1
00:00:06,005 --> 00:00:08,245
इस सीरीज़ में
आत्महत्या से जुड़े दृश्य दिखाए गए हैं
2
00:00:08,325 --> 00:00:10,845
जो कुछ दर्शकों को विचलित कर सकते हैं।
दर्शक अपने विवेक से काम लें।
3
00:00:10,925 --> 00:00:12,645
अगर आप या आपका कोई परिचित इससे जूझ रहा है,
4
00:00:12,725 --> 00:00:15,925
तो जानकारी और सहायता
www.wannatalkaboutit.com पर उपलब्ध है
5
00:00:16,125 --> 00:00:21,285
NETFLIX डॉक्यूमेंट्री सीरीज़
6
00:00:21,365 --> 00:00:23,165
[आतिशबाज़ी हो रही है]
7
00:00:23,245 --> 00:00:24,765
[लोक संगीत बज रहा है]
8
00:00:27,805 --> 00:00:30,165
अब जब आपका रिश्ता जुड़ रहा है
आप दोनों को खुशहाल ज़िंदगी की शुभकामनाएँ
9
00:00:30,245 --> 00:00:31,205
{\an8}मुबारक हो
10
00:00:31,285 --> 00:00:32,565
{\an8}[परवीन मेहता] तो हम गए जैसे ही,
11
00:00:33,565 --> 00:00:36,485
{\an8}वो सब मज़े करने लगे,
ज़ोर-ज़ोर से चीखें मारने लगे।
12
00:00:38,365 --> 00:00:41,525
वो पिंकू कहने लगी, "मामी,
मेरी पंजाबी जूती लेके आई है?"
13
00:00:41,605 --> 00:00:43,805
मैंने कहा, "हाँ, लेके आई हूँ!"
मैं उसके लिए लेके गई थी।
14
00:00:47,485 --> 00:00:50,885
दीदी का भी लेके गई हूँ।
हम इतना सारा सूखा मेवा लेकर गए हैं।
15
00:00:52,285 --> 00:00:56,325
वो भी एक बहुत ही अच्छा माहौल था।
वैसे ही जश्न वाला माहौल था उनके घर में।
16
00:00:56,405 --> 00:00:57,765
[सीटियाँ बज रही हैं]
17
00:01:00,845 --> 00:01:03,725
तो फिर रात को हमने…
पूरी रात डांस करते रहे हम लोग।
18
00:01:04,485 --> 00:01:06,805
पता ही नहीं चला दो कैसे बज गए वहाँ पे।
19
00:01:08,205 --> 00:01:10,565
और ये सारा काम ललित भैया ने किया था।
20
00:01:11,165 --> 00:01:15,165
फ़ोन पे भी उन्होंने ऐसे कर रखी थी तैयारी।
जैसे-जैसे किसी की बारी आ रही थी,
21
00:01:15,245 --> 00:01:17,005
वैसे-वैसे वो वाला गाना आ रहा था।
22
00:01:22,885 --> 00:01:27,325
[पंजाबी में] मैं भी उनके साथ नाचने लगी।
फिर सब साथ आकर नाचने लगे।
23
00:01:28,285 --> 00:01:31,765
तो खुशी का दिन है,
पिंकू की है। मैंने कहा, "चलो, ठीक है।"
24
00:01:38,445 --> 00:01:39,685
परवीन मेहता - ललित की दोस्त
25
00:01:39,765 --> 00:01:43,645
जिस जगह उन्होंने अपने-आप को लटकाया था,
वहीं पर सबने डांस किया था।
26
00:01:45,805 --> 00:01:48,165
पता नहीं था कि दस दिन बाद
ऐसा कुछ हो जाएगा।
27
00:01:49,085 --> 00:01:50,525
सोच भी नहीं सकते।
28
00:01:51,565 --> 00:01:53,565
[साइरन बज रहे हैं]
29
00:02:12,165 --> 00:02:14,405
[डॉ. मोनिशा प्रधान]
"ऑटोप्सी" का मतलब है खुद देखना।
30
00:02:15,445 --> 00:02:17,765
इसमें शवों का परीक्षण होता है।
31
00:02:18,485 --> 00:02:20,285
डॉ. मोनिशा प्रधान
ऑटोप्सी डॉक्टर - एमएएमसी, दिल्ली
32
00:02:20,365 --> 00:02:23,525
जब मैंने पहली बार यह खबर सुनी
कि 11 लोगों की मौत हुई है,
33
00:02:23,605 --> 00:02:25,805
मैं समझ गई कि दिन मुश्किल होने वाला है।
34
00:02:28,365 --> 00:02:31,045
मृतक अपनी कहानी नहीं सुना सकते।
35
00:02:31,125 --> 00:02:34,805
इसलिए हम उनके प्रतिनिधि बन जाते हैं।
36
00:02:34,885 --> 00:02:40,125
हमें उनके सच का पता लगाकर
दुनिया के सामने लाना पड़ता है।
37
00:02:43,845 --> 00:02:47,405
[रचना जोहरी] मेरे खयाल से
हमने इस परिवार के मामले में वही देखा
38
00:02:47,485 --> 00:02:50,325
जो पूरी दुनिया के परिवारों में होता है,
पर एक भयानक रूप में।
39
00:02:51,325 --> 00:02:54,005
अक्सर परिवार खुद को…
40
00:02:54,085 --> 00:02:55,645
रचना जोहरी - सायकोलॉजिस्ट
41
00:02:55,725 --> 00:02:58,525
…एक खूबसूरत, खुशहाल,
एकजुट "भारतीय परिवार" की तरह दर्शाते हैं।
42
00:02:58,605 --> 00:03:00,605
[बिजली की चरमराहट]
43
00:03:02,125 --> 00:03:03,925
हर परिवार के अपने राज़ होते हैं
44
00:03:04,005 --> 00:03:06,925
और उन्हें हर कीमत पर राज़ रखा जाता है।
45
00:03:07,645 --> 00:03:09,645
[थीम संगीत बज रहा है]
46
00:03:28,685 --> 00:03:31,125
[मनोज कुमार] साढ़े तीन से शुरू हो गया था।
47
00:03:31,205 --> 00:03:33,245
{\an8}11 शवों में समय तो लगेगा ही।
48
00:03:33,325 --> 00:03:34,885
{\an8}मनोज कुमार - स्टेशन हाउस ऑफ़िसर, 2016-2019
49
00:03:34,965 --> 00:03:37,205
{\an8}और वहाँ मीडिया घूम रहा है,
देखना, कुछ और पूछना चाह रहा है।
50
00:03:38,085 --> 00:03:40,805
मुर्दाघर में ही देख लें।
शक्लें दिखा दें, कुछ और दिखा दें।
51
00:03:41,685 --> 00:03:44,565
मैंने कहा, "जो हो सकता है,
हम कर रहे हैं। नतीजे आने दो।"
52
00:03:45,565 --> 00:03:47,325
[मनोज तिवारी] इंजेक्शन तो नहीं लगाया?
53
00:03:47,405 --> 00:03:49,845
{\an8}कुछ खाने में तो नहीं गया है।
ये सारी संभावनाएँ हैं।
54
00:03:49,925 --> 00:03:51,445
[पुरुष रिपोर्टर] दरवाज़ा कैसे खुला हुआ था?
55
00:03:51,525 --> 00:03:52,685
फंदे से लटके हुए थे, चुन्नी से।
56
00:03:52,765 --> 00:03:57,085
लेकिन जो परिवार की जो बुज़ुर्ग महिला है,
उसकी लाश कमरे में मुँह के बल पड़ी हुई थी।
57
00:03:57,165 --> 00:03:59,445
{\an8}…और उन्हें, कथित रूप से,
गला दबाकर मारा गया था।
58
00:03:59,525 --> 00:04:01,685
{\an8}मारा है माँ को?
क्या तुम अपनी माँ को मारते हो?
59
00:04:01,765 --> 00:04:02,845
{\an8}सुजाता नागपाल - बहन
60
00:04:02,925 --> 00:04:06,805
तुमने अपनी माँ को मारा है जो मेरा परिवार
मारेगा? झूठा इल्ज़ाम क्यों लगा रहे हो?
61
00:04:07,285 --> 00:04:08,245
[समाचार-वाचिका 1] कैसे कोई परिवार
62
00:04:08,325 --> 00:04:10,405
अपनी बेटी के लिए इतने बड़े जश्न के बाद
63
00:04:10,485 --> 00:04:12,325
महज 14 दिनों के अंदर आत्महत्या कर सकता है?
64
00:04:12,405 --> 00:04:14,325
{\an8}बिल्कुल अभी गया हूँ।
पाँच दिन यहाँ रहकर गया हूँ।
65
00:04:14,405 --> 00:04:15,645
{\an8}दिनेश चुंडावत - भाई
66
00:04:15,725 --> 00:04:16,645
{\an8}बीस तारीख को मैं गया हूँ यहाँ से।
67
00:04:16,725 --> 00:04:18,005
अगर उनको आत्महत्या करनी होती,
68
00:04:18,085 --> 00:04:20,725
तो सगाई पे तीन-चार लाख क्यों लगाते वो?
69
00:04:21,805 --> 00:04:23,325
[पुरुष रिपोर्टर] अब, मौत की सही वजह
70
00:04:23,404 --> 00:04:25,725
पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट से ही साफ़ हो पाएगी।
71
00:04:26,284 --> 00:04:28,725
[समाचार-वाचिका 2] पुलिस ने
यह केस क्राइम ब्रांच को सौंप दिया है।
72
00:04:29,485 --> 00:04:31,485
सबसे बड़ा जो सुराग हमें मिला,
वो सीसीटीवी मिला।
73
00:04:31,565 --> 00:04:35,045
उस सीसीटीवी में किसी भी बाहर के
आदमी को आते हुए नहीं देखा गया था।
74
00:04:35,125 --> 00:04:36,245
{\an8}टीना
75
00:04:37,965 --> 00:04:38,805
शिवम
76
00:04:39,365 --> 00:04:41,925
{\an8}घर के परिवार वाले ही
आते-जाते दिख रहे थे उसके अंदर।
77
00:04:42,005 --> 00:04:44,085
{\an8}टीना - नीतू
78
00:04:44,165 --> 00:04:45,005
{\an8}नारायणी देवी, 80
79
00:04:45,085 --> 00:04:47,645
{\an8}[समाचार-वाचक] एक परिवार के
11 सदस्यों की यहाँ रविवार को मौत हो गई।
80
00:04:47,725 --> 00:04:51,565
{\an8}पर नए सीसीटीवी फुटेज से ऐसा लग रहा है
81
00:04:51,645 --> 00:04:54,365
{\an8}कि इसकी पूरी योजना बनाई गई थी।
82
00:04:59,605 --> 00:05:01,605
[अस्पष्ट बातचीत]
83
00:05:08,765 --> 00:05:13,405
[नरेश भाटिया] हमने बकायदा
जो उनके चार कमरे थे, बारीकी से जाँचे।
84
00:05:16,805 --> 00:05:19,325
हम लोग नहीं सोच रहे थे
कि यहाँ कुछ भी हम छोड़ दें।
85
00:05:19,405 --> 00:05:20,805
{\an8}सर्वेश सिंह - फ़ोटोग्राफ़ी विभाग
86
00:05:20,885 --> 00:05:24,645
{\an8}हम सब जमा करना चाहते हैं।
हर चीज़ की जाँच करना चाह रहे थे।
87
00:05:26,445 --> 00:05:29,405
मौका-ए-वारदात को
देखकर ही लग रहा था कि कुछ बात है।
88
00:05:32,325 --> 00:05:35,445
[नरेश] बकायदा एक उन्होंने…
हवन कुंड मिल गया हमें।
89
00:05:38,005 --> 00:05:39,565
दाग से दिख जाता है।
90
00:05:39,645 --> 00:05:41,245
नरेश भाटिया - सब-इंस्पेक्टर, 2017-2020
91
00:05:41,325 --> 00:05:44,085
ऐसा प्रतीत होता था कि रात को
उन्होंने हवन भी किया है वहाँ पर।
92
00:05:46,485 --> 00:05:49,005
[वीएल नरसिम्हन] आम तौर पर,
आत्महत्या के मामलों में
93
00:05:49,085 --> 00:05:51,885
{\an8}हम मंदिर के पास देखते हैं।
लोग आत्महत्या का खत वहाँ रख देते हैं।
94
00:05:51,965 --> 00:05:53,085
{\an8}वीएल नरसिम्हन - भौतिक विज्ञान विभाग
95
00:05:53,645 --> 00:05:57,365
हम लोगों ने तलाशी ली थी पूरी।
वहाँ मंदिर के पास एक रजिस्टर मिला हमें।
96
00:06:03,925 --> 00:06:06,765
रजिस्टर हम लोगों ने देखा, उसमें पढ़ा।
97
00:06:06,845 --> 00:06:08,565
सारी चीज़ साफ़ हो गई थी।
98
00:06:13,045 --> 00:06:14,205
{\an8}[डॉ. जॉय टिर्की] दूसरे कमरे में
हमें एक और मिला…
99
00:06:14,285 --> 00:06:15,325
डॉ. जॉय एन टिर्की - पुलिस उपायुक्त
100
00:06:15,405 --> 00:06:17,805
…फिर अपनी टीम से सारी जगह की तलाशी करवाई।
101
00:06:19,005 --> 00:06:21,405
[फ़ॉरेंसिक जाँचकर्ता]
एक कमरे की दस बार तलाशी ली है।
102
00:06:22,405 --> 00:06:23,525
दस बार।
103
00:06:25,085 --> 00:06:26,885
[जॉय] हमें कुल 11 डायरियाँ मिलीं।
104
00:06:27,605 --> 00:06:30,245
पहली डायरी 2007 की थी।
105
00:06:31,285 --> 00:06:34,525
और आखिरी वाली घटना से ठीक पहले तक की थी।
106
00:06:35,885 --> 00:06:36,805
11 साल।
107
00:06:39,525 --> 00:06:42,245
एक सबसे बड़ी दिक्कत थी कि न कोई गवाह है…
108
00:06:42,325 --> 00:06:44,125
विशाल आनंद - विशेष संवाददाता
109
00:06:44,205 --> 00:06:46,285
…न कोई गुनहगार है और न ही कोई फ़रियादी है।
110
00:06:47,645 --> 00:06:49,725
तो इस केस में
111
00:06:49,805 --> 00:06:51,485
सबसे अहम कड़ी साबित हुई वो डायरी।
112
00:06:51,965 --> 00:06:54,325
[लोगों का शोरगुल]
113
00:06:54,405 --> 00:06:55,445
[पुरुष रिपोर्टर]
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम
114
00:06:55,525 --> 00:06:57,725
घटना-स्थल से निकली है, आप देख सकते हैं।
115
00:06:57,805 --> 00:07:00,885
काफ़ी सारे कागज़ात और कुछ किताबें हैं,
116
00:07:00,965 --> 00:07:03,005
वो यहाँ से ज़ब्त करके निकली है।
117
00:07:04,125 --> 00:07:09,605
पुष्टि की जाएगी कि आखिरकार इन रजिस्टर,
इन कॉपी के अंदर क्या इन्होंने लिखा हुआ है।
118
00:07:11,685 --> 00:07:16,245
हमारे सामने दे… हम देख रहे हैं कि छत से
खड़े होके कि पुलिस जो है एक-एक करके
119
00:07:17,525 --> 00:07:21,565
कुछ नोट्स हैं, डायरी हैं,
वो लेकर जा रही है। ये हमने देखा।
120
00:07:25,125 --> 00:07:27,085
[आदमी] जोगिंदर! आ बैठ जाओ।
121
00:07:27,165 --> 00:07:29,325
[पुरुष रिपोर्टर 1] हाथ से क्या लिखा है,
सर? प्लीज़, दो-तीन बिंदु!
122
00:07:30,045 --> 00:07:32,005
{\an8}[पुरुष रिपोर्टर 1] क्या आपको पता है
कि इन डायरियों में क्या लिखा है?
123
00:07:32,085 --> 00:07:35,325
{\an8}थोड़ा-बहुत पता है, पर इस वक्त
कुछ भी कहना सही नहीं होगा।
124
00:07:36,045 --> 00:07:39,365
ये बात हम पाठकों को कैसे…
मतलब, किस तरह से साबित करें?
125
00:07:40,165 --> 00:07:44,645
रजिस्टर मिले हैं, क्या मिले हैं, क्या लिखा
है उसमें, इस बारे में किसी को नहीं पता था।
126
00:07:45,205 --> 00:07:48,125
या वो रजिस्टर
क्या इस घटना से जुड़ रहे हैं?
127
00:07:48,205 --> 00:07:51,165
क्या 11 लोगों की मौत का ज़िम्मेदार
क्या वो रजिस्टर हैं?
128
00:07:53,245 --> 00:07:57,965
सभी चाहते हैं कि… और हम पर भी
दबाव रहता है कि हम पहले खबर लेकर आएँ।
129
00:07:59,805 --> 00:08:03,485
और कुछ क्राइम रिपोर्टरों को डाँट
पड़ रही थी कि जल्दी पता करो हुआ क्या है।
130
00:08:04,565 --> 00:08:07,645
[प्रमोद शर्मा] मैं बिल्कुल
उसी घर के बाहर खड़ा होके देख रहा था।
131
00:08:08,365 --> 00:08:10,365
{\an8}तो अचानक मेरी नज़र पड़ी
कि एक सादी सी दीवार थी।
132
00:08:10,445 --> 00:08:11,685
{\an8}प्रमोद शर्मा - विशेष संवाददाता
133
00:08:11,765 --> 00:08:14,685
उस पे कुछ निशान दिख रहे थे।
134
00:08:14,765 --> 00:08:17,845
तो मैंने मोबाइल निकाला
और मैंने ज़ूम करके देखा।
135
00:08:19,685 --> 00:08:24,405
हम दो रिपोर्टर आपस में बात कर रहे थे
और दीवार पर ऐसे ही पाइप लगे हुए थे।
136
00:08:24,965 --> 00:08:28,365
तो हम लोग बात कर रहे थे
कि आखिर घर में ये पाइप कोई क्यों लगाएगा?
137
00:08:28,445 --> 00:08:31,165
उसी वक्त एक चैनल जो है,
उसने इस बात को सुन लिया।
138
00:08:31,725 --> 00:08:36,405
{\an8}हैरानी की बात थी, इस तरीके से पाइप… सात
पाइप नीचे की तरफ़ झुके हुए थे, उनका मुँह।
139
00:08:36,485 --> 00:08:38,205
{\an8}और चार पाइप बिल्कुल सीधे थे।
140
00:08:39,525 --> 00:08:41,365
{\an8}मरने वाली सात महिलाएँ थीं
141
00:08:41,924 --> 00:08:42,804
{\an8}और चार पुरुष।
142
00:08:45,085 --> 00:08:46,525
{\an8}और उन पाइप का पैटर्न भी जो है
143
00:08:46,605 --> 00:08:50,445
बिल्कुल वैसे ही था
जैसे कि सबकी लाश लटकी हुई थी।
144
00:08:53,125 --> 00:08:54,685
[मुकेश सेंगर] बस हम लोग बात ही कर रहे थे
145
00:08:54,765 --> 00:08:57,405
और उन्होंने लाइव रिपोर्टिंग में
यह बात बोली।
146
00:08:57,965 --> 00:08:59,525
पाइप, प्लानिंग और पैटर्न।
147
00:09:01,525 --> 00:09:04,605
[समाचार-वाचक 1] ये पाइप
और साथ के साथ मौत का पैटर्न।
148
00:09:04,685 --> 00:09:07,245
11 पाइप दिख रहे हैं…
149
00:09:07,325 --> 00:09:11,405
[पुरुष रिपोर्टर] इन 11 पाइपों के ज़रिए
आत्माओं को निकलने के लिए जगह बनाई।
150
00:09:11,485 --> 00:09:15,605
{\an8}[विशाल आनंद] और 11 का ये फेर
घटना क्रम में बार-बार देखने को मिला।
151
00:09:15,685 --> 00:09:19,845
[समाचार-वाचक 2] इस दरवाज़े के ऊपर
ये 11 लोहे की सलाखें आपको नज़र आएँगी।
152
00:09:19,925 --> 00:09:22,205
[समाचार-वाचक 2]
11 खिड़कियाँ और 11 रोशनदान।
153
00:09:22,285 --> 00:09:27,605
ये हमारा ही एक आइडिया था
कि ये 11 के पीछे की भी एक कहानी है।
154
00:09:27,685 --> 00:09:30,045
{\an8}वो उनका कोई भी ऐसा मतलब नहीं था।
155
00:09:30,125 --> 00:09:32,965
{\an8}बस यही था कि इधर से
हवा, थोड़ी रोशनी आ जाएगी।
156
00:09:33,485 --> 00:09:34,925
{\an8}तो उन्होंने कहा, "ये पाइप लगा दो, भई।
157
00:09:35,005 --> 00:09:37,085
{\an8}खिड़की लगा नहीं सकते दूसरे की तरफ़।
158
00:09:37,165 --> 00:09:39,725
और पाइप लगा दो।
जब वे अपनी दीवार करेंगे, तब बंद कर देंगे।"
159
00:09:41,325 --> 00:09:43,845
तो वो कुछ तर्कसंगत रूप से
160
00:09:43,925 --> 00:09:46,885
रोशनदान जैसा लगा नहीं।
और हमें कुछ महसूस भी नहीं हुआ वहाँ।
161
00:09:47,365 --> 00:09:49,885
लेकिन हवा के लिए पाइप का क्या मतलब था?
162
00:09:49,965 --> 00:09:52,765
और हवा के लिए
पाइप मुड़े हुए नहीं हो सकते न?
163
00:09:58,245 --> 00:10:00,365
[कँवर पाल] वो तो जितने लग गए, लग गए।
164
00:10:03,125 --> 00:10:05,445
{\an8}वो पाइप पड़े थे कुछ पुराने,
जिस पर एल्बो चढ़ी थी।
165
00:10:05,525 --> 00:10:06,645
{\an8}कँवर पाल सिंह - ठेकेदार
166
00:10:06,725 --> 00:10:10,085
{\an8}वो मिस्त्री का आलस है, उन्होंने काटा नहीं।
जैसे भी देखा, वैसे धर दिया।
167
00:10:10,885 --> 00:10:12,485
और कोई बात नहीं जी।
168
00:10:18,125 --> 00:10:20,725
[समाचार-वाचक 3] सवाल है
कि भाटिया परिवार में हर चीज़
169
00:10:20,805 --> 00:10:21,925
11 क्यों थी?
170
00:10:24,965 --> 00:10:26,205
[हिमानी भंडारी] मेरा मानना है
171
00:10:26,285 --> 00:10:29,365
कि "11" नंबर का यह चक्कर बस एक संयोग है।
172
00:10:29,885 --> 00:10:31,685
उन पाइपों, नंबरों,
173
00:10:31,765 --> 00:10:34,805
और 11 लोगों की
मौत के बीच कोई संबंध नहीं है।
174
00:10:35,485 --> 00:10:37,885
पर चूँकि कहानी इतनी दिलचस्प थी
175
00:10:37,965 --> 00:10:40,165
कि उसे समझना मुश्किल था।
176
00:10:40,245 --> 00:10:41,525
ये लोग कौन थे?
177
00:10:42,445 --> 00:10:47,165
एक 14 साल का बच्चा
ऐसा करने के लिए कैसे मान सकता है?
178
00:10:47,245 --> 00:10:51,445
{\an8}कॉमर्स में मास्टर्स डिग्री कर रही
एक पढ़ी-लिखी लड़की,
179
00:10:51,525 --> 00:10:53,725
{\an8}जो एक एमएनसी में काम करती थी,
180
00:10:53,805 --> 00:10:57,085
{\an8}वे यह सब करने के लिए
रज़ामंद कैसे हो सकते हैं?
181
00:10:57,805 --> 00:11:00,765
वे वही कर रहे थे जो डायरी में लिखा था।
यह बात मैं मानती हूँ।
182
00:11:00,845 --> 00:11:02,925
हिमानी भंडारी - क्राइम रिपोर्टर - द हिंदु
183
00:11:03,005 --> 00:11:05,845
कि वे उन डायरियों में लिखी एक-एक बात
184
00:11:05,925 --> 00:11:07,445
मान रहे थे।
185
00:11:10,685 --> 00:11:13,645
[जॉय] वे रजिस्टर मिलने के बाद,
हमने उन्हें पढ़ना शुरू कर दिया।
186
00:11:13,725 --> 00:11:15,725
और फिर हमें बहुत समय लग गया।
187
00:11:18,405 --> 00:11:21,205
उसका हरेक शब्द मैंने खुद पढ़ा।
188
00:11:21,285 --> 00:11:24,245
मैंने खुद को दफ़्तर में बंद कर दिया
और उन्हें पढ़ा, एक ही बार में।
189
00:11:26,885 --> 00:11:29,445
लिखने आ अंदाज़ निर्देशों की तरह था।
190
00:11:30,045 --> 00:11:31,645
कभी-कभी डाँटते हुए।
191
00:11:32,325 --> 00:11:34,205
जैसे बातचीत की जा रही हो।
192
00:11:35,885 --> 00:11:38,005
और हम तुरंत आखिरी पेज पर चले गए।
193
00:11:39,285 --> 00:11:40,245
और वहाँ सब लिखा था।
194
00:11:43,605 --> 00:11:45,565
[सतीश कुमार] डायरियों में जो लिखा हुआ है,
195
00:11:45,645 --> 00:11:47,725
उसी के आधार पर मौके पर सारी चीज़ें मिलीं।
196
00:11:48,365 --> 00:11:50,565
{\an8}वही सारी प्रक्रिया दी हुई थी।
197
00:11:53,685 --> 00:11:55,965
[जॉय] उन्होंने करीब
एक हफ़्ते पहले यह लिखा था।
198
00:11:56,045 --> 00:11:59,365
उन्होंने उस पूजा विधि के बारे में लिखा है
जो अगले सात दिनों तक होने वाली थी,
199
00:11:59,925 --> 00:12:01,165
जिसे वे "बड़ पूजा" कहते थे।
200
00:12:03,165 --> 00:12:06,805
बड़ एक पेड़ है
जिसकी जड़ें शाखाओं से नीचे लटकती हैं।
201
00:12:07,405 --> 00:12:10,445
तो लिखने के अंदाज़ से लगता है कि उन्हें
202
00:12:10,525 --> 00:12:12,485
शाखाओं से लटकती जड़ों की तरह पेश आना था।
203
00:12:13,565 --> 00:12:15,205
उन्होंने समय भी लिखा था।
204
00:12:15,285 --> 00:12:17,485
यह सुबह के करीब एक बजे करना था।
205
00:12:24,085 --> 00:12:26,765
"सात दिन बड़ पूजा लगातार करना है।"
206
00:12:26,845 --> 00:12:28,005
सतीश कुमार - जाँच अधिकारी
207
00:12:32,285 --> 00:12:35,165
"मंद रोशनी का प्रयोग।
आँखें बिल्कुल बंद होनी चाहिए।"
208
00:12:43,845 --> 00:12:45,485
"शून्य के अलावा कुछ नहीं।"
209
00:12:48,405 --> 00:12:50,165
"सावधान की मुद्रा में रहते हुए
210
00:12:51,005 --> 00:12:54,445
यह सोचना कि बड़ की जटा
तुम्हारे लपेट रही हैं।
211
00:13:00,725 --> 00:13:03,005
बड़ पूजा दृढ़ता से साथ करो।
212
00:13:03,085 --> 00:13:05,205
प्रायश्चित में भी सहायक होगी।"
213
00:13:09,965 --> 00:13:11,725
[विशाल] मैंने जिस तरह से,
214
00:13:11,805 --> 00:13:15,205
जिन लोगों के ज़रिए
मैंने वो नोट्स हासिल किए।
215
00:13:16,965 --> 00:13:21,165
एक-दो लोगों को मैंने कॉल किया,
तब तक किसी को पता ही नहीं था।
216
00:13:21,725 --> 00:13:28,565
इतने में मैं इधर-उधर कॉल मिला ही रहा था
तभी उसी खबरी का मेरे पास दोबारा कॉल आया।
217
00:13:30,285 --> 00:13:33,565
जब मैं नोट्स लेके…
जिस तरह से मैं हैरतअंगेज़ था,
218
00:13:34,325 --> 00:13:40,525
क्योंकि वो नोट्स थे मेरे पास और मैं उनके
एक-एक लाइन को समझने की कोशिश कर रहा था।
219
00:13:40,605 --> 00:13:44,165
कि इस लाइन का मकसद क्या…
इसके पीछे का भाव क्या है।
220
00:13:45,165 --> 00:13:48,205
वजह एक ये थी
कि जब वो नोट्स मेरे हाथ लग गए,
221
00:13:48,685 --> 00:13:51,485
मुझे अगले दिन रिपोर्ट करनी है
और मुझे छापनी है।
222
00:13:54,405 --> 00:13:56,565
"एक्सक्लूसिव" लगके छपा।
223
00:13:59,245 --> 00:14:03,365
उससे ऐसा लग रहा था
कि ये रोज़ लिखी जाती थी।
224
00:14:04,325 --> 00:14:10,765
कि घर का हरेक सदस्य सुबह उठके, उन वो…
जिस जगह रजिस्टर रहता था, उसे पढ़ता था
225
00:14:10,845 --> 00:14:13,765
कि आज क्या करना है हमें।
226
00:14:13,845 --> 00:14:17,365
कौन क्या करेगा, किससे क्या नाराज़गी हो गई।
227
00:14:17,445 --> 00:14:19,605
"तुम्हें आज रात को ये पूजा करनी है।"
228
00:14:19,685 --> 00:14:21,805
"सुबह माँ का ये काम है।"
229
00:14:22,605 --> 00:14:27,165
डायरी में एक दिन लिखा है,
24 दिसंबर, 2017 को
230
00:14:27,805 --> 00:14:28,965
जिसमें लिखा है,
231
00:14:29,045 --> 00:14:32,405
"ध्रुव का फ़ोन पर बहुत ध्यान जा रहा है।
232
00:14:32,485 --> 00:14:33,325
उसका ध्यान रखो।"
233
00:14:34,245 --> 00:14:39,445
तो इस तरह की छोटी-छोटी बातें भी
उन्होंने उन डायरियों में लिखी हैं।
234
00:14:39,525 --> 00:14:42,965
वे डायरियाँ उन्हें बताती हैं
कि उन्हें ज़िंदगी कैसे जीनी है।
235
00:14:47,245 --> 00:14:49,525
कुछ अजीबो-गरीब बातें थीं उसमें लिखीं।
236
00:14:50,245 --> 00:14:57,165
वो किसी तंत्र-मंत्र और तांत्रिक क्रिया की
तरह पूजा-पाठ से जुड़े हुए थे
237
00:14:57,645 --> 00:14:59,725
और ये उसी दिशा में ये मौत हुई है।
238
00:15:02,725 --> 00:15:07,045
{\an8}ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई तीसरी शक्ति,
239
00:15:07,725 --> 00:15:10,285
इन लोगों के अलावा कोई और है
240
00:15:10,365 --> 00:15:13,245
जो लिख रहा है, इन्हें निर्देश दे रहा है
241
00:15:13,325 --> 00:15:15,085
कि, "तुम्हें ये करना है।
तुम्हें वो करना है।"
242
00:15:16,165 --> 00:15:18,965
[प्रमोद] तो अंधविश्वास में
इस कद्र चले गए थे।
243
00:15:19,045 --> 00:15:20,925
तो यही मानकर चल रहे थे,
244
00:15:21,005 --> 00:15:26,445
तो कहीं किसी तांत्रिक ने इनको बोला हो
उस तरीके की पूजा करना।
245
00:15:26,525 --> 00:15:28,605
[पुरुष रिपोर्टर] सर,
कोई तांत्रिक इसमें शामिल है?
246
00:15:28,685 --> 00:15:30,245
कोई गुरू शामिल है?
247
00:15:30,325 --> 00:15:31,965
कोई बाबा शामिल है?
248
00:15:32,045 --> 00:15:33,925
[नरेश] और वो हमसे तहकीकात
करवाता रहा ज़बरदस्ती।
249
00:15:34,005 --> 00:15:35,485
जैसे अखबार में आ गया तांत्रिक का।
250
00:15:35,565 --> 00:15:37,205
हमारे अफ़सर ने कहा तांत्रिक ढूँढ़ो।
251
00:15:37,285 --> 00:15:40,605
प्लंबर की जो बेटी है,
वो मेरे खयाल से वैसे ही…
252
00:15:40,685 --> 00:15:42,845
उसका इंटरव्यू कर दिया
कि यही तांत्रिक लग रही है,
253
00:15:42,925 --> 00:15:44,965
लाल कपड़े पहनके और ये सब कुछ कर रही है।
254
00:15:45,445 --> 00:15:50,005
गीता माता आई थीं बीच में। जो ठेकेदार था
जिन्होंने उनके मकान का काम,
255
00:15:50,085 --> 00:15:53,845
चल ही रहा था मकान का काम भी,
उनकी बेटी थी वो।
256
00:15:54,925 --> 00:16:00,885
तो मीडिया ने उसमें उछाला कि, "मैंने उनको
समझाया था। या मेरे कहने पर चलते थे।"
257
00:16:00,965 --> 00:16:05,045
{\an8}दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच
बुराड़ी मौतों के मामले में
258
00:16:05,125 --> 00:16:06,125
{\an8}तांत्रिक गीता माता से पूछताछ कर रही है।
259
00:16:06,205 --> 00:16:09,485
[समाचार-वाचक] गीता माँ को
बुराड़ी इलाके के उसके घर से पकड़ा गया।
260
00:16:09,565 --> 00:16:11,885
[गीता] मेरा कोई भी लेना-देना किसी से नहीं।
261
00:16:11,965 --> 00:16:16,045
मैं यही कहूँगी। और मैं कुछ नहीं कहूँगी।
मैं किसी चीज़ के बारे में कुछ नहीं जानती।
262
00:16:17,725 --> 00:16:19,645
मेरे बाप के पाँच ठेके चलते,
263
00:16:19,725 --> 00:16:22,485
तो क्या मैं हर कामवाले के
मालिक से मिलके आऊँगी?
264
00:16:23,085 --> 00:16:25,845
मीडिया वाले तो आप जानते हो,
राई का पहाड़ बनाने वाले होते हैं।
265
00:16:25,925 --> 00:16:28,245
अपनी खबर बेचने के लिए
कुछ भी कह सकते हैं वो तो।
266
00:16:28,885 --> 00:16:30,405
ये बिना मतलब की दिक्कत हुई है हमें।
267
00:16:30,485 --> 00:16:31,805
गीता - ठेकेदार की बेटी
268
00:16:31,885 --> 00:16:33,205
कि हमारा चलाया गया,
269
00:16:34,205 --> 00:16:36,165
और इतना बुरा-बुरा बोला गया।
270
00:16:37,125 --> 00:16:39,085
मैंने उससे… मीडिया वाले से भी बोला,
271
00:16:39,165 --> 00:16:41,525
लेकिन मेरी तो उसमें कोई भूमिका ही नहीं थी।
272
00:16:43,125 --> 00:16:45,165
मेरे बच्चे तीन दिन भूखे रहे हैं, मैडम।
273
00:16:45,245 --> 00:16:48,005
मेरे घर में कोई खाना नहीं बना
क्योंकि एक तो तनाव,
274
00:16:48,085 --> 00:16:50,525
ऊपर से कभी उधर बुला रहे हैं,
कभी उधर बुला रहे हैं।
275
00:16:50,605 --> 00:16:53,045
शरीफ़ आदमी का
दिल दुखाना अच्छी बात नहीं है।
276
00:16:55,925 --> 00:16:59,965
[जॉय] हम एक ऐसा इंसान ढूँढ़ रहे थे
जो धार्मिक, आध्यात्मिक इंसान हो
277
00:17:00,045 --> 00:17:02,365
और इस परिवार के संपर्क में रहा हो।
278
00:17:03,205 --> 00:17:07,085
देर रात के कॉल, रोज़ आने वाले मेसेज वगैरह।
279
00:17:08,125 --> 00:17:10,405
हमें ऐसा कोई इंसान नहीं मिला।
280
00:17:11,205 --> 00:17:12,124
एक भी नहीं।
281
00:17:13,364 --> 00:17:15,805
अगला सवाल यह था
कि रजिस्टर में वह सब कौन लिखता था?
282
00:17:15,885 --> 00:17:17,445
[कबूतर गुटर गूँ कर रहे हैं]
283
00:17:22,324 --> 00:17:25,285
[अनीता आनंद] भारत में
एक आम संयुक्त परिवार में
284
00:17:25,364 --> 00:17:28,565
कई पीढ़ियाँ एक छत के नीचे रहती हैं
285
00:17:29,405 --> 00:17:31,805
और घर का एक मुखिया होता है,
एक प्रधान पुरुष।
286
00:17:31,885 --> 00:17:33,005
अनीता आनंद - क्लिनिकल हिप्नोथेरापिस्ट
287
00:17:33,084 --> 00:17:35,965
और वही सारे फ़ैसले लेता है।
288
00:17:39,765 --> 00:17:44,485
पर पिता के गुज़र जाने के बाद,
परिवार में एक खालीपन आ जाता है।
289
00:17:46,605 --> 00:17:47,765
{\an8}भोपाल सिंह
290
00:17:47,845 --> 00:17:51,205
{\an8}[हिमानी] परिवार पर भोपाल सिंह का
बहुत गहरा प्रभाव था।
291
00:17:51,285 --> 00:17:53,325
{\an8}वह एक दमदार शख्सियत थे।
292
00:17:55,725 --> 00:17:57,685
{\an8}[मनोज] भोपाल सिंह उतने अमीर नहीं थे।
293
00:17:58,645 --> 00:18:00,605
{\an8}नारायणी देवी के पिता के पास
294
00:18:00,685 --> 00:18:01,685
वो काम के लिए आए।
295
00:18:05,525 --> 00:18:09,565
इनको काम बहुत अच्छा लगा उसका
और लगा बड़ा शरीफ़ आदमी है।
296
00:18:11,165 --> 00:18:13,245
तो इन्होंने उसको कहा
कि हमारी बेटी बैठी है,
297
00:18:13,325 --> 00:18:14,565
तू घर जमाई बन जा।
298
00:18:15,725 --> 00:18:18,965
और इसीलिए शायद उपनाम
सब बच्चों का "भाटिया" ही रखा उसने।
299
00:18:20,325 --> 00:18:22,045
पहला "चुंडावत" छोड़ दिया गया।
300
00:18:26,285 --> 00:18:28,605
उनके गुज़र जाने के बाद हालात बदलने लगे।
301
00:18:30,885 --> 00:18:33,725
[सतीश] जब पिता थे
तो पूरे परिवार को वही चलाते थे।
302
00:18:33,805 --> 00:18:38,045
सबका मार्गदर्शन करते थे, किसको क्या
करना है, बच्चों की पढ़ाई कैसे करानी है।
303
00:18:38,685 --> 00:18:42,165
बचत कैसे करनी है, कारोबार कैसे बढ़ाना है।
ये सारी चीज़ें वहीं तय करते थे।
304
00:18:43,765 --> 00:18:44,845
{\an8}तो पिता के जाने के बाद
305
00:18:44,925 --> 00:18:48,085
{\an8}इन्होंने सोचा कि, "भई,
अब इस परिवार को कौन संभालेगा?"
306
00:18:50,285 --> 00:18:52,285
[इंजन की आवाज़]
307
00:18:57,405 --> 00:19:02,125
{\an8}टोहाना, हरियाणा
308
00:19:05,605 --> 00:19:09,965
[चंदर मेहता] 1988 से 2018,
30 साल की हमारी…
309
00:19:11,685 --> 00:19:15,125
दिल्ली तो वो 90 के दशक में गए हैं।
उससे पहले इधर ही रहे।
310
00:19:16,045 --> 00:19:18,005
{\an8}तो वहाँ पर उन्होंने ज़ीरो से शुरू किया था।
311
00:19:18,085 --> 00:19:21,645
{\an8}तो तबसे आज तक दिल्ली
उनकी वजह से ही आना-जाना था।
312
00:19:23,805 --> 00:19:26,525
{\an8}सबसे बड़े भैया शुरू से ही
बाहर रहे, कोटा में।
313
00:19:26,605 --> 00:19:27,685
{\an8}दिनेश, 61
314
00:19:27,765 --> 00:19:29,165
{\an8}दिनेश भैया हैं।
315
00:19:29,765 --> 00:19:31,925
{\an8}छोटे भैया भूपी थे, वो बड़ा चुपचाप रहते थे।
316
00:19:32,005 --> 00:19:32,845
{\an8}भुवनेश, 53
317
00:19:32,925 --> 00:19:35,645
{\an8}काम भी करते सुबह निकलते,
रात को आते। नौकरी करते थे कहीं।
318
00:19:37,845 --> 00:19:41,845
{\an8}हालाँकि सबसे छोटा था,
पर सब लोग मानते थे उसकी।
319
00:19:41,925 --> 00:19:43,205
{\an8}ललित, 47
320
00:19:43,285 --> 00:19:45,285
कुछ वो उसकी जो समझदारी थी,
321
00:19:45,365 --> 00:19:47,965
उसकी वजह से सभी उसकी मानते थे।
322
00:19:48,045 --> 00:19:51,965
[परवीन, पंजाबी में] समझ में नहीं आता था कि
भैया छोटे होने के बावजूद इतने समझदार कैसे?
323
00:19:52,045 --> 00:19:53,325
सबका ध्यान क्यों रखते हैं?
324
00:19:53,405 --> 00:19:55,565
{\an8}मम्मी से लेकर छोटे बच्चे तक का
ध्यान रखते थे।
325
00:19:55,645 --> 00:19:56,645
{\an8}परवीन मेहता - ललित की दोस्त
326
00:19:59,205 --> 00:20:01,805
[चंदर, हिंदी में] वो जगह जो थी,
पापा वाली, वो ले ली थी।
327
00:20:01,885 --> 00:20:06,405
उसने जो बोला है वो पत्थर की लकीर बस।
परिवार वाले ऐसे ही पेश आते थे उससे।
328
00:20:08,485 --> 00:20:11,125
[परवीन, पंजाबी में]
इनसे मेरी शादी से पहले से ही ये दोस्त थे।
329
00:20:11,685 --> 00:20:14,765
मुझे बहुत अच्छे लगते थे।
भैया ऐसे लगते थे जैसे मेरे बड़े भैया हैं।
330
00:20:14,845 --> 00:20:17,525
बहुत अच्छे से, प्यार से समझाते थे।
331
00:20:18,085 --> 00:20:20,605
कि, "तू इसकी बात पर ध्यान न दिया कर।
332
00:20:20,685 --> 00:20:23,085
इसका स्वभाव ऐसा ही है।
आज से नहीं है, शुरू से है।"
333
00:20:23,165 --> 00:20:25,045
जब ये साथ में बैठते थे न,
334
00:20:25,125 --> 00:20:27,325
ये लोग हमेशा मज़ाक करते रहते थे।
335
00:20:31,205 --> 00:20:34,765
[चंदर, हिंदी में] जैसे हमारा परिवार है,
मिडिल क्लास परिवार के लोग हैं हम।
336
00:20:37,405 --> 00:20:39,965
इनको ऐसे अभी भी इजाज़त नहीं है।
337
00:20:40,045 --> 00:20:42,045
पहले पापा जी की इजाज़त चाहिए।
338
00:20:42,125 --> 00:20:45,125
पापा जी की…
कभी भी मना नहीं किया उन्होंने।
339
00:20:45,605 --> 00:20:48,125
और अगर मना करने का हक है
तो वो पिताओं के पास है।
340
00:20:49,405 --> 00:20:51,885
इसीलिए 25 साल हो गए, अब तक तो लड़े नहीं।
341
00:20:51,965 --> 00:20:53,805
-अब तक तो लड़े नहीं।
-[दोनों हँस रहे हैं]
342
00:20:56,405 --> 00:20:59,005
{\an8}[प्रितपाल कौर] सारे उसकी
बात को मानते थे, ललित की।
343
00:20:59,485 --> 00:21:01,165
जो ललित ने कह दिया, तो वो ठीक है।
344
00:21:01,245 --> 00:21:02,085
प्रितपाल कौर - पड़ोसी
345
00:21:02,165 --> 00:21:04,125
दिवाली वगैरह पे भी हमने देखा जैसे…
346
00:21:04,205 --> 00:21:05,205
अमरीक सिंह - पड़ोसी
347
00:21:05,285 --> 00:21:08,805
…पटाखे चलाने जाएँगे बच्चे, तो ललित
जाएगा साथ। तब सड़क पर जाएँगे बच्चे।
348
00:21:08,885 --> 00:21:13,485
पीछे से बच्चा एक भी पटाखा भी नहीं जलाएगा,
जब तक ललित साथ नहीं होगा।
349
00:21:13,565 --> 00:21:16,085
जैसे, '97-'98 में हम यहाँ आए हैं।
350
00:21:16,165 --> 00:21:18,805
मगर छह-सात साल तक
इनके घर में ऐसा कुछ नहीं था।
351
00:21:18,885 --> 00:21:21,765
इसके पिता की मौत के बाद
ऐसा क्यों शुरू हुआ?
352
00:21:26,325 --> 00:21:28,885
ज़िंदा में भले ही न हो,
हमें पता नहीं कि था या नहीं था,
353
00:21:28,965 --> 00:21:33,245
लेकिन उनकी मौत के बाद,
जो लगाव एक बेटे का अपने पिता से होता है,
354
00:21:33,325 --> 00:21:34,685
वो शायद बढ़ता गया।
355
00:21:38,645 --> 00:21:42,525
[हिमानी] मेरे नोट्स के हिसाब से,
पहली एंट्री सितंबर, 2007 में की थी।
356
00:21:42,605 --> 00:21:44,965
भोपाल सिंह की मृत्यु के तुरंत बाद।
357
00:21:45,045 --> 00:21:46,365
भोपाल सिंह की मृत्यु - 6 अगस्त, 2006
358
00:21:46,445 --> 00:21:47,925
पहली डायरी एंट्री - सितंबर, 2007
359
00:21:48,005 --> 00:21:52,085
उन जितने भी डायरी के पन्ने थे,
उनमें ललित के बारे में ज़्यादा ज़िक्र था।
360
00:21:52,885 --> 00:21:56,645
"ललित को तुम लोग बहुत परेशान करते हो।"
361
00:21:57,245 --> 00:22:01,885
{\an8}कि, "ललित को ज़्यादा दबाया जा रहा है।
ललित की बात नहीं मानोगे तो अनर्थ हो जाएगा।
362
00:22:01,965 --> 00:22:05,565
तुम्हें उन समस्याओं से छुटकारा पाना है
363
00:22:05,645 --> 00:22:08,405
तो तुम्हें जो ललित कह रहा है,
वही करना होगा।"
364
00:22:11,285 --> 00:22:13,925
[मुकेश] जब पुलिस को थोड़े और रजिस्टर मिले,
और कहानियाँ सामने आईं।
365
00:22:14,005 --> 00:22:16,445
तब पता चला कि ये 2007 से,
366
00:22:16,525 --> 00:22:20,925
ये जो ललित है, उसके पिता के
सपने उसको आ रहे थे।
367
00:22:21,005 --> 00:22:23,405
जिसमें वो पिता से बात करता था,
368
00:22:23,485 --> 00:22:25,085
पिता जो कहते थे, वो मानता था।
369
00:22:25,645 --> 00:22:30,645
और जो बात करता था, उन बातों को
वो परिवार में बताता गया धीरे-धीरे।
370
00:22:34,205 --> 00:22:36,325
[विशाल] नीतू ने पड़ोसियों को भी बताया था
371
00:22:36,405 --> 00:22:40,805
कि, "भई, काकू के अंदर
पापा की आत्मा आती है।
372
00:22:41,325 --> 00:22:42,845
और वो हमें रास्ता दिखाती है।"
373
00:22:46,685 --> 00:22:50,725
कि जब भी ऐसा कुछ होता था,
तो ललित की आवाज़ बदल जाती थी।
374
00:22:53,405 --> 00:22:57,405
[रचना] वह जिस आवाज़ में बात करता था,
वह उसके पिता की आवाज़ थी।
375
00:23:00,405 --> 00:23:04,485
वह यकीनन ऐसा पल रहा होगा,
जिसमें सबको कुछ हुआ।
376
00:23:06,485 --> 00:23:09,165
वह अपने पिता की आत्मा के लिए
एक ज़रिया बन गया
377
00:23:09,245 --> 00:23:11,725
और वह अपने पिता की तरह बोलता
और बर्ताव करता।
378
00:23:15,685 --> 00:23:17,685
[तिलक राज भाटिया] वैसे तो
उनकी मम्मी लगती थी नारायणी देवी,
379
00:23:18,165 --> 00:23:19,565
लेकिन वो "नारायणी" कहते थे…
380
00:23:19,645 --> 00:23:20,805
तिलक राज भाटिया - पारिवारिक मित्र
381
00:23:20,885 --> 00:23:23,325
…जैसे भोपाल अंकल उनको बुलाया करते थे।
382
00:23:24,525 --> 00:23:27,965
इनके पिता की आत्मा इन पर आती थी। ललित पर।
383
00:23:28,445 --> 00:23:30,125
और जो ललित लिखते थे,
384
00:23:30,205 --> 00:23:34,245
वो ऐसा माना जाता, पूरे परिवार का,
कि वो पिता जी का आदेश है।
385
00:23:55,205 --> 00:23:56,845
[विशाल] नोट की लाइन पर गौर करें।
386
00:23:56,925 --> 00:23:59,965
कि, "मंगल, वीर, शनि, इतवार फिर आऊँगा।"
387
00:24:03,125 --> 00:24:06,125
[भोपाल] अपनी मर्ज़ी की बजाय
कॉपियों की मर्ज़ी से चलो।
388
00:24:08,805 --> 00:24:11,685
ये न सोचो कि इसका क्या फ़ायदा है?
389
00:24:12,725 --> 00:24:15,645
जब होगा, तब तुम्हारी आँख खुलेगी।
390
00:24:27,125 --> 00:24:29,645
[अनीता] ललित जिस तरह की
भाषा इस्तेमाल कर रहा था,
391
00:24:29,725 --> 00:24:32,885
वह यह नहीं कह रहा था कि,
"मैं चाहता हूँ कि तुम ऐसा करो।"
392
00:24:32,965 --> 00:24:36,125
ऐसा लगता था जैसे पिता ने कहा है
कि ललित को यह करना होगा।
393
00:24:36,805 --> 00:24:39,365
पिता की मौत हो चुकी है।
394
00:24:39,445 --> 00:24:41,325
तो कह सकते है कि एक मरा हुआ इंसान…
395
00:24:42,405 --> 00:24:45,965
अजीब बात है कि,
एक तरह से, एक मरा हुआ इंसान
396
00:24:46,045 --> 00:24:50,285
परिवार से और ज़्यादा हक की,
और ज़्यादा आदर की माँग कर रहा है।
397
00:24:51,605 --> 00:24:54,165
तो यहाँ परिवार के नौ-दस लोग हैं
398
00:24:55,085 --> 00:24:59,085
जो ललित की बात सुनने को तैयार हैं
जो उनके पिता के आदेश हैं।
399
00:25:01,885 --> 00:25:06,245
{\an8}सविता दीदी, मुझे नहीं लगता था
कि उनके अपने कोई शौक हैं या कुछ है।
400
00:25:06,325 --> 00:25:09,325
मतलब, उनका एक ही काम था, रसोई संभालना।
401
00:25:10,965 --> 00:25:13,445
[अमरीक सिंह] हम सोचते थे
कि यह रसोई में क्यों रहती है बेचारी।
402
00:25:14,285 --> 00:25:17,445
लेकिन शायद उनके बारे में भी लिखा हुआ है
कि उनको रसोई में ही काम करना है।
403
00:25:29,485 --> 00:25:30,645
सविता, 50
404
00:25:42,405 --> 00:25:43,765
{\an8}टीना, 43 - प्रतिभा, 59
405
00:25:58,285 --> 00:25:59,125
{\an8}प्रियंका, 33 - नीतू, 25
406
00:26:06,525 --> 00:26:09,965
[प्रितपाल] ललित की पत्नी टीना को,
वैसे तो स्वभाव से बहुत अच्छी थी,
407
00:26:10,045 --> 00:26:16,045
लेकिन जब ललित की बात सब मान रहे हैं,
परिवार का मुखिया बना हुआ है,
408
00:26:16,125 --> 00:26:20,605
तो उसको लगता होगा
कि मेरे लिए आसान है इस घर में रहना।
409
00:26:20,685 --> 00:26:22,325
जैसे बहुओं के लिए मुश्किल होता है।
410
00:26:22,805 --> 00:26:25,565
जो बात उसने कहनी है, ललित ने,
वही टीना बोलती थी।
411
00:26:26,405 --> 00:26:28,445
दो खड़े तो हैं, लेकिन उनकी बात एक ही है।
412
00:26:29,725 --> 00:26:33,045
तो वो उसकी बात मानने लगी,
"अच्छी बात है। हाँ, आप ये करो, ठीक है।"
413
00:26:33,125 --> 00:26:36,165
तो उसको फ़ायदा होता होगा।
मुझे लगता है वह इसीलिए उसकी बात मानने लगी।
414
00:26:37,765 --> 00:26:40,445
[अमरीक] ललित से ज़्यादा हैरानी होती,
ललित की पत्नी तो…
415
00:26:40,525 --> 00:26:42,445
उसने तो समाजशास्त्र में एमए की हुई थी।
416
00:26:45,525 --> 00:26:47,005
वो भी साथ ही?
417
00:27:07,685 --> 00:27:09,365
[अनीता] 11 साल बहुत लंबा समय है।
418
00:27:10,565 --> 00:27:14,525
क्या परिवार वालों ने कभी उसका विरोध किया?
419
00:27:14,605 --> 00:27:19,045
क्या किसी ने उसे चुनौती दी?
क्या किसी ने इससे दूर जाने की कोशिश की?
420
00:27:19,125 --> 00:27:20,125
बिल्कुल नहीं।
421
00:27:20,885 --> 00:27:23,365
ताली दोनों हाथों से बजती है।
422
00:27:23,445 --> 00:27:26,005
ऐसे लोग होने चाहिए जो कहें,
423
00:27:26,085 --> 00:27:28,885
"ठीक है, मैं तुम्हारे
अधीन रहने को तैयार हूँ।"
424
00:27:32,365 --> 00:27:33,725
[डॉ. वीरेंद्र सिंह]
जिस दिन ये केस जमा हुआ,
425
00:27:33,805 --> 00:27:36,485
उस दिन करीब आठ से दस डायरियाँ
जो पुलिस ने हमारे यहाँ जमा की थीं…
426
00:27:36,565 --> 00:27:38,045
डॉ. वीरेंद्र सिंह - हस्तलेख विभाग
427
00:27:38,125 --> 00:27:41,005
…उसके साथ
कुछ स्टैंडर्ड डायरियाँ जमा की थीं।
428
00:27:41,565 --> 00:27:44,565
सवाल था कि मिलाना था कि वे डायरियाँ
429
00:27:44,645 --> 00:27:47,365
स्टैंडर्ड डायरियों से मिलती हैं या नहीं।
430
00:27:51,165 --> 00:27:55,485
तो हमें ये लगा कि ललित ही
ये सारे जो नोट्स लिखता होगा।
431
00:27:57,725 --> 00:28:02,485
लेकिन जो फ़ॉरेंसिक रिपोर्ट होती है,
हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट होती है,
432
00:28:02,565 --> 00:28:06,365
उसमें अब ये सामने आया है
कि प्रतिभा की बेटी, प्रियंका,
433
00:28:08,365 --> 00:28:11,885
और भुवनेश की बेटी नीतू,
ये लोग नोट्स लिखते थे।
434
00:28:14,205 --> 00:28:18,765
तो आप ये मानिए कि कितना ताज्जुब होता है
कि ललित के कहने पर
435
00:28:19,365 --> 00:28:23,005
तीसरी पीढ़ी के बच्चे नोट्स लिख रहे हैं।
वो कितने प्रभावित थे ललित से।
436
00:28:25,525 --> 00:28:29,845
कि किसी भी परिवार के सदस्य ने
घर के बाहर ये बात कभी बताई नहीं।
437
00:28:29,925 --> 00:28:31,685
ये नियंत्रण था।
438
00:28:31,765 --> 00:28:35,085
आप इसे खुशी बोल दीजिए,
या विश्वास बोल दीजिए। डर बोल दीजिए।
439
00:28:35,165 --> 00:28:36,165
लेकिन ये था।
440
00:28:37,365 --> 00:28:40,085
-[अस्पष्ट बातचीत]
-उनका मतलब कि इतना अच्छा नहीं था,
441
00:28:40,165 --> 00:28:41,725
टाइम पास ही होता था, घर का टाइम पास।
442
00:28:41,805 --> 00:28:45,325
लेकिन जैसे ही वो पाठ-पूजा करने लगे
पापा के जाने के बाद,
443
00:28:45,405 --> 00:28:48,565
तब उनकी काफ़ी तरक्की होने लगी।
444
00:28:48,645 --> 00:28:53,245
उनको लगता था कि हमारा काम बढ़ रहा है।
जैसे भैया की दुकान हो गई,
445
00:28:53,325 --> 00:28:54,725
पिंकू की भी नौकरी हो गई,
446
00:28:55,485 --> 00:28:58,685
सब मतलब स्थिर होने लग गए थे,
अपनी-अपनी जगह पे।
447
00:28:59,845 --> 00:29:02,485
तो उनको लगता था कि अगर पापा ने हमको बताया,
448
00:29:02,565 --> 00:29:04,925
ये हम कर रहे हैं
तो हमारे को उसका फल मिल रहा है।
449
00:29:06,205 --> 00:29:09,765
वो जो उसने बताया उससे काम बन गया।
उससे उनकी कमाई शुरू हो गई।
450
00:29:09,845 --> 00:29:12,485
आर्थिक स्थिति इनकी बढ़िया होती गई।
451
00:29:13,685 --> 00:29:17,405
श्रेय का अगर देखें, तो लड़की की
शादी का श्रेय भी खुद ले रहा है।
452
00:29:17,885 --> 00:29:20,845
"ये सब इसी की वजह से हो रहा है,
किताब की वजह से। तुम उसे मान रहे हो।"
453
00:29:23,725 --> 00:29:25,085
[अमरीक] प्रियंका की सगाई में सारे गए थे।
454
00:29:26,005 --> 00:29:27,205
हम पूरा परिवार थे।
455
00:29:28,165 --> 00:29:30,445
इन्होंने खुद ही सारा किया था।
जैसा आप लोगों ने वीडियो में देखा हो,
456
00:29:30,525 --> 00:29:32,445
तो बच्चों ने जो किया था, इन्होंने बकायदा
457
00:29:32,525 --> 00:29:36,565
कोरियोग्राफ़र है पीछे, उसको बुलाकर
अपने घर में पूरा तैयार किया है। कैसे करा।
458
00:29:36,645 --> 00:29:38,045
[आवाज़ बंद]
459
00:29:39,565 --> 00:29:42,365
पुलिस की जाँच में
और प्रियंका के फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल से
460
00:29:42,445 --> 00:29:44,365
जो जानकारी निकलके सामने आ रही है,
461
00:29:44,445 --> 00:29:49,085
एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर
एक्ज़ेक्यूटिव के तौर पर काम करती थी।
462
00:29:49,165 --> 00:29:50,965
दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की हुई है।
463
00:29:54,165 --> 00:29:57,245
[हिमानी] जब मैंने उसके दफ़्तर के
एक अधिकारी से बात की,
464
00:29:59,085 --> 00:30:02,045
उन्होंने कहा कि वह एक दूरी बनाकर रखती थी।
465
00:30:04,245 --> 00:30:06,405
बल्कि, मुझे यह बताया गया है
466
00:30:06,485 --> 00:30:09,565
कि उसने दफ़्तर में
अपनी सगाई की बात बताई ही नहीं थी।
467
00:30:09,645 --> 00:30:11,645
[आवाज़ बंद है]
468
00:30:18,605 --> 00:30:21,685
[चंदर] देवियों जैसी लड़कियाँ,
बिल्कुल भली, साफ़ दिल की।
469
00:30:22,405 --> 00:30:23,845
क्या कसूर था उन लड़कियों का?
470
00:30:25,325 --> 00:30:29,645
मन में टीस बड़ी उठती है।
वो छोटे-छोटे बच्चे थे, उन्होंने क्या देखा?
471
00:30:29,725 --> 00:30:31,725
मस्ती करने का समय था उनका।
472
00:30:36,965 --> 00:30:39,645
[भोपाल] लिखी गई कॉपियों की अवहेलना न करो।
473
00:30:41,485 --> 00:30:43,685
गलती करने के बावजूद भी शाम को
474
00:30:43,765 --> 00:30:45,605
यहाँ आके कहते हो कि गलती नहीं की।
475
00:30:47,205 --> 00:30:51,925
ध्यान रखो, पिछली गलती की
कंपन खत्म नहीं होती।
476
00:30:53,005 --> 00:30:54,365
वो पीछा करते हैं।
477
00:30:56,085 --> 00:30:59,165
बार-बार प्रभु की चेतावनी को न समझा जाए,
478
00:31:00,165 --> 00:31:03,085
तो प्रभु अच्छे व्यक्ति को
अपने पास बुला लेते हैं।
479
00:31:04,485 --> 00:31:06,445
[रचना] वे बहुत पढ़े-लिखे बच्चे थे।
480
00:31:07,005 --> 00:31:08,085
जवान हैं।
481
00:31:08,165 --> 00:31:11,365
उनकी उम्र ऐसी थी
जब उन्हें सवाल करने चाहिए।
482
00:31:11,445 --> 00:31:15,365
खासकर सबसे छोटी पीढ़ी को।
कहने को वे "आधुनिक" थे।
483
00:31:16,285 --> 00:31:17,765
मुझे नहीं लगता कि मैं जानती हूँ
484
00:31:18,525 --> 00:31:23,565
कि इंसानों में जो उत्सुकता
सहज रूप से होती है,
485
00:31:24,125 --> 00:31:28,445
उसे पूरी तरह से
चुप कैसे करवा दिया गया होगा?
486
00:31:29,805 --> 00:31:31,045
{\an8}ताज़ा खबर
487
00:31:31,125 --> 00:31:33,045
{\an8}[समाचार-वाचक]
एक ताज़ा खबर से शुरुआत करते हैं।
488
00:31:33,125 --> 00:31:35,685
{\an8}[समाचार-वाचिका] पोस्ट मॉर्टम
रिपोर्ट से अब यह पुष्टि हो गई है
489
00:31:35,765 --> 00:31:38,645
{\an8}कि दस परिवार वालों की मौत
फाँसी पर लटकने से हुई।
490
00:31:38,725 --> 00:31:42,125
{\an8}परिवार की सबसे बुज़ुर्ग सदस्या,
उनकी दादी की पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट
491
00:31:42,205 --> 00:31:46,565
अभी नहीं आई है।
492
00:31:49,925 --> 00:31:51,685
[मोनिशा] जब हम शव परीक्षण कर रहे होते हैं
493
00:31:51,765 --> 00:31:53,885
तब हम भावनाओं को किनारे रख देते हैं।
494
00:31:54,605 --> 00:31:56,965
क्योंकि हमें तकनीकी नज़रिए से
उनकी जाँच करनी होती है।
495
00:31:58,605 --> 00:32:00,605
दादी, जो सबसे बुज़ुर्ग सदस्या थीं,
496
00:32:01,165 --> 00:32:03,445
उनके मामले को अधूरी फाँसी कह सकते हैं।
497
00:32:05,685 --> 00:32:08,845
[मुकेश] पलंग के साथ जो खाली जगह थी,
वहाँ पर वो लेटी हुई पाई गई थीं।
498
00:32:10,125 --> 00:32:13,925
और अलमारी के हैंडल में बाँधकर ही इसने…
499
00:32:16,365 --> 00:32:19,045
[मनोज] वो कागज़ात वगैरह मिला,
उसमें सब लिखा हुआ था।
500
00:32:20,365 --> 00:32:22,805
माता जी क्योंकि भारी हैं, उम्र ज़्यादा है,
501
00:32:22,885 --> 00:32:26,405
वह स्टूल पर खड़े होकर
ये क्रिया नहीं कर सकती।
502
00:32:27,365 --> 00:32:29,365
तो वो लेटकर इस तरीके से ही करेंगी।
503
00:32:32,605 --> 00:32:37,125
[विशाल] जैसे नारायणी देवी,
जबरन कराया गया या आसानी से कराया गया?
504
00:32:37,605 --> 00:32:40,565
जो इनकी माता जी थीं,
उन पर चोट के निशान हैं।
505
00:32:41,485 --> 00:32:44,485
वो तो पकड़ने से हो सकते हैं,
ज़्यादा कसकर पकड़ने से भी।
506
00:32:47,405 --> 00:32:49,805
[मोनिशा] हमारे लिए
यह समझना बहुत मुश्किल था
507
00:32:49,885 --> 00:32:51,685
क्योंकि यह केस बहुत अलग था।
508
00:32:52,685 --> 00:32:56,965
उन सबने नकाब पहने थे,
मुँह बंद थे, आँखों पर पट्टी बँधी थी।
509
00:32:57,045 --> 00:32:59,405
यह सबने किया था। कान में रूई थी।
510
00:32:59,965 --> 00:33:02,325
रूमाल मुँह में ठूँसा गया था।
511
00:33:02,405 --> 00:33:04,565
उनके बेटों में से एक।
512
00:33:06,085 --> 00:33:08,005
सबसे छोटा बेटा।
513
00:33:10,645 --> 00:33:13,445
{\an8}डायरी के एंट्री नोट्स से
514
00:33:13,525 --> 00:33:16,245
{\an8}हमें इसके बारे में बहुत सी जानकारी मिली,
515
00:33:16,325 --> 00:33:20,765
और वे बातें पोस्ट मॉर्टम के
नतीजों से मेल खाती थीं।
516
00:33:23,005 --> 00:33:24,885
[भोपाल] बंधन मज़बूत होने चाहिए।
517
00:33:25,845 --> 00:33:27,805
ईश्वर को लगे तपस्या सच्ची है।
518
00:33:29,445 --> 00:33:31,805
मुख में गीली पट्टी की व्यवस्था करो।
519
00:33:32,485 --> 00:33:36,005
नहीं कर सकते हो,
तो मुँह पर डॉक्टर पट्टी लगानी है।
520
00:33:38,525 --> 00:33:39,445
[मनोज] मुझे नहीं लगता
521
00:33:39,525 --> 00:33:42,445
कि इस दुनिया में कोई होगा
जो बच्चों को मना ले, "तू आत्महत्या कर ले।"
522
00:33:43,645 --> 00:33:47,565
और इसीलिए उनको कसकर बाँधा गया
कि, यार, इनसे करवाना ही करवाना है।
523
00:33:53,845 --> 00:33:55,845
बच्चों को देखके बहुत होता है।
524
00:33:59,205 --> 00:34:00,405
[कुलदीप सिंह] सटकवाया था
525
00:34:00,485 --> 00:34:02,845
या ज़बरदस्ती खुद उसने किया?
526
00:34:03,685 --> 00:34:08,445
अगर वो ज़िंदा होता, तो उस वक्त पता नहीं
हमारा क्या क्या हाल होता उसके साथ।
527
00:34:08,525 --> 00:34:10,245
कि हम कुछ गलत कर बैठते।
528
00:34:13,244 --> 00:34:19,765
इस केस ने मेरी अपनी मान्यताओं
और समाज के बारे में बहुत से सवाल खड़े किए।
529
00:34:20,724 --> 00:34:24,005
विश्वास और अंधविश्वास के बीच
एक हल्की सी लकीर का अंतर होता है।
530
00:34:24,085 --> 00:34:27,125
कहाँ विश्वास खत्म होता है
और अंधविश्वास शुरू होता है, है न?
531
00:34:27,925 --> 00:34:29,204
वह हद कहाँ है?
532
00:34:34,485 --> 00:34:39,005
[कुलदीप] जब मैं सीढ़ी से ऊपर चढ़के गया
तो सभी एक घेरे में खड़े हुए थे।
533
00:34:40,605 --> 00:34:43,605
मैं वहाँ दो मिनट खड़ा होकर ये सोचता रहा कि
534
00:34:44,765 --> 00:34:46,204
सच है या क्या है?
535
00:34:47,605 --> 00:34:52,965
जो सबसे बाद में, जो मुझे लगता है,
जो आत्महत्या की है, वो ललित ने की है।
536
00:34:53,045 --> 00:34:54,485
जहाँ तक मेरा अपना मानना है।
537
00:34:54,565 --> 00:34:59,965
क्योंकि उसके हाथों में जो रस्सियाँ थीं,
वो कोई तार जैसा था।
538
00:35:00,045 --> 00:35:03,005
तो वो ऐसा नहीं था
जैसे और लोगों के बँधा हुआ था।
539
00:35:06,205 --> 00:35:07,525
[मनोज] ललित और टीना,
540
00:35:08,325 --> 00:35:10,885
क्योंकि उनके हाथ
इतने ज़्यादा नहीं बँधे हुए थे,
541
00:35:10,965 --> 00:35:12,325
और पैर खुले हुए थे,
542
00:35:12,405 --> 00:35:15,645
तो लगता है कि उन्होंने
उनकी मदद की बाँधने में।
543
00:35:15,725 --> 00:35:18,765
अपने आप को पीछे नहीं बाँध सकता कोई।
किसी और ने ही बाँधा होगा।
544
00:35:24,565 --> 00:35:26,125
टीना उसमें जानती होगी
545
00:35:26,205 --> 00:35:28,405
क्योंकि टीना से कुछ नहीं छिपा था।
मुझे पता है।
546
00:35:28,885 --> 00:35:32,645
और किसी को पता हो न हो… जैसा मैंने
पहले ही बोला, और किसी को पता हो न हो,
547
00:35:33,565 --> 00:35:36,725
इन दोनों को तो पता था कि ऐसा कुछ होगा।
548
00:35:38,485 --> 00:35:41,005
परिवार के सारे सदस्य ऐसे हो सकते हैं।
549
00:35:46,485 --> 00:35:50,525
[रचना] जैसे एक माँ का
अपने बच्चे की रक्षा करने का जज़्बा
550
00:35:51,405 --> 00:35:52,765
खत्म हो गया था।
551
00:35:55,165 --> 00:35:58,685
हम अकसर सुनते हैं कि औरतें, और कुछ नहीं,
552
00:35:58,805 --> 00:36:01,285
तो अपने बच्चों की रक्षा के लिए
लड़ पड़ती हैं।
553
00:36:04,205 --> 00:36:07,845
[बरखा दत्त] मेरे लिए इसने
ताकत से जुड़े सवाल उठाए।
554
00:36:08,925 --> 00:36:10,685
क्या अंत में घर की औरतें,
555
00:36:10,765 --> 00:36:13,365
और मर्दों से ज़्यादा औरतें मारी गईं…
556
00:36:13,925 --> 00:36:17,045
क्या घर की औरतों को उस रस्म में
शामिल होने से मना करने का हक था?
557
00:36:17,125 --> 00:36:19,765
और अगर ऐसा नहीं था,
तो क्या इसे आत्महत्या कहा जा सकता है?
558
00:36:19,845 --> 00:36:21,245
या इसे हत्या कहना चाहिए?
559
00:36:21,325 --> 00:36:23,325
[साइरन बज रहे हैं]
560
00:36:26,285 --> 00:36:28,725
[विशाल] जिस दिन ये हुआ, 30 जून का,
561
00:36:29,725 --> 00:36:32,725
ये तो आठ दिन पहले ही
पूजा-पाठ इनकी शुरू हो चुकी थी
562
00:36:32,805 --> 00:36:35,445
क्योंकि उन पन्नों में वो लिखा हुआ था।
563
00:36:36,485 --> 00:36:39,605
इस अनुष्ठान में पिता जी आएँगे।
564
00:36:46,805 --> 00:36:50,485
और इसी बात पे सारा परिवार राज़ी था
कि भई, अगर हम ये बड़ तपस्या कर लेंगे,
565
00:36:51,405 --> 00:36:53,925
तो हमारा और भला हो जाएगा।
566
00:36:54,485 --> 00:36:56,165
और ये दस-15 मिनट का ही खेल है सारा।
567
00:36:57,445 --> 00:37:00,565
उन्हें यकीन दिलाया गया,
"मैं आऊँगा और तुम सबको छुड़ा दूँगा।
568
00:37:00,645 --> 00:37:02,525
तुम्हें कुछ नहीं होगा। बहुत अच्छा होगा।"
569
00:37:08,845 --> 00:37:11,485
मेरा नाम जतिन है।
मैं ध्रुव और शिबू का दोस्त था।
570
00:37:11,565 --> 00:37:14,045
वो मेरे पड़ोसी थे।
वो पीछे वाले घर में रहते थे।
571
00:37:14,125 --> 00:37:19,445
मैं उनसे रात को भी मिला था।
मैं कुछ सामान लेकर आ रहा था खाने का,
572
00:37:19,525 --> 00:37:20,805
तो वे दुकान पे खड़े थे।
573
00:37:20,885 --> 00:37:22,565
आपस में ऐसे ही हँसी-मज़ाक कर रहे थे।
574
00:37:22,645 --> 00:37:23,685
एक ने ऐसे करके मारा था।
575
00:37:25,005 --> 00:37:28,045
मैंने पूछा भी था, "आज खेलोगे?"
तो बोले, "नहीं, आज नहीं।" मना कर रहे थे।
576
00:37:31,885 --> 00:37:33,965
साढ़े दस बजे के आस-पास की बात थी वो भी।
577
00:37:47,405 --> 00:37:52,885
इस पूरे मामले में जो एक वाक्य
हमेशा मुझे याद रहेगा, वह है,
578
00:37:52,965 --> 00:37:54,685
"पापा के आने का समय हो गया है।"
579
00:37:56,205 --> 00:37:57,925
रोंगटे खड़े हो गए थे।
580
00:38:05,165 --> 00:38:08,085
[रचना] और ज़ाहिर है
कि उस पल का जादू ही ऐसा था
581
00:38:08,165 --> 00:38:11,445
कि उन्हें यकीन था, "हम नहीं मरेंगे।
582
00:38:12,085 --> 00:38:13,925
और हम पूरा विश्वास कर सकते हैं।"
583
00:38:21,125 --> 00:38:23,245
[भोपाल] ईश्वर इस बात से खुश है
584
00:38:27,085 --> 00:38:31,525
कि 11 बंदे एक भावना लिए,
एक लाइन में खड़े हैं।
585
00:38:35,605 --> 00:38:38,285
बड़ तपस्या में घबराना नहीं।
586
00:38:40,045 --> 00:38:42,765
चाहे धरती हिले या आकाश हिले,
587
00:38:44,045 --> 00:38:45,845
यह भ्रम पैदा करती है।
588
00:38:47,365 --> 00:38:51,485
बच्चों को समझाओ कि मानसिक जाप करते रहेंगे।
589
00:38:53,085 --> 00:38:56,045
पाँच से 15 मिनट का जाप हो सकता है।
590
00:38:57,285 --> 00:38:59,485
जब तक जाप खत्म नहीं होता,
591
00:39:00,645 --> 00:39:02,965
ललित सबकी सुरक्षा का काम करेगा।
592
00:39:05,805 --> 00:39:09,125
गले में बंधन बाँधने का काम
एक व्यक्ति का हो।
593
00:39:11,685 --> 00:39:14,325
सुरक्षा के लिए जब सारे बंधन बँध जाएँ,
594
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तो ललित ने एक छोटी सी
छड़ी से इशारा करना है।
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एक जल की कटोरी बाहर रखनी है।
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जब जल का रंग बदल जाए,
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तब मैं आऊँगा।
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[थीम संगीत बज रहा है]