,702 और दरअसल, हमें नहीं पतावह झटके कहाँ से लग रहे थे, 642 00:42:15,786 --> 00:42:18,205 पर हमें लगता है वैसी ही कुछ प्रक्रियाएँ 643 00:42:18,288 --> 00:42:20,958 उन अन्य सौर मंडलों में हो रही हैंजो आजकल बन रहे हैं। 644 00:42:21,583 --> 00:42:23,460 और इसके अंदर कौन से तत्व मौजूद हैं? 645 00:42:23,544 --> 00:42:25,963 हाँ, तो जो आप देख रहे हैं, 646 00:42:26,046 --> 00:42:29,591 यह जिस तरह की सुंदररंगीन काँच जैसी आकृति आप देख रहे हैं? 647 00:42:29,675 --> 00:42:32,052 यह ऑलिवीन नामक खनिज पदार्थ है। 648 00:42:32,636 --> 00:42:36,932 और इस तरह का...जब मैं इसे घुमाती हूँ इसमें... 649 00:42:37,015 --> 00:42:40,561 जब यह इस तरह की प्रेषित रोशनीइन खनिज पदार्थों में से गुज़रती है, 650 00:42:40,644 --> 00:42:43,397 आप तरंगित... रोशनी तरंगित होती है, 651 00:42:43,480 --> 00:42:45,148 तो उससे खनिज पदार्थ ख़ुद ही 652 00:42:45,232 --> 00:42:48,235 कुछ दिशाओं में रोशनी को नष्ट कर रहा है। 653 00:42:48,318 --> 00:42:53,115 तो इसलिए आपको पहले यह चमकऔर फिर अंधेरा सा दिख रहा है। 654 00:42:53,740 --> 00:42:56,994 यह एक सुंदररंगीन काँच वाली खिड़की की तरह है। 655 00:42:57,077 --> 00:43:00,247 -मुझे लगता है यह कुछ... हाँ।-यह बहुत सुंदर है। 656 00:43:00,330 --> 00:43:02,833 यह एक टुकड़ा है, 657 00:43:02,916 --> 00:43:08,547 एक पतला टुकड़ा, मंगल ग्रह के उस नमूने काजो मैंने सबसे पहले देखा था 658 00:43:08,630 --> 00:43:11,967 जब उल्का-पिंडों के अध्ययन कामेरा कैरियर शुरू ही हुआ था। 659 00:43:12,050 --> 00:43:15,679 और मैं तो मंत्र-मुग्ध हो गई थी क्योंकि, 660 00:43:15,762 --> 00:43:18,682 यह इतना जाना-पहचाना लगता हैपर आया किसी दूसरी दुनिया से है। 661 00:43:19,474 --> 00:43:23,687 हम जानते हैं यह पत्थर मंगल ग्रह से हैक्योंकि इसमें जो गैसें कैद हैं 662 00:43:23,770 --> 00:43:27,399 उनकी संरचना बिल्कुल वही हैजैसी मंगल ग्रह के वायुमंडल की है। 663 00:43:27,482 --> 00:43:30,277 तो जब आप इस पत्थर काएक टुकड़ा लेकर उसे गरम करते हो, 664 00:43:30,360 --> 00:43:34,448 यह गैसें रिहा हो जाती हैं, और तुमउस गैस की संरचना माप सकते हो, 665 00:43:34,531 --> 00:43:36,992 और यह बिल्कुल वैसी संरचना है 666 00:43:37,534 --> 00:43:40,621 जैसी हमने अंतरिक्षयान का इस्तेमाल करकेमंगल ग्रह पर मापी है। 667 00:43:40,704 --> 00:43:43,081 -अद्भुत।-हाँ, अद्भुत है। 668 00:44:06,688 --> 00:44:10,108 तो क्या कार्ल सेगन सही थे,कि हम तारों की धूल से बने हैं? 669 00:44:10,192 --> 00:44:11,860 हम तारों की धूल ही हैं, बिल्कुल। 670 00:44:11,944 --> 00:44:16,031 हमारे शरीर के हर तत्व का 671 00:44:16,114 --> 00:44:20,744 यहाँ आने से पहलेदूसरे तारों में संश्लेषण हुआ था। 672 00:44:20,827 --> 00:44:22,704 तो हाँ, हम सब तारों की धूल हैं। 673 00:44:23,872 --> 00:44:26,124 -अंत में।-क्या शानदार विचार है। 674 00:44:26,208 --> 00:44:27,042 हाँ। 675 00:44:27,125 --> 00:44:31,088 इस पूरी फ़िल्म की शूटिंग के समयकेवल यही एक समय ऐसा था 676 00:44:31,171 --> 00:44:33,423 जब मैं ख़ुद को रोक नहीं पाया। 677 00:44:33,507 --> 00:44:36,468 कैमरे के पीछे से मुझे दख़ल देना ही था। 678 00:44:37,010 --> 00:44:40,222 मुझे नहीं लगता मैं तारों की धूल हूँ।मैं बावेरियन हूँ। 679 00:44:44,685 --> 00:44:47,187 हाँ,वह तो किसी ख़ास चीज़ से बने हैं, वाक़ई। 680 00:44:47,813 --> 00:44:49,857 हाँ। सही है। 681 00:44:58,782 --> 00:45:00,367 हमारी यात्रा हमें 682 00:45:00,450 --> 00:45:03,161 हर उस जगह लेकर गई जहाँ भीपृथ्वी पर बड़े आग के गोले गिरे हैं। 683 00:45:03,245 --> 00:45:04,580 रामगढ़ क्रेटरराजस्थान, भारत 684 00:45:05,372 --> 00:45:09,293 हम जानना चाहते थेकि क्या जीवन बाह्य अंतरिक्ष से आया है। 685 00:45:10,252 --> 00:45:16,425 यह उत्तरी भारत के राजस्थान में रामगढ़क्रेटर है, चार किलोमीटर व्यास के साथ। 686 00:45:17,259 --> 00:45:20,262 अंतरिक्ष से, यह तुरंत नज़र आता है, 687 00:45:20,345 --> 00:45:24,850 पर नीचे धरती पर, आपको पता भी नहीं चलताआप एक गड्ढे के अंदर हो। 688 00:45:25,392 --> 00:45:30,230 हालाँकि, 10वीं सदी से यहाँहिन्दू मंदिर बनाए जाते रहे। 689 00:45:32,482 --> 00:45:36,403 हम जानना चाहते थे कि क्या उल्का-पिंडों मेंमिलने वाले कार्बनिक पदार्थ से 690 00:45:36,486 --> 00:45:41,033 हमारे ग्रह पर जीवन के अंश आए हो सकते हैं। 691 00:45:42,367 --> 00:45:46,788 हम प्रोफेसर नीता सहाय कीविशेषज्ञता से जानकारी ले रहे थे 692 00:45:46,872 --> 00:45:51,001 जो रसायन-शास्त्र से जीव-विज्ञान केपरिवर्तन का अध्ययन करती हैं। 693 00:45:52,127 --> 00:45:56,173 और हम यहाँ इस...इस विशाल गड्ढे में हैं, 694 00:45:56,256 --> 00:45:58,175 जो उल्का-पिंड के प्रहार से बना है। 695 00:45:58,258 --> 00:46:00,802 और हमें नहीं पतावह कार्बन से युक्त था या नहीं 696 00:46:00,886 --> 00:46:03,722 पर हमें यह पता हैकि कार्बन से युक्त उल्का-पिंडों में 697 00:46:03,805 --> 00:46:06,308 विभिन्न प्रकार के कार्बनिक अणु होते हैं। 698 00:46:06,391 --> 00:46:10,562 इनमें से महत्वपूर्ण कौन से हैं जोजीवन के रचक खंडों का प्रतीक हो सकते हैं? 699 00:46:10,646 --> 00:46:13,941 दरअसल, उल्का-पिंडों मेंजीवन के सभी रचक खंड पाए गए हैं। 700 00:46:14,024 --> 00:46:15,442 नीता सहायभू-रसायनज्ञ 701 00:46:15,526 --> 00:46:17,069 एमिनो एसिड जिनसे प्रोटीन बनते हैं, 702 00:46:17,152 --> 00:46:20,072 लिपिड अणुजिनसे कोशिका झिल्ली बनती है 703 00:46:20,155 --> 00:46:23,075 और यहाँ तक की राइबोज़ भी,जो एक शर्करा है। 704 00:46:23,158 --> 00:46:25,577 मुझे बहुत आश्चर्यजनक लगता है 705 00:46:25,661 --> 00:46:30,332 कि शर्करा आदि चीज़ें जिनसे प्रोटीनबनते हैं, उल्का-पिंडों में मिलती हैं। 706 00:46:30,415 --> 00:46:31,250 हाँ। 707 00:46:31,333 --> 00:46:35,170 क्या वे भूवैज्ञानिक तरीके से बनते हैं,जैसे खनिज, या... 708 00:46:35,754 --> 00:46:39,341 वे खनिजों की तरह नहीं हैंचूँकि वे कार्बनिक अणु होते हैं 709 00:46:39,424 --> 00:46:40,759 और खनिज अकार्बनिक होते हैं, 710 00:46:40,843 --> 00:46:42,970 पर माना जाता है कि उनका निर्माण 711 00:46:43,053 --> 00:46:46,974 कार्बनिक अणुओं का खनिजों की सतह सेपरस्पर क्रिया से हुआ है। 712 00:46:47,057 --> 00:46:50,727 उदाहरण स्वरूप, अंतर्तारकीय कणों में, 713 00:46:50,811 --> 00:46:53,772 और साथ ही उल्का-पिंडों की सतहों पर भी। 714 00:46:54,356 --> 00:46:56,650 पर फिर भी, इन अंशों और जीवन शुरू होने की 715 00:46:56,733 --> 00:47:00,445 प्रक्रिया के बीचबहुत महत्वपूर्ण चरण शेष होंगे। 716 00:47:00,529 --> 00:47:02,322 -ठीक।-हमें किस चीज़ की ज़रूरत होगी? 717 00:47:02,406 --> 00:47:04,992 हमें यह सब डालने के लिएशायद किसी प्रकार के पात्र 718 00:47:05,075 --> 00:47:06,785 और उष्मा के स्रोत की ज़रूरत होगी? 719 00:47:06,869 --> 00:47:10,205 हाँ। तो इन साधारण रचक खंडों का 720 00:47:10,289 --> 00:47:12,541 बहुलीकरण करके लंबी चेनें बननी होंगी 721 00:47:12,624 --> 00:47:17,546 क्योंकि लंबी चेनों में दोहरा होनेऔर काम आने लायक क्षमता होती है। 722 00:47:17,629 --> 00:47:19,631 आपका पैन्स्पर्मिया सिद्धांत के बारे मेंक्या विचार है, 723 00:47:19,715 --> 00:47:23,302 जिसके अनुसार जीवन इस ब्रह्माण्ड मेंचारों ओर फैला हुआ है? 724 00:47:23,385 --> 00:47:26,054 मेरा मतलब, क्या यह संभव हैकि सजीव सूक्ष्म जीव 725 00:47:26,138 --> 00:47:29,975 बाह्य अंतरिक्ष के प्रचंड तापमानऔर विकिरण को सहन कर सकते हैं? 726 00:47:30,517 --> 00:47:33,353 डीएनए, दरअसल, काफ़ी मज़बूत होता है। 727 00:47:33,437 --> 00:47:37,524 और अंतरिक्ष में जीवित रह पाना संभव है। 728 00:47:37,983 --> 00:47:42,696 और एक पूरा सूक्ष्म जीव भीशायद बीजाणु जैसे रूप में जीवित रह जाए। 729 00:47:42,779 --> 00:47:46,450 क्योंकि लोगों नेपृथ्वी में गहराई तक खुदाई की है 730 00:47:46,533 --> 00:47:50,120 और कुछ किलोमीटर नीचे तक भी 731 00:47:50,204 --> 00:47:54,791 बैक्टीरिया मिले हैं जो, माना जाता है,वहाँ सैंकड़ों सालों से रह रहे हैं। 732 00:47:54,875 --> 00:47:59,505 और वे निलंबित प्राणवत्ता कीस्थिति में जीवित रहते हैं। 733 00:47:59,588 --> 00:48:02,841 क्या आपको कुछ पता हैकि पुजारियों ने यहाँ मंदिर क्यों बनाए हैं? 734 00:48:02,925 --> 00:48:05,302 और यह वाला तो शिव को समर्पित है ना? 735 00:48:05,385 --> 00:48:09,765 मतलब, यह संयोग तो नहीं होगा, उल्का-पिंड केप्रहार से बने गड्ढे की धरती पर। 736 00:48:09,848 --> 00:48:14,394 यह दिलचस्प हैकि यह मंदिर शिव और पार्वती का है। 737 00:48:14,478 --> 00:48:19,900 और यह एक तांत्रिक मंदिर हैजो सृष्टि का प्रतीक है। 738 00:48:19,983 --> 00:48:22,110 और शिव विनाश के भी देवता हैं। 739 00:48:22,569 --> 00:48:25,072 तो, हिन्दू धर्म मेंब्रह्माण्ड के सृजन और विनाश के 740 00:48:25,155 --> 00:48:28,784 अनवरत चक्रों की मान्यता है। 741 00:48:28,867 --> 00:48:32,704 और, यह उपयुक्त है कि यह उल्का-पिंड केप्रहार से बने गड्ढे वाली जगह पर है, 742 00:48:32,788 --> 00:48:36,124 जहाँ प्रहार से जीवन नष्ट हो सकता है 743 00:48:36,208 --> 00:48:38,794 पर फिर वही वो कार्बनिक अणु भी लाएगा 744 00:48:38,877 --> 00:48:41,129 जिनसे जीवन की शुरुआत हुई हो सकती है। 745 00:48:45,592 --> 00:48:50,180 यही चीज़ वहाँ रहने वाले एक साधु ने भी कही। 746 00:48:51,014 --> 00:48:56,645 अगर किसी युद्ध या उल्का-पिंड से मानवताऔर सारा जीवन समाप्त हो जाएगा, 747 00:48:56,728 --> 00:49:01,108 तो यहाँ, इस गड्ढे की झील में,जीवन पुनः शुरू होगा। 748 00:49:10,450 --> 00:49:14,663 हमें वहाँ जाना थाजहाँ एक बहुत बड़ा आग का गोला गिरा था। 749 00:49:15,622 --> 00:49:19,084 वह मेक्सिको के यूकाटन प्रायद्वीप के तट पर 750 00:49:19,168 --> 00:49:21,795 एक ऐसी जगह थाजिसका नाम बोलना बहुत कठिन है। 751 00:49:21,879 --> 00:49:24,798 चिकक्षुलुब पोर्टोमेक्सिको 752 00:49:24,882 --> 00:49:30,804 यह वही जगह है जहाँ हमारे ग्रह कोएक अकल्पनीय कयामत सहनी पड़ी थी। 753 00:49:31,597 --> 00:49:34,850 अंतरिक्ष से जो यहाँ गिरा 754 00:49:34,933 --> 00:49:40,105 उसमें हिरोशिमा के परमाणु बमों सेकई सौ लाख गुना... 755 00:49:40,189 --> 00:49:43,066 शायद कई हज़ार लाख गुना ज़्यादा शक्ति थी। 756 00:49:44,610 --> 00:49:47,571 यहाँ की कोई चीज़ उसकी याद नहीं दिलाती। 757 00:49:48,113 --> 00:49:51,992 जीवन के हर पहलू परजैसे एक भारी बोरियत छाई हुई है। 758 00:49:54,203 --> 00:50:00,292 चिकक्षुलुब एक ऐसा उजाड़बीच रिज़ॉर्ट है कि रोने का मन करता है। 759 00:51:12,489 --> 00:51:15,826 यहाँ के कुत्ते,इस ग्रह के बाकी सभी कुत्तों की तरह 760 00:51:15,909 --> 00:51:19,121 यह समझने के लिए बहुत मूर्ख हैं 761 00:51:19,204 --> 00:51:22,708 कि ठीक इसी जगह पर हुई घटना से 762 00:51:22,791 --> 00:51:25,627 संसार की तीन-चौथाई प्रजातियाँसमाप्त हो गईं थीं। 763 00:51:31,550 --> 00:51:35,304 डायनोसॉर केवलस्थानीय संग्रहालयों में ही बचे हैं। 764 00:51:38,265 --> 00:51:42,477 उनकी आँखें मनुष्यों द्वारा बनाई गईं हैं।वे कुछ नहीं देख सकते। 765 00:51:44,062 --> 00:51:46,690 केवल उनके कदमों के निशान असली हैं, 766 00:51:46,773 --> 00:51:50,527 पर वे दिखाते हैं वे टहल रहे थे,भाग नहीं रहे थे। 767 00:51:51,612 --> 00:51:54,781 वे हर चीज़ केअचानक समाप्त होने से बेख़बर थे। 768 00:52:13,550 --> 00:52:15,928 यह सूनी जगह पृथ्वी के इतिहास की 769 00:52:16,011 --> 00:52:19,681 सबसे बड़ी भूगर्भीय आपदाओं में सेएक के मध्य में है। 770 00:52:20,182 --> 00:52:24,436 इसने ग्रह पर जीवन की दिशाअपरिवर्तनीय ढंग से बदल दी। 771 00:52:24,520 --> 00:52:26,605 क़रीब 66 मिलियन साल पहले, 772 00:52:26,688 --> 00:52:29,066 एक क्षुद्रग्रह, शायद 10 किलोमीटर व्यास का, 773 00:52:29,149 --> 00:52:34,029 बीस किलोमीटर प्रति सेकंड की गति सेपृथ्वी की ओर धड़धड़ाता हुआ आया। 774 00:52:34,905 --> 00:52:37,574 उसका प्रहार इतना ज़ोरदार था 775 00:52:37,658 --> 00:52:41,495 कि उसने एक 30 किलोमीटर गहरा गड्ढा कर दिया। 776 00:52:42,246 --> 00:52:44,373 उससे जो गड्ढा बना... 777 00:52:44,456 --> 00:52:49,670 वह 100 किलोमीटर समुद्र की ओरऔर 100 किलोमीटर अंदर की ओर फैला हुआ है, 778 00:52:50,212 --> 00:52:54,508 और उस प्रहार सेपृथ्वी की सतह में पैदा हुए तापमान से 779 00:52:54,591 --> 00:52:59,805 वह सतह और उल्का स्वयं भी पिघल करभाप बन कर उड़ गए। 780 00:53:00,597 --> 00:53:03,308 उस समय 11 तीव्रता वाले भूकंप आए। 781 00:53:03,392 --> 00:53:07,938 यह किसी भीऐतिहासिक भूकंप से 100 गुना ज़्यादा है। 782 00:53:08,021 --> 00:53:10,691 ज़बरदस्त सूनामी, 100 मीटर ऊँची लहरों ने 783 00:53:10,774 --> 00:53:14,152 दूर-दराज़ के समुद्रों के तटों काविनाश कर डाला 784 00:53:14,236 --> 00:53:19,658 और धूल-मिट्टी, पिघली बूँदोंऔर गैसों का एक विशाल बादल 785 00:53:19,741 --> 00:53:21,285 वायुमंडल में ऊँचा उठा, 786 00:53:21,368 --> 00:53:25,998 कुछ वस्तुएँ तो पलायन वेग तक भी पहुँच गईंऔर बाहर अंतरिक्ष में निकल गईं। 787 00:53:26,665 --> 00:53:31,044 वे पिघली हुई बूँदें 3000 किलोमीटर केक्षेत्र में बारिश बन कर बरसीं, 788 00:53:31,128 --> 00:53:34,214 और धरती पर आग के तूफ़ानों को जन्म दिया। 789 00:53:34,298 --> 00:53:36,717 मुझे बहुत पसंद हैजैसे फ़िल्मों में यह दिखाते हैं। 790 00:53:36,800 --> 00:53:37,926 लास्ट डे ऑफ़ द डायनॉसोर्स 791 00:53:38,010 --> 00:53:40,012 प्रहार के स्थान से 800 किमी दूर 792 00:53:40,095 --> 00:53:41,805 इतनी तेज़ रोशनी है 793 00:53:41,889 --> 00:53:45,142 कि अलामोसॉरस का बदनपारदर्शी प्रतीत हो रहा है... 794 00:53:47,811 --> 00:53:50,981 ...और उनकी परछाईयों के बिंबपृथ्वी पर छप रहे हैं। 795 00:53:54,568 --> 00:53:57,154 झुलसाने वाली रोशनी नेउनकी आँखों की पुतलियों को जला डाला। 796 00:53:57,237 --> 00:53:59,740 अब उन्हें नज़र नहीं आ रहाउनकी ओर क्या आ रहा है। 797 00:54:00,741 --> 00:54:02,117 पर उन्हें महसूस हो रहा है। 798 00:54:04,703 --> 00:54:06,622 स्तनधारी जानवर, वे जीवित बच गए, 799 00:54:06,705 --> 00:54:10,125 और उन्होंने नएपर्यावरणीय अवसरों का लाभ उठाया। 800 00:54:11,376 --> 00:54:14,796 हम लोग ख़ुद, होमो सेपियन्स की प्रजाति, भीशायद यहाँ नहीं होते 801 00:54:14,880 --> 00:54:17,382 अगर यह ज़ोरदार प्रहार नहीं हुआ होता। 802 00:54:18,967 --> 00:54:23,889 सत्तर के दशक तक किसी कोनहीं पता था यहाँ प्रहार से बना गड्ढा है। 803 00:54:24,431 --> 00:54:30,896 गुरुत्वाकर्षण असंगति और बोर होल के डेटा सेउसके आकार और नाप का पता चला। 804 00:54:30,979 --> 00:54:31,980 चिकक्षुलुब पोर्टोमेरीदा 805 00:54:32,064 --> 00:54:33,941 उसके होने का सतह पर एक ही सबूत है, 806 00:54:34,024 --> 00:54:38,654 सिनॉटेस नामक पानी के तालों काएक रहस्यमयी घेरा। 807 00:54:39,363 --> 00:54:42,449 वे उस प्रहार की भूगर्भीय गूँज हैं। 808 00:54:43,617 --> 00:54:47,454 चूँकि यूकाटन प्रायद्वीप मेंकोई नदियाँ या झीलें नहीं हैं 809 00:54:47,955 --> 00:54:51,208 इन पानी के तालों नेप्राचीन माया लोगों को आकर्षित किया। 810 00:54:52,543 --> 00:54:55,170 अगर सिनॉटेस यहाँ ना होते 811 00:54:55,254 --> 00:54:58,924 तो चिचेन इट्ज़ा कायह सांस्कृतिक केन्द्र कभी नहीं बनता। 812 00:54:59,007 --> 00:55:00,425 कुकुलकान पिरामिडचिचेन इट्ज़ा 813 00:55:02,010 --> 00:55:05,639 यहाँ एक उच्च स्तर की संस्कृति विकसित हुईऔर उनके पास लिखने का तरीका, 814 00:55:05,722 --> 00:55:10,686 खगोल-विद्या और पिरामिडोंऔर मंदिरों की वास्तु-कला का ज्ञान था। 815 00:55:20,404 --> 00:55:24,783 उन्होंने टेलीस्कोप आने से भी पहलेएक वेधशाला भी बना ली थी। 816 00:55:25,284 --> 00:55:28,287 उन्होंने खगोलीय वस्तुओं कीस्थिति का भी पता लगाया। 817 00:55:29,746 --> 00:55:35,419 उनका कैलेंडर उस समय के सभी कैलेंडरों मेंसबसे अधिक सही था। 818 00:55:37,588 --> 00:55:42,176 माया लोगों को मृत्यु औरउसके बाद की ज़िंदगी में बहुत दिलचस्पी थी। 819 00:55:43,093 --> 00:55:48,140 उनका मानना था कि नौ अधोलोक हैंऔर 13 स्वर्ग हैं। 820 00:55:53,854 --> 00:55:56,648 अधोलोक का कुछ हिस्सा देखने की इच्छा से 821 00:55:56,732 --> 00:56:00,110 हम पास के एक सिनॉटे में नीचे उतरे। 822 00:56:06,366 --> 00:56:07,951 फ़ातिमा टेक पूलगुफ़ा पुरातत्त्वविद् 823 00:56:08,035 --> 00:56:11,038 फ़ातिमा टेक पूलएक गुफ़ा विशेषज्ञ और पुरातत्त्वविद्, 824 00:56:11,121 --> 00:56:14,374 वर्षा के देवता के एक वास पर लेकर गईं। 825 00:56:17,503 --> 00:56:21,089 इस सिनॉटे का पता अभी हाल ही में चला है। 826 00:56:21,173 --> 00:56:24,801 मुझे बताइए, फ़ातिमा, सिनॉटे, इस गुफ़ा 827 00:56:24,885 --> 00:56:28,472 और माया लोगों के रीति-रिवाज़ोंऔर मान्यता में क्या संबंध है? 828 00:56:29,556 --> 00:56:32,309 यह जगह दिलचस्प हैक्योंकि आप देख सकते हैं 829 00:56:32,392 --> 00:56:36,021 कैसे पानी और गुफ़ाओं कीअवधारणाएँ मिल जाती हैं। 830 00:56:36,605 --> 00:56:39,024 और कैसे माया लोग इस जगहअपनी रस्में किया करते थे। 831 00:56:39,566 --> 00:56:45,656 अंदर, आप दीवारें देख सकते हैं जिससेपता चलता है माया लोग इन पवित्र दीवारों को 832 00:56:45,739 --> 00:56:47,783 पार करने के लिए यहाँ तीर्थ करने आते थे। 833 00:56:47,866 --> 00:56:50,077 -क्या हम अंदर जा सकते हैं?-ज़रूर, चलिए। 834 00:56:58,585 --> 00:57:01,004 चूँकि गुफ़ाओं कोअधोलोक का द्वार माना जाता है, 835 00:57:01,588 --> 00:57:06,510 हम यहाँ देख सकते हैं उन्होंने कैसेगुफ़ा के प्राकृतिक आकार का इस्तेमाल करके 836 00:57:06,593 --> 00:57:09,596 मानव अवशेषों को,संभवतया किसी माया परिवार के पूर्वज को, 837 00:57:09,680 --> 00:57:13,809 विधिवत यहाँ लाकर रखा होगा। 838 00:57:13,892 --> 00:57:17,396 -यह किस काल से हैं?-शायद पुराप्राचीन काल से। 839 00:57:19,648 --> 00:57:22,734 यहाँ पर एक और प्रवेश द्वार है। 840 00:57:22,818 --> 00:57:24,987 यह हमें ज़मीन के और अंदर ले जाता है। 841 00:57:26,113 --> 00:57:29,283 एक और दिलचस्प चीज़ है... 842 00:57:35,205 --> 00:57:37,040 इन्सान की उँगली की हड्डी। 843 00:57:38,083 --> 00:57:42,087 यहाँ दीवार में रखी हुई है। 844 00:57:42,171 --> 00:57:47,050 ध्यान से देखेंगे तो आपको अस्थियाँ दिखेंगी,शायद दीवार में रखने से पहले 845 00:57:47,676 --> 00:57:50,679 किसी प्रकार काकोई अंत्येष्टि संबंधी व्यवहार। 846 00:57:50,762 --> 00:57:53,682 क्या मनुष्यों के लिएअधोलोक में, देवताओं के आवास में 847 00:57:53,765 --> 00:57:55,058 घुसना सुरक्षित है? 848 00:57:55,142 --> 00:57:56,894 हाँ, बिल्कुल। 849 00:58:14,203 --> 00:58:18,040 हम वहाँ मेक्सिकनमृतकों के दिवस के समय गए थे। 850 00:58:18,790 --> 00:58:21,502 माया लोगों को मृत्यु का जुनून था। 851 00:58:22,461 --> 00:58:26,507 अनगिनत चित्र वल्लरी हैंजिनमें केवल खोपड़ियाँ बनी हुई हैं। 852 00:58:39,853 --> 00:58:42,481 मेरीदा, केन्द्रिय कब्रिस्तान। 853 00:58:43,023 --> 00:58:46,652 यह सब कुछ चिकक्षुलुब क्रेटर की परिधि में। 854 00:58:49,404 --> 00:58:52,950 मृतक अपनी कब्रों से उठ करजीवित लोगों से मिलने आते हैं। 855 01:01:08,836 --> 01:01:14,883 पार्क ऑफ़ कास्टल गन्डॉलफ़ोपोप का ग्रीष्म आवास 856 01:01:23,934 --> 01:01:25,811 हम यहाँ पोप के ग्रीष्म आवास, 857 01:01:25,894 --> 01:01:29,731 कास्टल गन्डॉलफ़ो केनिर्मल, शांत पार्क में हैं। 858 01:01:30,148 --> 01:01:33,861 पर, यहाँविज्ञान का महत्वपूर्ण काम हो रहा है। 859 01:01:35,112 --> 01:01:41,368 यहाँ एक खगोलीय वेधशाला है जो अपनेखगोलीय नक्शे की फोटो के लिए मशहूर है। 860 01:01:42,786 --> 01:01:48,292 घर के साथ ही है, अल्बानो झील,जो एक भयानक ज्वालामुखीय गड्ढा है। 861 01:01:51,128 --> 01:01:55,424 वेधशाला के डायरेक्टर एक जेस्युट हैं,ब्रदर गाइ कॉन्सोलमान्यो। 862 01:01:55,507 --> 01:01:57,676 ब्रदर गाइ कॉन्सोलमान्यो, एसजेभूमंडलीय वैज्ञानिक 863 01:01:57,759 --> 01:02:00,971 वह उल्का-पिंडों से संबंधित विज्ञान केसर्वश्रेष्ठ विद्वानों में से हैं। 864 01:02:01,972 --> 01:02:05,267 ब्रदर गाइ, वैटिकन वेधशाला के केन्द्र में 865 01:02:05,350 --> 01:02:07,352 एक शानदार उल्का-पिंडों का संग्रह है। 866 01:02:07,436 --> 01:02:09,188 ऐतिहासिक संग्रह है। 867 01:02:09,271 --> 01:02:10,439 मेरा तो वाक़ई यही मानना है। 868 01:02:10,522 --> 01:02:13,567 मैं इस सब परलगभग 30 साल से काम कर रहा हूँ। 869 01:02:13,650 --> 01:02:15,569 क्या आप शुरू में यहाँ इसी के लिए आए थे? 870 01:02:15,652 --> 01:02:17,613 यहाँ आने का फ़ैसला मेरा नहीं था। 871 01:02:17,696 --> 01:02:20,282 मैं तो यहाँ आज्ञापालन कीशपथ के कारण आया था। 872 01:02:20,365 --> 01:02:23,202 मैं एक वैज्ञानिक थाऔर फिर जेस्यूट में शामिल हो गया 873 01:02:23,285 --> 01:02:26,955 और मुझे लगा मैं जॉर्जटाउन जैसेकिसी स्कूल में पढ़ाऊँगा। 874 01:02:27,039 --> 01:02:30,751 पर आज्ञापालन के तहत उन्होंने मुझेरोम आने का और यहाँ आकर 875 01:02:30,834 --> 01:02:34,087 यह खराब खाना खानेऔर यह बेकार दृश्य देखने का आदेश दिया। 876 01:02:34,171 --> 01:02:37,424 और हाँ, यहाँएक हज़ार उल्का-पिंडों का संग्रह भी है। 877 01:02:37,508 --> 01:02:39,968 उन्हें नहीं पता था यहाँ उल्का-पिंड हैं। 878 01:02:40,052 --> 01:02:43,138 उन्हें नहीं पता था मेरी विशेषज्ञताउल्का-पिंडों में है। 879 01:02:43,222 --> 01:02:46,099 यह बस एक दैवीय संयोग था। 880 01:02:46,183 --> 01:02:48,644 यह अद्भुत है कि हमारे पास उल्का-पिंड हैं, 881 01:02:48,727 --> 01:02:53,023 कि हमारे पास बाह्य अंतरिक्ष के टुकड़े हैंजो पृथ्वी पर हमारे पास आए, 882 01:02:53,106 --> 01:02:55,400 और हमें पता चल गयाकि वे पृथ्वी के नहीं हैं, 883 01:02:55,484 --> 01:02:58,403 कि वे रासायनिक तौर परबिल्कुल अलग चीज़ों से बने हैं, 884 01:02:58,487 --> 01:03:01,073 कि वे 450 करोड़ साल पहले बने थे। 885 01:03:01,156 --> 01:03:04,243 कि हम में यह सब चीज़ें समझने की क्षमता है, 886 01:03:04,326 --> 01:03:05,994 यही एक चमत्कार है। 887 01:03:06,703 --> 01:03:11,166 और आपको यह तर्कसंगत लगता हैकि ब्रह्माण्ड में कहीं और जीवन है, 888 01:03:11,250 --> 01:03:14,253 कि पृथ्वी का जीवनकहीं और आरंभ हुआ हो सकता है? 889 01:03:14,336 --> 01:03:17,381 यह संभव है। मुझे नहीं पता।मेरे पास डेटा नहीं है। 890 01:03:17,464 --> 01:03:19,675 कई बार लोग मुझे पूछते हैं, 891 01:03:19,758 --> 01:03:22,219 क्या मुझे लगता है किब्रह्माण्ड में कहीं और जीवन है? 892 01:03:22,302 --> 01:03:24,429 और मुझे लगता हैयह ये पूछने का सही तरीका है। 893 01:03:24,513 --> 01:03:27,850 यह विश्वास की बात है।मेरे पास डेटा नहीं है। 894 01:03:28,559 --> 01:03:30,644 पर अगर आपएक वैज्ञानिक के तौर पर मेरे पास आएँ 895 01:03:30,727 --> 01:03:32,771 और कहें आप जीवन कीतलाश करने के लिए साधन चाहते हैं 896 01:03:32,855 --> 01:03:35,148 और आपके पास बढ़िया प्रोजेक्ट है,मैं कहूँगा, "ज़रूर करो।" 897 01:03:35,232 --> 01:03:37,150 पर दूसरी ओर, अगर आप कहें,आप उड़नतश्तरी से निकलने वाले 898 01:03:37,234 --> 01:03:39,820 नन्हे हरे आदमियों के बारे मेंअध्ययन करना चाहते हैं, 899 01:03:39,903 --> 01:03:42,322 तो मुझे नहीं लगता मैं उसमें साथ दूँगा। 900 01:03:42,406 --> 01:03:47,035 पर अगर वे हरे आदमी पृथ्वी पर आ जाएँतो आप उनका बप्तिस्मा करेंगे? 901 01:03:47,452 --> 01:03:48,745 केवल उनके कहने पर। 902 01:03:50,831 --> 01:03:54,835 ब्रदर गाइ ने हमें ऐतिहासिकटेलीस्कोप देखने के लिए निमंत्रण दिया। 903 01:03:54,918 --> 01:03:57,588 ...जिसे पूरे आकाश कीतस्वीरें खींचने और एक फ़ोटोग्राफिक एटलस 904 01:03:57,671 --> 01:03:59,298 बनाने के लिए लगाया गया था। 905 01:03:59,798 --> 01:04:02,801 पूरे इतिहास के दौरान और पूरी दुनिया मेंलोग यह क्यों मानते हैं 906 01:04:02,885 --> 01:04:06,597 कि स्वर्ग कहीं ऊपर है? 907 01:04:07,973 --> 01:04:09,641 पता नहीं पर यह सच है। 908 01:04:09,725 --> 01:04:11,518 मतलब, इतनी सारी भाषाएँ हैं 909 01:04:11,602 --> 01:04:14,605 जहाँ "आकाश" और "स्वर्ग" के लिएएक ही शब्द इस्तेमाल होता है। 910 01:04:15,939 --> 01:04:17,149 मैं केवल यही सोच सकता हूँ... 911 01:04:17,232 --> 01:04:20,611 और शायद कोई व्यावसायिक इसकाबेहतर जवाब दे सके... 912 01:04:20,694 --> 01:04:24,364 मैं केवल यही सोच सकता हूँकि सितारों को देख कर 913 01:04:24,448 --> 01:04:29,745 आप में इस विशाल ब्रह्माण्ड का छोटा साहिस्सा होने की भावना जाग्रत होती है जो 914 01:04:29,828 --> 01:04:32,623 किसी देवता से मिलने के लिएख़ुद को तैयार करने के लिए ज़रूरी है। 915 01:04:33,790 --> 01:04:35,918 आज जब आप कोई टूटा तारा देखते हैं 916 01:04:36,001 --> 01:04:40,088 तो आपको वह दिलचस्प वैज्ञानिक तथ्य लगता हैया आप अचंभित रह जाते हैं? 917 01:04:40,172 --> 01:04:42,299 हाँ। दोनों होते हैं। 918 01:04:43,634 --> 01:04:48,055 और सच कहूँ शायद मैं विज्ञान जानता हूँ,इसीलिए और ज़्यादा प्रभावित होता हूँ। 919 01:04:48,805 --> 01:04:51,558 यह कहना एक चीज़ है,"ओह, कितनी सुंदर रोशनी है।" 920 01:04:51,642 --> 01:04:52,935 और यह कहना और बात है, 921 01:04:53,018 --> 01:04:55,562 "मुझे पता है कौन से तत्वयह रोशनी बना रहे हैं। 922 01:04:55,646 --> 01:04:57,773 मुझे पता है यह वाला रंग कैसे आया। 923 01:04:57,856 --> 01:05:00,817 मुझे पता है मैं इससे क्या जान सकता हूँ। 924 01:05:00,901 --> 01:05:03,612 आशा है किसी कैमरे ने इसे कैद किया होगाताकि मैं ना केवल, 925 01:05:03,695 --> 01:05:06,073 'कितना सुंदर था,' को नाप सकूँ 926 01:05:06,156 --> 01:05:10,285 बल्कि इसे भी कि, 'यह मुझे किसी धूमकेतू कीधूल के बारे में कुछ बता रहा है।' 927 01:05:10,369 --> 01:05:15,040 किसी धूमकेतू के पीछे छूटा धूल का गुबारजिसमें पृथ्वी घुस रही है 928 01:05:15,123 --> 01:05:17,709 और जैसे बर्फ के कणआपकी विंडस्क्रीन से टकराते हैं, 929 01:05:17,793 --> 01:05:21,880 यह रोशनी की किरणेंहमारे वायुमण्डल से टकरा रही हैं।" 930 01:05:22,840 --> 01:05:27,344 यह सब आपकी ख़ुशी को बढ़ाता है।उसे कम नहीं करता। 931 01:05:27,427 --> 01:05:31,223 यह आपको याद दिलाता हैज्ञान के विभिन्न वर्गों की गतिकी की, 932 01:05:31,306 --> 01:05:35,352 तर्कशील और काव्यात्मक की,कल्पनात्मक और बौद्धिक की। 933 01:05:35,435 --> 01:05:39,523 और मुझे लगता है कि आप विचारों कीसमान प्रक्रियाएँ इस्तेमाल करते हैं, 934 01:05:39,606 --> 01:05:43,902 ब्रह्माण्ड जैसे विशाल मामलों कोसमझने के लिए 935 01:05:43,986 --> 01:05:46,530 और आत्मा जैसे आंतरिक मामलों कोसमझ पाने के लिए भी। 936 01:05:47,406 --> 01:05:50,742 तुम एक के बिना दूसरा नहीं कर सकते। 937 01:05:51,159 --> 01:05:52,911 तुम विज्ञान नहीं कर सकते... 938 01:05:52,995 --> 01:05:55,080 तुम विज्ञान करना नहीं चाहते 939 01:05:55,163 --> 01:06:00,002 अगर तुम में वह विस्मय का,कौतुहल का भाव नहीं है। 940 01:06:00,752 --> 01:06:04,506 आप किसी सृष्टिकर्ता ईश्वर मेंविश्वास नहीं कर सकते 941 01:06:04,590 --> 01:06:07,301 अगर आपने सृष्टि अनुभव नहीं की है। 942 01:06:07,759 --> 01:06:09,970 नहीं तो आपके विश्वास का क्या मतलब है? 943 01:06:11,138 --> 01:06:14,516 और मुझे पता है आपने 70 के दशक में,ग्रेजुएशन करने के दौरान 944 01:06:14,600 --> 01:06:16,268 वेस्ट धूमकेतू देखने के बारे में बताया था। 945 01:06:16,351 --> 01:06:20,647 और आपने कहा था, "क्या वह प्रभावशाली था?नहीं, वह डरावना था।" 946 01:06:20,731 --> 01:06:23,442 उसने आपको भीतर तक डरा दिया था,आपने कहा था। क्यों? 947 01:06:24,651 --> 01:06:26,695 आकाश में एक धूमकेतू था 948 01:06:26,778 --> 01:06:30,282 जो आपकी देखी हर धूमकेतू कीतस्वीर की तरह था। 949 01:06:30,365 --> 01:06:33,619 एक ऐसी चीज़ जो आपको लगता थाकेवल तस्वीरों में होती है। 950 01:06:33,702 --> 01:06:35,245 और अब वह वहाँ नहीं था। 951 01:06:35,329 --> 01:06:37,289 और वह बड़ा था। डरावना था। 952 01:06:37,372 --> 01:06:40,042 और वह कल वहाँ नहीं था।लगा, "यह हो क्या रहा है?" 953 01:06:41,001 --> 01:06:44,755 और फिर समझ में आयाकि प्राचीन लोग धूमकेतू आदि को देखकर 954 01:06:44,838 --> 01:06:50,135 उसे किसी डरावनी चीज़,किसी अपशकुन की पूर्वसूचना क्यों मानते थे। 955 01:06:50,802 --> 01:06:55,349 अगर नासा के टेलीस्कोप किसी वाक़ईखतरनाक वस्तु को 956 01:06:55,432 --> 01:06:59,311 तेज़ गति से पृथ्वी की ओर बढ़ते हुए देखें,तो चर्च की क्या प्रतिक्रिया होगी? 957 01:06:59,937 --> 01:07:03,815 सच बताऊँ। हम प्रार्थना करेंगे।और क्या कर सकते हैं? 958 01:07:05,609 --> 01:07:08,028 "डीप इम्पैक्ट" 959 01:07:08,111 --> 01:07:10,781 मैं एक फ़िल्म काकुछ अंश दिखाना चाहता हूँ 960 01:07:10,864 --> 01:07:13,742 जहाँ शारीरिक और अस्तित्वपरक डर 961 01:07:13,825 --> 01:07:16,912 जैसी डरावनी चीज़ों में हीदर्शकों को मज़ा आता है। 962 01:07:17,371 --> 01:07:19,164 यह बहुत अच्छी तरह से फ़िल्माया गया है। 963 01:07:54,116 --> 01:07:56,785 ब्रदर गाइ की प्रार्थना के अलावा, 964 01:07:56,869 --> 01:07:59,913 कुछ व्यावहारिक उपाय अपनाए जा चुके हैं। 965 01:08:00,497 --> 01:08:02,457 हम यहाँ पैन-स्टार्स में हैं... 966 01:08:02,541 --> 01:08:04,418 पैन-स्टार्स वेधशालाहालिअकाला, हवाई 967 01:08:04,501 --> 01:08:07,963 ..."पैनोरमिक सर्वे टेलीस्कोपएंड रेपिड रिस्पॉन्स सिस्टम," 968 01:08:08,046 --> 01:08:11,633 जो हवाई के एक टापू, माउई पर स्थित है। 969 01:08:11,717 --> 01:08:13,886 अच्छा, ब्रेक छोड़ दी है। 970 01:08:13,969 --> 01:08:15,554 डॉना रोहरेरपैन-स्टार्स टेलीस्कोप टेक्नीशियन 971 01:08:15,637 --> 01:08:17,639 सब लोग पीछे हो जाओ।मैं इसे नीचे ला रही हूँ। 972 01:08:17,723 --> 01:08:21,602 यहाँ, रख-रखाव के दौरान एक टेलीस्कोप। 973 01:08:44,582 --> 01:08:46,417 हम यह कर लेते हैं। 974 01:08:46,502 --> 01:08:48,962 -हाँ, मैं कोशिश करती हूँ।-हाँ। ठीक है। 975 01:08:49,046 --> 01:08:50,339 पैन-स्टार्स संचालन केन्द्र 976 01:08:52,424 --> 01:08:54,676 डॉ. जोएना बुलजर कोज़िम्मेदारी दी गई है... 977 01:08:54,760 --> 01:08:56,470 जोएना बुलजरखगोल विद्या का संस्थान, हवाइ 978 01:08:56,553 --> 01:08:58,596 ...कि उन्हें मानवता को सुरक्षित रखना है। 979 01:09:01,850 --> 01:09:04,895 और उनके सहयोगी, डॉ. मार्क विलमैन को भी। 980 01:09:05,812 --> 01:09:09,066 उनके चेहरों को देख कर हीहमारा विश्वास बढ़ गया। 981 01:09:09,149 --> 01:09:10,901 मार्क विलमैनखगोल विद्या का संस्थान, हवाई 982 01:09:14,071 --> 01:09:17,448 उन्होंने अपनी रात की ड्यूटी के समयहमें वहाँ आने दिया। 983 01:09:17,533 --> 01:09:19,868 -हैलो।-आह, क्लाइव, हैलो। 984 01:09:19,952 --> 01:09:22,371 -मैंने तुम्हें ढूँढ लिया। रात के पहरेदार।-कैसे हो? 985 01:09:22,453 --> 01:09:24,997 -आओ, बैठो।-बैठो। 986 01:09:25,624 --> 01:09:30,546 ख़तरनाक इरादों वाले अंतरिक्ष के पत्थरों सेहमारी रक्षा करने में मदद कर रहे हो। 987 01:09:30,629 --> 01:09:32,840 हम अभी देख ही रहे थे पर हमें बंद करना पड़ा 988 01:09:32,923 --> 01:09:34,800 क्योंकि नमी बढ़ गई थी। 989 01:09:34,883 --> 01:09:37,051 हम अब 90 प्रतिशत पर हैं 990 01:09:37,135 --> 01:09:39,680 और हमें शीशे को बचाने के लिए 85 प्रतिशत परबंद करना होता है। 991 01:09:39,763 --> 01:09:42,057 शीशे पर गीलापन नहीं आना चाहिए। 992 01:09:42,140 --> 01:09:45,560 और टेलीस्कोप पर बैठे संचालकों सेआप संपर्क कैसे करते हैं? 993 01:09:45,644 --> 01:09:49,398 वह... हम ही संचालक हैं। 994 01:09:49,481 --> 01:09:52,317 वहाँ चोटी पर कोई नहीं बैठा।अब दूर से ही निगरानी की जाती है। 995 01:09:52,401 --> 01:09:54,945 वह पुराना तरीका था,जहाँ चोटी पर जाना पड़ता था। 996 01:09:55,028 --> 01:09:56,488 वह 10,000 फ़ीट पर है 997 01:09:56,572 --> 01:09:59,157 तो यहाँ 2,000 फ़ीट पर ज़्यादा आराम है। 998 01:10:00,659 --> 01:10:01,952 तो, क्या हो रहा है? 999 01:10:02,035 --> 01:10:04,371 यह स्क्रीन, यह शायदरात के समय आकाश दिखा रही है। 1000 01:10:04,454 --> 01:10:06,039 हाँ, यह आकाश का नक्शा है। 1001 01:10:06,123 --> 01:10:08,166 आप देख सकते है, वह शिरोबिंदु है। 1002 01:10:08,250 --> 01:10:10,752 वह बिल्कुल ऊपर है। और यह है टेलीस्कोप। 1003 01:10:11,879 --> 01:10:15,007 और यह है वह लक्ष्यजिस पर हम नज़र रख रहे थे। 1004 01:10:15,090 --> 01:10:16,842 हम क़रीब 60 तस्वीरें लेते हैं, 1005 01:10:16,925 --> 01:10:21,805 और आकाश में एक ही जगह कीचार तस्वीरें आती हैं। 1006 01:10:21,889 --> 01:10:24,808 तो फिर हमारे पास एक नन्ही सीफ़िल्म होती है, चार तस्वीरों की फ़िल्म। 1007 01:10:24,892 --> 01:10:27,019 और उससे हम गतिमान लक्ष्य पकड़ सकते हैं। 1008 01:10:27,102 --> 01:10:29,146 और आपके पास पृथ्वी के सबसे बड़े कैमरे हैं। 1009 01:10:29,229 --> 01:10:30,480 -यह सही है?-हाँ, हैं। 1010 01:10:30,564 --> 01:10:31,982 मेरे पास 12 मेगापिक्सेल का कैमरा है। 1011 01:10:32,065 --> 01:10:34,151 -बारह मेगापिक्सेल।-आपका कैमरा कितना है? 1012 01:10:34,234 --> 01:10:37,321 हमारा कैमरा100 करोड़ पिक्सेल से ज़्यादा का है, 1013 01:10:37,404 --> 01:10:40,282 तो एक... एक आम उपभोक्ता कैमरे से 1014 01:10:40,365 --> 01:10:44,328 यह... यह बहुत ज़्यादा बड़ा है। 1015 01:10:46,496 --> 01:10:48,957 इस तस्वीर में क्या हो रहा है? 1016 01:10:49,041 --> 01:10:51,043 -क्या यह पिक्सेल एरे है?-हाँ, बिल्कुल सही। 1017 01:10:51,126 --> 01:10:53,337 तो यह बिना एडिट की हुई तस्वीर है। 1018 01:10:53,420 --> 01:10:56,215 तो यहाँ 45 सेकंड का एक्सपोज़र है। 1019 01:10:56,298 --> 01:11:01,053 और आप कैमरे का आकार भी देख सकते हो। 1020 01:11:02,346 --> 01:11:05,724 तो यह... हम... हमेंतीन डिग्री का फ़ील्ड ऑफ़ व्यू मिलता है 1021 01:11:05,807 --> 01:11:08,352 जो आकाश पर सात वर्ग डिग्री होता है। 1022 01:11:08,936 --> 01:11:11,355 और कैमरे में एड्रैसेबल सीसीडीज़ का 1023 01:11:11,438 --> 01:11:16,026 आठ बटा आठ का एरे है। 1024 01:11:16,527 --> 01:11:19,404 तो अगर आप वास्तव में...हम एक तस्वीर को क्लिक कर सकते हैं। 1025 01:11:19,488 --> 01:11:21,198 -यह वाली।-वह क्या है? 1026 01:11:21,281 --> 01:11:23,325 -क्या वह कोई उल्का है?-यह? 1027 01:11:23,408 --> 01:11:27,287 नहीं। यह दो उपग्रह हैंजो हमारे फ़ील्ड ऑफ़ व्यू में आ गए हैं। 1028 01:11:27,704 --> 01:11:29,873 यह बहुत संतोषजनक काम है, क्योंकि... 1029 01:11:32,417 --> 01:11:36,004 हम डायनोसॉर्स की तरहख़त्म नहीं होना चाहते और... 1030 01:11:36,088 --> 01:11:38,173 तो इन चीज़ों पर नज़र रखना फ़ायदेमंद है। 1031 01:11:38,257 --> 01:11:43,345 हालाँकि संभावना कम ही है कि कोईबड़ा उल्का-पिंड हमसे जल्दी टकराने वाला है। 1032 01:11:44,096 --> 01:11:47,140 पर कभी ना कभी, एक बड़ा वाला आएगा, 1033 01:11:47,224 --> 01:11:49,309 तो हम उसके लिए नज़र रख रहे हैं। 1034 01:11:50,769 --> 01:11:53,272 मुझे लगता हैमैं रात को ज़्यादा अच्छी तरह सो पाऊँगा 1035 01:11:53,355 --> 01:11:56,650 यह जानकर कि आने वाली उल्काओं परनज़र रखने के लिए यहाँ रात को भी 1036 01:11:56,733 --> 01:12:00,112 कोई हमेशा ड्यूटी पर होता है।यह बहुत बढ़िया बात है। 1037 01:12:00,195 --> 01:12:02,322 साल के 365 दिन, हाँ। हर रात। 1038 01:12:02,406 --> 01:12:04,658 धन्यवाद।हमारी सुरक्षा करने के लिए धन्यवाद। 1039 01:12:05,284 --> 01:12:07,369 -आपका स्वागत है। यह हमारा सौभाग्य है।-हाँ। 1040 01:12:07,953 --> 01:12:12,040 रात के आकाश की तस्वीरों काविश्लेषण डॉ. रॉब वेरिक करते हैं... 1041 01:12:12,124 --> 01:12:13,917 रॉब वेरिकखगोल विद्या का संस्थान, हवाई 1042 01:12:14,001 --> 01:12:16,211 ...जो कैनेडा से आएएक भूमंडलीय रक्षा अनुसंधानकर्ता हैं। 1043 01:12:17,462 --> 01:12:20,299 यक़ीन नहीं होताआप पहली बार टेलीस्कोप के पास आए हैं। 1044 01:12:20,382 --> 01:12:23,677 हाँ, आमतौर पर मेरा ध्यान डेटा के विश्लेषण,चीज़ों के पुनरीक्षण पर केंद्रित रहता है। 1045 01:12:23,760 --> 01:12:25,679 तो अच्छा लगा,टेलीस्कोप देखने का अवसर मिला। 1046 01:12:25,762 --> 01:12:29,057 क्या यह ऐसा लगा जैसे किसी ऐसे भाई सेमिले हो जिससे पहले कभी नहीं मिले? 1047 01:12:29,141 --> 01:12:30,517 यह सच है। हाँ। 1048 01:12:30,601 --> 01:12:33,979 वे रात के अंत मेंडेढ़ घंटे के लिए टेलीस्कोप खोल पाए। 1049 01:12:34,062 --> 01:12:36,398 हमने आज सुबह डेटा का पुनरीक्षण किया। 1050 01:12:36,481 --> 01:12:38,901 और मुझे छः नईसंभावित ख़तरनाक चीज़ें मिलीं। 1051 01:12:38,984 --> 01:12:40,277 "हम" का मतलब "आप।" वे आपको मिलीं। 1052 01:12:40,360 --> 01:12:42,070 हाँ। हम सब मिल कर ही काम करते हैं 1053 01:12:42,154 --> 01:12:43,822 पर मैं पुनरीक्षण करता हूँ तो... 1054 01:12:43,906 --> 01:12:46,283 अब तक आपने कौन सीसबसे अधिक रोमांचक वस्तु ढूँढी है? 1055 01:12:46,366 --> 01:12:49,369 तो, हमने जो सबसे अधिक रोमांचक वस्तु ढूँढी,वह ऊमुआमुआ के नाम से जानी गई। 1056 01:12:49,453 --> 01:12:51,330 वह दरअसल पहला अंतर्तारकीय धूमकेतू है। 1057 01:12:51,413 --> 01:12:53,707 यह धूमकेतूहमारे सौर मंडल के बाहर से आया है। 1058 01:12:53,790 --> 01:12:56,335 हमने पहली बार ऐसी कोई चीज़ देखी थी। हाँ। 1059 01:12:56,418 --> 01:12:57,586 ऊमुआमुआ? 1060 01:12:57,669 --> 01:12:59,880 ऊमुआमुआ। यह एक हवाइयन शब्द है। 1061 01:12:59,963 --> 01:13:01,965 इसका मतलब है"दूर से आया पहला संदेशवाहक।" हाँ। 1062 01:13:02,049 --> 01:13:03,050 ठीक है। 1063 01:13:03,759 --> 01:13:05,844 तो यह दो चरणों की प्रक्रिया होती है। 1064 01:13:05,928 --> 01:13:09,306 कंप्यूटर का सॉफ़्टवेयर पूरा सही नहीं होताऔर मानव पुनरीक्षण की ज़रूरत होती है, 1065 01:13:09,389 --> 01:13:10,849 वह मेरा काम है। 1066 01:13:10,933 --> 01:13:14,478 तो मेरी मुख्य ज़िम्मेवारी है रात कोदिखने वाली सभी चीज़ों का पुनरीक्षण करना। 1067 01:13:14,561 --> 01:13:16,313 और जो चीज़ें असली हैं, 1068 01:13:16,396 --> 01:13:20,400 वे बिंदुओं की श्रृंखला या ट्रेल्डवस्तुओं के रूप में नज़र आते हैं। 1069 01:13:20,484 --> 01:13:22,653 क्या यह देखने वाले आप पहले व्यक्ति हैं? 1070 01:13:22,736 --> 01:13:25,322 तो प्रेक्षक डेटा इकट्ठा करते हैं 1071 01:13:25,405 --> 01:13:28,492 इसे देखकर इसका पुनरीक्षण करने वालामैं ग्रह पर पहला व्यक्ति हूँ 1072 01:13:28,575 --> 01:13:30,452 और मैं इसे प्रस्तुत करूँगातो ख़तरे की घंटी बजेगी 1073 01:13:30,536 --> 01:13:32,871 अगर कोई ऐसी वस्तु हुईजो पृथ्वी के लिए खतरा है। 1074 01:13:34,498 --> 01:13:37,543 खतरे की घंटी तुरंत नासा के 1075 01:13:37,626 --> 01:13:41,255 भूमंडलीय रक्षा समन्वय कार्यालय काध्यान खींचेगी। 1076 01:13:42,089 --> 01:13:44,132 इसके अस्तित्व के बारे मेंकुछ ही लोग जानते हैं। 1077 01:13:44,216 --> 01:13:45,801 भूमंडलीय रक्षा समन्वय कार्यालय 1078 01:13:45,884 --> 01:13:48,887 यहाँ की ज़िम्मेवारी डॉ. कैली फास्ट की हैजो एक खगोल विज्ञानी हैं। 1079 01:13:48,971 --> 01:13:49,972 कैली फास्टखगोल विज्ञानी 1080 01:13:50,347 --> 01:13:52,516 मैंने सुना है आप क्षुद्रग्रहों को 1081 01:13:52,599 --> 01:13:54,101 सौर मंडल के कीड़े-मकोड़े कहती हैं। 1082 01:13:54,184 --> 01:13:55,769 उन्हें यह क्यों बुलाती हैं आप? 1083 01:13:56,478 --> 01:14:01,108 कुछ खगोल विज्ञानी जो क्षुद्रग्रहों केअलावा और चीज़ों को देख रहे हैं, 1084 01:14:02,192 --> 01:14:03,652 शायद वे अपने लक्ष्यों को देख रहे हों 1085 01:14:03,735 --> 01:14:08,031 और अचानक क्षुद्रग्रहउनके रास्ते में आ जाएँगे। 1086 01:14:08,115 --> 01:14:11,118 तो उस दृष्टि से,अगर आप किसी और चीज़ को देख रहे हो 1087 01:14:11,201 --> 01:14:13,412 तो वे सौर मंडल के कीड़े-मकोड़े हैं। 1088 01:14:14,121 --> 01:14:15,873 तो नासा में हमारे दृष्टिकोण से, 1089 01:14:15,956 --> 01:14:20,586 वे विज्ञान के लिए, अंतरिक्षयानों कालक्ष्य बनने के लिए बहुत अच्छे हैं, 1090 01:14:20,669 --> 01:14:22,421 पर हम उन पर नज़र भी रखना चाहते हैं 1091 01:14:22,504 --> 01:14:27,009 क्योंकि दो चीज़ों का एक ही समय मेंएक ही जगह पर होना अच्छा नहीं है। 1092 01:14:27,092 --> 01:14:30,804 तो हम जानना चाहते हैं उनमें से कोईपृथ्वी की कक्षा में तो नहीं आने वाला 1093 01:14:30,888 --> 01:14:33,307 जब पृथ्वी वहाँ से गुज़रेगी। 1094 01:14:33,390 --> 01:14:35,976 पृथ्वी के वायुमंडल सेहमेशा धूल टकराती रहती है। 1095 01:14:36,059 --> 01:14:37,936 हमें टूटते तारे दिखते हैं, 1096 01:14:38,020 --> 01:14:39,980 वह बस वायुमंडल में जलती हुई धूल है। 1097 01:14:40,063 --> 01:14:43,025 पर अगर चीज़ें बड़ी हों, 1098 01:14:43,108 --> 01:14:45,903 क्षुद्रग्रहों के आकार की चीज़ें हों... 1099 01:14:47,070 --> 01:14:49,865 पृथ्वी का वायुमंडलचीज़ें जलाने के लिए बहुत बढ़िया है 1100 01:14:49,948 --> 01:14:52,159 पर कई बार चीज़ें इतनी बड़ी होती हैंकि वह नहीं हो पाता। 1101 01:14:52,242 --> 01:14:55,454 चेल्याबिंस्क, 20 मीटर।तबाही मच गई थी। 1102 01:14:56,246 --> 01:14:58,707 टुन्गुस्का, साइबेरिया, सन् 1908 में। 1103 01:14:58,790 --> 01:15:02,002 वह शायद 40 मीटर का क्षुद्रग्रह था। 1104 01:15:02,085 --> 01:15:04,296 टुन्गुस्का, साइबेरिया, 1908 1105 01:15:04,379 --> 01:15:08,342 उसके विस्फोट से 80 मिलियन पेड़ ढह गए थे। 1106 01:15:08,425 --> 01:15:13,096 पर उस क्षुद्रग्रह का कभी भीएक भी कण नहीं मिला है। 1107 01:15:16,225 --> 01:15:19,937 और बचाव? क्या कर सकते हैं हमअगर कोई बड़ी वस्तु हमारी ओर आई? 1108 01:15:20,020 --> 01:15:21,980 उसके बारे में हम क्या कर सकते हैं? 1109 01:15:22,064 --> 01:15:24,691 सबसे अच्छा बचाव तो तैयार रहना ही है। 1110 01:15:24,775 --> 01:15:26,652 और इसलिए उन्हें पहले ही ढूँढ लेना... 1111 01:15:26,735 --> 01:15:29,363 आप नहीं जान सकते अपना बचाव कैसे करेंजब तक वह दिखते नहीं हैं। 1112 01:15:29,446 --> 01:15:31,490 तो सबसे पहला काम तो वही है। 1113 01:15:31,573 --> 01:15:34,076 और ज़मीन के सर्वेक्षणों सेयही किया जा रहा है। 1114 01:15:34,535 --> 01:15:36,203 अगर आप इसके बारे में ऐसे सोचें: 1115 01:15:36,286 --> 01:15:37,120 आपके पास सूरज है, 1116 01:15:37,204 --> 01:15:39,957 आपके पास पृथ्वी और अन्य ग्रह हैंजो सूरज के इर्दगिर्द चक्कर काट रहे हैं, 1117 01:15:40,040 --> 01:15:41,208 जैसे किसी रेसट्रैक पर हों। 1118 01:15:41,291 --> 01:15:44,169 और फिर क्षुद्रग्रह भी रेसट्रैक परसूरज के चक्कर काट रहे हों। 1119 01:15:44,253 --> 01:15:47,005 तो कितनी ही बार इनके आपस मेंक़रीब आने की संभावना है। 1120 01:15:47,089 --> 01:15:49,925 बल्कि, यह अक्सर होता है,जब कोई "निकट पहुँचता" है, 1121 01:15:50,008 --> 01:15:53,011 जब कोई क्षुद्रग्रहपृथ्वी के पास आता है, जो... 1122 01:15:53,095 --> 01:15:56,390 पास का मतलब है,चंद्रमा की दूरी से कई गुना अधिक दूर। 1123 01:15:56,849 --> 01:15:58,517 पर चलो मान लें यह बहुत बड़ा है। 1124 01:15:58,600 --> 01:16:02,062 यह बहुत बड़ा क्षुद्रग्रह हैऔर आपके पास ज़्यादा समय नहीं है। 1125 01:16:02,688 --> 01:16:05,148 कई फ़िल्मों में उन्हेंविस्फोट से उड़ाते हुए दिखाया गया है। 1126 01:16:05,232 --> 01:16:06,233 डीप इम्पैक्ट 1127 01:16:06,316 --> 01:16:09,361 ज़रूरी नहीं आपको यही करना पड़े।आपको बस अच्छी तरह धकेलना होगा। 1128 01:16:09,444 --> 01:16:12,823 और आप परमाणु बम जैसी कोई चीज़इस्तेमाल कर सकते हैं 1129 01:16:12,906 --> 01:16:14,283 जैसे इन फिल्मों में करते हैं। 1130 01:16:14,366 --> 01:16:18,245 पर आप क्षुद्रग्रह के पासउसका विस्फोट करेंगे 1131 01:16:18,328 --> 01:16:23,375 और उस विस्फोट की ऊर्जा सतह पर फैल जाएगी 1132 01:16:23,458 --> 01:16:26,211 और क्षुद्रग्रह की सतह सेजो पदार्थ उस धमाके से उड़ेंगे, 1133 01:16:26,295 --> 01:16:28,297 वे उसे दूसरी दिशा में धकेल देंगे। 1134 01:16:30,340 --> 01:16:32,593 एक शांत, अनाक्रामक तरीका... 1135 01:16:32,676 --> 01:16:34,052 रयूगू क्षुद्रग्रह, आकार 1 किमी 1136 01:16:34,136 --> 01:16:38,307 ...रयूगू क्षुद्रग्रह पर एक जापानी अंतरिक्षखोज यान द्वारा इस्तेमाल किया गया था। 1137 01:16:39,391 --> 01:16:41,602 क्षुद्रग्रह कितना छोटा है, 1138 01:16:41,685 --> 01:16:46,815 इसका पता उसकी सतह पर पड़तीअंतरिक्ष खोज यान की परछाईं से चलता है। 1139 01:16:49,651 --> 01:16:53,906 गुरुत्वाकर्षण इतना थोड़ा हैकि बहुत धीरे से उतरने पर भी 1140 01:16:53,989 --> 01:16:58,702 ढेर सारा मलबा उससे परे,अंतरिक्ष में फेंका जाता है। 1141 01:17:00,621 --> 01:17:03,749 यहाँ पर हम देख सकते हैंउल्का-पिंडों का जन्म कैसे होता है। 1142 01:17:05,042 --> 01:17:08,962 अंतरिक्ष खोज यान धरती की ओर वापस आ रहा है, 1143 01:17:09,046 --> 01:17:12,799 और अपने साथ क्षुद्रग्रह से उठाया हुआएक ग्राम ला रहा है। 1144 01:17:13,842 --> 01:17:18,138 पर बड़े नमूने के लिए,अंटार्कटिका स्वर्ग की तरह है। 1145 01:17:21,767 --> 01:17:25,062 ऐसा नहीं है कि यहाँबाकी जगहों से ज़्यादा पत्थर गिरते हैं। 1146 01:17:25,812 --> 01:17:31,401 पर अमरीका से भी बड़े इस महाद्वीप में,जो लगभग पूरा बड़े हिमनदों से ढका है, 1147 01:17:31,485 --> 01:17:34,571 वे दिखते ज़्यादा हैं। 1148 01:17:35,989 --> 01:17:41,078 हमें दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों नेइस तलाश के लिए आने का निमंत्रण दिया। 1149 01:17:41,745 --> 01:17:44,498 उनके स्टेशन का नाम था, जैंग बोगो... 1150 01:17:44,581 --> 01:17:45,832 जैंग बोगो स्टेशनअंटार्कटिका 1151 01:17:45,916 --> 01:17:49,837 ...और पूर्वी अंटार्कटिका के तट पर बनेइस स्टेशन में लगभग 50 लोग रहते हैं। 1152 01:17:53,048 --> 01:17:57,052 दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी का मौसमक़रीब पाँच महीने तक रहता है, 1153 01:17:57,469 --> 01:18:00,013 और इस दौरान सूरज कभी नहीं डूबता। 1154 01:18:03,183 --> 01:18:06,895 हमने जितना सोचा था,अंदर उससे ज़्यादा खुली जगह थी। 1155 01:18:08,522 --> 01:18:13,610 कुछ ही मील की दूरी पर,स्कॉट के पिछले अभियान के छः सदस्यों ने 1156 01:18:13,694 --> 01:18:19,825 एक पूरा सर्दी का मौसम केवल नौ फ़ीट की एकबर्फ की गुफा में ठिठुरते हुए गुज़ारा है। 1157 01:18:20,659 --> 01:18:23,620 वे भूखे थे और कड़ी सर्दी मेंगंदगी में रहते हुए 1158 01:18:23,704 --> 01:18:28,417 सील का मीट और हर रोज़एक बिस्कुट खाकर किसी तरह जी रहे थे। 1159 01:18:29,418 --> 01:18:31,837 स्कॉट के आदमियों कीडायरियों से हमें पता चला 1160 01:18:31,920 --> 01:18:37,634 वे सपने देखते थे बढ़िया खाने के जो उनकेमुँह तक पहुँचने से पहले ही गिर जाता था। 1161 01:18:37,718 --> 01:18:42,014 केवल एक आदमी सपने में वास्तव में खा पाया, 1162 01:18:42,097 --> 01:18:45,767 और ज़ाहिर हैउसके दोस्तों को उससे बहुत जलन हुई। 1163 01:18:50,147 --> 01:18:53,317 पर हम यहाँ लोबस्टरऔर किमची खाने नहीं आए थे। 1164 01:18:53,817 --> 01:18:57,988 हम भीतरी ओर ध्रुवीय पठार परजाने के लिए बेताब थे। 1165 01:18:58,822 --> 01:19:02,910 हम जानते थे एक ट्रकों का दलतीन सप्ताह पहले 1166 01:19:02,993 --> 01:19:05,954 हमारे स्टेशन से निकल चुका थाऔर ज़मीनी रास्ते से जाते हुए 1167 01:19:06,038 --> 01:19:10,626 नीली बर्फ पर उल्का-पिंडों को ढूँढने केस्थान के पास पहुँचने वाला था। 1168 01:19:20,928 --> 01:19:25,766 पर उससे पहले हेलिकॉप्टर कोक़रीब 2,000 मीटर ऊँचा उठना होगा। 1169 01:19:26,266 --> 01:19:30,729 तट पर बने स्टेशन से महाद्वीप केबर्फीले पठार तक जाने के लिए 1170 01:19:30,812 --> 01:19:34,691 हमें हिमनद की गिरती हुई बर्फ केऊपर से उड़ कर जाना होगा। 1171 01:19:35,400 --> 01:19:37,569 सोचो इसे पैदल पार करना पड़े तो कैसा होगा। 1172 01:19:38,237 --> 01:19:41,281 इध-उधर बिखरे पड़े पत्थरों में हर एक 1173 01:19:41,365 --> 01:19:43,992 एक ऊँची इमारत से ज़्यादा बड़ा है 1174 01:19:44,076 --> 01:19:47,621 और यह सारा ढेरलगातार समुद्र की ओर बह रहा है। 1175 01:19:51,416 --> 01:19:53,794 आख़िरकार हम पठार पर पहुँच गए। 1176 01:19:54,628 --> 01:19:59,842 कुछ ही पर्वत बचे हैं, जो बर्फ सेटापुओं की तरह बाहर निकले हुए हैं। 1177 01:20:01,677 --> 01:20:06,390 यह एक ऐसी दुनिया में प्रवेश करना हैजो हमारे ग्रह की लगती ही नहीं है। 1178 01:20:11,645 --> 01:20:14,523 यहाँ से शुरू होता है बहुत अधिक अकेलापन 1179 01:20:14,606 --> 01:20:20,737 इस विशाल महाद्वीप का जो दो सेचार किलोमीटर मोटी बर्फ की परत से ढका है। 1180 01:20:26,285 --> 01:20:30,539 जीपीएस डेटा की मदद से,हम कारवाँ की जगह जानते थे। 1181 01:20:31,999 --> 01:20:33,959 वे हमारा इंतज़ार कर रहे थे। 1182 01:20:52,978 --> 01:20:56,315 हमें इसे अभियान के नेता, जौंग इक ली, से 1183 01:20:56,398 --> 01:20:58,692 मिलने का बेसब्री से इंतज़ार था। 1184 01:20:59,526 --> 01:21:03,280 उन्होंने ही हमें अंटार्कटिका आने कानिमंत्रण दिया था और उनसे मिलकर 1185 01:21:03,363 --> 01:21:05,574 ऐसा महसूस हुआकिसी पुराने दोस्त से मिल रहे हैं। 1186 01:21:05,657 --> 01:21:07,492 जौंग इक लीकोरियन ध्रुवीय अनुसंधान संस्थान 1187 01:21:07,576 --> 01:21:09,328 -मुझे नहीं लगा था आप आ पाओगे।-हाँ। 1188 01:21:09,411 --> 01:21:11,330 मुझे नहीं पता था हम पहुँच जाएँगे। 1189 01:21:11,413 --> 01:21:13,290 मेरा सपना... 1190 01:21:13,373 --> 01:21:17,878 हमने वह तस्वीरें देखी थीं जोइन्होंने यहाँ पर कुछ साल पहले खींची थीं। 1191 01:21:18,962 --> 01:21:21,548 इन्हें एक बड़ा उल्का-पिंड मिला था, 1192 01:21:21,632 --> 01:21:26,220 और इस खोज पर उनकी ख़ुशी देखकरहमें उनसे प्यार हो गया। 1193 01:21:27,012 --> 01:21:29,681 यह विज्ञान अपने बेहतरीन रूप में है। 1194 01:21:32,893 --> 01:21:37,814 कोरियन ध्रुवीय अनुसंधान संस्थान केसौजन्य से, 2014 1195 01:22:10,180 --> 01:22:12,474 अच्छा, नीचे। 1196 01:22:21,024 --> 01:22:25,445 कुछ और जो मुझेइस अत्यधिक भावुक क्षण के बारे में पसंद है, 1197 01:22:25,529 --> 01:22:30,075 कुछ ऐसा जो फ़िल्म स्कूलों केबेकार सिद्धांत कभी करने नहीं देंगे। 1198 01:22:31,702 --> 01:22:34,454 पृष्ठभूमि देखिए।एक व्यक्ति प्रवेश करता है। 1199 01:22:34,538 --> 01:22:38,458 उसका यहाँ कोई प्रयोजन नहीं है,गलत समय पर आया है, 1200 01:22:38,542 --> 01:22:40,544 पिछवाड़ा दिख रहा है। 1201 01:22:59,062 --> 01:23:00,856 वापस वर्तमान में। 1202 01:23:01,690 --> 01:23:06,195 हमारे साथ जौंग इक की पत्नी,मी जुंग भी आई थीं, 1203 01:23:06,278 --> 01:23:09,448 जो ख़ुद एक मशहूर ध्रुवीय भूवैज्ञानिक हैं। 1204 01:23:21,251 --> 01:23:23,128 पति-पत्नी का पुनःमिलन। 1205 01:23:24,588 --> 01:23:29,009 पहुँचने के कुछ ही क्षण बाद,हमें हमारा पहला उल्का-पिंड मिला। 1206 01:23:30,260 --> 01:23:34,097 साफ-सुथरी, कोरी, जमी हुई बर्फ़ जिस परगिरती बर्फ़ का कोई नामो-निशान नहीं था, 1207 01:23:34,181 --> 01:23:36,767 उल्का पिंडों को देखने के लिएआदर्श स्थान था। 1208 01:23:37,684 --> 01:23:42,940 बर्फ़ का यह विशाल ढेर धीरे-धीरेचल रहा है, कन्वेयर बेल्ट की तरह 1209 01:23:43,023 --> 01:23:48,612 और उसके नीचे से पत्थर निकल कर दिखते हैंजो शायद हज़ारों साल पहले गिरे होंगे। 1210 01:23:51,782 --> 01:23:55,369 ज़्यादातर उल्का-पिंडसमुद्र तक चले जाते हैं। 1211 01:23:55,911 --> 01:24:02,000 पर जहाँ किसी गहरी पर्वत श्रृंखला सेहिमनद ऊपर की ओर मुड़ जाता है, 1212 01:24:02,084 --> 01:24:06,255 बर्फ़ भाप बन कर उड़ जाती है और उसकेअंदर छिपी चीज़ें सतह पर आ जाती हैं। 1213 01:24:08,090 --> 01:24:11,593 यहाँ पड़ा हर पत्थर एक उल्का-पिंड है। 1214 01:24:55,345 --> 01:24:58,473 दाईं ओर वाले आदमी को देखिए।उसे कुछ मिला है। 1215 01:25:12,154 --> 01:25:14,948 वह सौभाग्यशाली आदमी तो क्लाइव निकला। 1216 01:25:15,574 --> 01:25:18,619 आपको यह बनाया हुआ लग रहा होगा,पर सच में वही था। 1217 01:25:23,415 --> 01:25:29,296 यही है! यही है आपका नमूना! 1218 01:25:29,379 --> 01:25:31,548 बधाई हो। 1219 01:25:31,632 --> 01:25:34,218 यह बड़ा है। आज का सबसे बड़ा है। 1220 01:25:34,301 --> 01:25:38,013 मुझे एक वहाँ मिला। एक छोटा सा। 1221 01:25:38,096 --> 01:25:39,431 और फिर जब मैं... 1222 01:25:39,515 --> 01:25:41,141 वह उस पूरे सीज़न का भी 1223 01:25:41,225 --> 01:25:45,020 सबसे बड़ा उल्का-पिंड निकला, 1224 01:25:45,103 --> 01:25:50,442 और पहले आँकलन से तो लगाकि वह बहुत दुर्लभ नमूना था। 1225 01:26:03,872 --> 01:26:08,252 हमने अपनी तलाश दोबारा शुरू कीपर हमारे मन में एक विचार आया। 1226 01:26:09,086 --> 01:26:13,048 रात आने में अभी पूरे पाँच महीने बाकी हैं, 1227 01:26:13,799 --> 01:26:19,471 और हम अगले 5,000 किमी तक बिना किसीव्यक्ति को मिले चलते रह सकते हैं। 1228 01:26:42,786 --> 01:26:47,666 यह अंतरिक्ष में पैदल चलने वालों कापरम अनुभव होगा। 1229 01:26:49,168 --> 01:26:55,174 पर हम एक जगह जानते थे जहाँ हमारे कदम नहीं,हमारी आत्माएँ चलना शुरू करती हैं, 1230 01:26:55,924 --> 01:27:00,137 ऐसी जगह जहाँ हम अपनेमानव अस्तित्व से ऊपर उठ जाते हैं। 1231 01:27:05,267 --> 01:27:09,605 हमारी अंतिम यात्राहमें टोरेस जलसंधि के द्वीप समूह के 1232 01:27:09,688 --> 01:27:12,774 एक सबसे दूर-दराज़ के द्वीप में ले गई। 1233 01:27:13,859 --> 01:27:18,238 ये द्वीप ऑस्ट्रेलियाऔर न्यू गिनी के बीच में स्थित हैं। 1234 01:27:20,032 --> 01:27:25,412 मर नाम के इस छोटे से द्वीप कीजनसंख्या क़रीब 400 है। 1235 01:27:26,747 --> 01:27:30,959 हमने टूटते तारों के बारे मेंआदिवासियों के विश्वास के बारे में सुना था 1236 01:27:31,043 --> 01:27:35,506 कि टूटते तारे मृतकों की आत्माओं कोकहीं और नए जीवन में लेकर जाते हैं। 1237 01:27:38,175 --> 01:27:40,469 डग पासी, एक वृद्ध आदिवासी... 1238 01:27:40,552 --> 01:27:41,553 फ़ालेन 'डग' पासी 1239 01:27:41,637 --> 01:27:47,142 ...उल्काओं पर आत्माओं केअधिलोक में जाने की कहानियाँ जानते थे। 1240 01:27:49,436 --> 01:27:55,400 मेरे एक परिवार के सदस्य कोभूतों ने "मैयर" पर भेजा था। 1241 01:27:55,484 --> 01:27:58,237 -"मैयर" एक उल्का है?-टूटता तारा, हाँ। 1242 01:27:58,320 --> 01:28:03,075 और वह सच में उस "मैयर" पर थीं, 1243 01:28:03,158 --> 01:28:04,284 आग से जल गईं थीं। 1244 01:28:06,912 --> 01:28:07,913 यही मैंने सुना था। 1245 01:28:08,872 --> 01:28:11,458 और उन्होंने कहा यह एक सच्ची कहानी है। 1246 01:28:12,167 --> 01:28:16,380 और वह महिला... बूढ़ी महिला...उनका नाम गिज़ू सिम्बोलो था। 1247 01:28:16,463 --> 01:28:18,090 वह जीवित थीं या उनकी आत्मा थी? 1248 01:28:18,173 --> 01:28:19,925 वह जीवित थीं, हाँ। 1249 01:28:20,551 --> 01:28:23,345 और जब परिवार का कोई सदस्यमरने वाला होता है... 1250 01:28:24,721 --> 01:28:27,307 "मैयर" हमें कहानी सुना सकता है,जिसमें वह कहेगा, 1251 01:28:27,391 --> 01:28:31,645 "कुछ दिनों में कोई खो जाएगा।" या... 1252 01:28:32,396 --> 01:28:34,022 या...या... 1253 01:28:34,857 --> 01:28:38,026 "देखो वह कहीं और जा रहा है।" 1254 01:28:39,444 --> 01:28:44,199 तारा... टूटता तारा। "मैयर।"कभी लाल। कभी हल्का नीला। 1255 01:28:46,159 --> 01:28:47,995 ऐसा लगता है जैसे यहाँ मृत्यु... 1256 01:28:48,078 --> 01:28:51,957 यह कोई एक घटना नहीं है।यह किसी यात्रा की शुरुआत है। 1257 01:28:53,208 --> 01:28:57,129 एक नए जीवन की नई यात्रा की शुरुआत। हाँ। 1258 01:29:02,342 --> 01:29:04,052 वे अलग-अलग रूपों में आ सकते हैं। 1259 01:29:04,761 --> 01:29:09,099 पक्षी के रूप में। कुत्ते के रूप में।किसी मनुष्य के रूप में। 1260 01:29:11,143 --> 01:29:14,313 या किसी परछाईं के रूप मेंजो आपको दीवार पर चलते हुए दिखती है। 1261 01:29:14,980 --> 01:29:16,857 या तैरती हुए लकड़ी के रूप में। 1262 01:29:17,941 --> 01:29:20,360 समुद्र पर तैरती हुई लकड़ी। 1263 01:29:27,826 --> 01:29:29,995 क्योंकि हम कैमरा लेकर गए थे, 1264 01:29:30,078 --> 01:29:33,749 द्वीप वासियों ने एक बहुत पुरानाभूला हुआ डांस जो आधी सदी से 1265 01:29:33,832 --> 01:29:36,877 यहाँ नहीं किया गया था, हमें करके दिखाया। 1266 01:29:44,092 --> 01:29:49,556 अलो टापिम, एक वृद्ध नेयुवाओं को कोरियोग्राफ़ी के निर्देश दिए। 1267 01:29:59,566 --> 01:30:03,612 अलो टापिम 1268 01:30:48,240 --> 01:30:54,288 यह डांस "मैयर" के बारे में हैजैसा आपने बताया है। 1269 01:30:55,747 --> 01:30:59,918 "मैयर" वह तारा है, वह धूमकेतू। 1270 01:31:00,794 --> 01:31:02,713 और वह एक विशेष तारा है। 1271 01:31:06,967 --> 01:31:11,221 यह तारा मरियम लोगों कोकेवल विशेष अवसरों पर ही नज़र आता है। 1272 01:31:11,305 --> 01:31:14,099 मरियम इस तारे को देखते हैं 1273 01:31:14,766 --> 01:31:18,937 जब कोई अपना इस जीवन को त्याग करअगले जीवन में जाता है। 1274 01:31:20,647 --> 01:31:23,734 यह परिवर्तन इस तारे के द्वारा होता है। 1275 01:31:26,195 --> 01:31:31,408 नृतकों ने नेअर उठाए हुए हैं। मशालें। 1276 01:31:32,618 --> 01:31:34,578 हम उसे नेअर कहते हैं। 1277 01:31:35,412 --> 01:31:36,538 वे उनको उठाए रहते हैं। 1278 01:31:38,248 --> 01:31:43,420 और वह इशारा करते हैं कब वह तारा... 1279 01:31:43,504 --> 01:31:48,425 टूटता तारा अंगारे गिराता है। 1280 01:31:50,010 --> 01:31:52,721 इसका संकेत उनकी उठाई मशालों से मिलता है। 1281 01:31:54,181 --> 01:31:57,142 और जब दो मशालें, ताली बजाती... 1282 01:31:58,769 --> 01:32:00,771 वे आपस में टकराती हैं, 1283 01:32:01,605 --> 01:32:04,942 ताली बजाती हैं, दो मशालें, तो अंगारे... 1284 01:32:06,902 --> 01:32:08,987 और यह देखा जाता है। 1285 01:32:12,824 --> 01:32:17,621 यह बताता... तारे के बारे में बताता है। 1286 01:32:19,831 --> 01:32:21,750 हाँ। और यह हमारी कहानी है। 1287 01:37:36,857 --> 01:37:38,859 उप-शीर्षक अनुवादक: मृणाल अग्रवाल