1
00:00:06,005 --> 00:00:08,325
इस सीरीज़ में
आत्महत्या से जुड़े दृश्य दिखाए गए हैं
2
00:00:08,405 --> 00:00:11,365
जो कुछ दर्शकों को विचलित कर सकते हैं।
दर्शक अपने विवेक से काम लें।
3
00:00:11,445 --> 00:00:13,165
अगर आप या आपका कोई परिचित इससे जूझ रहा है,
4
00:00:13,245 --> 00:00:15,925
तो जानकारी और सहायता
www.wannatalkaboutit.com पर उपलब्ध है
5
00:00:21,125 --> 00:00:26,165
NETFLIX डॉक्यूमेंट्री सीरीज़
6
00:00:26,245 --> 00:00:30,165
पानी के भाव में चादर मिलेगी।
7
00:00:30,245 --> 00:00:33,725
तीन सौ रुपए में दो। कितना?
8
00:00:34,005 --> 00:00:38,965
दिल्ली, भारत
9
00:00:39,045 --> 00:00:40,285
[साइरन बज रहा है]
10
00:00:48,845 --> 00:00:51,205
अमूल दिल्ली हरियाणा
11
00:00:55,205 --> 00:00:56,925
[कुत्ता भौंक रहा है]
12
00:00:57,005 --> 00:00:58,725
[गुरचरण सिंह, पंजाबी में] मौत तो लिखी है।
13
00:00:59,885 --> 00:01:00,925
[घंटियाँ बज रही हैं]
14
00:01:01,005 --> 00:01:02,485
कब और कैसे, कोई नहीं जानता।
15
00:01:02,565 --> 00:01:04,525
किसी ने पहाड़ पर जाकर गिरकर मरना है।
16
00:01:06,285 --> 00:01:08,925
किसी ने घर मरना है,
किसी ने नदी में डूबकर मरना है।
17
00:01:09,565 --> 00:01:12,845
जैसे भी हो, मौत तो सबकी लिखी है।
18
00:01:12,925 --> 00:01:14,565
यह तो परमात्मा के हाथ में है।
19
00:01:17,005 --> 00:01:20,365
मुझे भी नहीं पता कि मैं कैसे मरूँगा।
20
00:01:22,765 --> 00:01:24,965
देखो जी, आहिस्ता-आहिस्ता
तो हम सबको खत्म होना है।
21
00:01:31,285 --> 00:01:33,285
[थीम संगीत बज रहा है]
22
00:01:51,045 --> 00:01:53,885
संत नगर, बुराड़ी
23
00:01:53,965 --> 00:01:58,325
[गुरचरण सिंह, हिंदी में] यहाँ '97 में आया
रिटायर होकर, रेलवे में नौकरी करता था।
24
00:01:59,245 --> 00:02:01,325
उस वक्त आबादी बहुत कम थी।
25
00:02:01,405 --> 00:02:03,165
अब तो बहुत ज़्यादा आबादी हो गई है।
26
00:02:05,005 --> 00:02:07,005
जब यहाँ आया, तबसे उन्हें जानते हैं।
27
00:02:08,525 --> 00:02:10,885
{\an8}जबसे '97 से मैं यहाँ आया,
हमने एक साथ मकान बनाया।
28
00:02:10,965 --> 00:02:12,285
{\an8}गुरचरण सिंह - पड़ोसी
29
00:02:12,365 --> 00:02:14,685
{\an8}पड़ोसी के नाते, आना-जाना तो होता ही है।
30
00:02:22,245 --> 00:02:25,405
[पंजाबी में] वरना यहाँ तो
हम कुछ भी नहीं हैं, खंडहर खड़ा है।
31
00:02:35,685 --> 00:02:36,965
एक जुलाई, 2018
32
00:02:37,045 --> 00:02:40,165
[हिंदी में] असल में इनकी दुकान
सुबह 5:00-5:30 बजे खुल जाती थी।
33
00:02:41,045 --> 00:02:43,525
दूधवाला आ जाता था, ट्रक लेके।
34
00:02:44,405 --> 00:02:46,245
उस दिन इनकी दुकान खुली नहीं।
35
00:02:48,445 --> 00:02:50,485
[प्रितपाल कौर]
तो सात बजे के आस-पास मैं बाल्कनी में गई
36
00:02:50,565 --> 00:02:52,845
तो नीचे कोई बात कर रहा था कि दूध लेना है।
37
00:02:52,925 --> 00:02:55,685
तो मैंने भी देखा कि,
हाँ, आज देर हो गई कि क्या हुआ।
38
00:02:55,765 --> 00:02:57,925
[फ़ोन डायल हो रहा है]
39
00:02:58,005 --> 00:03:00,605
तो फ़ोन कोई नहीं उठा रहा था,
हालाँकि घंटी जा रही थी।
40
00:03:01,885 --> 00:03:03,485
[फ़ोन बज रहा है]
41
00:03:04,765 --> 00:03:06,445
[गुरचरण] क्या बात है, क्यों नहीं खुली?
42
00:03:06,525 --> 00:03:09,285
फिर मैं अपना… नीचे चला गया देखने के लिए।
43
00:03:11,565 --> 00:03:15,685
तो दरवाज़ा मैंने खोला,
तो अंदर से बंद नहीं था।
44
00:03:16,685 --> 00:03:18,805
दरवाज़ा खोला… मैं धक्का दिया, खुल गया।
45
00:03:19,525 --> 00:03:21,005
[दरवाज़े पर दस्तक]
46
00:03:21,085 --> 00:03:23,085
एकदम, घबराहट हुई।
47
00:03:23,165 --> 00:03:24,685
[दरवाज़ा चरमरा रहा है]
48
00:03:25,845 --> 00:03:27,085
तो ऊपर जाके देखा…
49
00:03:30,445 --> 00:03:33,165
हमारी मम्मी जी की उम्र ज़्यादा है
तो नींद भी कम आती है।
50
00:03:33,245 --> 00:03:34,325
कुलदीप सिंह - पड़ोसी
51
00:03:34,405 --> 00:03:36,565
तो सुबह टहलने के लिए निकल गई थीं।
52
00:03:36,645 --> 00:03:38,685
तो वो गली से, बाहर से आई चिल्लाते हुए।
53
00:03:41,165 --> 00:03:43,685
अब कुछ मैं नींद में था,
रात भर काम करके आया था।
54
00:03:43,765 --> 00:03:47,205
तो मैं उठके एकदम सीधा बाहर भागा,
उनके घर की तरफ़।
55
00:03:55,125 --> 00:04:00,925
मैं वहाँ दो मिनट खड़ा होके ये सोचता रहा
कि ये सच है या क्या है।
56
00:04:01,005 --> 00:04:03,005
[टपक रहा है]
57
00:04:04,605 --> 00:04:09,005
मैंने अपने लड़के को आवाज़ देके उससे अपना
मोबाइल मँगाया। मैंने पुलिस को फ़ोन किया।
58
00:04:09,085 --> 00:04:11,085
[घंटी जा रही है]
59
00:04:20,885 --> 00:04:25,005
[राजीव तोमर] उस दौरान, शायद 7:35 पे
60
00:04:25,084 --> 00:04:27,005
मुझे थाने से कॉल आता है
61
00:04:27,084 --> 00:04:30,245
कि मेरे इलाके में आत्महत्या कर ली गई है।
62
00:04:30,325 --> 00:04:31,765
राजीव तोमर - हेड कॉन्स्टेबल
63
00:04:31,845 --> 00:04:35,525
उस इलाके में, मैं संत नगर में ही
बचपन से रह रहा हूँ।
64
00:04:35,605 --> 00:04:38,725
पुलिस ऑफ़िसर से पहले,
मैं वहाँ उनका पड़ोसी सबसे पहले था।
65
00:04:39,525 --> 00:04:42,365
तो वहाँ पे जाके मुझे एसएचओ साहब ने
पता करने के लिए बोला था।
66
00:04:42,445 --> 00:04:43,365
{\an8}[साइरन बज रहा है]
67
00:04:43,485 --> 00:04:47,525
जो मैं जैसे ही वहाँ पे
गली नंबर चार में पहुँचने के बाद,
68
00:04:47,605 --> 00:04:51,045
ऊपर से सीढ़ियों पे से औरतें और आदमी
69
00:04:51,125 --> 00:04:53,565
रोते हुए, चिल्लाते हुए
नीचे की तरफ़ उतर रहे हैं।
70
00:04:53,645 --> 00:04:56,565
मैं जैसे ही ऊपर पहुँचा,
मैंने जाकर देखा कि…
71
00:05:00,285 --> 00:05:05,365
छत के ऊपर जाल है,
उस जाल के ऊपर नौ लोग लटके हुए हैं।
72
00:05:06,525 --> 00:05:09,365
दसवीं औरत सामने लटकी हुई है।
73
00:05:11,085 --> 00:05:15,365
जब हमें वो माता जी वहाँ पे पलंग के साथ,
वहाँ पे नीचे लेटी हुई मिली।
74
00:05:17,005 --> 00:05:21,565
और ऊपर उनका कुत्ता बँधा हुआ था,
ऊपर था, वह लगातार भौंक रहा था।
75
00:05:21,645 --> 00:05:23,645
[कुत्ता भौंक रहा है]
76
00:05:29,565 --> 00:05:34,725
बिल्कुल एक किस्म से, जिस तरह से वो लोग
टँगे हुए थे, जिस तरह बरगद का पेड़ होता है,
77
00:05:34,805 --> 00:05:38,765
बरगद के पेड़ की जो शाखाएँ होती हैं,
नीचे की तरफ़ लटकी होती हैं। टँगी होती हैं।
78
00:05:38,845 --> 00:05:42,765
उसी तरह से
वो रंगीन दुपट्टे के अंदर लटके हुए थे।
79
00:05:56,325 --> 00:05:58,005
[मनोज कुमार] हैलो। जी?
80
00:05:59,645 --> 00:06:00,725
मैं थाने में हूँ।
81
00:06:00,805 --> 00:06:06,125
लेकिन उसमें वो एक डॉक्यूमेंट्री बन रही है,
उसके लिए शूटिंग चल रही है। व्यस्त हूँ।
82
00:06:07,725 --> 00:06:08,645
ठीक है।
83
00:06:10,645 --> 00:06:13,205
{\an8}यह ऐसा हादसा है जो मेरे दिमाग से,
84
00:06:13,285 --> 00:06:15,405
{\an8}मेरे खयाल से, मेरे मरने तक छपा रहेगा।
85
00:06:15,485 --> 00:06:16,725
{\an8}मनोज कुमार - स्टेशन हाउस ऑफ़िसर, 2016-2019
86
00:06:18,045 --> 00:06:20,045
मैं सुबह-सुबह पुलिस स्टेशन में था।
87
00:06:20,125 --> 00:06:22,765
सुबह पाँच बजे तक गश्त कर रहा था।
88
00:06:22,845 --> 00:06:27,325
ड्यूटी ऑफ़िसर को बोलके सोया था कि, भई यार,
थोड़ा लंबा सोऊँगा। रात में थक गया हूँ।
89
00:06:27,405 --> 00:06:31,605
वो तो मेरे पास भागके ही आ गया, कहता है,
"सर, ये देखो, बहुत ज़रूरी बात है।"
90
00:06:31,685 --> 00:06:32,965
मैंने कहा, चल, यार, उठूँ।
91
00:06:34,485 --> 00:06:38,685
राजीव का फ़ोन आया
और वो बिल्कुल उड़ा हुआ था।
92
00:06:38,765 --> 00:06:40,205
वो कह रहा था, "लटके पड़े हैं।"
93
00:06:40,285 --> 00:06:43,125
मैंने कहा, "कितने हैं?"
कहता है, "गिने नहीं, सर।"
94
00:06:43,205 --> 00:06:46,725
वो क्या गिने कि कितने हैं?
"एक, दो, तीन, चार, पाँच, छह…"
95
00:06:46,805 --> 00:06:49,845
कहता है, "वो तो एकदम
लाइन से लटके पड़े हैं।"
96
00:06:49,925 --> 00:06:52,685
मैंने कहा, "इसको बस बंद कर ले।
किसी को अंदर मत जाने देना।
97
00:06:52,765 --> 00:06:54,525
तुम वहीं रुको। मैं आ रहा हूँ।"
98
00:06:54,605 --> 00:06:55,725
[साइरन बज रहा है]
99
00:06:57,605 --> 00:06:59,485
सब मौका-ए-वारदात पर पहुँचें।
100
00:07:02,485 --> 00:07:05,525
{\an8}बेल्ट-वेल्ट लगाता-लगाता बैठ गया उसके अंदर।
101
00:07:06,205 --> 00:07:10,845
मौका-ए-वारदात पर भागके
वहाँ पर तुरंत, जैसे ही मैं अंदर गया हूँ…
102
00:07:17,325 --> 00:07:19,685
सब… लटके हुए थे।
103
00:07:24,005 --> 00:07:26,685
आँखें बँधी हुई हैं। हाथ बँधे हुए हैं।
104
00:07:30,765 --> 00:07:35,685
बारह-तेरह से लेके 60-80 साल तक के।
105
00:07:38,405 --> 00:07:44,885
तो मुझे नहीं लगता कि ज़िंदगी में कभी मैंने
सोचा भी होगा या किसी फ़िल्म देखा भी होगा।
106
00:07:45,525 --> 00:07:52,325
मुझे नहीं लगता कि किसी ने अपनी ज़िंदगी में
कभी ऐसी कोई वारदात देखी होगी।
107
00:08:01,885 --> 00:08:04,725
[अनीता आनंद]
अहम बात यह है कि एक परिवार था,
108
00:08:06,125 --> 00:08:08,845
मतलब, कोई असामान्य परिवार नहीं…
109
00:08:08,925 --> 00:08:09,965
अनीता आनंद - क्लिनिकल हिप्नोथेरापिस्ट
110
00:08:10,045 --> 00:08:11,965
…एकदम आम परिवार था।
111
00:08:13,485 --> 00:08:16,205
तीन पीढ़ियाँ एक छत के नीचे रहती थीं।
112
00:08:16,285 --> 00:08:18,445
दादी, माता-पिता और बच्चे।
113
00:08:18,525 --> 00:08:22,365
और एक संयुक्त परिवार में,
सबकी अपनी-अपनी तय भूमिका होती है,
114
00:08:22,445 --> 00:08:24,485
और सब अनुशासन में रहते हैं।
115
00:08:25,725 --> 00:08:26,645
वे सब पढ़े-लिखे थे।
116
00:08:26,725 --> 00:08:27,565
डॉ. अंबरीश सात्विक
वैस्कुलर सर्जन और लेखक
117
00:08:27,645 --> 00:08:30,685
सबका समाज में बहुत उठना-बैठना था।
118
00:08:30,765 --> 00:08:33,045
वे एक खुशहाल ज़िंदगी जी रहे थे।
119
00:08:33,765 --> 00:08:35,765
इस पर यकीन करना मुश्किल था।
120
00:08:37,924 --> 00:08:42,525
[अनीता] जो पहला सवाल दिमाग में आता है,
वह है कि ऐसा क्यों हुआ?
121
00:08:42,605 --> 00:08:45,845
यह हादसा क्यों हुआ?
सब वजह जानना चाहते हैं।
122
00:08:45,924 --> 00:08:49,365
और जवाब बहुत सरल नहीं है, काफ़ी पेचीदा है।
123
00:08:51,445 --> 00:08:54,365
{\an8}[बरखा दत्त] हमें नहीं पता रहता
कि हमारे पड़ोसी किन हालातों में हैं।
124
00:08:54,445 --> 00:08:57,965
{\an8}और यह तो बिल्कुल नहीं पता
कि हमारे पड़ोस में क्या हो रहा है।
125
00:08:58,045 --> 00:09:00,125
पर कभी-कभार ऐसी घटनाएँ हो जाती हैं
126
00:09:00,205 --> 00:09:01,765
जो पत्थरदिल लोगों का भी दिल दहला जाती हैं।
127
00:09:01,845 --> 00:09:02,765
बरखा दत्त - पत्रकार
128
00:09:02,845 --> 00:09:04,965
हम खुद बोल पड़ते हैं, "हे भगवान!"
129
00:09:09,005 --> 00:09:13,125
[मनोज] कि अगर हम इतने लोगों की
एक साथ हत्या करना चाहेंगे,
130
00:09:13,205 --> 00:09:16,445
11 लोगों की, तो ज़रूरत होगी…
131
00:09:17,205 --> 00:09:19,805
अगर हम मान लें कि दो आदमी
एक आदमी को काबू में करें,
132
00:09:19,885 --> 00:09:22,685
तो भी यहाँ 20-30 लोगों की ज़रूरत होगी।
133
00:09:22,765 --> 00:09:26,765
ऐसी कोई अफ़रा-तफ़री है नहीं वहाँ पर।
मौका-ए-वारदात एकदम साफ़ है।
134
00:09:27,445 --> 00:09:34,165
यहाँ तक कि गहने जो हैं, वो पहने हुए हैं
उसने। कान में, गले में। तो चोरी नहीं लगती।
135
00:09:34,765 --> 00:09:41,045
और अगर आत्महत्या ही है, तो ये-ये क्या यार,
आँख, मुँह, हाथ, कान में रूई लगा रखी है?
136
00:09:41,765 --> 00:09:43,285
आखिर मामला क्या है?
137
00:09:43,365 --> 00:09:47,565
कि किसी ने कुछ बाहर से दे तो नहीं दिया?
ज़हर देकर फिर लटका दिया हो?
138
00:09:47,645 --> 00:09:51,925
बाँध-बूँधके काबू में कर लिया।
बाँधके ऐसे दिखा दो कि हत्या हो गई।
139
00:09:52,005 --> 00:09:53,245
{\an8}ये दूध का वक्त था।
140
00:09:53,325 --> 00:09:54,405
{\an8}नरेश भाटिया - सब-इंस्पेक्टर, 2017-2020
141
00:09:54,485 --> 00:09:56,925
{\an8}पचास-साठ बंदे तो इकट्ठे हो ही रहे थे
दूध लेने के लिए।
142
00:09:57,005 --> 00:09:59,205
{\an8}-आम ग्राहक जो होते हैं।
-आम ग्राहक जो होते हैं।
143
00:09:59,285 --> 00:10:02,565
जब 50 बंदों ने देखा ये हुआ है,
अब उन्होंने फैला दिया एक मिनट के अंदर ही।
144
00:10:07,005 --> 00:10:11,645
अरविंद केजरीवाल यहाँ मौके पर पहुँचे हैं,
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
145
00:10:11,725 --> 00:10:14,445
मौके पर पहुँचे हैं,
हालात का जायज़ा ले रहे हैं।
146
00:10:14,525 --> 00:10:16,285
{\an8}अरविंद केजरीवाल - मुख्यमंत्री, दिल्ली
147
00:10:16,365 --> 00:10:21,205
{\an8}किसके कारण ये 11 लाशें मिली हैं?
क्या ये हत्या है या फिर खुदकुशी की गई है?
148
00:10:21,765 --> 00:10:25,205
[मनोज] सबका एक ही वही था कि,
"भई, पहले उसको सुरक्षित कर लो।"
149
00:10:25,285 --> 00:10:28,725
हमने सबसे पहले जितना स्टाफ़ था,
सारा तैनात कर दिया जगह-जगह।
150
00:10:29,285 --> 00:10:30,405
नाकेबंदी की।
151
00:10:30,485 --> 00:10:31,645
[पुलिस की सीटी बज रही है]
152
00:10:31,725 --> 00:10:34,165
वो जब हमने बंद किया,
लोग छतों पे आने लग गए।
153
00:10:34,245 --> 00:10:36,965
आस-पड़ोस की छतों से देख रहे थे कि,
"ऊपर से देखें, यार,
154
00:10:37,045 --> 00:10:40,205
क्या हो रहा है?"
उत्सुकता थी न बहुत ज़बरदस्त।
155
00:10:40,285 --> 00:10:44,685
वो रोशनदान के अंदर से शायद कुछ झाँककर
हमें कोई झलक मिल जाए।
156
00:10:49,125 --> 00:10:51,485
[विशाल आनंद] तभी मेरे पास
एक खबरी का फ़ोन आया।
157
00:10:51,565 --> 00:10:52,805
उसने बताया कि, "विशाल जी,
158
00:10:52,885 --> 00:10:55,765
11 लोग घर में मरे हुए मिले हैं।
159
00:10:55,845 --> 00:10:56,725
हत्या हो गई।"
160
00:10:58,765 --> 00:11:04,125
11 लोगों की एक बड़ी घटना थी। कि 11
लोगों की लाश मिलना, दिल्ली जैसे शहर में।
161
00:11:04,205 --> 00:11:07,405
क्यों हुआ है? कैसे हुआ है?
किसने किया होगा?
162
00:11:10,085 --> 00:11:13,605
[मुकेश सेंगर] देखिए कहावत है कि
क्राइम रिपोर्टर में भावनाएँ नहीं होतीं,
163
00:11:14,365 --> 00:11:15,805
जैसे पुलिसवाले होते हैं न,
164
00:11:15,885 --> 00:11:19,005
वो रोज़ लाशें देखते हैं,
रोज़ दुर्घटनाएँ देखते हैं।
165
00:11:19,605 --> 00:11:21,325
तो उनके अंदर भावनाएँ मर जाती हैं।
166
00:11:22,525 --> 00:11:24,645
हम लोग भी थोड़ा सा इस तरह के हैं।
167
00:11:24,725 --> 00:11:27,525
{\an8}लेकिन उस दिन जो एहसास थे
वो यह सोचने पर मजबूर कर रहे थे…
168
00:11:27,605 --> 00:11:28,925
{\an8}मुकेश सेंगर - वरिष्ठ विशेष संवाददाता
169
00:11:29,005 --> 00:11:30,725
{\an8}…कि आखिर एक परिवार कैसे खत्म हो गया?
170
00:11:30,805 --> 00:11:33,245
क्योंकि मैंने ज़िंदगी में
ऐसा कोई मामला नहीं देखा था
171
00:11:33,325 --> 00:11:35,205
जबसे मैं अपराध कवर कर रहा हूँ।
172
00:11:35,845 --> 00:11:39,445
तो मैंने सोचा कि ये खबर
शायद झूठी भी हो सकती है।
173
00:11:41,165 --> 00:11:44,485
[विशाल] मैं इधर-उधर बड़ी तेज़ी से
ये पता करने के लिए जुटा हुआ था,
174
00:11:44,565 --> 00:11:48,045
कोई कॉल उठाने को तैयार नहीं तब तक
क्योंकि इतनी बड़ी घटना थी।
175
00:11:49,285 --> 00:11:53,125
इतने में मेरे स्थानीय पुलिस में
किसी से पता चल गया
176
00:11:53,205 --> 00:11:54,325
कि, हाँ, ऐसा हुआ है।
177
00:11:55,525 --> 00:11:58,085
बुराड़ी मामले को सबसे पहले
मैंने ही जग-जाहिर किया।
178
00:11:58,165 --> 00:11:59,005
सबकी आँखों पर बंधी है पट्टी।
179
00:11:59,085 --> 00:11:59,925
सामूहिक हत्या या आत्महत्या?
180
00:12:00,005 --> 00:12:04,085
जो मैंने जिसको…
इस केस को मैंने दुनिया के सामने रखा।
181
00:12:04,165 --> 00:12:05,805
खौफ़नाक खबर :
बुराड़ी में 11 लोगों के लटके हुए शव
182
00:12:05,885 --> 00:12:09,285
मेरे ट्वीट फिर से ट्वीट होने लगे।
ये खबर तेज़ी से फैल गई।
183
00:12:11,605 --> 00:12:14,005
सभी लोग उधर ही जा रहे थे कवर करने।
184
00:12:14,085 --> 00:12:17,285
बुराड़ी में एक घर के अंदर से
11 शव जाल से लटके हुए मिले,
185
00:12:17,365 --> 00:12:19,325
जिनमें सात महिलाएँ और चार पुरुष…
186
00:12:22,205 --> 00:12:26,445
[मनोज] साढ़े आठ बजे तक, तो मेरे ख़्याल में
जो भी बड़ा चैनल है न, वहाँ पहुँच गया था।
187
00:12:26,525 --> 00:12:29,485
{\an8}इससे पहले दिल्ली पुलिस को कभी भी एक घर में
188
00:12:29,565 --> 00:12:32,325
{\an8}11 शव मिलने की कॉल कभी नहीं मिली थी।
189
00:12:33,525 --> 00:12:35,005
[विशाल] मुकाबला तो है।
190
00:12:35,085 --> 00:12:39,165
सभी चाहते हैं कि… और हम पर भी
दबाव रहता है कि हम पहले खबर सामने लाएँ।
191
00:12:41,125 --> 00:12:43,965
हम तो भीड़ में ही…
क्योंकि पुलिस ने रास्ता बंद कर दिया था,
192
00:12:44,045 --> 00:12:50,325
तो भीड़ में ही जो चर्चाएँ चल रही थीं, उन
चर्चाओं के आधार पे हम अनुमान निकाल रहे थे।
193
00:12:50,925 --> 00:12:53,325
मेरे पीछे आपको
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी दिखाई देंगे
194
00:12:53,405 --> 00:12:55,085
जो अब भी मौके पर मौजूद हैं।
195
00:12:55,165 --> 00:12:59,605
देखिए इस वक्त हम ऊपर मौजूद हैं
और यहाँ से मैं आपको दृश्य दिखाना चाहूँगा।
196
00:13:00,685 --> 00:13:02,445
तभी हमें एक वीडियो आया
197
00:13:02,525 --> 00:13:05,605
और वो वीडियो उसी घटना स्थल का
उसी वक्त का था।
198
00:13:06,925 --> 00:13:10,165
जितनी पुलिस वहाँ पहुँची है…
मेरे खयाल से 7:35 पे है, तो 7:40 पे
199
00:13:10,245 --> 00:13:12,285
वो हो गया अपलोड, या उससे पहले ही हो गया।
200
00:13:12,365 --> 00:13:15,045
वो जनता में से
किसी ने बनाकर वायरल कर दिया।
201
00:13:15,605 --> 00:13:18,765
[विशाल] मेरे व्हाट्सएप ग्रुप पर
मेसेज आया। एक वीडियो आया।
202
00:13:20,165 --> 00:13:23,605
तो मेरे भी रोंगटे खड़े हो गए।
203
00:13:23,685 --> 00:13:25,285
वो वीडियो ऐसा था।
204
00:13:33,125 --> 00:13:38,165
तो ये एक वीडियो था करीब दो मिनट,
दो तो नहीं करीब डेढ़ मिनट के आस-पास का।
205
00:13:41,805 --> 00:13:44,045
[मनोज] उसमें कोई पुलिसवाला नहीं है।
206
00:13:44,125 --> 00:13:46,165
वो जनता में से
किसी ने बनाकर वायरल कर दिया।
207
00:13:46,245 --> 00:13:47,085
[अस्पष्ट बातचीत]
208
00:13:47,165 --> 00:13:50,245
[मनोज] लेकिन वो निर्देश
दे दिए गए थे कि कोई भी
209
00:13:51,085 --> 00:13:52,605
इसे टीवी पर नहीं दिखाएगा
210
00:13:52,685 --> 00:13:55,165
क्योंकि यह सारा जो है खौफ़नाक है,
दूसरी तरह का है।
211
00:13:56,365 --> 00:13:59,085
उस वीडियो को देखकर
हम लोग भी अंदर से हिल गए थे।
212
00:13:59,645 --> 00:14:02,725
यकीन नहीं हो रहा था कि यह कैसे हो सकता है।
अंदर से मन खराब हो गया।
213
00:14:03,285 --> 00:14:06,085
[प्रमोद शर्मा]
पक्का करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी।
214
00:14:06,165 --> 00:14:08,005
इतना पता था कि खबर ये गलत नहीं है।
215
00:14:08,085 --> 00:14:10,005
{\an8}एक खौफ़नाक घटना में,
216
00:14:10,085 --> 00:14:12,845
{\an8}एक ही परिवार के 11 लोगों की लाशें,
217
00:14:12,925 --> 00:14:14,285
{\an8}जिनमें सात औरतें और चार पुरुष हैं,
218
00:14:14,365 --> 00:14:16,885
{\an8}उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी इलाके के
एक घर में मिली हैं…
219
00:14:16,965 --> 00:14:18,725
{\an8}एक ही परिवार के 11 लोगों की लाशें मिलीं…
220
00:14:18,805 --> 00:14:21,965
एक बड़ी खबर जो कि दिल्ली के
बुराड़ी इलाके से आ रही है…
221
00:14:22,045 --> 00:14:23,765
{\an8}11 लोगों के शव मिलने से…
222
00:14:23,845 --> 00:14:25,765
{\an8}…दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में फ़ोन किया…
223
00:14:25,845 --> 00:14:27,125
{\an8}[समाचार-वाचिका] 11 लोगों की मौत…
224
00:14:27,205 --> 00:14:28,325
कुछ चंद ख़ास…
225
00:14:28,405 --> 00:14:31,765
[प्रमोद] फ़ोटो और वीडियो जो है,
फ़ोटो आ गई थीं हमारे पास,
226
00:14:31,845 --> 00:14:34,965
और वो फ़ोटो जब चलीं,
तो उसके बाद खबर की गंभीरता बहुत बढ़ गई।
227
00:14:35,045 --> 00:14:36,125
प्रमोद शर्मा - विशेष संवाददाता
228
00:14:38,285 --> 00:14:41,925
और वीडियो देखकर ऐसा लग रहा था
कि किसी ने इनकी हत्या की है।
229
00:14:42,005 --> 00:14:45,005
तो कोई…
11 में से 11 लोग, ये कैसे बाँध सकते हैं?
230
00:14:45,605 --> 00:14:49,205
लोग थे, उनको भी यकीन नहीं हो रहा था।
वहाँ लगातार भीड़ बढ़ती जा रही थी।
231
00:14:49,285 --> 00:14:51,805
काफ़ी ज़िम्मेदारी होती है
इस तरह के मामलों में।
232
00:14:51,885 --> 00:14:55,085
जब आप ख़बर बताते हैं,
एक-एक चीज़ को ध्यान में रखना होता है।
233
00:14:55,165 --> 00:14:59,845
क्योंकि आपकी ज़रा सी गलती
वहाँ पर कोहराम मचा सकती है।
234
00:15:01,125 --> 00:15:04,485
[मनोज] और इसमें होता है, आपने देखा है,
छोटी बातों पर गाड़ियाँ जला दीं,
235
00:15:04,565 --> 00:15:06,165
ये कर दिया, वो कर दिया।
236
00:15:06,245 --> 00:15:08,605
एक आदमी ने कोई बकवास शुरू की
और सारा हो जाता है।
237
00:15:08,685 --> 00:15:11,245
लोगों को समझाना भी है, दंगे भी न हो जाएँ।
238
00:15:11,325 --> 00:15:14,245
हर आदमी जानकारी लेना चाहता है,
जो शरारती तत्व है।
239
00:15:14,885 --> 00:15:20,645
थोड़ी ही देर में, पुलिस जो है,
इस मामले में अपना पूरा बयान रखेगी।
240
00:15:22,485 --> 00:15:28,365
[मनोज] संयुक्त आयुक्त, विशेष आयुक्त,
वो भी एक घंटे के अंदर सब वहाँ पहुँच गए।
241
00:15:28,445 --> 00:15:30,405
{\an8}अभी किसी संभावना को हम नकार नहीं रहे।
242
00:15:30,485 --> 00:15:31,885
{\an8}राजेश खुराना
संयुक्त पुलिस आयुक्त, दिल्ली
243
00:15:31,965 --> 00:15:34,445
{\an8}हम हर संभावना की
तहकीकात कर रहे हैं। शुक्रिया।
244
00:15:34,525 --> 00:15:36,045
[रिपोर्टर शोर मचा रहे हैं]
245
00:15:41,165 --> 00:15:42,805
[महिला रिपोर्टर] इस वक्त
246
00:15:42,885 --> 00:15:44,645
सारे सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं
247
00:15:44,725 --> 00:15:46,565
और फ़ॉरेंसिक टीम भी
सुराग इकट्ठा करने के लिए
248
00:15:46,645 --> 00:15:48,085
यहाँ आ गई है।
249
00:15:48,165 --> 00:15:51,845
[मनोज] साढ़े नौ बजे तक,
एफ़एसएल पहुँच चुकी थी। पूरी टीम आ गई थी।
250
00:15:52,645 --> 00:15:54,965
जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान।
251
00:15:55,045 --> 00:15:58,045
एफ़एसएल फ़ोटोग्राफ़ी।
हमने सबको वहाँ बुलाया था।
252
00:15:58,125 --> 00:16:00,445
जो भी ज़्यादा से ज़्यादा
हमारे विशेषज्ञ हो सकते हैं।
253
00:16:02,405 --> 00:16:04,965
और फिर वही वो घूमके कि, "यह क्या है?
254
00:16:05,725 --> 00:16:06,605
यह क्या है?"
255
00:16:14,965 --> 00:16:16,365
[कुत्ता भौंक रहा है]
256
00:16:20,445 --> 00:16:23,045
[सर्वेश सिंह] जब हम लोग
नीचे से पहली मंज़िल पर गए,
257
00:16:23,645 --> 00:16:24,845
वहीं लाशें थीं।
258
00:16:24,925 --> 00:16:26,925
[अस्पष्ट बातचीत]
259
00:16:35,045 --> 00:16:35,965
{\an8}सर्वेश सिंह - फ़ोटोग्राफ़ी विभाग
260
00:16:36,045 --> 00:16:38,005
{\an8}पहली प्रतिक्रिया हमारी यही थी, "हे भगवान!"
261
00:16:40,245 --> 00:16:41,485
हमें नहीं यकीन हुआ।
262
00:16:42,045 --> 00:16:44,085
{\an8}वह बहुत चौंकाने वाला और बेरहम मंज़र था।
263
00:16:44,165 --> 00:16:45,165
{\an8}वीएल नरसिम्हन - भौतिक विज्ञान विभाग
264
00:16:45,245 --> 00:16:48,125
{\an8}क्योंकि वहाँ बड़े भी थे और बच्चे भी।
265
00:16:48,205 --> 00:16:53,445
तो ये वहाँ पे सोचना बड़ा ही अजीब था
266
00:16:53,525 --> 00:16:55,885
कि कैसे तीन पीढ़ियाँ
एक साथ खुदकुशी कर सकती हैं।
267
00:17:00,565 --> 00:17:06,405
और हमने वहीं से अपनी फ़ोटो की टीम के साथ
पूरा डॉक्यूमेंट करना शुरू कर दिया था,
268
00:17:06,485 --> 00:17:07,925
हरेक चीज़।
269
00:17:10,165 --> 00:17:14,045
और हम लोग नहीं सोच रहे थे,
छोड़ रहे थे कि यहाँ कुछ भी हम छोड़ दें।
270
00:17:16,445 --> 00:17:18,604
[ब्रजेश कुमार] लाशों पर हमने निशान लगाए।
271
00:17:18,685 --> 00:17:20,885
एक, दो, तीन, चार नंबर दिए।
272
00:17:22,525 --> 00:17:25,885
{\an8}लाशों पर निशान लगाना सबसे मुश्किल काम था।
273
00:17:26,604 --> 00:17:28,084
लाशें ऐसे हिल रही थीं।
274
00:17:28,165 --> 00:17:29,005
ब्रजेश कुमार - जीव विज्ञान विभाग
275
00:17:29,084 --> 00:17:31,645
हम लोग बीच-बीच में जाकर निशान लगाए।
276
00:17:36,405 --> 00:17:39,645
क्योंकि ये कोई आम अपराध स्थल नहीं है।
277
00:17:42,845 --> 00:17:44,245
कुछ है।
278
00:17:45,205 --> 00:17:48,805
[मनोज] जो नौ लटके हुए हैं
वो आत्महत्या के मामले दिख रहे हैं, फिर भी,
279
00:17:48,885 --> 00:17:51,485
दो-दो गाँठें क्यों बाँध रखी हैं?
आँखें बंद, ये बंद।
280
00:17:51,565 --> 00:17:52,525
यह एक राज़ था।
281
00:17:52,605 --> 00:17:56,485
और दोहरा-दोहरा,
चुन्नी के अलावा तार भी लपेट रखा है।
282
00:17:57,045 --> 00:17:59,005
किसी के हाथ बँधे हैं,
किसी के नहीं बँधे हैं।
283
00:18:00,365 --> 00:18:03,325
वो जो औरत, जो लड़की वहाँ पर टँगी हुई है,
284
00:18:03,405 --> 00:18:05,125
उसके पैर नीचे लटके हुए हैं।
285
00:18:05,205 --> 00:18:09,045
माँ जो वहाँ है, 80 साल की,
वह क्यों आत्महत्या कर रही है?
286
00:18:09,125 --> 00:18:10,325
वह ऐसे क्यों लेटी हुई है?
287
00:18:14,285 --> 00:18:17,085
फिर से वही सवाल।
यह आत्महत्या है या हत्या है?
288
00:18:20,925 --> 00:18:23,885
लेकिन वजह जानना बाकी था।
कि, यार, किया क्यों है यह?
289
00:18:27,885 --> 00:18:30,005
खुदकुशी को लेकर कोई चिट्ठी नहीं छोड़ी थी।
290
00:18:33,085 --> 00:18:37,045
तो ये सारी चीज़ों के कारण लगा
कि हम कोई चीज़ नहीं छोड़ सकते।
291
00:18:37,125 --> 00:18:40,525
और उसके आधार पर
उसे आत्महत्या मान लें, नहीं।
292
00:18:41,165 --> 00:18:43,925
हमें हर तरह का सुराग चाहिए था,
जो भी वहाँ मिल सकता था।
293
00:18:51,285 --> 00:18:53,285
[भीड़ शोर मचा रही है]
294
00:18:54,925 --> 00:18:56,925
[लोग अस्पष्ट बातचीत कर रहे हैं]
295
00:18:59,045 --> 00:19:02,685
तो फटाफट करके ये देखिए,
जो सामने की तरफ़ एक कैमरा लगा था,
296
00:19:03,525 --> 00:19:06,005
एक टीम तैनात करके वो देखिए,
297
00:19:06,085 --> 00:19:07,725
बिल्कुल शुरू से।
298
00:19:08,605 --> 00:19:10,685
कल शाम से ही जबसे हलचल दिख रही है,
299
00:19:10,765 --> 00:19:13,845
वहाँ से लेकर और अब तक जो सात-आठ बजे हैं,
300
00:19:13,925 --> 00:19:17,445
वो चलाते-चलाते पूरा देखिए। कुछ मत छोड़िए।
301
00:19:17,525 --> 00:19:20,125
पक्का पता होना चाहिए
कि बाहर से तो कोई नहीं आया।
302
00:19:20,205 --> 00:19:23,085
कोई आदमी आ तो नहीं गया अंदर।
ये कैसे हुआ है, क्या चीज़ है?
303
00:19:24,925 --> 00:19:28,445
[समाचार-वाचिका] यह सामूहिक हत्या का
मामला है या सामूहिक आत्महत्या का?
304
00:19:28,525 --> 00:19:30,725
यही वह सवाल है जिसने न सिर्फ़
305
00:19:30,805 --> 00:19:33,685
बुराड़ी की इन गलियों के लोगों को,
306
00:19:33,765 --> 00:19:35,285
बल्कि शायद पूरे देश को जकड़ रखा है।
307
00:19:35,885 --> 00:19:36,965
[ख़ुशबू रानी] ये रहा घर।
308
00:19:37,045 --> 00:19:39,925
ये बगल में, हम लोग यहीं से
बात-वात भी करते रहते थे।
309
00:19:40,445 --> 00:19:43,885
सब लोग रहते थे। पड़ोसी रहते थे,
बात भी होती रहती थी यहाँ से आमने-सामने।
310
00:19:43,965 --> 00:19:44,925
ख़ुशबू रानी - पड़ोसी
311
00:19:45,005 --> 00:19:46,445
फिर भी कभी दिक्कत नहीं हुई।
312
00:19:52,525 --> 00:19:55,925
अच्छे लोग थे, 11 लोग थे।
एक परिवार के थे सब लोग।
313
00:19:56,005 --> 00:19:57,565
बहुत अच्छे से रहते थे।
314
00:19:59,165 --> 00:20:02,605
हमारे पास एक बेटा भी है,
वो भी जब जाता था दुकान पे,
315
00:20:02,685 --> 00:20:05,245
उससे बहुत, मतलब लगाव था इतना ज़्यादा
316
00:20:06,005 --> 00:20:09,725
कि हमेशा बुआ-बुआ करता रहता था।
छत से भी बोलता रहता था।
317
00:20:10,685 --> 00:20:13,565
हमारा लड़का छोटा सा है,
वो भी बहुत याद करता है।
318
00:20:16,405 --> 00:20:18,925
[गुरचरण, पंजाबी में] पड़ोसी के नाते
बहुत प्यार होता है सबके बीच।
319
00:20:21,805 --> 00:20:24,005
[हिंदी में] टोहाना में इन…
वहाँ से आए थे ये।
320
00:20:24,085 --> 00:20:25,365
वहाँ खेती-बाड़ी करते थे।
321
00:20:27,805 --> 00:20:30,805
पहले एक दुकान थी, फिर दो दुकानें बन गईं।
322
00:20:30,885 --> 00:20:32,005
इन्होंने जनरल स्टोर खोल लिया।
323
00:20:34,525 --> 00:20:36,725
उसका लकड़ी का काम था, छोटे वाले का।
324
00:20:36,805 --> 00:20:38,365
परिवार का अच्छा काम था।
325
00:20:38,445 --> 00:20:39,765
[बकरी मिमिया रही है]
326
00:20:39,845 --> 00:20:41,245
[कुत्ता भौंक रहा है]
327
00:20:43,245 --> 00:20:47,285
[दीपक भोला] मैं पहले प्लायवुड की दुकान में
काम करता था ललित जी के यहाँ आठ साल से।
328
00:20:47,365 --> 00:20:50,885
जैसे होता है कहीं लड़ाई-झगड़ा, तू-तू,
मैं-मैं चलती रहती है, ऐसा कुछ नहीं देखा।
329
00:20:50,965 --> 00:20:51,805
दीपक भोला - परिवार का कर्मचारी, 2011-2018
330
00:20:51,885 --> 00:20:55,685
न बाहर, न घर में, कभी कोई
ऊँची आवाज़ से बात ही नहीं करते।
331
00:20:56,365 --> 00:21:00,725
सब पूजा-पाठ वाले बंदे थे
और दोनों वक्त, सुबह-शाम मंदिर जाते थे।
332
00:21:02,285 --> 00:21:04,045
उनका व्यवहार अच्छा था।
333
00:21:04,125 --> 00:21:08,445
कभी खाने के लिए खाना मैं नहीं लेके आता हूँ
तो भाभी हमारे को खाना खिलाती थी घर से।
334
00:21:08,525 --> 00:21:10,125
मेरे को दीपा भैया बोलती थी।
335
00:21:15,565 --> 00:21:18,765
{\an8}मगर जब हम यहाँ रहने आए,
फिर तो एक घर जैसा माहौल था।
336
00:21:18,845 --> 00:21:21,765
{\an8}कि हर खुशी में, हर दुख में साथी हैं।
337
00:21:22,405 --> 00:21:24,405
हर समारोह में साथ ही जाना है।
338
00:21:25,405 --> 00:21:28,805
तो हमारे अपने परिवार जो सगे हैं,
वो तो गाँवों में रह गए।
339
00:21:28,885 --> 00:21:33,645
यहाँ आके तो मोहल्ले का ही
एक परिवार की तरह वो होता है।
340
00:21:33,725 --> 00:21:34,925
[लड़का 1 हँस रहा है]
341
00:21:35,005 --> 00:21:36,165
[लड़का 2 चिल्ला रहा है]
342
00:21:37,765 --> 00:21:41,565
मेरा बड़ा लड़का उससे…
उनके लड़कों से एक-दो साल बड़ा था।
343
00:21:41,645 --> 00:21:44,365
मगर एक हमउम्र से होके दोस्ती थी।
344
00:21:44,445 --> 00:21:47,405
रात तक, 11-11 बजे तक गली में खेल रहे हैं।
345
00:21:48,005 --> 00:21:49,245
घूम रहे हैं, दौड़ रहे हैं।
346
00:21:49,325 --> 00:21:52,085
वो आते ही, "चाचा जी, नमस्ते," पैर छूना।
347
00:21:52,165 --> 00:21:57,165
तो हमें ये लगता था, यार, हमारे बच्चों के
अंदर भी ऐसे गुण आएँ तो अच्छा लगे।
348
00:21:58,125 --> 00:21:59,765
{\an8}प्रियंका, 33
349
00:21:59,845 --> 00:22:02,045
{\an8}नीतू, 25 - मेनका, 22
350
00:22:02,125 --> 00:22:06,805
{\an8}बच्चे तो तीनों जो मैंने… हमारे स्कूल में
पढ़े, बच्चे तीनों अक्लमंद बच्चे थे।
351
00:22:06,885 --> 00:22:08,085
विनोद मुद्गल - ट्यूशन टीचर
352
00:22:08,165 --> 00:22:11,525
और नीतू, क्योंकि मैंने
उसको खुद कोचिंग दी थी तो…
353
00:22:12,485 --> 00:22:15,445
मतलब, उसको जो कहना था, वो अपने कहती थी।
354
00:22:16,085 --> 00:22:18,685
वो भी उसी तरह से तेज़-तर्रार,
पढ़ने में तेज़।
355
00:22:18,765 --> 00:22:24,565
तो शख्सियत तो ये थी, वो एकदम बहादुर बच्चे।
और तेज़ दिमाग भी हैं साथ की साथ।
356
00:22:24,645 --> 00:22:28,605
तो इस तरह की शख्सियत थी।
किसी से डरने-वरने वाले नहीं थे वो बच्चे।
357
00:22:30,925 --> 00:22:35,485
[प्रितपाल] हम लोग जबसे आए हैं यहाँ पे,
भाटिया के नाम से ही इनको बोला जाता है।
358
00:22:35,565 --> 00:22:37,325
नारायणी देवी… वो भाटिया थीं असल में।
359
00:22:37,405 --> 00:22:41,165
{\an8}[प्रितपाल] नारायणी देवी आंटी जो थीं,
वो बात सबसे अच्छे से करती थीं।
360
00:22:41,245 --> 00:22:43,685
कभी भी घर जाओ,
तो बड़े प्यार से बिठाती थीं।
361
00:22:45,685 --> 00:22:49,405
{\an8}सविता, टीना, दोनों बहुत अच्छी थीं।
362
00:22:49,485 --> 00:22:53,725
{\an8}मतलब, आपकी पूरी मदद करने के लिए खड़े…
पूरा परिवार ही ऐसा था।
363
00:22:53,805 --> 00:22:55,525
हर वक्त आपके लिए खड़े रहे।
364
00:22:55,605 --> 00:22:58,325
जब बच्चे छोटे थे, हम कभी गए हैं,
तो बच्चे उनके यहाँ रहे हैं हमारे।
365
00:22:58,405 --> 00:22:59,365
अमरीक सिंह - पड़ोसी
366
00:23:00,525 --> 00:23:04,885
मेरे को तो, इसने जब फ़ोन किया,
मैं तो चाँदनी चौक था। गुरुद्वारे में था।
367
00:23:04,965 --> 00:23:06,405
इसने कॉल किया कि, "फटाफट आ जाओ।
368
00:23:06,485 --> 00:23:08,725
कि भूपी के घर में तो सब कुछ खत्म हो गया।"
369
00:23:09,925 --> 00:23:11,605
मेरे को एक बार यह लगा कि
370
00:23:12,405 --> 00:23:15,525
चोरी-वोरी हुई होगी।
प्रियंका की शादी थी तो शायद कुछ हुआ होगा।
371
00:23:18,765 --> 00:23:22,165
[मुकेश] आखिर तीन पीढ़ियाँ
एक साथ आत्महत्या कैसे कर सकती हैं?
372
00:23:23,965 --> 00:23:27,005
और 11 लोगों की हत्या होना,
यह अपने-आप में बहुत बड़ी बात थी।
373
00:23:27,725 --> 00:23:30,685
तो चूँकि पूरा परिवार खत्म हो गया था,
11 लोग थे,
374
00:23:31,925 --> 00:23:33,605
11 के 11 लोग मारे गए थे,
375
00:23:33,685 --> 00:23:35,365
कोई चश्मदीद गवाह नहीं था,
376
00:23:36,005 --> 00:23:38,045
कोई बताने वाला था नहीं
कि घर में हुआ क्या है।
377
00:23:41,005 --> 00:23:43,845
एक सदस्य घर का बचा हुआ था,
भले ही वो जानवर हो।
378
00:23:43,925 --> 00:23:46,285
[कुत्ता भौंक रहा है]
379
00:23:47,285 --> 00:23:49,765
[कुत्ते भौंक रहे हैं]
380
00:23:52,005 --> 00:23:54,965
[संजय मोहपात्रा]
देखा कि यहाँ पर बहुत बड़ी खबर आ रही है
381
00:23:55,045 --> 00:23:58,805
कि, भई, 11 लोग घर के अंदर,
पूरा परिवार ही मर गया रात को फाँसी लगाकर।
382
00:23:59,605 --> 00:24:01,925
तुरंत दिमाग में आया,
यार, बार-बार कुत्ते को दिखाया जा रहा है
383
00:24:02,005 --> 00:24:03,445
कि कुत्ते का कोई खयाल नहीं रख रहा है।
384
00:24:03,525 --> 00:24:04,445
संजय मोहपात्रा - पशु संरक्षक
385
00:24:04,525 --> 00:24:06,605
बाकी सारी चीज़ें सब एंकर बोलते हैं।
386
00:24:06,685 --> 00:24:09,005
चैनल बदला, सारे चैनल में आ रहा था।
387
00:24:09,085 --> 00:24:12,685
तो मतलब जो, तब लगा कि मुझे इसे बचाना होगा।
388
00:24:12,765 --> 00:24:16,525
लेकिन वो बड़ा तंग में है, तकलीफ़ में है
और धूप है ऊपर, छत में बँधा हुआ है।
389
00:24:19,525 --> 00:24:21,125
[भौंक रहा है]
390
00:24:22,645 --> 00:24:28,445
और कहाँ हो रहा है? उसी खंभे से बँधा हुआ है
जिससे उसका सारा परिवार वो हो रहा है।
391
00:24:28,525 --> 00:24:32,205
तो वो बहुत दिन से सारी चीज़ें देख रहा है
लेकिन वो चीज़ें रोक नहीं पा रहा है।
392
00:24:33,765 --> 00:24:34,925
क्योंकि वह बेज़ुबान है।
393
00:24:39,885 --> 00:24:42,165
पहुँचने के बाद फिर पुलिस हमें ऊपर लेके गए।
394
00:24:42,245 --> 00:24:43,805
टॉमी बहुत आक्रामक था।
395
00:24:43,885 --> 00:24:45,725
हमें बिल्कुल पकड़ में नहीं आया।
396
00:24:45,805 --> 00:24:47,605
फिर हमें कुत्ता पकड़ने वाला लाना पड़ा।
397
00:24:56,805 --> 00:24:59,205
टॉमी उस परिवार का 12वाँ सदस्य था।
398
00:24:59,285 --> 00:25:03,605
अगर टॉमी को ऊपर बाँधा नहीं जाता,
399
00:25:03,685 --> 00:25:06,165
तो हो सकता है वह परिवार आज ज़िंदा होता।
400
00:25:11,045 --> 00:25:11,885
[पुरुष रिपोर्टर] इधर से आइए।
401
00:25:12,405 --> 00:25:13,605
मैं आपको दिखाना चाहूँगा।
402
00:25:13,685 --> 00:25:15,805
आप देख सकते हैं,
परिवार के लोग यहाँ मौजूद हैं।
403
00:25:17,805 --> 00:25:19,925
-आप देख सकते हैं…
-[आदमी] थोड़ा सा हटो। हटो।
404
00:25:20,005 --> 00:25:21,125
[पुरुष रिपोर्टर] ये देखिए…
405
00:25:21,205 --> 00:25:23,725
हाय, ये क्या तमाशा कर रखा है?
406
00:25:23,805 --> 00:25:25,925
[ऑफ़िसर 1] जाने दो, यार।
407
00:25:26,005 --> 00:25:28,445
[पुरुष रिपोर्टर 1] परिवार के लोग हैं।
बेहद भावुक हैं ये।
408
00:25:31,485 --> 00:25:33,285
[सुजाता नागपाल] सब एक साथ चले गए!
409
00:25:36,165 --> 00:25:37,845
-प्लीज़ तमाशा न करो!
-[पुरुष रिपोर्टर 2] कोई शक है?
410
00:25:37,925 --> 00:25:41,085
देवता जैसे थे। किसे का कोई…
411
00:25:41,165 --> 00:25:42,005
[ऑफ़िसर 2] यहीं रहिए।
412
00:25:42,085 --> 00:25:43,645
[सुजाता] देवता जैसे थे!
413
00:25:57,845 --> 00:26:02,445
[मनोज] परिवार में सबसे पहले
वो पानीपत वाली बहन आई थी। सुजाता।
414
00:26:03,925 --> 00:26:06,885
पहले हमें ये देखना था
कि बेहोश न हो जाए, कुछ और न हो जाए।
415
00:26:06,965 --> 00:26:10,205
पहले उसको बताया।
सांत्वना दी, सारी चीज़ें कीं।
416
00:26:10,285 --> 00:26:14,765
"कि, बहन जी, ज़िंदगी का कुछ नहीं है,
वह ऊपर वाले के हाथ में ही है, जो भी है।
417
00:26:14,845 --> 00:26:16,685
कुछ बुरा हुआ है।
418
00:26:17,205 --> 00:26:21,005
इसको न मैं बदल सकता हूँ,
न आप बदल सकते हैं। जो हो गया, वो हो गया।
419
00:26:21,085 --> 00:26:23,685
{\an8}[पुरुष रिपोर्टर] बता रहे हैं
कि परिवार बहुत सीधा और धार्मिक था।
420
00:26:23,765 --> 00:26:26,085
{\an8}[रोते हुए] बहुत धार्मिक थे।
पड़ोसी बता देंगे आपको।
421
00:26:26,165 --> 00:26:27,045
{\an8}सुजाता नागपाल - बहन
422
00:26:27,125 --> 00:26:30,605
{\an8}वो ऐसे थे ही नहीं। भगत बंदे थे इतने।
423
00:26:30,685 --> 00:26:33,525
[पुरुष रिपोर्टर] ये पूरा परिवार जो है,
वो गमगीन है।
424
00:26:33,605 --> 00:26:36,125
बात करने की स्थिति में नहीं है
ये पूरा परिवार।
425
00:26:36,205 --> 00:26:37,685
[समाचार-वाचिका] हम बस
उम्मीद कर सकते हैं
426
00:26:37,765 --> 00:26:40,965
कि इस मामले की गहरी छानबीन
427
00:26:41,045 --> 00:26:44,845
इतना बड़ा दुख झेल रहे परिवार को
कुछ जवाब दे पाएगी।
428
00:26:44,925 --> 00:26:46,925
{\an8}[रेल का हॉर्न बज रहा है]
429
00:26:49,005 --> 00:26:53,845
धार
430
00:26:58,005 --> 00:26:59,845
[लक्ष्मण चौहान] बड़े भाई साहब का फ़ोन आया।
431
00:26:59,925 --> 00:27:02,605
उन्होंने बताया कि दिल्ली में हादसा हो गया।
432
00:27:02,685 --> 00:27:03,925
मैंने कहा, "क्या हादसा हो गया?"
433
00:27:04,005 --> 00:27:06,525
कि पूरा परिवार चला गया।
434
00:27:06,605 --> 00:27:08,245
मैंने कहा, "ये कैसे हो सकता है?"
435
00:27:08,325 --> 00:27:11,285
जैसे ही मैने टीवी चालू किया,
दृश्य सामने दिखा।
436
00:27:11,365 --> 00:27:12,325
लक्ष्मण चौहान - सविता के भाई
437
00:27:12,405 --> 00:27:13,925
उसी वक्त मैं हतप्रभ हो गया।
438
00:27:14,005 --> 00:27:14,885
लोकेंद्र चौहान - सविता के कज़िन
439
00:27:14,965 --> 00:27:16,405
समझ नहीं आ रहा था उसका।
440
00:27:16,485 --> 00:27:22,765
फिर बाद में पता चला कि, नहीं-नहीं यार,
ये फ़ोटो… जैसे ही घर का लोकेशन बताया,
441
00:27:22,845 --> 00:27:25,725
तब एकदम पता चला
कि ये तो अपना ही परिवार है।
442
00:27:25,805 --> 00:27:28,445
अपनी ही बहन और ये।
443
00:27:30,285 --> 00:27:31,845
ऐसे पता चला।
444
00:27:31,925 --> 00:27:36,005
{\an8}सविता, 50
445
00:27:36,085 --> 00:27:39,885
{\an8}[लोकेंद्र चौहान] कि वो अपने-अपने कामों में
लगी रहती, लेकिन उनका स्वभाव ही
446
00:27:39,965 --> 00:27:46,925
इस प्रकार का था, हमें कुछ…
हर चीज़ को परिवार से जोड़कर रखना।
447
00:27:47,005 --> 00:27:52,845
तो उनका लगाव…
ऐसा लगने लगा था कि यह तो अलग ही प्राणी है।
448
00:27:53,525 --> 00:27:56,485
और कभी मतलब,
उनकी कोई माँग नहीं रही जीवन में।
449
00:27:56,565 --> 00:27:57,725
रविंद्र चौहान - सविता का भतीजा
450
00:27:59,045 --> 00:28:00,325
{\an8}[लोकेंद्र] हम यहाँ गए रावतभाटा
451
00:28:00,405 --> 00:28:03,085
{\an8}और रावतभाटा जाकर उनको देखकर हमने…
452
00:28:03,165 --> 00:28:05,805
मतलब, रिश्ता तय करने के बाद
दो-तीन महीने में शादी हो गई।
453
00:28:07,085 --> 00:28:10,605
[रविंद्र चौहान] बहुत साधारण,
सरल, सादा जीवन जी रहे थे वो।
454
00:28:10,685 --> 00:28:12,525
कोई ऐसी दिक्कत वाली बात ही नहीं थी।
455
00:28:15,285 --> 00:28:17,645
क्यों हुआ और कैसे?
मतलब, हाथ में तो कुछ नहीं है।
456
00:28:17,725 --> 00:28:18,645
सरोज कुँवर - सविता की आंटी
457
00:28:19,205 --> 00:28:21,005
जानकारी तो कुछ नहीं है अपन को तो।
458
00:28:21,765 --> 00:28:25,645
शाम तक गए सब यहाँ से, रात में निकले।
हम औरतों को तो किसी को ले ही नहीं गए।
459
00:28:25,725 --> 00:28:26,605
गायत्री कुँवर - सविता की भाभी
460
00:28:27,765 --> 00:28:29,525
बहुत बड़ा दर्द है।
461
00:28:30,925 --> 00:28:33,485
इतना बड़ा गड्ढा है हृदय के अंदर
462
00:28:35,005 --> 00:28:36,965
कि शायद ही यह गड्ढा कभी भर पाएगा।
463
00:28:37,845 --> 00:28:41,365
और इतनी अच्छी बहन इस परिवार ने खोई है,
464
00:28:42,485 --> 00:28:45,165
इतनी अच्छी बेटी इस घर ने खोई है,
465
00:28:46,125 --> 00:28:48,845
इतने अच्छे भांजे और दामाद
इस घर ने खोए हैं,
466
00:28:48,925 --> 00:28:50,565
इस परिवार ने खोए हैं
467
00:28:50,645 --> 00:28:55,885
कि शायद आने वाली सात पीढ़ी भी
उनकी कमी पूरी नहीं कर पाएगी।
468
00:29:13,165 --> 00:29:15,165
[ट्रेन की खड़खड़ाहट]
469
00:29:16,445 --> 00:29:18,205
नारायणगढ़
470
00:29:18,285 --> 00:29:21,285
[महेश राठौड़] मेरी उसी दिन हुई थी।
471
00:29:23,565 --> 00:29:27,285
जिस दिन की घटना है,
उसी समय रात में भी उसका फ़ोन आया था।
472
00:29:27,885 --> 00:29:29,965
ललित जी से भी बातचीत हुई थी।
473
00:29:30,045 --> 00:29:32,085
{\an8}दो-पाँच मिनट बात की।
474
00:29:32,165 --> 00:29:33,325
{\an8}महेश राठौड़ - टीना के भाई
475
00:29:33,405 --> 00:29:36,845
{\an8}"बढ़िया है सब। और क्या हाल-चाल है?
ये-वो, सब ठीक-ठाक, बढ़िया।"
476
00:29:37,485 --> 00:29:39,805
और बोले, "फिर सुबह चर्चा करेंगे।"
477
00:29:41,245 --> 00:29:43,565
{\an8}टीना, 43
478
00:29:43,645 --> 00:29:48,165
{\an8}एक भाई को या उसके माता-पिता को
या उसके परिवार को,
479
00:29:48,805 --> 00:29:54,085
जब शादी होती है तो उसको ये चिंता रहती है
कि भई वो वहाँ पर कैसी होगी?
480
00:29:54,165 --> 00:29:55,845
क्या होगी?
481
00:29:55,925 --> 00:29:59,645
लेकिन हमको, पूरे परिवार को
482
00:29:59,725 --> 00:30:03,125
कभी भी उसकी चिंता नहीं हुई।
483
00:30:05,725 --> 00:30:09,485
पति-पत्नी का तालमेल जो है,
बहुत कम ऐसा देखने को मिलता है।
484
00:30:10,405 --> 00:30:13,765
दोनों एक-दूसरे की बहुत बात मानते थे।
485
00:30:14,645 --> 00:30:18,445
उनका इतना गज़ब का तालमेल था, मतलब…
486
00:30:19,645 --> 00:30:23,845
[सुभद्रा कुँवर] यह ललित जमाई साहब हैं,
ये टीना बाई सा हैं।
487
00:30:26,445 --> 00:30:28,085
अलग-अलग पोज़ हैं उनकी।
488
00:30:31,085 --> 00:30:32,245
"एक-दूसरे के लिए ही बने हैं।"
489
00:30:41,445 --> 00:30:44,965
मम्मी की हालत देखी नहीं गई।
490
00:30:45,045 --> 00:30:49,165
{\an8}सुभद्रा कुँवर - टीना की भाभी
491
00:30:49,245 --> 00:30:53,285
{\an8}[धनराज कुँवर] अच्छा भी समझो,
बुरा भी समझो, दोनों बात है।
492
00:30:53,365 --> 00:30:54,485
दिया राठौड़ - टीना की भतीजी
493
00:30:54,565 --> 00:30:59,205
अब उसमें सच क्या है, झूठ है, क्या है,
ये तो पता ही नहीं। पता ही नहीं।
494
00:30:59,285 --> 00:31:00,485
धनराज कुँवर - टीना की माँ
495
00:31:04,285 --> 00:31:06,205
[समाचार-वाचक 1] राजधानी से बड़ी खबर…
496
00:31:06,285 --> 00:31:09,685
[समाचार-वाचिका 1] बुराड़ी परिवार के
परिवारजनों का कहना है,
497
00:31:09,765 --> 00:31:11,485
"कैसे कोई परिवार अपनी बेटी के लिए
498
00:31:11,565 --> 00:31:14,405
इतने बड़े जश्न के बाद
आत्महत्या कर सकता है महज 14…"
499
00:31:14,485 --> 00:31:15,845
[समाचार-वाचिका 2] यह
आत्महत्या का मामला है।
500
00:31:15,925 --> 00:31:18,325
[पुरुष रिपोर्टर] उसे परिवार की
दूसरी बेटी सुजाता खारिज करती हैं
501
00:31:18,405 --> 00:31:20,605
और हत्या की आशंका जताती हैं।
502
00:31:21,325 --> 00:31:24,205
{\an8}देखिए, जो अंदर इन्होंने बात कही है,
वो सब गलत थी।
503
00:31:24,285 --> 00:31:26,525
सब झूठ है। ये कहानी बनाई हुई है।
504
00:31:27,045 --> 00:31:30,605
ललित की बहन वगैरह, जो पानीपत रहती थीं,
वो भी वहाँ पर पहुँच गई थीं,
505
00:31:31,445 --> 00:31:34,165
तो वहाँ का माहौल इतना…
बहुत ज़्यादा वो हो गया था।
506
00:31:34,245 --> 00:31:37,165
कि आप लोग क्यों दिखा रहे हैं
कि मामला आत्महत्या का है।
507
00:31:37,245 --> 00:31:40,525
-आपको क्या लगता है क्या हुआ है?
-क्या हुआ है? कोई कर गया है वो।
508
00:31:40,605 --> 00:31:43,485
पुलिस सब किसलिए कर रही है?
ये मामला दबाने के लिए कर रही है।
509
00:31:43,565 --> 00:31:45,645
अपने को बचाने के लिए कुछ तो वो कर रही है।
510
00:31:46,445 --> 00:31:49,885
{\an8}तो ये मानना किसी के लिए…
उनके रिश्तेदारों के लिए…
511
00:31:50,765 --> 00:31:52,805
कोई मानने को तैयार नहीं था
कि ये आत्महत्या है।
512
00:31:53,965 --> 00:31:57,885
{\an8}इनका सबसे बड़ा बेटा जो था, दिनेश,
वो राजस्थान में था।
513
00:31:57,965 --> 00:31:59,125
{\an8}उन्होंने बताया।
514
00:31:59,205 --> 00:32:01,885
{\an8}क्योंकि इतना बहादुर परिवार था मेरा,
मैं इसको नहीं मानता।
515
00:32:01,965 --> 00:32:02,885
{\an8}दिनेश चुंडावत - भाई
516
00:32:02,965 --> 00:32:05,285
{\an8}मेरे बच्चे इतने बहादुर थे,
भाई मेरे इतने बहादुर थे।
517
00:32:05,365 --> 00:32:07,445
कोई ऐसी हरकत करेंगे नहीं।
518
00:32:07,525 --> 00:32:08,765
कोई कमज़ोर लोग नहीं थे।
519
00:32:08,845 --> 00:32:12,565
उनको भी जानकारी नहीं थी
कि ये कहानी कुछ और है।
520
00:32:12,645 --> 00:32:15,285
वो लोग भी नहीं बता पा रहे थे
कि आखिर क्या हुआ है।
521
00:32:15,365 --> 00:32:18,085
वो कह रहे थे कि, "नहीं, हत्या है।
आप गलत रिपोर्ट कर रहे हो।
522
00:32:18,165 --> 00:32:21,965
उसके बाद ये खबर पूरे देश में फैल गई
कि, "आप लोग गलत रिपोर्ट कर रहे हैं।
523
00:32:22,045 --> 00:32:24,525
पुलिस से मिलकर रिपोर्ट कर रहे हैं।
जो पुलिस बता रही है।"
524
00:32:24,605 --> 00:32:25,685
[भीड़ चिल्ला रही है] न्याय दो!
525
00:32:25,765 --> 00:32:27,205
मृतक परिवार को न्याय दो!
526
00:32:27,285 --> 00:32:28,885
मृतक परिवार को न्याय दो!
527
00:32:29,525 --> 00:32:31,165
[आदमी 1] करणी सेना!
[आदमी 2] ज़िंदाबाद!
528
00:32:31,245 --> 00:32:34,445
[विशाल] इस बीच-बीच में
नारेबाज़ी शुरू हो गई लोगों की।
529
00:32:34,525 --> 00:32:37,365
उनका कहना था कि हत्या हुई है।
530
00:32:37,445 --> 00:32:43,925
कुछ लोग जो इनके समुदाय से
ताल्लुक रखते हैं, उनका नाम मैं क्या लूँ,
531
00:32:44,005 --> 00:32:45,925
उनकी भी एक सेना है अपनी।
532
00:32:46,005 --> 00:32:49,765
उन लोगों का आना शुरू हो गया था,
यहाँ लोकल जो दिल्ली की यूनिट थी।
533
00:32:50,565 --> 00:32:51,845
{\an8}ये झूठ है।
534
00:32:51,925 --> 00:32:52,925
{\an8}विश्वबंधु राठौड़
535
00:32:53,005 --> 00:32:56,445
{\an8}सीधा-सीधा पल्ला झाड़ने की,
ज़िम्मेदारी से विमुख होने की साज़िश है।
536
00:32:56,525 --> 00:32:58,965
पुलिस, मैंने सुना है,
दिल्ली सरकार की नहीं है,
537
00:32:59,045 --> 00:33:00,485
तो इस गरीब परिवार की क्या होगी।
538
00:33:00,565 --> 00:33:03,725
लेकिन आज ये करणी सेना की वजह से
ये परिवार अकेला नहीं है।
539
00:33:03,805 --> 00:33:05,725
करणी सेना के लोग वहाँ पहुँच गए।
540
00:33:05,805 --> 00:33:09,485
करणी सेना के लोगों का यह कहना था,
कुछ लोग वहाँ पर थे,
541
00:33:09,565 --> 00:33:12,365
कि ये जो परिवार है,
कुछ लोग हमारे रिश्तेदार हैं।
542
00:33:12,445 --> 00:33:14,645
ये लोग राजस्थान के रहने वाले थे,
चित्तौड़गढ़ के।
543
00:33:14,725 --> 00:33:16,405
हम पूरी दिल्ली हिला देंगे,
544
00:33:16,485 --> 00:33:18,405
पूरा देश हिला देंगे, अगर इंसाफ़ नहीं मिला।
545
00:33:18,485 --> 00:33:24,365
कहीं ऐसा न हो कि फिर से किसी को हक दिलाने
के लिए दिल्ली को भी स्वराज बनना पड़ जाए।
546
00:33:24,445 --> 00:33:27,205
क्योंकि आम तौर पर होता क्या है
कि कोई भी घटना होती है,
547
00:33:27,285 --> 00:33:30,885
तो सबसे पहले पुलिस को कठघरे में
खड़ा कर दिया जाता है। मानते हैं।
548
00:33:31,525 --> 00:33:34,645
मृतक परिवार को न्याय दो!
549
00:33:34,725 --> 00:33:36,685
[मनोज] अब हंगामा करेंगे, नहीं होने देंगे।
550
00:33:36,765 --> 00:33:38,805
हमने मँगा लिया उसी हिसाब से फिर।
551
00:33:38,885 --> 00:33:41,205
ये दिल्ली है। यहाँ ऐसा नहीं होने देंगे।
552
00:33:41,285 --> 00:33:44,845
कि आप सोचें कि हम हंगामा करेंगे,
"पुलिस हाय-हाय," ये करें।
553
00:33:44,925 --> 00:33:47,765
मुझे लगता है पुलिस
ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है।
554
00:33:47,845 --> 00:33:52,365
इसमें हमको यही है कि जाँच सीबीआई से हो।
हत्या का मुकदमा दर्ज़ हो।
555
00:33:52,445 --> 00:33:54,205
"तुम्हारी क्या माँगें हैं, बताइए।"
556
00:33:54,285 --> 00:33:55,925
हमने हत्या का केस दर्ज़ किया।
557
00:33:56,005 --> 00:33:58,125
शुरू में हमें नहीं लग रहा,
फिर भी दर्ज़ कर रहे हैं।
558
00:33:58,205 --> 00:34:01,525
हम तहकीकात कर रहे हैं।
हम हर पहलू की छानबीन करेंगे।
559
00:34:02,845 --> 00:34:04,645
आप एफ़आईआर देख सकते हैं।
560
00:34:04,725 --> 00:34:06,925
उसमें पूरा हमने समझाया है।
561
00:34:07,765 --> 00:34:12,285
मामला दर्ज होने का मतलब यह नहीं है
कि तहकीकात खत्म हो गई।
562
00:34:12,365 --> 00:34:14,805
यह तो तहकीकात की शुरुआत है।
563
00:34:15,325 --> 00:34:16,164
अंदरूनी केस डायरी
564
00:34:16,244 --> 00:34:20,805
[समाचार-वाचिका 1] बुराड़ी के
सामूहिक मौत के मामले में…
565
00:34:20,885 --> 00:34:23,525
[समाचार-वाचिका 2] हत्या का
मामला दर्ज़ कर लिया गया है।
566
00:34:23,605 --> 00:34:26,405
दिल्ली में अपने घर में
एक परिवार के 11 लोगों की
567
00:34:26,485 --> 00:34:29,325
रहस्यमयी हालातों में
लाशें मिलने के बाद यह हो रहा है।
568
00:34:29,405 --> 00:34:31,605
[मनोज] कई बार
स्थानीय पुलिस के लिए लोग कह देते हैं
569
00:34:31,684 --> 00:34:34,125
कि मामला दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
570
00:34:34,204 --> 00:34:37,885
{\an8}जब क्राइम ब्रांच आती है,
तो उनको लगता है कि वो जो कर रहे हैं,
571
00:34:37,965 --> 00:34:40,244
{\an8}वे पेशेवर हैं,
मामला अच्छे हाथों में जा रहा है।
572
00:34:40,325 --> 00:34:43,005
और कोई भी उसके अंदर कोताही नहीं होगी।
573
00:34:44,085 --> 00:34:46,925
[डॉ. जॉय टिर्की] क्राइम ब्रांच
संवेदनशील मामले संभालने में माहिर है।
574
00:34:47,005 --> 00:34:48,164
डॉ. जॉय टिर्की - पुलिस उपायुक्त
575
00:34:48,244 --> 00:34:50,885
{\an8}हर अपराध में, "मेंस रिया"
नाम की एक चीज़ होती है।
576
00:34:50,965 --> 00:34:53,325
{\an8}जानकारी होनी चाहिए। इरादा होना चाहिए।
577
00:34:54,445 --> 00:34:56,045
और अपराध करने का एक कारण होना चाहिए।
578
00:34:56,125 --> 00:34:59,325
उनकी मौत क्यों हुई?
और उन्हें कौन मार सकता है? और किसलिए?
579
00:35:07,805 --> 00:35:10,205
क्राइम ब्रांच से
सबसे पहले मैं मौके पर पहुँचा था।
580
00:35:10,285 --> 00:35:12,645
मैं वहाँ जाकर चौंका नहीं। मैं उत्सुक था
581
00:35:12,725 --> 00:35:16,645
क्योंकि मैंने सामूहिक हत्या के मामलों पर
पहले भी काम किया है।
582
00:35:16,725 --> 00:35:18,565
तो मेरा पहला अनुमान था
583
00:35:19,125 --> 00:35:23,125
कि शायद हत्या करने के बाद
उन्हें लटकाया गया है।
584
00:35:24,045 --> 00:35:25,485
मैं अपनी टीम को फ़ोन करता रहा।
585
00:35:25,565 --> 00:35:27,325
खासकर सतीश को बुलाया।
586
00:35:27,405 --> 00:35:30,205
वह अच्छे अफ़सरों में से एक नहीं है।
वही सबसे अच्छा अफ़सर है।
587
00:35:31,125 --> 00:35:34,045
[सतीश कुमार] कई बार फ़िल्मों में
पुलिस की अच्छी छवि दिखाते हैं,
588
00:35:34,125 --> 00:35:35,685
कई बार बुरी छवि भी दिखाते हैं।
589
00:35:36,445 --> 00:35:39,005
पर जहाँ अच्छी छवि दिखाते हैं,
तो हमें खुशी होती है।
590
00:35:39,085 --> 00:35:41,845
किसी को पकड़ते हैं,
जब किसी केस में जी-जान से लगे हुए हैं,
591
00:35:41,925 --> 00:35:44,205
और वह सुलझ जाता है, तो बड़ी खुशी होती है।
592
00:35:45,485 --> 00:35:47,485
जैसे ही घर के अंदर घुसे बुराड़ी में,
593
00:35:48,485 --> 00:35:52,205
{\an8}एकदम से जो नज़ारा था देखते ही,
अंदर घुसते ही पहली मंज़िल पर…
594
00:35:52,285 --> 00:35:53,445
{\an8}सतीश कुमार - जाँच अधिकारी
595
00:35:53,525 --> 00:35:55,285
…वो नज़ारा हमेशा आँखों के सामने रहता है।
596
00:35:55,365 --> 00:35:59,365
बहुत बुरा लगता है।
अंदर से भी लगता है, यह क्या हुआ है।
597
00:36:09,725 --> 00:36:15,685
और उसके हिसाब से सभी संभावनाओं को
देखते हुए तहकीकात की गई थी।
598
00:36:15,765 --> 00:36:19,045
यही हुआ कि जो भी संभावनाएँ हैं,
एक-एक करके हटाई जाएँ।
599
00:36:20,005 --> 00:36:23,445
[जॉय] हमने पूरे घर की छानबीन की,
सलीके से एक-एक करके।
600
00:36:24,045 --> 00:36:27,045
कोई तोड़-फोड़ नहीं हुई थी।
जबरन घुसपैठ नहीं हुई थी।
601
00:36:27,125 --> 00:36:29,045
फ़्रिज में दूध रखा था
602
00:36:29,125 --> 00:36:31,885
और खाना निकालने के कुछ निशान थे।
603
00:36:32,965 --> 00:36:36,645
अगर यह हत्या का मामला होता,
तो लड़ाई-झगड़े के कोई तो निशान होते।
604
00:36:36,725 --> 00:36:39,485
और ऐसा लग रहा था
जैसे उन्होंने शांति से फाँसी लगा ली।
605
00:36:44,965 --> 00:36:47,645
दूसरी और पहली मंज़िल के बीच, एक जाल था।
606
00:36:49,085 --> 00:36:50,405
उसे ढँका हुआ था।
607
00:36:50,485 --> 00:36:53,365
मुझे लगा ये हिल सकता है कि नहीं?
वह बहुत हल्का था।
608
00:36:53,445 --> 00:36:55,605
वह फ़ाइबरग्लास और लकड़ी का था।
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00:36:57,005 --> 00:37:01,485
फिर मैंने देखा कि दुपट्टे
एक-दूसरे से बराबर दूरी पर बंधे थे।
610
00:37:01,565 --> 00:37:03,125
एक रूबिक्स क्यूब की तरह लग रहा था।
611
00:37:03,805 --> 00:37:05,965
किसी और का यह करना मुश्किल लगा।
612
00:37:09,885 --> 00:37:13,165
तहकीकात में और भी कई संभावनाएँ थीं,
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00:37:13,245 --> 00:37:15,405
जिनको हमने हटाया।
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00:37:16,685 --> 00:37:20,365
{\an8}भुवनेश, "भूपी," ने जो है न, कोशिश की थी
खोलने की। एक हाथ उसका ऊपर था।
615
00:37:21,685 --> 00:37:24,885
और ऐसे वो जो मुँह पर बँधा था,
उसको ऐसे खोलने की कोशिश कर रहा था।
616
00:37:25,805 --> 00:37:28,845
बच्चों में किसी के नहीं थे।
बच्चों के पैर पूरी तरह से बाँध दिए थे।
617
00:37:29,605 --> 00:37:30,805
हाथ पीछे बाँध दिए थे।
618
00:37:30,885 --> 00:37:33,445
टेलीफ़ोन के तार से बाँधे हुए थे,
बुरी तरह से।
619
00:37:33,525 --> 00:37:36,805
और अगर चाहके भी वो खोलना चाहें,
तो नहीं खोल सकते।
620
00:37:37,365 --> 00:37:38,325
{\an8}ध्रुव, 15
621
00:37:38,405 --> 00:37:40,925
{\an8}मुँह पर भी टेप लगी हुई थी,
आँखों पर भी टेप लगी थी।
622
00:37:41,645 --> 00:37:42,725
{\an8}कानों में रूई डाली हुई थी।
623
00:37:43,885 --> 00:37:45,125
{\an8}जो इनकी माता जी थीं…
624
00:37:45,205 --> 00:37:46,245
{\an8}नारायणी देवी, 80
625
00:37:46,325 --> 00:37:50,525
{\an8}…कमरे में पलंग के साथ जो खाली जगह थी,
वहाँ पर वो लेटी हुई पाई गई थीं।
626
00:37:51,045 --> 00:37:54,045
औंधी अवस्था में। आधी लेटी हुई।
627
00:37:54,125 --> 00:37:57,885
और गले में जो है चुन्नी थी ही,
जैसे सबके में थी वैसे।
628
00:37:59,925 --> 00:38:00,965
[मनोज] और एक बेल्ट थी।
629
00:38:01,045 --> 00:38:04,045
इधर इसके इस तरफ़ कुछ निशान थे।
630
00:38:04,125 --> 00:38:06,045
जो एफ़एसएल ने भी देखे, हमने भी देखे।
631
00:38:06,125 --> 00:38:09,885
जैसे ये बेल्ट है न, उसी चौड़ाई की,
ऐसे एक तरफ़। बस एक तरफ़।
632
00:38:10,485 --> 00:38:16,405
आम तौर पर जब कोई फाँसी लगाता है,
तो ऐसे ऊपर निशान होता है, "वी" की तरह।
633
00:38:17,125 --> 00:38:18,965
[नरेश भाटिया] शक करने वाला तो था ही न।
634
00:38:21,405 --> 00:38:23,405
[साइरन बज रहा है]
635
00:38:31,365 --> 00:38:35,365
लाशों को ठीक से निकालके नंबर करके,
636
00:38:35,445 --> 00:38:38,485
पैक करके उनको मुर्दाघर लेकर जाना।
637
00:38:38,565 --> 00:38:41,245
और इतने लोगों के बीच से,
638
00:38:41,325 --> 00:38:44,765
जहाँ 5,000, 10,000,
और इतने कैमरे झुके पड़े हैं यहाँ।
639
00:38:46,325 --> 00:38:48,285
एम्बुलेंस
640
00:38:48,365 --> 00:38:50,685
हमने 11 एम्बुलेंस का इंतज़ाम किया।
641
00:38:51,925 --> 00:38:53,965
दो आदमी तो उठाकर ले जा रहे हैं वो,
642
00:38:54,045 --> 00:38:56,845
एक ड्राइवर के साथ बैठेगा
ताकि रास्ते में कुछ न रुके।
643
00:39:01,605 --> 00:39:03,405
दो एम्बुलेंस रिवर्स गियर में आईं
644
00:39:03,485 --> 00:39:05,965
क्योंकि वो ऐसा नहीं था
कि गाड़ी मुड़ जाए वहाँ से।
645
00:39:06,045 --> 00:39:10,485
जहाँ उसकी सीढ़ियाँ आ रही हैं, मकान की,
बिल्कुल उसके नीचे लगवाया।
646
00:39:15,885 --> 00:39:17,685
[ब्रजेश] जब लाशों को उतारा जा रहा था,
647
00:39:18,485 --> 00:39:22,405
तो एक-एक लाश को
दुपट्टे के साथ उठाया जा रहा था।
648
00:39:22,485 --> 00:39:26,725
और उसके ज़िप लॉक बैग में पैक कर दिया था।
649
00:39:26,805 --> 00:39:32,205
उस वक्त एक अजीब सा वहाँ माहौल था।
उसको देखकर थोड़ा मन भावुक भी हुआ।
650
00:39:32,285 --> 00:39:34,165
यह कैसे मुमकिन है वहाँ?
651
00:39:35,005 --> 00:39:38,445
कैसे बच्चों ने फाँसी लगा ली?
652
00:39:41,885 --> 00:39:44,605
[राजीव] मैं कहता हूँ
उस दिन भी यही कहानी थी और आज भी है।
653
00:39:44,685 --> 00:39:47,885
कि लाशों को हाथ लगाते हुए
वहाँ की जनता डर रही थी।
654
00:39:47,965 --> 00:39:51,325
तो उन लाशों को लेकर हम ऊपर से नीचे आए हैं,
655
00:39:51,405 --> 00:39:55,965
11 की 11 लाशें मैंने
और मेरे साथियों ने साथ में उतारी हैं।
656
00:39:57,885 --> 00:39:59,765
[मनोज] तो यह बहुत ही बड़ा काम था।
657
00:39:59,845 --> 00:40:05,125
फिर उसको आगे लेके, दूसरी तरफ़ निकालके
बगल में कतार में लगाया।
658
00:40:05,205 --> 00:40:06,725
चारों तरफ़ से ढँककर।
659
00:40:07,925 --> 00:40:09,525
दो, दो-दो करके।
660
00:40:09,605 --> 00:40:12,965
डेढ़-दो घंटे हमें वो लाशें
नीचे निकालने में लग गए।
661
00:40:13,045 --> 00:40:15,405
एक-एक लाश को उठाकर,
ठीक से पैक करके उसको करना है।
662
00:40:15,485 --> 00:40:17,485
[साइरन बज रहा है]
663
00:40:18,405 --> 00:40:19,885
लगातार लाइव चल रहा था।
664
00:40:19,965 --> 00:40:23,685
अब ये पहुँच गए, यहाँ पहुँच गया,
रेड लाइट पर देखिए। पूरा का पूरा।
665
00:40:28,845 --> 00:40:31,885
[मुकेश] तो शुरुआत में
तो जो लोग अंदर से आ रहे थे,
666
00:40:32,485 --> 00:40:34,725
उनका भी ये दावा था कि ये हत्या है।
667
00:40:36,205 --> 00:40:39,285
और कई पुलिसवाले भी थे वहाँ पर,
जो अंदर से देखकर आए थे।
668
00:40:39,845 --> 00:40:41,725
और हत्या क्यों है? उसकी वजह यह थी
669
00:40:42,285 --> 00:40:45,125
कि सबके हाथ बँधे हुए थे,
670
00:40:45,605 --> 00:40:50,485
सबके मुँह में कपड़ा बँधा हुआ था,
टेलीफ़ोन की तार बँधी हुई थी।
671
00:40:50,565 --> 00:40:54,125
तो ये सबसे बड़ी वजह थी हत्या मानने की।
672
00:40:54,205 --> 00:40:57,405
तो कोई 11 में से
11 लोग ये कैसे बाँध सकते हैं?
673
00:40:58,365 --> 00:40:59,965
और कोई क्यों बाँधेगा?
674
00:41:03,725 --> 00:41:06,405
[सतीश] तो ऐसा लग रहा था कि कुछ हुआ है।
675
00:41:08,165 --> 00:41:12,565
क्योंकि वहीं पे हवन की सामग्रियाँ भी थीं,
जहाँ हवन किया गया था।
676
00:41:14,605 --> 00:41:17,525
घटना स्थल देखके ही लग रहा था
कि कुछ बात है।
677
00:41:18,325 --> 00:41:22,565
तो जैसे तहकीकात में चीज़ें खुलती गईं,
और भी चीज़ें, जैसे सीसीटीवी फुटेज था।
678
00:41:23,645 --> 00:41:25,965
फुटेज के अंदर भी काफ़ी चीज़ें आईं जिसमें…
679
00:41:27,645 --> 00:41:31,205
और उस कैमरे से वो पूरा उनका घर दिखता था।
680
00:41:33,485 --> 00:41:36,485
[जॉय] तो हम लोगों ने
साथ ही में बैठके देखा था पूरा का पूरा।
681
00:41:36,565 --> 00:41:38,965
एक-एक फ़्रेम। कुछ छूट न जाए।
682
00:41:41,085 --> 00:41:44,205
[सतीश] 28 जून, 2018 को
683
00:41:44,285 --> 00:41:45,885
टीना, ललित की पत्नी,
684
00:41:45,965 --> 00:41:49,485
और उसका बेटा चार स्टूल खरीदकर लाए थे।
685
00:41:55,205 --> 00:41:58,125
तीस तारीख की रात को जो मुख्य हादसा था,
686
00:41:58,205 --> 00:42:00,005
करीब 9:40 पर वो,
687
00:42:00,085 --> 00:42:01,445
टीना जिसको हम कहते हैं,
688
00:42:01,525 --> 00:42:04,645
एक लड़की के साथ आ रही है बाज़ार से
और प्लास्टिक स्टूल लेके आती है।
689
00:42:04,725 --> 00:42:05,725
टीना, 43 - नीतू, 25
690
00:42:10,365 --> 00:42:11,925
दस बजके उनतीस मिनट पे
691
00:42:12,005 --> 00:42:14,525
ललित का जो बेटा है,
वह प्लायवुड की दुकान खोलता है,
692
00:42:15,125 --> 00:42:18,285
और उसमें से तार का एक छोटा गुच्छा,
वो लेके जाता है ऊपर।
693
00:42:23,125 --> 00:42:27,765
इसके अलावा जो चुन्नी और जो साड़ी
इस्तेमाल की गई थी फाँसी लगाने के लिए,
694
00:42:28,565 --> 00:42:30,285
वो भी बाज़ार से खरीदके लाए गए।
695
00:42:31,485 --> 00:42:34,445
और जब रात को देखा गया, तो रात के समय भी
696
00:42:35,205 --> 00:42:38,485
घरवाले ही आ-जा रहे थे उसके अंदर।
697
00:42:42,685 --> 00:42:44,565
[मनोज] और सुबह तक जब कोई नहीं आया,
698
00:42:44,645 --> 00:42:49,285
पहली बात तो ये हो गई कि उससे हम शुरू में
जान गए कि बाहर का कोई नहीं है।
699
00:42:50,805 --> 00:42:52,365
असली चीज़ सिर्फ़ ये रह गई,
700
00:42:54,085 --> 00:42:55,565
कि "आपस में तो किसी ने नहीं कर दिया?"
701
00:42:56,965 --> 00:42:59,165
[साइरन बज रहा है]