1 00:00:06,005 --> 00:00:08,325 ‪इस सीरीज़ में ‪आत्महत्या से जुड़े दृश्य दिखाए गए हैं 2 00:00:08,405 --> 00:00:11,365 ‪जो कुछ दर्शकों को विचलित कर सकते हैं। ‪दर्शक अपने विवेक से काम लें। 3 00:00:11,445 --> 00:00:13,165 ‪अगर आप या आपका कोई परिचित इससे जूझ रहा है, 4 00:00:13,245 --> 00:00:15,925 ‪तो जानकारी और सहायता ‪www.wannatalkaboutit.com पर उपलब्ध है 5 00:00:21,125 --> 00:00:26,165 ‪NETFLIX डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ 6 00:00:26,245 --> 00:00:30,165 ‪पानी के भाव में चादर मिलेगी। 7 00:00:30,245 --> 00:00:33,725 ‪तीन सौ रुपए में दो। कितना? 8 00:00:34,005 --> 00:00:38,965 ‪दिल्ली, भारत 9 00:00:39,045 --> 00:00:40,285 ‪[साइरन बज रहा है] 10 00:00:48,845 --> 00:00:51,205 ‪अमूल दिल्ली हरियाणा 11 00:00:55,205 --> 00:00:56,925 ‪[कुत्ता भौंक रहा है] 12 00:00:57,005 --> 00:00:58,725 ‪[गुरचरण सिंह, पंजाबी में] मौत तो लिखी है। 13 00:00:59,885 --> 00:01:00,925 ‪[घंटियाँ बज रही हैं] 14 00:01:01,005 --> 00:01:02,485 ‪कब और कैसे, कोई नहीं जानता। 15 00:01:02,565 --> 00:01:04,525 ‪किसी ने पहाड़ पर जाकर गिरकर मरना है। 16 00:01:06,285 --> 00:01:08,925 ‪किसी ने घर मरना है, ‪किसी ने नदी में डूबकर मरना है। 17 00:01:09,565 --> 00:01:12,845 ‪जैसे भी हो, मौत तो सबकी लिखी है। 18 00:01:12,925 --> 00:01:14,565 ‪यह तो परमात्मा के हाथ में है। 19 00:01:17,005 --> 00:01:20,365 ‪मुझे भी नहीं पता कि मैं कैसे मरूँगा। 20 00:01:22,765 --> 00:01:24,965 ‪देखो जी, आहिस्ता-आहिस्ता ‪तो हम सबको खत्म होना है। 21 00:01:31,285 --> 00:01:33,285 ‪[थीम संगीत बज रहा है] 22 00:01:51,045 --> 00:01:53,885 ‪संत नगर, बुराड़ी 23 00:01:53,965 --> 00:01:58,325 ‪[गुरचरण सिंह, हिंदी में] यहाँ '97 में आया ‪रिटायर होकर, रेलवे में नौकरी करता था। 24 00:01:59,245 --> 00:02:01,325 ‪उस वक्त आबादी बहुत कम थी। 25 00:02:01,405 --> 00:02:03,165 ‪अब तो बहुत ज़्यादा आबादी हो गई है। 26 00:02:05,005 --> 00:02:07,005 ‪जब यहाँ आया, तबसे उन्हें जानते हैं। 27 00:02:08,525 --> 00:02:10,885 {\an8}‪जबसे '97 से मैं यहाँ आया, ‪हमने एक साथ मकान बनाया। 28 00:02:10,965 --> 00:02:12,285 {\an8}‪गुरचरण सिंह - पड़ोसी 29 00:02:12,365 --> 00:02:14,685 {\an8}‪पड़ोसी के नाते, आना-जाना तो होता ही है। 30 00:02:22,245 --> 00:02:25,405 ‪[पंजाबी में] वरना यहाँ तो ‪हम कुछ भी नहीं हैं, खंडहर खड़ा है। 31 00:02:35,685 --> 00:02:36,965 ‪एक जुलाई, 2018 32 00:02:37,045 --> 00:02:40,165 ‪[हिंदी में] असल में इनकी दुकान ‪सुबह 5:00-5:30 बजे खुल जाती थी। 33 00:02:41,045 --> 00:02:43,525 ‪दूधवाला आ जाता था, ट्रक लेके। 34 00:02:44,405 --> 00:02:46,245 ‪उस दिन इनकी दुकान खुली नहीं। 35 00:02:48,445 --> 00:02:50,485 ‪[प्रितपाल कौर] ‪तो सात बजे के आस-पास मैं बाल्कनी में गई 36 00:02:50,565 --> 00:02:52,845 ‪तो नीचे कोई बात कर रहा था कि दूध लेना है। 37 00:02:52,925 --> 00:02:55,685 ‪तो मैंने भी देखा कि, ‪हाँ, आज देर हो गई कि क्या हुआ। 38 00:02:55,765 --> 00:02:57,925 ‪[फ़ोन डायल हो रहा है] 39 00:02:58,005 --> 00:03:00,605 ‪तो फ़ोन कोई नहीं उठा रहा था, ‪हालाँकि घंटी जा रही थी। 40 00:03:01,885 --> 00:03:03,485 ‪[फ़ोन बज रहा है] 41 00:03:04,765 --> 00:03:06,445 ‪[गुरचरण] क्या बात है, क्यों नहीं खुली? 42 00:03:06,525 --> 00:03:09,285 ‪फिर मैं अपना… नीचे चला गया देखने के लिए। 43 00:03:11,565 --> 00:03:15,685 ‪तो दरवाज़ा मैंने खोला, ‪तो अंदर से बंद नहीं था। 44 00:03:16,685 --> 00:03:18,805 ‪दरवाज़ा खोला… मैं धक्का दिया, खुल गया। 45 00:03:19,525 --> 00:03:21,005 ‪[दरवाज़े पर दस्तक] 46 00:03:21,085 --> 00:03:23,085 ‪एकदम, घबराहट हुई। 47 00:03:23,165 --> 00:03:24,685 ‪[दरवाज़ा चरमरा रहा है] 48 00:03:25,845 --> 00:03:27,085 ‪तो ऊपर जाके देखा… 49 00:03:30,445 --> 00:03:33,165 ‪हमारी मम्मी जी की उम्र ज़्यादा है ‪तो नींद भी कम आती है। 50 00:03:33,245 --> 00:03:34,325 ‪कुलदीप सिंह - पड़ोसी 51 00:03:34,405 --> 00:03:36,565 ‪तो सुबह टहलने के लिए निकल गई थीं। 52 00:03:36,645 --> 00:03:38,685 ‪तो वो गली से, बाहर से आई चिल्लाते हुए। 53 00:03:41,165 --> 00:03:43,685 ‪अब कुछ मैं नींद में था, ‪रात भर काम करके आया था। 54 00:03:43,765 --> 00:03:47,205 ‪तो मैं उठके एकदम सीधा बाहर भागा, ‪उनके घर की तरफ़। 55 00:03:55,125 --> 00:04:00,925 ‪मैं वहाँ दो मिनट खड़ा होके ये सोचता रहा ‪कि ये सच है या क्या है। 56 00:04:01,005 --> 00:04:03,005 ‪[टपक रहा है] 57 00:04:04,605 --> 00:04:09,005 ‪मैंने अपने लड़के को आवाज़ देके उससे अपना ‪मोबाइल मँगाया। मैंने पुलिस को फ़ोन किया। 58 00:04:09,085 --> 00:04:11,085 ‪[घंटी जा रही है] 59 00:04:20,885 --> 00:04:25,005 ‪[राजीव तोमर] उस दौरान, शायद 7:35 पे 60 00:04:25,084 --> 00:04:27,005 ‪मुझे थाने से कॉल आता है 61 00:04:27,084 --> 00:04:30,245 ‪कि मेरे इलाके में आत्महत्या कर ली गई है। 62 00:04:30,325 --> 00:04:31,765 ‪राजीव तोमर - हेड कॉन्स्टेबल 63 00:04:31,845 --> 00:04:35,525 ‪उस इलाके में, मैं संत नगर में ही ‪बचपन से रह रहा हूँ। 64 00:04:35,605 --> 00:04:38,725 ‪पुलिस ऑफ़िसर से पहले, ‪मैं वहाँ उनका पड़ोसी सबसे पहले था। 65 00:04:39,525 --> 00:04:42,365 ‪तो वहाँ पे जाके मुझे एसएचओ साहब ने ‪पता करने के लिए बोला था। 66 00:04:42,445 --> 00:04:43,365 {\an8}‪[साइरन बज रहा है] 67 00:04:43,485 --> 00:04:47,525 ‪जो मैं जैसे ही वहाँ पे ‪गली नंबर चार में पहुँचने के बाद, 68 00:04:47,605 --> 00:04:51,045 ‪ऊपर से सीढ़ियों पे से औरतें और आदमी 69 00:04:51,125 --> 00:04:53,565 ‪रोते हुए, चिल्लाते हुए ‪नीचे की तरफ़ उतर रहे हैं। 70 00:04:53,645 --> 00:04:56,565 ‪मैं जैसे ही ऊपर पहुँचा, ‪मैंने जाकर देखा कि… 71 00:05:00,285 --> 00:05:05,365 ‪छत के ऊपर जाल है, ‪उस जाल के ऊपर नौ लोग लटके हुए हैं। 72 00:05:06,525 --> 00:05:09,365 ‪दसवीं औरत सामने लटकी हुई है। 73 00:05:11,085 --> 00:05:15,365 ‪जब हमें वो माता जी वहाँ पे पलंग के साथ, ‪वहाँ पे नीचे लेटी हुई मिली। 74 00:05:17,005 --> 00:05:21,565 ‪और ऊपर उनका कुत्ता बँधा हुआ था, ‪ऊपर था, वह लगातार भौंक रहा था। 75 00:05:21,645 --> 00:05:23,645 ‪[कुत्ता भौंक रहा है] 76 00:05:29,565 --> 00:05:34,725 ‪बिल्कुल एक किस्म से, जिस तरह से वो लोग ‪टँगे हुए थे, जिस तरह बरगद का पेड़ होता है, 77 00:05:34,805 --> 00:05:38,765 ‪बरगद के पेड़ की जो शाखाएँ होती हैं, ‪नीचे की तरफ़ लटकी होती हैं। टँगी होती हैं। 78 00:05:38,845 --> 00:05:42,765 ‪उसी तरह से ‪वो रंगीन दुपट्टे के अंदर लटके हुए थे। 79 00:05:56,325 --> 00:05:58,005 ‪[मनोज कुमार] हैलो। जी? 80 00:05:59,645 --> 00:06:00,725 ‪मैं थाने में हूँ। 81 00:06:00,805 --> 00:06:06,125 ‪लेकिन उसमें वो एक डॉक्यूमेंट्री बन रही है, ‪उसके लिए शूटिंग चल रही है। व्यस्त हूँ। 82 00:06:07,725 --> 00:06:08,645 ‪ठीक है। 83 00:06:10,645 --> 00:06:13,205 {\an8}‪यह ऐसा हादसा है जो मेरे दिमाग से, 84 00:06:13,285 --> 00:06:15,405 {\an8}‪मेरे खयाल से, मेरे मरने तक छपा रहेगा। 85 00:06:15,485 --> 00:06:16,725 {\an8}‪मनोज कुमार - स्टेशन हाउस ऑफ़िसर, 2016-2019 86 00:06:18,045 --> 00:06:20,045 ‪मैं सुबह-सुबह पुलिस स्टेशन में था। 87 00:06:20,125 --> 00:06:22,765 ‪सुबह पाँच बजे तक गश्त कर रहा था। 88 00:06:22,845 --> 00:06:27,325 ‪ड्यूटी ऑफ़िसर को बोलके सोया था कि, भई यार, ‪थोड़ा लंबा सोऊँगा। रात में थक गया हूँ। 89 00:06:27,405 --> 00:06:31,605 ‪वो तो मेरे पास भागके ही आ गया, कहता है, ‪"सर, ये देखो, बहुत ज़रूरी बात है।" 90 00:06:31,685 --> 00:06:32,965 ‪मैंने कहा, चल, यार, उठूँ। 91 00:06:34,485 --> 00:06:38,685 ‪राजीव का फ़ोन आया ‪और वो बिल्कुल उड़ा हुआ था। 92 00:06:38,765 --> 00:06:40,205 ‪वो कह रहा था, "लटके पड़े हैं।" 93 00:06:40,285 --> 00:06:43,125 ‪मैंने कहा, "कितने हैं?" ‪कहता है, "गिने नहीं, सर।" 94 00:06:43,205 --> 00:06:46,725 ‪वो क्या गिने कि कितने हैं? ‪"एक, दो, तीन, चार, पाँच, छह…" 95 00:06:46,805 --> 00:06:49,845 ‪कहता है, "वो तो एकदम ‪लाइन से लटके पड़े हैं।" 96 00:06:49,925 --> 00:06:52,685 ‪मैंने कहा, "इसको बस बंद कर ले। ‪किसी को अंदर मत जाने देना। 97 00:06:52,765 --> 00:06:54,525 ‪तुम वहीं रुको। मैं आ रहा हूँ।" 98 00:06:54,605 --> 00:06:55,725 ‪[साइरन बज रहा है] 99 00:06:57,605 --> 00:06:59,485 ‪सब मौका-ए-वारदात पर पहुँचें। 100 00:07:02,485 --> 00:07:05,525 {\an8}‪बेल्ट-वेल्ट लगाता-लगाता बैठ गया उसके अंदर। 101 00:07:06,205 --> 00:07:10,845 ‪मौका-ए-वारदात पर भागके ‪वहाँ पर तुरंत, जैसे ही मैं अंदर गया हूँ… 102 00:07:17,325 --> 00:07:19,685 ‪सब… लटके हुए थे। 103 00:07:24,005 --> 00:07:26,685 ‪आँखें बँधी हुई हैं। हाथ बँधे हुए हैं। 104 00:07:30,765 --> 00:07:35,685 ‪बारह-तेरह से लेके 60-80 साल तक के। 105 00:07:38,405 --> 00:07:44,885 ‪तो मुझे नहीं लगता कि ज़िंदगी में कभी मैंने ‪सोचा भी होगा या किसी फ़िल्म देखा भी होगा। 106 00:07:45,525 --> 00:07:52,325 ‪मुझे नहीं लगता कि किसी ने अपनी ज़िंदगी में ‪कभी ऐसी कोई वारदात देखी होगी। 107 00:08:01,885 --> 00:08:04,725 ‪[अनीता आनंद] ‪अहम बात यह है कि एक परिवार था, 108 00:08:06,125 --> 00:08:08,845 ‪मतलब, कोई असामान्य परिवार नहीं… 109 00:08:08,925 --> 00:08:09,965 ‪अनीता आनंद - क्लिनिकल हिप्नोथेरापिस्ट 110 00:08:10,045 --> 00:08:11,965 ‪…एकदम आम परिवार था। 111 00:08:13,485 --> 00:08:16,205 ‪तीन पीढ़ियाँ एक छत के नीचे रहती थीं। 112 00:08:16,285 --> 00:08:18,445 ‪दादी, माता-पिता और बच्चे। 113 00:08:18,525 --> 00:08:22,365 ‪और एक संयुक्त परिवार में, ‪सबकी अपनी-अपनी तय भूमिका होती है, 114 00:08:22,445 --> 00:08:24,485 ‪और सब अनुशासन में रहते हैं। 115 00:08:25,725 --> 00:08:26,645 ‪वे सब पढ़े-लिखे थे। 116 00:08:26,725 --> 00:08:27,565 ‪डॉ. अंबरीश सात्विक ‪वैस्कुलर सर्जन और लेखक 117 00:08:27,645 --> 00:08:30,685 ‪सबका समाज में बहुत उठना-बैठना था। 118 00:08:30,765 --> 00:08:33,045 ‪वे एक खुशहाल ज़िंदगी जी रहे थे। 119 00:08:33,765 --> 00:08:35,765 ‪इस पर यकीन करना मुश्किल था। 120 00:08:37,924 --> 00:08:42,525 ‪[अनीता] जो पहला सवाल दिमाग में आता है, ‪वह है कि ऐसा क्यों हुआ? 121 00:08:42,605 --> 00:08:45,845 ‪यह हादसा क्यों हुआ? ‪सब वजह जानना चाहते हैं। 122 00:08:45,924 --> 00:08:49,365 ‪और जवाब बहुत सरल नहीं है, काफ़ी पेचीदा है। 123 00:08:51,445 --> 00:08:54,365 {\an8}‪[बरखा दत्त] हमें नहीं पता रहता ‪कि हमारे पड़ोसी किन हालातों में हैं। 124 00:08:54,445 --> 00:08:57,965 {\an8}‪और यह तो बिल्कुल नहीं पता ‪कि हमारे पड़ोस में क्या हो रहा है। 125 00:08:58,045 --> 00:09:00,125 ‪पर कभी-कभार ऐसी घटनाएँ हो जाती हैं 126 00:09:00,205 --> 00:09:01,765 ‪जो पत्थरदिल लोगों का भी दिल दहला जाती हैं। 127 00:09:01,845 --> 00:09:02,765 ‪बरखा दत्त - पत्रकार 128 00:09:02,845 --> 00:09:04,965 ‪हम खुद बोल पड़ते हैं, "हे भगवान!" 129 00:09:09,005 --> 00:09:13,125 ‪[मनोज] कि अगर हम इतने लोगों की ‪एक साथ हत्या करना चाहेंगे, 130 00:09:13,205 --> 00:09:16,445 ‪11 लोगों की, तो ज़रूरत होगी… 131 00:09:17,205 --> 00:09:19,805 ‪अगर हम मान लें कि दो आदमी ‪एक आदमी को काबू में करें, 132 00:09:19,885 --> 00:09:22,685 ‪तो भी यहाँ 20-30 लोगों की ज़रूरत होगी। 133 00:09:22,765 --> 00:09:26,765 ‪ऐसी कोई अफ़रा-तफ़री है नहीं वहाँ पर। ‪मौका-ए-वारदात एकदम साफ़ है। 134 00:09:27,445 --> 00:09:34,165 ‪यहाँ तक कि गहने जो हैं, वो पहने हुए हैं ‪उसने। कान में, गले में। तो चोरी नहीं लगती। 135 00:09:34,765 --> 00:09:41,045 ‪और अगर आत्महत्या ही है, तो ये-ये क्या यार, ‪आँख, मुँह, हाथ, कान में रूई लगा रखी है? 136 00:09:41,765 --> 00:09:43,285 ‪आखिर मामला क्या है? 137 00:09:43,365 --> 00:09:47,565 ‪कि किसी ने कुछ बाहर से दे तो नहीं दिया? ‪ज़हर देकर फिर लटका दिया हो? 138 00:09:47,645 --> 00:09:51,925 ‪बाँध-बूँधके काबू में कर लिया। ‪बाँधके ऐसे दिखा दो कि हत्या हो गई। 139 00:09:52,005 --> 00:09:53,245 {\an8}‪ये दूध का वक्त था। 140 00:09:53,325 --> 00:09:54,405 {\an8}‪नरेश भाटिया - सब-इंस्पेक्टर, 2017-2020 141 00:09:54,485 --> 00:09:56,925 {\an8}‪पचास-साठ बंदे तो इकट्ठे हो ही रहे थे ‪दूध लेने के लिए। 142 00:09:57,005 --> 00:09:59,205 {\an8}‪-आम ग्राहक जो होते हैं। ‪-आम ग्राहक जो होते हैं। 143 00:09:59,285 --> 00:10:02,565 ‪जब 50 बंदों ने देखा ये हुआ है, ‪अब उन्होंने फैला दिया एक मिनट के अंदर ही। 144 00:10:07,005 --> 00:10:11,645 ‪अरविंद केजरीवाल यहाँ मौके पर पहुँचे हैं, ‪दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 145 00:10:11,725 --> 00:10:14,445 ‪मौके पर पहुँचे हैं, ‪हालात का जायज़ा ले रहे हैं। 146 00:10:14,525 --> 00:10:16,285 {\an8}‪अरविंद केजरीवाल - मुख्यमंत्री, दिल्ली 147 00:10:16,365 --> 00:10:21,205 {\an8}‪किसके कारण ये 11 लाशें मिली हैं? ‪क्या ये हत्या है या फिर खुदकुशी की गई है? 148 00:10:21,765 --> 00:10:25,205 ‪[मनोज] सबका एक ही वही था कि, ‪"भई, पहले उसको सुरक्षित कर लो।" 149 00:10:25,285 --> 00:10:28,725 ‪हमने सबसे पहले जितना स्टाफ़ था, ‪सारा तैनात कर दिया जगह-जगह। 150 00:10:29,285 --> 00:10:30,405 ‪नाकेबंदी की। 151 00:10:30,485 --> 00:10:31,645 ‪[पुलिस की सीटी बज रही है] 152 00:10:31,725 --> 00:10:34,165 ‪वो जब हमने बंद किया, ‪लोग छतों पे आने लग गए। 153 00:10:34,245 --> 00:10:36,965 ‪आस-पड़ोस की छतों से देख रहे थे कि, ‪"ऊपर से देखें, यार, 154 00:10:37,045 --> 00:10:40,205 ‪क्या हो रहा है?" ‪उत्सुकता थी न बहुत ज़बरदस्त। 155 00:10:40,285 --> 00:10:44,685 ‪वो रोशनदान के अंदर से शायद कुछ झाँककर ‪हमें कोई झलक मिल जाए। 156 00:10:49,125 --> 00:10:51,485 ‪[विशाल आनंद] तभी मेरे पास ‪एक खबरी का फ़ोन आया। 157 00:10:51,565 --> 00:10:52,805 ‪उसने बताया कि, "विशाल जी, 158 00:10:52,885 --> 00:10:55,765 ‪11 लोग घर में मरे हुए मिले हैं। 159 00:10:55,845 --> 00:10:56,725 ‪हत्या हो गई।" 160 00:10:58,765 --> 00:11:04,125 ‪11 लोगों की एक बड़ी घटना थी। कि 11 ‪लोगों की लाश मिलना, दिल्ली जैसे शहर में। 161 00:11:04,205 --> 00:11:07,405 ‪क्यों हुआ है? कैसे हुआ है? ‪किसने किया होगा? 162 00:11:10,085 --> 00:11:13,605 ‪[मुकेश सेंगर] देखिए कहावत है कि ‪क्राइम रिपोर्टर में भावनाएँ नहीं होतीं, 163 00:11:14,365 --> 00:11:15,805 ‪जैसे पुलिसवाले होते हैं न, 164 00:11:15,885 --> 00:11:19,005 ‪वो रोज़ लाशें देखते हैं, ‪रोज़ दुर्घटनाएँ देखते हैं। 165 00:11:19,605 --> 00:11:21,325 ‪तो उनके अंदर भावनाएँ मर जाती हैं। 166 00:11:22,525 --> 00:11:24,645 ‪हम लोग भी थोड़ा सा इस तरह के हैं। 167 00:11:24,725 --> 00:11:27,525 {\an8}‪लेकिन उस दिन जो एहसास थे ‪वो यह सोचने पर मजबूर कर रहे थे… 168 00:11:27,605 --> 00:11:28,925 {\an8}‪मुकेश सेंगर - वरिष्ठ विशेष संवाददाता 169 00:11:29,005 --> 00:11:30,725 {\an8}‪…कि आखिर एक परिवार कैसे खत्म हो गया? 170 00:11:30,805 --> 00:11:33,245 ‪क्योंकि मैंने ज़िंदगी में ‪ऐसा कोई मामला नहीं देखा था 171 00:11:33,325 --> 00:11:35,205 ‪जबसे मैं अपराध कवर कर रहा हूँ। 172 00:11:35,845 --> 00:11:39,445 ‪तो मैंने सोचा कि ये खबर ‪शायद झूठी भी हो सकती है। 173 00:11:41,165 --> 00:11:44,485 ‪[विशाल] मैं इधर-उधर बड़ी तेज़ी से ‪ये पता करने के लिए जुटा हुआ था, 174 00:11:44,565 --> 00:11:48,045 ‪कोई कॉल उठाने को तैयार नहीं तब तक ‪क्योंकि इतनी बड़ी घटना थी। 175 00:11:49,285 --> 00:11:53,125 ‪इतने में मेरे स्थानीय पुलिस में ‪किसी से पता चल गया 176 00:11:53,205 --> 00:11:54,325 ‪कि, हाँ, ऐसा हुआ है। 177 00:11:55,525 --> 00:11:58,085 ‪बुराड़ी मामले को सबसे पहले ‪मैंने ही जग-जाहिर किया। 178 00:11:58,165 --> 00:11:59,005 ‪सबकी आँखों पर बंधी है पट्टी। 179 00:11:59,085 --> 00:11:59,925 ‪सामूहिक हत्या या आत्महत्या? 180 00:12:00,005 --> 00:12:04,085 ‪जो मैंने जिसको… ‪इस केस को मैंने दुनिया के सामने रखा। 181 00:12:04,165 --> 00:12:05,805 ‪खौफ़नाक खबर : ‪बुराड़ी में 11 लोगों के लटके हुए शव 182 00:12:05,885 --> 00:12:09,285 ‪मेरे ट्वीट फिर से ट्वीट होने लगे। ‪ये खबर तेज़ी से फैल गई। 183 00:12:11,605 --> 00:12:14,005 ‪सभी लोग उधर ही जा रहे थे कवर करने। 184 00:12:14,085 --> 00:12:17,285 ‪बुराड़ी में एक घर के अंदर से ‪11 शव जाल से लटके हुए मिले, 185 00:12:17,365 --> 00:12:19,325 ‪जिनमें सात महिलाएँ और चार पुरुष… 186 00:12:22,205 --> 00:12:26,445 ‪[मनोज] साढ़े आठ बजे तक, तो मेरे ख़्याल में ‪जो भी बड़ा चैनल है न, वहाँ पहुँच गया था। 187 00:12:26,525 --> 00:12:29,485 {\an8}‪इससे पहले दिल्ली पुलिस को कभी भी एक घर में 188 00:12:29,565 --> 00:12:32,325 {\an8}‪11 शव मिलने की कॉल कभी नहीं मिली थी। 189 00:12:33,525 --> 00:12:35,005 ‪[विशाल] मुकाबला तो है। 190 00:12:35,085 --> 00:12:39,165 ‪सभी चाहते हैं कि… और हम पर भी ‪दबाव रहता है कि हम पहले खबर सामने लाएँ। 191 00:12:41,125 --> 00:12:43,965 ‪हम तो भीड़ में ही… ‪क्योंकि पुलिस ने रास्ता बंद कर दिया था, 192 00:12:44,045 --> 00:12:50,325 ‪तो भीड़ में ही जो चर्चाएँ चल रही थीं, उन ‪चर्चाओं के आधार पे हम अनुमान निकाल रहे थे। 193 00:12:50,925 --> 00:12:53,325 ‪मेरे पीछे आपको ‪वरिष्ठ पुलिस अधिकारी दिखाई देंगे 194 00:12:53,405 --> 00:12:55,085 ‪जो अब भी मौके पर मौजूद हैं। 195 00:12:55,165 --> 00:12:59,605 ‪देखिए इस वक्त हम ऊपर मौजूद हैं ‪और यहाँ से मैं आपको दृश्य दिखाना चाहूँगा। 196 00:13:00,685 --> 00:13:02,445 ‪तभी हमें एक वीडियो आया 197 00:13:02,525 --> 00:13:05,605 ‪और वो वीडियो उसी घटना स्थल का ‪उसी वक्त का था। 198 00:13:06,925 --> 00:13:10,165 ‪जितनी पुलिस वहाँ पहुँची है… ‪मेरे खयाल से 7:35 पे है, तो 7:40 पे 199 00:13:10,245 --> 00:13:12,285 ‪वो हो गया अपलोड, या उससे पहले ही हो गया। 200 00:13:12,365 --> 00:13:15,045 ‪वो जनता में से ‪किसी ने बनाकर वायरल कर दिया। 201 00:13:15,605 --> 00:13:18,765 ‪[विशाल] मेरे व्हाट्सएप ग्रुप पर ‪मेसेज आया। एक वीडियो आया। 202 00:13:20,165 --> 00:13:23,605 ‪तो मेरे भी रोंगटे खड़े हो गए। 203 00:13:23,685 --> 00:13:25,285 ‪वो वीडियो ऐसा था। 204 00:13:33,125 --> 00:13:38,165 ‪तो ये एक वीडियो था करीब दो मिनट, ‪दो तो नहीं करीब डेढ़ मिनट के आस-पास का। 205 00:13:41,805 --> 00:13:44,045 ‪[मनोज] उसमें कोई पुलिसवाला नहीं है। 206 00:13:44,125 --> 00:13:46,165 ‪वो जनता में से ‪किसी ने बनाकर वायरल कर दिया। 207 00:13:46,245 --> 00:13:47,085 ‪[अस्पष्ट बातचीत] 208 00:13:47,165 --> 00:13:50,245 ‪[मनोज] लेकिन वो निर्देश ‪दे दिए गए थे कि कोई भी 209 00:13:51,085 --> 00:13:52,605 ‪इसे टीवी पर नहीं दिखाएगा 210 00:13:52,685 --> 00:13:55,165 ‪क्योंकि यह सारा जो है खौफ़नाक है, ‪दूसरी तरह का है। 211 00:13:56,365 --> 00:13:59,085 ‪उस वीडियो को देखकर ‪हम लोग भी अंदर से हिल गए थे। 212 00:13:59,645 --> 00:14:02,725 ‪यकीन नहीं हो रहा था कि यह कैसे हो सकता है। ‪अंदर से मन खराब हो गया। 213 00:14:03,285 --> 00:14:06,085 ‪[प्रमोद शर्मा] ‪पक्का करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। 214 00:14:06,165 --> 00:14:08,005 ‪इतना पता था कि खबर ये गलत नहीं है। 215 00:14:08,085 --> 00:14:10,005 {\an8}‪एक खौफ़नाक घटना में, 216 00:14:10,085 --> 00:14:12,845 {\an8}‪एक ही परिवार के 11 लोगों की लाशें, 217 00:14:12,925 --> 00:14:14,285 {\an8}‪जिनमें सात औरतें और चार पुरुष हैं, 218 00:14:14,365 --> 00:14:16,885 {\an8}‪उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी इलाके के ‪एक घर में मिली हैं… 219 00:14:16,965 --> 00:14:18,725 {\an8}‪एक ही परिवार के 11 लोगों की लाशें मिलीं… 220 00:14:18,805 --> 00:14:21,965 ‪एक बड़ी खबर जो कि दिल्ली के ‪बुराड़ी इलाके से आ रही है… 221 00:14:22,045 --> 00:14:23,765 {\an8}‪11 लोगों के शव मिलने से… 222 00:14:23,845 --> 00:14:25,765 {\an8}‪…दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में फ़ोन किया… 223 00:14:25,845 --> 00:14:27,125 {\an8}‪[समाचार-वाचिका] 11 लोगों की मौत… 224 00:14:27,205 --> 00:14:28,325 ‪कुछ चंद ख़ास… 225 00:14:28,405 --> 00:14:31,765 ‪[प्रमोद] फ़ोटो और वीडियो जो है, ‪फ़ोटो आ गई थीं हमारे पास, 226 00:14:31,845 --> 00:14:34,965 ‪और वो फ़ोटो जब चलीं, ‪तो उसके बाद खबर की गंभीरता बहुत बढ़ गई। 227 00:14:35,045 --> 00:14:36,125 ‪प्रमोद शर्मा - विशेष संवाददाता 228 00:14:38,285 --> 00:14:41,925 ‪और वीडियो देखकर ऐसा लग रहा था ‪कि किसी ने इनकी हत्या की है। 229 00:14:42,005 --> 00:14:45,005 ‪तो कोई… ‪11 में से 11 लोग, ये कैसे बाँध सकते हैं? 230 00:14:45,605 --> 00:14:49,205 ‪लोग थे, उनको भी यकीन नहीं हो रहा था। ‪वहाँ लगातार भीड़ बढ़ती जा रही थी। 231 00:14:49,285 --> 00:14:51,805 ‪काफ़ी ज़िम्मेदारी होती है ‪इस तरह के मामलों में। 232 00:14:51,885 --> 00:14:55,085 ‪जब आप ख़बर बताते हैं, ‪एक-एक चीज़ को ध्यान में रखना होता है। 233 00:14:55,165 --> 00:14:59,845 ‪क्योंकि आपकी ज़रा सी गलती ‪वहाँ पर कोहराम मचा सकती है। 234 00:15:01,125 --> 00:15:04,485 ‪[मनोज] और इसमें होता है, आपने देखा है, ‪छोटी बातों पर गाड़ियाँ जला दीं, 235 00:15:04,565 --> 00:15:06,165 ‪ये कर दिया, वो कर दिया। 236 00:15:06,245 --> 00:15:08,605 ‪एक आदमी ने कोई बकवास शुरू की ‪और सारा हो जाता है। 237 00:15:08,685 --> 00:15:11,245 ‪लोगों को समझाना भी है, दंगे भी न हो जाएँ। 238 00:15:11,325 --> 00:15:14,245 ‪हर आदमी जानकारी लेना चाहता है, ‪जो शरारती तत्व है। 239 00:15:14,885 --> 00:15:20,645 ‪थोड़ी ही देर में, पुलिस जो है, ‪इस मामले में अपना पूरा बयान रखेगी। 240 00:15:22,485 --> 00:15:28,365 ‪[मनोज] संयुक्त आयुक्त, विशेष आयुक्त, ‪वो भी एक घंटे के अंदर सब वहाँ पहुँच गए। 241 00:15:28,445 --> 00:15:30,405 {\an8}‪अभी किसी संभावना को हम नकार नहीं रहे। 242 00:15:30,485 --> 00:15:31,885 {\an8}‪राजेश खुराना ‪संयुक्त पुलिस आयुक्त, दिल्ली 243 00:15:31,965 --> 00:15:34,445 {\an8}‪हम हर संभावना की ‪तहकीकात कर रहे हैं। शुक्रिया। 244 00:15:34,525 --> 00:15:36,045 ‪[रिपोर्टर शोर मचा रहे हैं] 245 00:15:41,165 --> 00:15:42,805 ‪[महिला रिपोर्टर] इस वक्त 246 00:15:42,885 --> 00:15:44,645 ‪सारे सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं 247 00:15:44,725 --> 00:15:46,565 ‪और फ़ॉरेंसिक टीम भी ‪सुराग इकट्ठा करने के लिए 248 00:15:46,645 --> 00:15:48,085 ‪यहाँ आ गई है। 249 00:15:48,165 --> 00:15:51,845 ‪[मनोज] साढ़े नौ बजे तक, ‪एफ़एसएल पहुँच चुकी थी। पूरी टीम आ गई थी। 250 00:15:52,645 --> 00:15:54,965 ‪जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान। 251 00:15:55,045 --> 00:15:58,045 ‪एफ़एसएल फ़ोटोग्राफ़ी। ‪हमने सबको वहाँ बुलाया था। 252 00:15:58,125 --> 00:16:00,445 ‪जो भी ज़्यादा से ज़्यादा ‪हमारे विशेषज्ञ हो सकते हैं। 253 00:16:02,405 --> 00:16:04,965 ‪और फिर वही वो घूमके कि, "यह क्या है? 254 00:16:05,725 --> 00:16:06,605 ‪यह क्या है?" 255 00:16:14,965 --> 00:16:16,365 ‪[कुत्ता भौंक रहा है] 256 00:16:20,445 --> 00:16:23,045 ‪[सर्वेश सिंह] जब हम लोग ‪नीचे से पहली मंज़िल पर गए, 257 00:16:23,645 --> 00:16:24,845 ‪वहीं लाशें थीं। 258 00:16:24,925 --> 00:16:26,925 ‪[अस्पष्ट बातचीत] 259 00:16:35,045 --> 00:16:35,965 {\an8}‪सर्वेश सिंह - फ़ोटोग्राफ़ी विभाग 260 00:16:36,045 --> 00:16:38,005 {\an8}‪पहली प्रतिक्रिया हमारी यही थी, "हे भगवान!" 261 00:16:40,245 --> 00:16:41,485 ‪हमें नहीं यकीन हुआ। 262 00:16:42,045 --> 00:16:44,085 {\an8}‪वह बहुत चौंकाने वाला और बेरहम मंज़र था। 263 00:16:44,165 --> 00:16:45,165 {\an8}‪वीएल नरसिम्हन - भौतिक विज्ञान विभाग 264 00:16:45,245 --> 00:16:48,125 {\an8}‪क्योंकि वहाँ बड़े भी थे और बच्चे भी। 265 00:16:48,205 --> 00:16:53,445 ‪तो ये वहाँ पे सोचना बड़ा ही अजीब था 266 00:16:53,525 --> 00:16:55,885 ‪कि कैसे तीन पीढ़ियाँ ‪एक साथ खुदकुशी कर सकती हैं। 267 00:17:00,565 --> 00:17:06,405 ‪और हमने वहीं से अपनी फ़ोटो की टीम के साथ ‪पूरा डॉक्यूमेंट करना शुरू कर दिया था, 268 00:17:06,485 --> 00:17:07,925 ‪हरेक चीज़। 269 00:17:10,165 --> 00:17:14,045 ‪और हम लोग नहीं सोच रहे थे, ‪छोड़ रहे थे कि यहाँ कुछ भी हम छोड़ दें। 270 00:17:16,445 --> 00:17:18,604 ‪[ब्रजेश कुमार] लाशों पर हमने निशान लगाए। 271 00:17:18,685 --> 00:17:20,885 ‪एक, दो, तीन, चार नंबर दिए। 272 00:17:22,525 --> 00:17:25,885 {\an8}‪लाशों पर निशान लगाना सबसे मुश्किल काम था। 273 00:17:26,604 --> 00:17:28,084 ‪लाशें ऐसे हिल रही थीं। 274 00:17:28,165 --> 00:17:29,005 ‪ब्रजेश कुमार - जीव विज्ञान विभाग 275 00:17:29,084 --> 00:17:31,645 ‪हम लोग बीच-बीच में जाकर निशान लगाए। 276 00:17:36,405 --> 00:17:39,645 ‪क्योंकि ये कोई आम अपराध स्थल नहीं है। 277 00:17:42,845 --> 00:17:44,245 ‪कुछ है। 278 00:17:45,205 --> 00:17:48,805 ‪[मनोज] जो नौ लटके हुए हैं ‪वो आत्महत्या के मामले दिख रहे हैं, फिर भी, 279 00:17:48,885 --> 00:17:51,485 ‪दो-दो गाँठें क्यों बाँध रखी हैं? ‪आँखें बंद, ये बंद। 280 00:17:51,565 --> 00:17:52,525 ‪यह एक राज़ था। 281 00:17:52,605 --> 00:17:56,485 ‪और दोहरा-दोहरा, ‪चुन्नी के अलावा तार भी लपेट रखा है। 282 00:17:57,045 --> 00:17:59,005 ‪किसी के हाथ बँधे हैं, ‪किसी के नहीं बँधे हैं। 283 00:18:00,365 --> 00:18:03,325 ‪वो जो औरत, जो लड़की वहाँ पर टँगी हुई है, 284 00:18:03,405 --> 00:18:05,125 ‪उसके पैर नीचे लटके हुए हैं। 285 00:18:05,205 --> 00:18:09,045 ‪माँ जो वहाँ है, 80 साल की, ‪वह क्यों आत्महत्या कर रही है? 286 00:18:09,125 --> 00:18:10,325 ‪वह ऐसे क्यों लेटी हुई है? 287 00:18:14,285 --> 00:18:17,085 ‪फिर से वही सवाल। ‪यह आत्महत्या है या हत्या है? 288 00:18:20,925 --> 00:18:23,885 ‪लेकिन वजह जानना बाकी था। ‪कि, यार, किया क्यों है यह? 289 00:18:27,885 --> 00:18:30,005 ‪खुदकुशी को लेकर कोई चिट्ठी नहीं छोड़ी थी। 290 00:18:33,085 --> 00:18:37,045 ‪तो ये सारी चीज़ों के कारण लगा ‪कि हम कोई चीज़ नहीं छोड़ सकते। 291 00:18:37,125 --> 00:18:40,525 ‪और उसके आधार पर ‪उसे आत्महत्या मान लें, नहीं। 292 00:18:41,165 --> 00:18:43,925 ‪हमें हर तरह का सुराग चाहिए था, ‪जो भी वहाँ मिल सकता था। 293 00:18:51,285 --> 00:18:53,285 ‪[भीड़ शोर मचा रही है] 294 00:18:54,925 --> 00:18:56,925 ‪[लोग अस्पष्ट बातचीत कर रहे हैं] 295 00:18:59,045 --> 00:19:02,685 ‪तो फटाफट करके ये देखिए, ‪जो सामने की तरफ़ एक कैमरा लगा था, 296 00:19:03,525 --> 00:19:06,005 ‪एक टीम तैनात करके वो देखिए, 297 00:19:06,085 --> 00:19:07,725 ‪बिल्कुल शुरू से। 298 00:19:08,605 --> 00:19:10,685 ‪कल शाम से ही जबसे हलचल दिख रही है, 299 00:19:10,765 --> 00:19:13,845 ‪वहाँ से लेकर और अब तक जो सात-आठ बजे हैं, 300 00:19:13,925 --> 00:19:17,445 ‪वो चलाते-चलाते पूरा देखिए। कुछ मत छोड़िए। 301 00:19:17,525 --> 00:19:20,125 ‪पक्का पता होना चाहिए ‪कि बाहर से तो कोई नहीं आया। 302 00:19:20,205 --> 00:19:23,085 ‪कोई आदमी आ तो नहीं गया अंदर। ‪ये कैसे हुआ है, क्या चीज़ है? 303 00:19:24,925 --> 00:19:28,445 ‪[समाचार-वाचिका] यह सामूहिक हत्या का ‪मामला है या सामूहिक आत्महत्या का? 304 00:19:28,525 --> 00:19:30,725 ‪यही वह सवाल है जिसने न सिर्फ़ 305 00:19:30,805 --> 00:19:33,685 ‪बुराड़ी की इन गलियों के लोगों को, 306 00:19:33,765 --> 00:19:35,285 ‪बल्कि शायद पूरे देश को जकड़ रखा है। 307 00:19:35,885 --> 00:19:36,965 ‪[ख़ुशबू रानी] ये रहा घर। 308 00:19:37,045 --> 00:19:39,925 ‪ये बगल में, हम लोग यहीं से ‪बात-वात भी करते रहते थे। 309 00:19:40,445 --> 00:19:43,885 ‪सब लोग रहते थे। पड़ोसी रहते थे, ‪बात भी होती रहती थी यहाँ से आमने-सामने। 310 00:19:43,965 --> 00:19:44,925 ‪ख़ुशबू रानी - पड़ोसी 311 00:19:45,005 --> 00:19:46,445 ‪फिर भी कभी दिक्कत नहीं हुई। 312 00:19:52,525 --> 00:19:55,925 ‪अच्छे लोग थे, 11 लोग थे। ‪एक परिवार के थे सब लोग। 313 00:19:56,005 --> 00:19:57,565 ‪बहुत अच्छे से रहते थे। 314 00:19:59,165 --> 00:20:02,605 ‪हमारे पास एक बेटा भी है, ‪वो भी जब जाता था दुकान पे, 315 00:20:02,685 --> 00:20:05,245 ‪उससे बहुत, मतलब लगाव था इतना ज़्यादा 316 00:20:06,005 --> 00:20:09,725 ‪कि हमेशा बुआ-बुआ करता रहता था। ‪छत से भी बोलता रहता था। 317 00:20:10,685 --> 00:20:13,565 ‪हमारा लड़का छोटा सा है, ‪वो भी बहुत याद करता है। 318 00:20:16,405 --> 00:20:18,925 ‪[गुरचरण, पंजाबी में] पड़ोसी के नाते ‪बहुत प्यार होता है सबके बीच। 319 00:20:21,805 --> 00:20:24,005 ‪[हिंदी में] टोहाना में इन… ‪वहाँ से आए थे ये। 320 00:20:24,085 --> 00:20:25,365 ‪वहाँ खेती-बाड़ी करते थे। 321 00:20:27,805 --> 00:20:30,805 ‪पहले एक दुकान थी, फिर दो दुकानें बन गईं। 322 00:20:30,885 --> 00:20:32,005 ‪इन्होंने जनरल स्टोर खोल लिया। 323 00:20:34,525 --> 00:20:36,725 ‪उसका लकड़ी का काम था, छोटे वाले का। 324 00:20:36,805 --> 00:20:38,365 ‪परिवार का अच्छा काम था। 325 00:20:38,445 --> 00:20:39,765 ‪[बकरी मिमिया रही है] 326 00:20:39,845 --> 00:20:41,245 ‪[कुत्ता भौंक रहा है] 327 00:20:43,245 --> 00:20:47,285 ‪[दीपक भोला] मैं पहले प्लायवुड की दुकान में ‪काम करता था ललित जी के यहाँ आठ साल से। 328 00:20:47,365 --> 00:20:50,885 ‪जैसे होता है कहीं लड़ाई-झगड़ा, तू-तू, ‪मैं-मैं चलती रहती है, ऐसा कुछ नहीं देखा। 329 00:20:50,965 --> 00:20:51,805 ‪दीपक भोला - परिवार का कर्मचारी, 2011-2018 330 00:20:51,885 --> 00:20:55,685 ‪न बाहर, न घर में, कभी कोई ‪ऊँची आवाज़ से बात ही नहीं करते। 331 00:20:56,365 --> 00:21:00,725 ‪सब पूजा-पाठ वाले बंदे थे ‪और दोनों वक्त, सुबह-शाम मंदिर जाते थे। 332 00:21:02,285 --> 00:21:04,045 ‪उनका व्यवहार अच्छा था। 333 00:21:04,125 --> 00:21:08,445 ‪कभी खाने के लिए खाना मैं नहीं लेके आता हूँ ‪तो भाभी हमारे को खाना खिलाती थी घर से। 334 00:21:08,525 --> 00:21:10,125 ‪मेरे को दीपा भैया बोलती थी। 335 00:21:15,565 --> 00:21:18,765 {\an8}‪मगर जब हम यहाँ रहने आए, ‪फिर तो एक घर जैसा माहौल था। 336 00:21:18,845 --> 00:21:21,765 {\an8}‪कि हर खुशी में, हर दुख में साथी हैं। 337 00:21:22,405 --> 00:21:24,405 ‪हर समारोह में साथ ही जाना है। 338 00:21:25,405 --> 00:21:28,805 ‪तो हमारे अपने परिवार जो सगे हैं, ‪वो तो गाँवों में रह गए। 339 00:21:28,885 --> 00:21:33,645 ‪यहाँ आके तो मोहल्ले का ही ‪एक परिवार की तरह वो होता है। 340 00:21:33,725 --> 00:21:34,925 ‪[लड़का 1 हँस रहा है] 341 00:21:35,005 --> 00:21:36,165 ‪[लड़का 2 चिल्ला रहा है] 342 00:21:37,765 --> 00:21:41,565 ‪मेरा बड़ा लड़का उससे… ‪उनके लड़कों से एक-दो साल बड़ा था। 343 00:21:41,645 --> 00:21:44,365 ‪मगर एक हमउम्र से होके दोस्ती थी। 344 00:21:44,445 --> 00:21:47,405 ‪रात तक, 11-11 बजे तक गली में खेल रहे हैं। 345 00:21:48,005 --> 00:21:49,245 ‪घूम रहे हैं, दौड़ रहे हैं। 346 00:21:49,325 --> 00:21:52,085 ‪वो आते ही, "चाचा जी, नमस्ते," पैर छूना। 347 00:21:52,165 --> 00:21:57,165 ‪तो हमें ये लगता था, यार, हमारे बच्चों के ‪अंदर भी ऐसे गुण आएँ तो अच्छा लगे। 348 00:21:58,125 --> 00:21:59,765 {\an8}‪प्रियंका, 33 349 00:21:59,845 --> 00:22:02,045 {\an8}‪नीतू, 25 - मेनका, 22 350 00:22:02,125 --> 00:22:06,805 {\an8}‪बच्चे तो तीनों जो मैंने… हमारे स्कूल में ‪पढ़े, बच्चे तीनों अक्लमंद बच्चे थे। 351 00:22:06,885 --> 00:22:08,085 ‪विनोद मुद्गल - ट्यूशन टीचर 352 00:22:08,165 --> 00:22:11,525 ‪और नीतू, क्योंकि मैंने ‪उसको खुद कोचिंग दी थी तो… 353 00:22:12,485 --> 00:22:15,445 ‪मतलब, उसको जो कहना था, वो अपने कहती थी। 354 00:22:16,085 --> 00:22:18,685 ‪वो भी उसी तरह से तेज़-तर्रार, ‪पढ़ने में तेज़। 355 00:22:18,765 --> 00:22:24,565 ‪तो शख्सियत तो ये थी, वो एकदम बहादुर बच्चे। ‪और तेज़ दिमाग भी हैं साथ की साथ। 356 00:22:24,645 --> 00:22:28,605 ‪तो इस तरह की शख्सियत थी। ‪किसी से डरने-वरने वाले नहीं थे वो बच्चे। 357 00:22:30,925 --> 00:22:35,485 ‪[प्रितपाल] हम लोग जबसे आए हैं यहाँ पे, ‪भाटिया के नाम से ही इनको बोला जाता है। 358 00:22:35,565 --> 00:22:37,325 ‪नारायणी देवी… वो भाटिया थीं असल में। 359 00:22:37,405 --> 00:22:41,165 {\an8}‪[प्रितपाल] नारायणी देवी आंटी जो थीं, ‪वो बात सबसे अच्छे से करती थीं। 360 00:22:41,245 --> 00:22:43,685 ‪कभी भी घर जाओ, ‪तो बड़े प्यार से बिठाती थीं। 361 00:22:45,685 --> 00:22:49,405 {\an8}‪सविता, टीना, दोनों बहुत अच्छी थीं। 362 00:22:49,485 --> 00:22:53,725 {\an8}‪मतलब, आपकी पूरी मदद करने के लिए खड़े… ‪पूरा परिवार ही ऐसा था। 363 00:22:53,805 --> 00:22:55,525 ‪हर वक्त आपके लिए खड़े रहे। 364 00:22:55,605 --> 00:22:58,325 ‪जब बच्चे छोटे थे, हम कभी गए हैं, ‪तो बच्चे उनके यहाँ रहे हैं हमारे। 365 00:22:58,405 --> 00:22:59,365 ‪अमरीक सिंह - पड़ोसी 366 00:23:00,525 --> 00:23:04,885 ‪मेरे को तो, इसने जब फ़ोन किया, ‪मैं तो चाँदनी चौक था। गुरुद्वारे में था। 367 00:23:04,965 --> 00:23:06,405 ‪इसने कॉल किया कि, "फटाफट आ जाओ। 368 00:23:06,485 --> 00:23:08,725 ‪कि भूपी के घर में तो सब कुछ खत्म हो गया।" 369 00:23:09,925 --> 00:23:11,605 ‪मेरे को एक बार यह लगा कि 370 00:23:12,405 --> 00:23:15,525 ‪चोरी-वोरी हुई होगी। ‪प्रियंका की शादी थी तो शायद कुछ हुआ होगा। 371 00:23:18,765 --> 00:23:22,165 ‪[मुकेश] आखिर तीन पीढ़ियाँ ‪एक साथ आत्महत्या कैसे कर सकती हैं? 372 00:23:23,965 --> 00:23:27,005 ‪और 11 लोगों की हत्या होना, ‪यह अपने-आप में बहुत बड़ी बात थी। 373 00:23:27,725 --> 00:23:30,685 ‪तो चूँकि पूरा परिवार खत्म हो गया था, ‪11 लोग थे, 374 00:23:31,925 --> 00:23:33,605 ‪11 के 11 लोग मारे गए थे, 375 00:23:33,685 --> 00:23:35,365 ‪कोई चश्मदीद गवाह नहीं था, 376 00:23:36,005 --> 00:23:38,045 ‪कोई बताने वाला था नहीं ‪कि घर में हुआ क्या है। 377 00:23:41,005 --> 00:23:43,845 ‪एक सदस्य घर का बचा हुआ था, ‪भले ही वो जानवर हो। 378 00:23:43,925 --> 00:23:46,285 ‪[कुत्ता भौंक रहा है] 379 00:23:47,285 --> 00:23:49,765 ‪[कुत्ते भौंक रहे हैं] 380 00:23:52,005 --> 00:23:54,965 ‪[संजय मोहपात्रा] ‪देखा कि यहाँ पर बहुत बड़ी खबर आ रही है 381 00:23:55,045 --> 00:23:58,805 ‪कि, भई, 11 लोग घर के अंदर, ‪पूरा परिवार ही मर गया रात को फाँसी लगाकर। 382 00:23:59,605 --> 00:24:01,925 ‪तुरंत दिमाग में आया, ‪यार, बार-बार कुत्ते को दिखाया जा रहा है 383 00:24:02,005 --> 00:24:03,445 ‪कि कुत्ते का कोई खयाल नहीं रख रहा है। 384 00:24:03,525 --> 00:24:04,445 ‪संजय मोहपात्रा - पशु संरक्षक 385 00:24:04,525 --> 00:24:06,605 ‪बाकी सारी चीज़ें सब एंकर बोलते हैं। 386 00:24:06,685 --> 00:24:09,005 ‪चैनल बदला, सारे चैनल में आ रहा था। 387 00:24:09,085 --> 00:24:12,685 ‪तो मतलब जो, तब लगा कि मुझे इसे बचाना होगा। 388 00:24:12,765 --> 00:24:16,525 ‪लेकिन वो बड़ा तंग में है, तकलीफ़ में है ‪और धूप है ऊपर, छत में बँधा हुआ है। 389 00:24:19,525 --> 00:24:21,125 ‪[भौंक रहा है] 390 00:24:22,645 --> 00:24:28,445 ‪और कहाँ हो रहा है? उसी खंभे से बँधा हुआ है ‪जिससे उसका सारा परिवार वो हो रहा है। 391 00:24:28,525 --> 00:24:32,205 ‪तो वो बहुत दिन से सारी चीज़ें देख रहा है ‪लेकिन वो चीज़ें रोक नहीं पा रहा है। 392 00:24:33,765 --> 00:24:34,925 ‪क्योंकि वह बेज़ुबान है। 393 00:24:39,885 --> 00:24:42,165 ‪पहुँचने के बाद फिर पुलिस हमें ऊपर लेके गए। 394 00:24:42,245 --> 00:24:43,805 ‪टॉमी बहुत आक्रामक था। 395 00:24:43,885 --> 00:24:45,725 ‪हमें बिल्कुल पकड़ में नहीं आया। 396 00:24:45,805 --> 00:24:47,605 ‪फिर हमें कुत्ता पकड़ने वाला लाना पड़ा। 397 00:24:56,805 --> 00:24:59,205 ‪टॉमी उस परिवार का 12वाँ सदस्य था। 398 00:24:59,285 --> 00:25:03,605 ‪अगर टॉमी को ऊपर बाँधा नहीं जाता, 399 00:25:03,685 --> 00:25:06,165 ‪तो हो सकता है वह परिवार आज ज़िंदा होता। 400 00:25:11,045 --> 00:25:11,885 ‪[पुरुष रिपोर्टर] इधर से आइए। 401 00:25:12,405 --> 00:25:13,605 ‪मैं आपको दिखाना चाहूँगा। 402 00:25:13,685 --> 00:25:15,805 ‪आप देख सकते हैं, ‪परिवार के लोग यहाँ मौजूद हैं। 403 00:25:17,805 --> 00:25:19,925 ‪-आप देख सकते हैं… ‪-[आदमी] थोड़ा सा हटो। हटो। 404 00:25:20,005 --> 00:25:21,125 ‪[पुरुष रिपोर्टर] ये देखिए… 405 00:25:21,205 --> 00:25:23,725 ‪हाय, ये क्या तमाशा कर रखा है? 406 00:25:23,805 --> 00:25:25,925 ‪[ऑफ़िसर 1] जाने दो, यार। 407 00:25:26,005 --> 00:25:28,445 ‪[पुरुष रिपोर्टर 1] परिवार के लोग हैं। ‪बेहद भावुक हैं ये। 408 00:25:31,485 --> 00:25:33,285 ‪[सुजाता नागपाल] सब एक साथ चले गए! 409 00:25:36,165 --> 00:25:37,845 ‪-प्लीज़ तमाशा न करो! ‪-[पुरुष रिपोर्टर 2] कोई शक है? 410 00:25:37,925 --> 00:25:41,085 ‪देवता जैसे थे। किसे का कोई… 411 00:25:41,165 --> 00:25:42,005 ‪[ऑफ़िसर 2] यहीं रहिए। 412 00:25:42,085 --> 00:25:43,645 ‪[सुजाता] देवता जैसे थे! 413 00:25:57,845 --> 00:26:02,445 ‪[मनोज] परिवार में सबसे पहले ‪वो पानीपत वाली बहन आई थी। सुजाता। 414 00:26:03,925 --> 00:26:06,885 ‪पहले हमें ये देखना था ‪कि बेहोश न हो जाए, कुछ और न हो जाए। 415 00:26:06,965 --> 00:26:10,205 ‪पहले उसको बताया। ‪सांत्वना दी, सारी चीज़ें कीं। 416 00:26:10,285 --> 00:26:14,765 ‪"कि, बहन जी, ज़िंदगी का कुछ नहीं है, ‪वह ऊपर वाले के हाथ में ही है, जो भी है। 417 00:26:14,845 --> 00:26:16,685 ‪कुछ बुरा हुआ है। 418 00:26:17,205 --> 00:26:21,005 ‪इसको न मैं बदल सकता हूँ, ‪न आप बदल सकते हैं। जो हो गया, वो हो गया। 419 00:26:21,085 --> 00:26:23,685 {\an8}‪[पुरुष रिपोर्टर] बता रहे हैं ‪कि परिवार बहुत सीधा और धार्मिक था। 420 00:26:23,765 --> 00:26:26,085 {\an8}‪[रोते हुए] बहुत धार्मिक थे। ‪पड़ोसी बता देंगे आपको। 421 00:26:26,165 --> 00:26:27,045 {\an8}‪सुजाता नागपाल - बहन 422 00:26:27,125 --> 00:26:30,605 {\an8}‪वो ऐसे थे ही नहीं। भगत बंदे थे इतने। 423 00:26:30,685 --> 00:26:33,525 ‪[पुरुष रिपोर्टर] ये पूरा परिवार जो है, ‪वो गमगीन है। 424 00:26:33,605 --> 00:26:36,125 ‪बात करने की स्थिति में नहीं है ‪ये पूरा परिवार। 425 00:26:36,205 --> 00:26:37,685 ‪[समाचार-वाचिका] हम बस ‪उम्मीद कर सकते हैं 426 00:26:37,765 --> 00:26:40,965 ‪कि इस मामले की गहरी छानबीन 427 00:26:41,045 --> 00:26:44,845 ‪इतना बड़ा दुख झेल रहे परिवार को ‪कुछ जवाब दे पाएगी। 428 00:26:44,925 --> 00:26:46,925 {\an8}‪[रेल का हॉर्न बज रहा है] 429 00:26:49,005 --> 00:26:53,845 ‪धार 430 00:26:58,005 --> 00:26:59,845 ‪[लक्ष्मण चौहान] बड़े भाई साहब का फ़ोन आया। 431 00:26:59,925 --> 00:27:02,605 ‪उन्होंने बताया कि दिल्ली में हादसा हो गया। 432 00:27:02,685 --> 00:27:03,925 ‪मैंने कहा, "क्या हादसा हो गया?" 433 00:27:04,005 --> 00:27:06,525 ‪कि पूरा परिवार चला गया। 434 00:27:06,605 --> 00:27:08,245 ‪मैंने कहा, "ये कैसे हो सकता है?" 435 00:27:08,325 --> 00:27:11,285 ‪जैसे ही मैने टीवी चालू किया, ‪दृश्य सामने दिखा। 436 00:27:11,365 --> 00:27:12,325 ‪लक्ष्मण चौहान - सविता के भाई 437 00:27:12,405 --> 00:27:13,925 ‪उसी वक्त मैं हतप्रभ हो गया। 438 00:27:14,005 --> 00:27:14,885 ‪लोकेंद्र चौहान - सविता के कज़िन 439 00:27:14,965 --> 00:27:16,405 ‪समझ नहीं आ रहा था उसका। 440 00:27:16,485 --> 00:27:22,765 ‪फिर बाद में पता चला कि, नहीं-नहीं यार, ‪ये फ़ोटो… जैसे ही घर का लोकेशन बताया, 441 00:27:22,845 --> 00:27:25,725 ‪तब एकदम पता चला ‪कि ये तो अपना ही परिवार है। 442 00:27:25,805 --> 00:27:28,445 ‪अपनी ही बहन और ये। 443 00:27:30,285 --> 00:27:31,845 ‪ऐसे पता चला। 444 00:27:31,925 --> 00:27:36,005 {\an8}‪सविता, 50 445 00:27:36,085 --> 00:27:39,885 {\an8}‪[लोकेंद्र चौहान] कि वो अपने-अपने कामों में ‪लगी रहती, लेकिन उनका स्वभाव ही 446 00:27:39,965 --> 00:27:46,925 ‪इस प्रकार का था, हमें कुछ… ‪हर चीज़ को परिवार से जोड़कर रखना। 447 00:27:47,005 --> 00:27:52,845 ‪तो उनका लगाव… ‪ऐसा लगने लगा था कि यह तो अलग ही प्राणी है। 448 00:27:53,525 --> 00:27:56,485 ‪और कभी मतलब, ‪उनकी कोई माँग नहीं रही जीवन में। 449 00:27:56,565 --> 00:27:57,725 ‪रविंद्र चौहान - सविता का भतीजा 450 00:27:59,045 --> 00:28:00,325 {\an8}‪[लोकेंद्र] हम यहाँ गए रावतभाटा 451 00:28:00,405 --> 00:28:03,085 {\an8}‪और रावतभाटा जाकर उनको देखकर हमने… 452 00:28:03,165 --> 00:28:05,805 ‪मतलब, रिश्ता तय करने के बाद ‪दो-तीन महीने में शादी हो गई। 453 00:28:07,085 --> 00:28:10,605 ‪[रविंद्र चौहान] बहुत साधारण, ‪सरल, सादा जीवन जी रहे थे वो। 454 00:28:10,685 --> 00:28:12,525 ‪कोई ऐसी दिक्कत वाली बात ही नहीं थी। 455 00:28:15,285 --> 00:28:17,645 ‪क्यों हुआ और कैसे? ‪मतलब, हाथ में तो कुछ नहीं है। 456 00:28:17,725 --> 00:28:18,645 ‪सरोज कुँवर - सविता की आंटी 457 00:28:19,205 --> 00:28:21,005 ‪जानकारी तो कुछ नहीं है अपन को तो। 458 00:28:21,765 --> 00:28:25,645 ‪शाम तक गए सब यहाँ से, रात में निकले। ‪हम औरतों को तो किसी को ले ही नहीं गए। 459 00:28:25,725 --> 00:28:26,605 ‪गायत्री कुँवर - सविता की भाभी 460 00:28:27,765 --> 00:28:29,525 ‪बहुत बड़ा दर्द है। 461 00:28:30,925 --> 00:28:33,485 ‪इतना बड़ा गड्ढा है हृदय के अंदर 462 00:28:35,005 --> 00:28:36,965 ‪कि शायद ही यह गड्ढा कभी भर पाएगा। 463 00:28:37,845 --> 00:28:41,365 ‪और इतनी अच्छी बहन इस परिवार ने खोई है, 464 00:28:42,485 --> 00:28:45,165 ‪इतनी अच्छी बेटी इस घर ने खोई है, 465 00:28:46,125 --> 00:28:48,845 ‪इतने अच्छे भांजे और दामाद ‪इस घर ने खोए हैं, 466 00:28:48,925 --> 00:28:50,565 ‪इस परिवार ने खोए हैं 467 00:28:50,645 --> 00:28:55,885 ‪कि शायद आने वाली सात पीढ़ी भी ‪उनकी कमी पूरी नहीं कर पाएगी। 468 00:29:13,165 --> 00:29:15,165 ‪[ट्रेन की खड़खड़ाहट] 469 00:29:16,445 --> 00:29:18,205 ‪नारायणगढ़ 470 00:29:18,285 --> 00:29:21,285 ‪[महेश राठौड़] मेरी उसी दिन हुई थी। 471 00:29:23,565 --> 00:29:27,285 ‪जिस दिन की घटना है, ‪उसी समय रात में भी उसका फ़ोन आया था। 472 00:29:27,885 --> 00:29:29,965 ‪ललित जी से भी बातचीत हुई थी। 473 00:29:30,045 --> 00:29:32,085 {\an8}‪दो-पाँच मिनट बात की। 474 00:29:32,165 --> 00:29:33,325 {\an8}‪महेश राठौड़ - टीना के भाई 475 00:29:33,405 --> 00:29:36,845 {\an8}‪"बढ़िया है सब। और क्या हाल-चाल है? ‪ये-वो, सब ठीक-ठाक, बढ़िया।" 476 00:29:37,485 --> 00:29:39,805 ‪और बोले, "फिर सुबह चर्चा करेंगे।" 477 00:29:41,245 --> 00:29:43,565 {\an8}‪टीना, 43 478 00:29:43,645 --> 00:29:48,165 {\an8}‪एक भाई को या उसके माता-पिता को ‪या उसके परिवार को, 479 00:29:48,805 --> 00:29:54,085 ‪जब शादी होती है तो उसको ये चिंता रहती है ‪कि भई वो वहाँ पर कैसी होगी? 480 00:29:54,165 --> 00:29:55,845 ‪क्या होगी? 481 00:29:55,925 --> 00:29:59,645 ‪लेकिन हमको, पूरे परिवार को 482 00:29:59,725 --> 00:30:03,125 ‪कभी भी उसकी चिंता नहीं हुई। 483 00:30:05,725 --> 00:30:09,485 ‪पति-पत्नी का तालमेल जो है, ‪बहुत कम ऐसा देखने को मिलता है। 484 00:30:10,405 --> 00:30:13,765 ‪दोनों एक-दूसरे की बहुत बात मानते थे। 485 00:30:14,645 --> 00:30:18,445 ‪उनका इतना गज़ब का तालमेल था, मतलब… 486 00:30:19,645 --> 00:30:23,845 ‪[सुभद्रा कुँवर] यह ललित जमाई साहब हैं, ‪ये टीना बाई सा हैं। 487 00:30:26,445 --> 00:30:28,085 ‪अलग-अलग पोज़ हैं उनकी। 488 00:30:31,085 --> 00:30:32,245 ‪"एक-दूसरे के लिए ही बने हैं।" 489 00:30:41,445 --> 00:30:44,965 ‪मम्मी की हालत देखी नहीं गई। 490 00:30:45,045 --> 00:30:49,165 {\an8}‪सुभद्रा कुँवर - टीना की भाभी 491 00:30:49,245 --> 00:30:53,285 {\an8}‪[धनराज कुँवर] अच्छा भी समझो, ‪बुरा भी समझो, दोनों बात है। 492 00:30:53,365 --> 00:30:54,485 ‪दिया राठौड़ - टीना की भतीजी 493 00:30:54,565 --> 00:30:59,205 ‪अब उसमें सच क्या है, झूठ है, क्या है, ‪ये तो पता ही नहीं। पता ही नहीं। 494 00:30:59,285 --> 00:31:00,485 ‪धनराज कुँवर - टीना की माँ 495 00:31:04,285 --> 00:31:06,205 ‪[समाचार-वाचक 1] राजधानी से बड़ी खबर… 496 00:31:06,285 --> 00:31:09,685 ‪[समाचार-वाचिका 1] बुराड़ी परिवार के ‪परिवारजनों का कहना है, 497 00:31:09,765 --> 00:31:11,485 ‪"कैसे कोई परिवार अपनी बेटी के लिए 498 00:31:11,565 --> 00:31:14,405 ‪इतने बड़े जश्न के बाद ‪आत्महत्या कर सकता है महज 14…" 499 00:31:14,485 --> 00:31:15,845 ‪[समाचार-वाचिका 2] यह ‪आत्महत्या का मामला है। 500 00:31:15,925 --> 00:31:18,325 ‪[पुरुष रिपोर्टर] उसे परिवार की ‪दूसरी बेटी सुजाता खारिज करती हैं 501 00:31:18,405 --> 00:31:20,605 ‪और हत्या की आशंका जताती हैं। 502 00:31:21,325 --> 00:31:24,205 {\an8}‪देखिए, जो अंदर इन्होंने बात कही है, ‪वो सब गलत थी। 503 00:31:24,285 --> 00:31:26,525 ‪सब झूठ है। ये कहानी बनाई हुई है। 504 00:31:27,045 --> 00:31:30,605 ‪ललित की बहन वगैरह, जो पानीपत रहती थीं, ‪वो भी वहाँ पर पहुँच गई थीं, 505 00:31:31,445 --> 00:31:34,165 ‪तो वहाँ का माहौल इतना… ‪बहुत ज़्यादा वो हो गया था। 506 00:31:34,245 --> 00:31:37,165 ‪कि आप लोग क्यों दिखा रहे हैं ‪कि मामला आत्महत्या का है। 507 00:31:37,245 --> 00:31:40,525 ‪-आपको क्या लगता है क्या हुआ है? ‪-क्या हुआ है? कोई कर गया है वो। 508 00:31:40,605 --> 00:31:43,485 ‪पुलिस सब किसलिए कर रही है? ‪ये मामला दबाने के लिए कर रही है। 509 00:31:43,565 --> 00:31:45,645 ‪अपने को बचाने के लिए कुछ तो वो कर रही है। 510 00:31:46,445 --> 00:31:49,885 {\an8}‪तो ये मानना किसी के लिए… ‪उनके रिश्तेदारों के लिए… 511 00:31:50,765 --> 00:31:52,805 ‪कोई मानने को तैयार नहीं था ‪कि ये आत्महत्या है। 512 00:31:53,965 --> 00:31:57,885 {\an8}‪इनका सबसे बड़ा बेटा जो था, दिनेश, ‪वो राजस्थान में था। 513 00:31:57,965 --> 00:31:59,125 {\an8}‪उन्होंने बताया। 514 00:31:59,205 --> 00:32:01,885 {\an8}‪क्योंकि इतना बहादुर परिवार था मेरा, ‪मैं इसको नहीं मानता। 515 00:32:01,965 --> 00:32:02,885 {\an8}‪दिनेश चुंडावत - भाई 516 00:32:02,965 --> 00:32:05,285 {\an8}‪मेरे बच्चे इतने बहादुर थे, ‪भाई मेरे इतने बहादुर थे। 517 00:32:05,365 --> 00:32:07,445 ‪कोई ऐसी हरकत करेंगे नहीं। 518 00:32:07,525 --> 00:32:08,765 ‪कोई कमज़ोर लोग नहीं थे। 519 00:32:08,845 --> 00:32:12,565 ‪उनको भी जानकारी नहीं थी ‪कि ये कहानी कुछ और है। 520 00:32:12,645 --> 00:32:15,285 ‪वो लोग भी नहीं बता पा रहे थे ‪कि आखिर क्या हुआ है। 521 00:32:15,365 --> 00:32:18,085 ‪वो कह रहे थे कि, "नहीं, हत्या है। ‪आप गलत रिपोर्ट कर रहे हो। 522 00:32:18,165 --> 00:32:21,965 ‪उसके बाद ये खबर पूरे देश में फैल गई ‪कि, "आप लोग गलत रिपोर्ट कर रहे हैं। 523 00:32:22,045 --> 00:32:24,525 ‪पुलिस से मिलकर रिपोर्ट कर रहे हैं। ‪जो पुलिस बता रही है।" 524 00:32:24,605 --> 00:32:25,685 ‪[भीड़ चिल्ला रही है] न्याय दो! 525 00:32:25,765 --> 00:32:27,205 ‪मृतक परिवार को न्याय दो! 526 00:32:27,285 --> 00:32:28,885 ‪मृतक परिवार को न्याय दो! 527 00:32:29,525 --> 00:32:31,165 ‪[आदमी 1] करणी सेना! ‪[आदमी 2] ज़िंदाबाद! 528 00:32:31,245 --> 00:32:34,445 ‪[विशाल] इस बीच-बीच में ‪नारेबाज़ी शुरू हो गई लोगों की। 529 00:32:34,525 --> 00:32:37,365 ‪उनका कहना था कि हत्या हुई है। 530 00:32:37,445 --> 00:32:43,925 ‪कुछ लोग जो इनके समुदाय से ‪ताल्लुक रखते हैं, उनका नाम मैं क्या लूँ, 531 00:32:44,005 --> 00:32:45,925 ‪उनकी भी एक सेना है अपनी। 532 00:32:46,005 --> 00:32:49,765 ‪उन लोगों का आना शुरू हो गया था, ‪यहाँ लोकल जो दिल्ली की यूनिट थी। 533 00:32:50,565 --> 00:32:51,845 {\an8}‪ये झूठ है। 534 00:32:51,925 --> 00:32:52,925 {\an8}‪विश्वबंधु राठौड़ 535 00:32:53,005 --> 00:32:56,445 {\an8}‪सीधा-सीधा पल्ला झाड़ने की, ‪ज़िम्मेदारी से विमुख होने की साज़िश है। 536 00:32:56,525 --> 00:32:58,965 ‪पुलिस, मैंने सुना है, ‪दिल्ली सरकार की नहीं है, 537 00:32:59,045 --> 00:33:00,485 ‪तो इस गरीब परिवार की क्या होगी। 538 00:33:00,565 --> 00:33:03,725 ‪लेकिन आज ये करणी सेना की वजह से ‪ये परिवार अकेला नहीं है। 539 00:33:03,805 --> 00:33:05,725 ‪करणी सेना के लोग वहाँ पहुँच गए। 540 00:33:05,805 --> 00:33:09,485 ‪करणी सेना के लोगों का यह कहना था, ‪कुछ लोग वहाँ पर थे, 541 00:33:09,565 --> 00:33:12,365 ‪कि ये जो परिवार है, ‪कुछ लोग हमारे रिश्तेदार हैं। 542 00:33:12,445 --> 00:33:14,645 ‪ये लोग राजस्थान के रहने वाले थे, ‪चित्तौड़गढ़ के। 543 00:33:14,725 --> 00:33:16,405 ‪हम पूरी दिल्ली हिला देंगे, 544 00:33:16,485 --> 00:33:18,405 ‪पूरा देश हिला देंगे, अगर इंसाफ़ नहीं मिला। 545 00:33:18,485 --> 00:33:24,365 ‪कहीं ऐसा न हो कि फिर से किसी को हक दिलाने ‪के लिए दिल्ली को भी स्वराज बनना पड़ जाए। 546 00:33:24,445 --> 00:33:27,205 ‪क्योंकि आम तौर पर होता क्या है ‪कि कोई भी घटना होती है, 547 00:33:27,285 --> 00:33:30,885 ‪तो सबसे पहले पुलिस को कठघरे में ‪खड़ा कर दिया जाता है। मानते हैं। 548 00:33:31,525 --> 00:33:34,645 ‪मृतक परिवार को न्याय दो! 549 00:33:34,725 --> 00:33:36,685 ‪[मनोज] अब हंगामा करेंगे, नहीं होने देंगे। 550 00:33:36,765 --> 00:33:38,805 ‪हमने मँगा लिया उसी हिसाब से फिर। 551 00:33:38,885 --> 00:33:41,205 ‪ये दिल्ली है। यहाँ ऐसा नहीं होने देंगे। 552 00:33:41,285 --> 00:33:44,845 ‪कि आप सोचें कि हम हंगामा करेंगे, ‪"पुलिस हाय-हाय," ये करें। 553 00:33:44,925 --> 00:33:47,765 ‪मुझे लगता है पुलिस ‪ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है। 554 00:33:47,845 --> 00:33:52,365 ‪इसमें हमको यही है कि जाँच सीबीआई से हो। ‪हत्या का मुकदमा दर्ज़ हो। 555 00:33:52,445 --> 00:33:54,205 ‪"तुम्हारी क्या माँगें हैं, बताइए।" 556 00:33:54,285 --> 00:33:55,925 ‪हमने हत्या का केस दर्ज़ किया। 557 00:33:56,005 --> 00:33:58,125 ‪शुरू में हमें नहीं लग रहा, ‪फिर भी दर्ज़ कर रहे हैं। 558 00:33:58,205 --> 00:34:01,525 ‪हम तहकीकात कर रहे हैं। ‪हम हर पहलू की छानबीन करेंगे। 559 00:34:02,845 --> 00:34:04,645 ‪आप एफ़आईआर देख सकते हैं। 560 00:34:04,725 --> 00:34:06,925 ‪उसमें पूरा हमने समझाया है। 561 00:34:07,765 --> 00:34:12,285 ‪मामला दर्ज होने का मतलब यह नहीं है ‪कि तहकीकात खत्म हो गई। 562 00:34:12,365 --> 00:34:14,805 ‪यह तो तहकीकात की शुरुआत है। 563 00:34:15,325 --> 00:34:16,164 ‪अंदरूनी केस डायरी 564 00:34:16,244 --> 00:34:20,805 ‪[समाचार-वाचिका 1] बुराड़ी के ‪सामूहिक मौत के मामले में… 565 00:34:20,885 --> 00:34:23,525 ‪[समाचार-वाचिका 2] हत्या का ‪मामला दर्ज़ कर लिया गया है। 566 00:34:23,605 --> 00:34:26,405 ‪दिल्ली में अपने घर में ‪एक परिवार के 11 लोगों की 567 00:34:26,485 --> 00:34:29,325 ‪रहस्यमयी हालातों में ‪लाशें मिलने के बाद यह हो रहा है। 568 00:34:29,405 --> 00:34:31,605 ‪[मनोज] कई बार ‪स्थानीय पुलिस के लिए लोग कह देते हैं 569 00:34:31,684 --> 00:34:34,125 ‪कि मामला दबाने की कोशिश कर रहे हैं। 570 00:34:34,204 --> 00:34:37,885 {\an8}‪जब क्राइम ब्रांच आती है, ‪तो उनको लगता है कि वो जो कर रहे हैं, 571 00:34:37,965 --> 00:34:40,244 {\an8}‪वे पेशेवर हैं, ‪मामला अच्छे हाथों में जा रहा है। 572 00:34:40,325 --> 00:34:43,005 ‪और कोई भी उसके अंदर कोताही नहीं होगी। 573 00:34:44,085 --> 00:34:46,925 ‪[डॉ. जॉय टिर्की] क्राइम ब्रांच ‪संवेदनशील मामले संभालने में माहिर है। 574 00:34:47,005 --> 00:34:48,164 ‪डॉ. जॉय टिर्की - पुलिस उपायुक्त 575 00:34:48,244 --> 00:34:50,885 {\an8}‪हर अपराध में, "मेंस रिया" ‪नाम की एक चीज़ होती है। 576 00:34:50,965 --> 00:34:53,325 {\an8}‪जानकारी होनी चाहिए। इरादा होना चाहिए। 577 00:34:54,445 --> 00:34:56,045 ‪और अपराध करने का एक कारण होना चाहिए। 578 00:34:56,125 --> 00:34:59,325 ‪उनकी मौत क्यों हुई? ‪और उन्हें कौन मार सकता है? और किसलिए? 579 00:35:07,805 --> 00:35:10,205 ‪क्राइम ब्रांच से ‪सबसे पहले मैं मौके पर पहुँचा था। 580 00:35:10,285 --> 00:35:12,645 ‪मैं वहाँ जाकर चौंका नहीं। मैं उत्सुक था 581 00:35:12,725 --> 00:35:16,645 ‪क्योंकि मैंने सामूहिक हत्या के मामलों पर ‪पहले भी काम किया है। 582 00:35:16,725 --> 00:35:18,565 ‪तो मेरा पहला अनुमान था 583 00:35:19,125 --> 00:35:23,125 ‪कि शायद हत्या करने के बाद ‪उन्हें लटकाया गया है। 584 00:35:24,045 --> 00:35:25,485 ‪मैं अपनी टीम को फ़ोन करता रहा। 585 00:35:25,565 --> 00:35:27,325 ‪खासकर सतीश को बुलाया। 586 00:35:27,405 --> 00:35:30,205 ‪वह अच्छे अफ़सरों में से एक नहीं है। ‪वही सबसे अच्छा अफ़सर है। 587 00:35:31,125 --> 00:35:34,045 ‪[सतीश कुमार] कई बार फ़िल्मों में ‪पुलिस की अच्छी छवि दिखाते हैं, 588 00:35:34,125 --> 00:35:35,685 ‪कई बार बुरी छवि भी दिखाते हैं। 589 00:35:36,445 --> 00:35:39,005 ‪पर जहाँ अच्छी छवि दिखाते हैं, ‪तो हमें खुशी होती है। 590 00:35:39,085 --> 00:35:41,845 ‪किसी को पकड़ते हैं, ‪जब किसी केस में जी-जान से लगे हुए हैं, 591 00:35:41,925 --> 00:35:44,205 ‪और वह सुलझ जाता है, तो बड़ी खुशी होती है। 592 00:35:45,485 --> 00:35:47,485 ‪जैसे ही घर के अंदर घुसे बुराड़ी में, 593 00:35:48,485 --> 00:35:52,205 {\an8}‪एकदम से जो नज़ारा था देखते ही, ‪अंदर घुसते ही पहली मंज़िल पर… 594 00:35:52,285 --> 00:35:53,445 {\an8}‪सतीश कुमार - जाँच अधिकारी 595 00:35:53,525 --> 00:35:55,285 ‪…वो नज़ारा हमेशा आँखों के सामने रहता है। 596 00:35:55,365 --> 00:35:59,365 ‪बहुत बुरा लगता है। ‪अंदर से भी लगता है, यह क्या हुआ है। 597 00:36:09,725 --> 00:36:15,685 ‪और उसके हिसाब से सभी संभावनाओं को ‪देखते हुए तहकीकात की गई थी। 598 00:36:15,765 --> 00:36:19,045 ‪यही हुआ कि जो भी संभावनाएँ हैं, ‪एक-एक करके हटाई जाएँ। 599 00:36:20,005 --> 00:36:23,445 ‪[जॉय] हमने पूरे घर की छानबीन की, ‪सलीके से एक-एक करके। 600 00:36:24,045 --> 00:36:27,045 ‪कोई तोड़-फोड़ नहीं हुई थी। ‪जबरन घुसपैठ नहीं हुई थी। 601 00:36:27,125 --> 00:36:29,045 ‪फ़्रिज में दूध रखा था 602 00:36:29,125 --> 00:36:31,885 ‪और खाना निकालने के कुछ निशान थे। 603 00:36:32,965 --> 00:36:36,645 ‪अगर यह हत्या का मामला होता, ‪तो लड़ाई-झगड़े के कोई तो निशान होते। 604 00:36:36,725 --> 00:36:39,485 ‪और ऐसा लग रहा था ‪जैसे उन्होंने शांति से फाँसी लगा ली। 605 00:36:44,965 --> 00:36:47,645 ‪दूसरी और पहली मंज़िल के बीच, एक जाल था। 606 00:36:49,085 --> 00:36:50,405 ‪उसे ढँका हुआ था। 607 00:36:50,485 --> 00:36:53,365 ‪मुझे लगा ये हिल सकता है कि नहीं? ‪वह बहुत हल्का था। 608 00:36:53,445 --> 00:36:55,605 ‪वह फ़ाइबरग्लास और लकड़ी का था। 609 00:36:57,005 --> 00:37:01,485 ‪फिर मैंने देखा कि दुपट्टे ‪एक-दूसरे से बराबर दूरी पर बंधे थे। 610 00:37:01,565 --> 00:37:03,125 ‪एक रूबिक्स क्यूब की तरह लग रहा था। 611 00:37:03,805 --> 00:37:05,965 ‪किसी और का यह करना मुश्किल लगा। 612 00:37:09,885 --> 00:37:13,165 ‪तहकीकात में और भी कई संभावनाएँ थीं, 613 00:37:13,245 --> 00:37:15,405 ‪जिनको हमने हटाया। 614 00:37:16,685 --> 00:37:20,365 {\an8}‪भुवनेश, "भूपी," ने जो है न, कोशिश की थी ‪खोलने की। एक हाथ उसका ऊपर था। 615 00:37:21,685 --> 00:37:24,885 ‪और ऐसे वो जो मुँह पर बँधा था, ‪उसको ऐसे खोलने की कोशिश कर रहा था। 616 00:37:25,805 --> 00:37:28,845 ‪बच्चों में किसी के नहीं थे। ‪बच्चों के पैर पूरी तरह से बाँध दिए थे। 617 00:37:29,605 --> 00:37:30,805 ‪हाथ पीछे बाँध दिए थे। 618 00:37:30,885 --> 00:37:33,445 ‪टेलीफ़ोन के तार से बाँधे हुए थे, ‪बुरी तरह से। 619 00:37:33,525 --> 00:37:36,805 ‪और अगर चाहके भी वो खोलना चाहें, ‪तो नहीं खोल सकते। 620 00:37:37,365 --> 00:37:38,325 {\an8}‪ध्रुव, 15 621 00:37:38,405 --> 00:37:40,925 {\an8}‪मुँह पर भी टेप लगी हुई थी, ‪आँखों पर भी टेप लगी थी। 622 00:37:41,645 --> 00:37:42,725 {\an8}‪कानों में रूई डाली हुई थी। 623 00:37:43,885 --> 00:37:45,125 {\an8}‪जो इनकी माता जी थीं… 624 00:37:45,205 --> 00:37:46,245 {\an8}‪नारायणी देवी, 80 625 00:37:46,325 --> 00:37:50,525 {\an8}‪…कमरे में पलंग के साथ जो खाली जगह थी, ‪वहाँ पर वो लेटी हुई पाई गई थीं। 626 00:37:51,045 --> 00:37:54,045 ‪औंधी अवस्था में। आधी लेटी हुई। 627 00:37:54,125 --> 00:37:57,885 ‪और गले में जो है चुन्नी थी ही, ‪जैसे सबके में थी वैसे। 628 00:37:59,925 --> 00:38:00,965 ‪[मनोज] और एक बेल्ट थी। 629 00:38:01,045 --> 00:38:04,045 ‪इधर इसके इस तरफ़ कुछ निशान थे। 630 00:38:04,125 --> 00:38:06,045 ‪जो एफ़एसएल ने भी देखे, हमने भी देखे। 631 00:38:06,125 --> 00:38:09,885 ‪जैसे ये बेल्ट है न, उसी चौड़ाई की, ‪ऐसे एक तरफ़। बस एक तरफ़। 632 00:38:10,485 --> 00:38:16,405 ‪आम तौर पर जब कोई फाँसी लगाता है, ‪तो ऐसे ऊपर निशान होता है, "वी" की तरह। 633 00:38:17,125 --> 00:38:18,965 ‪[नरेश भाटिया] शक करने वाला तो था ही न। 634 00:38:21,405 --> 00:38:23,405 ‪[साइरन बज रहा है] 635 00:38:31,365 --> 00:38:35,365 ‪लाशों को ठीक से निकालके नंबर करके, 636 00:38:35,445 --> 00:38:38,485 ‪पैक करके उनको मुर्दाघर लेकर जाना। 637 00:38:38,565 --> 00:38:41,245 ‪और इतने लोगों के बीच से, 638 00:38:41,325 --> 00:38:44,765 ‪जहाँ 5,000, 10,000, ‪और इतने कैमरे झुके पड़े हैं यहाँ। 639 00:38:46,325 --> 00:38:48,285 ‪एम्बुलेंस 640 00:38:48,365 --> 00:38:50,685 ‪हमने 11 एम्बुलेंस का इंतज़ाम किया। 641 00:38:51,925 --> 00:38:53,965 ‪दो आदमी तो उठाकर ले जा रहे हैं वो, 642 00:38:54,045 --> 00:38:56,845 ‪एक ड्राइवर के साथ बैठेगा ‪ताकि रास्ते में कुछ न रुके। 643 00:39:01,605 --> 00:39:03,405 ‪दो एम्बुलेंस रिवर्स गियर में आईं 644 00:39:03,485 --> 00:39:05,965 ‪क्योंकि वो ऐसा नहीं था ‪कि गाड़ी मुड़ जाए वहाँ से। 645 00:39:06,045 --> 00:39:10,485 ‪जहाँ उसकी सीढ़ियाँ आ रही हैं, मकान की, ‪बिल्कुल उसके नीचे लगवाया। 646 00:39:15,885 --> 00:39:17,685 ‪[ब्रजेश] जब लाशों को उतारा जा रहा था, 647 00:39:18,485 --> 00:39:22,405 ‪तो एक-एक लाश को ‪दुपट्टे के साथ उठाया जा रहा था। 648 00:39:22,485 --> 00:39:26,725 ‪और उसके ज़िप लॉक बैग में पैक कर दिया था। 649 00:39:26,805 --> 00:39:32,205 ‪उस वक्त एक अजीब सा वहाँ माहौल था। ‪उसको देखकर थोड़ा मन भावुक भी हुआ। 650 00:39:32,285 --> 00:39:34,165 ‪यह कैसे मुमकिन है वहाँ? 651 00:39:35,005 --> 00:39:38,445 ‪कैसे बच्चों ने फाँसी लगा ली? 652 00:39:41,885 --> 00:39:44,605 ‪[राजीव] मैं कहता हूँ ‪उस दिन भी यही कहानी थी और आज भी है। 653 00:39:44,685 --> 00:39:47,885 ‪कि लाशों को हाथ लगाते हुए ‪वहाँ की जनता डर रही थी। 654 00:39:47,965 --> 00:39:51,325 ‪तो उन लाशों को लेकर हम ऊपर से नीचे आए हैं, 655 00:39:51,405 --> 00:39:55,965 ‪11 की 11 लाशें मैंने ‪और मेरे साथियों ने साथ में उतारी हैं। 656 00:39:57,885 --> 00:39:59,765 ‪[मनोज] तो यह बहुत ही बड़ा काम था। 657 00:39:59,845 --> 00:40:05,125 ‪फिर उसको आगे लेके, दूसरी तरफ़ निकालके ‪बगल में कतार में लगाया। 658 00:40:05,205 --> 00:40:06,725 ‪चारों तरफ़ से ढँककर। 659 00:40:07,925 --> 00:40:09,525 ‪दो, दो-दो करके। 660 00:40:09,605 --> 00:40:12,965 ‪डेढ़-दो घंटे हमें वो लाशें ‪नीचे निकालने में लग गए। 661 00:40:13,045 --> 00:40:15,405 ‪एक-एक लाश को उठाकर, ‪ठीक से पैक करके उसको करना है। 662 00:40:15,485 --> 00:40:17,485 ‪[साइरन बज रहा है] 663 00:40:18,405 --> 00:40:19,885 ‪लगातार लाइव चल रहा था। 664 00:40:19,965 --> 00:40:23,685 ‪अब ये पहुँच गए, यहाँ पहुँच गया, ‪रेड लाइट पर देखिए। पूरा का पूरा। 665 00:40:28,845 --> 00:40:31,885 ‪[मुकेश] तो शुरुआत में ‪तो जो लोग अंदर से आ रहे थे, 666 00:40:32,485 --> 00:40:34,725 ‪उनका भी ये दावा था कि ये हत्या है। 667 00:40:36,205 --> 00:40:39,285 ‪और कई पुलिसवाले भी थे वहाँ पर, ‪जो अंदर से देखकर आए थे। 668 00:40:39,845 --> 00:40:41,725 ‪और हत्या क्यों है? उसकी वजह यह थी 669 00:40:42,285 --> 00:40:45,125 ‪कि सबके हाथ बँधे हुए थे, 670 00:40:45,605 --> 00:40:50,485 ‪सबके मुँह में कपड़ा बँधा हुआ था, ‪टेलीफ़ोन की तार बँधी हुई थी। 671 00:40:50,565 --> 00:40:54,125 ‪तो ये सबसे बड़ी वजह थी हत्या मानने की। 672 00:40:54,205 --> 00:40:57,405 ‪तो कोई 11 में से ‪11 लोग ये कैसे बाँध सकते हैं? 673 00:40:58,365 --> 00:40:59,965 ‪और कोई क्यों बाँधेगा? 674 00:41:03,725 --> 00:41:06,405 ‪[सतीश] तो ऐसा लग रहा था कि कुछ हुआ है। 675 00:41:08,165 --> 00:41:12,565 ‪क्योंकि वहीं पे हवन की सामग्रियाँ भी थीं, ‪जहाँ हवन किया गया था। 676 00:41:14,605 --> 00:41:17,525 ‪घटना स्थल देखके ही लग रहा था ‪कि कुछ बात है। 677 00:41:18,325 --> 00:41:22,565 ‪तो जैसे तहकीकात में चीज़ें खुलती गईं, ‪और भी चीज़ें, जैसे सीसीटीवी फुटेज था। 678 00:41:23,645 --> 00:41:25,965 ‪फुटेज के अंदर भी काफ़ी चीज़ें आईं जिसमें… 679 00:41:27,645 --> 00:41:31,205 ‪और उस कैमरे से वो पूरा उनका घर दिखता था। 680 00:41:33,485 --> 00:41:36,485 ‪[जॉय] तो हम लोगों ने ‪साथ ही में बैठके देखा था पूरा का पूरा। 681 00:41:36,565 --> 00:41:38,965 ‪एक-एक फ़्रेम। कुछ छूट न जाए। 682 00:41:41,085 --> 00:41:44,205 ‪[सतीश] 28 जून, 2018 को 683 00:41:44,285 --> 00:41:45,885 ‪टीना, ललित की पत्नी, 684 00:41:45,965 --> 00:41:49,485 ‪और उसका बेटा चार स्टूल खरीदकर लाए थे। 685 00:41:55,205 --> 00:41:58,125 ‪तीस तारीख की रात को जो मुख्य हादसा था, 686 00:41:58,205 --> 00:42:00,005 ‪करीब 9:40 पर वो, 687 00:42:00,085 --> 00:42:01,445 ‪टीना जिसको हम कहते हैं, 688 00:42:01,525 --> 00:42:04,645 ‪एक लड़की के साथ आ रही है बाज़ार से ‪और प्लास्टिक स्टूल लेके आती है। 689 00:42:04,725 --> 00:42:05,725 ‪टीना, 43 - नीतू, 25 690 00:42:10,365 --> 00:42:11,925 ‪दस बजके उनतीस मिनट पे 691 00:42:12,005 --> 00:42:14,525 ‪ललित का जो बेटा है, ‪वह प्लायवुड की दुकान खोलता है, 692 00:42:15,125 --> 00:42:18,285 ‪और उसमें से तार का एक छोटा गुच्छा, ‪वो लेके जाता है ऊपर। 693 00:42:23,125 --> 00:42:27,765 ‪इसके अलावा जो चुन्नी और जो साड़ी ‪इस्तेमाल की गई थी फाँसी लगाने के लिए, 694 00:42:28,565 --> 00:42:30,285 ‪वो भी बाज़ार से खरीदके लाए गए। 695 00:42:31,485 --> 00:42:34,445 ‪और जब रात को देखा गया, तो रात के समय भी 696 00:42:35,205 --> 00:42:38,485 ‪घरवाले ही आ-जा रहे थे उसके अंदर। 697 00:42:42,685 --> 00:42:44,565 ‪[मनोज] और सुबह तक जब कोई नहीं आया, 698 00:42:44,645 --> 00:42:49,285 ‪पहली बात तो ये हो गई कि उससे हम शुरू में ‪जान गए कि बाहर का कोई नहीं है। 699 00:42:50,805 --> 00:42:52,365 ‪असली चीज़ सिर्फ़ ये रह गई, 700 00:42:54,085 --> 00:42:55,565 ‪कि "आपस में तो किसी ने नहीं कर दिया?" 701 00:42:56,965 --> 00:42:59,165 ‪[साइरन बज रहा है]