1
00:00:06,005 --> 00:00:08,925
इस सीरीज़ में
आत्महत्या से जुड़े दृश्य दिखाए गए हैं
2
00:00:09,005 --> 00:00:11,885
जो कुछ दर्शकों को विचलित कर सकते हैं।
दर्शक अपने विवेक से काम लें।
3
00:00:11,965 --> 00:00:13,365
अगर आप या आपका कोई परिचित इससे जूझ रहा है,
4
00:00:13,445 --> 00:00:15,925
तो जानकारी और सहायता
www.wannatalkaboutit.com पर उपलब्ध है
5
00:00:16,725 --> 00:00:21,005
NETFLIX डॉक्यूमेंट्री सीरीज़
6
00:00:21,125 --> 00:00:24,125
[स्कूल की घंटी बज रही है]
7
00:00:26,685 --> 00:00:28,325
{\an8}जो है रिश्ता "आपसे"
बस उसी की दरकार है "मुझे"
8
00:00:28,405 --> 00:00:29,525
{\an8}आप जैसा भाई होना खुशकिस्मती है
9
00:00:29,605 --> 00:00:31,805
{\an8}[परवीन मेहता]
और न ही ऐसा परिवार मिलेगा हमें,
10
00:00:31,885 --> 00:00:33,645
{\an8}और न ही हमने देखा होगा ऐसा परिवार।
11
00:00:34,405 --> 00:00:37,124
{\an8}जो उन्होंने हमें प्यार दिया, उस परिवार ने।
12
00:00:37,205 --> 00:00:38,685
{\an8}जानू कहने वाली प्रेमिका भले ही न हो
पर ढक्कन बोलने वाली बहन हमेशा साथ है
13
00:00:39,245 --> 00:00:40,525
परवीन मेहता - ललित की दोस्त
14
00:00:40,605 --> 00:00:43,245
ये दीदी है मेरे बड़े वाले,
सुनीता मेहता इनका नाम है।
15
00:00:43,325 --> 00:00:45,565
सुनीता मेहता - परवीन की जेठानी
16
00:00:45,645 --> 00:00:47,565
जेठानी है मेरी।
17
00:00:49,045 --> 00:00:51,565
मेरे पति की दोस्ती थी उनके साथ।
18
00:00:51,645 --> 00:00:56,165
फिर हम जैसे कि परिवार की तरह रहने लग गए,
फिर ये भी उनके साथ…
19
00:00:57,365 --> 00:00:59,125
[सुनीता मेहता] बच्चों में
बहुत ज़्यादा प्यार है।
20
00:00:59,205 --> 00:01:01,245
बच्चों का बहुत ज़्यादा लगाव है।
21
00:01:01,325 --> 00:01:03,885
मेरा करण और विश्वा…
22
00:01:06,125 --> 00:01:08,965
ये तोहफ़े हैं मोनू के दिए हुए करण को।
23
00:01:09,685 --> 00:01:12,485
कि मेरे बच्चे के प्रति इतना प्यार उसका।
24
00:01:12,565 --> 00:01:15,365
कोई अपने भाई से
इतना भी कोई प्यार कर सकता है?
25
00:01:19,845 --> 00:01:22,885
{\an8}उसके तोहफ़े खोलेंगे तो ऐसा लगेगा
26
00:01:22,965 --> 00:01:27,365
जैसे कोई अलग से कुछ बनाया हुआ
कुछ देख रहे हैं हम।
27
00:01:28,125 --> 00:01:30,085
"हैप्पी बर्थडे, भैया।"
28
00:01:31,725 --> 00:01:34,765
ये मेरी मोनू की कारीगरी है। मेरी मोनू की।
29
00:01:37,125 --> 00:01:39,165
मेनका बहुत अच्छी लड़की थी,
30
00:01:40,045 --> 00:01:41,485
बहुत तेज़ दिमाग था।
31
00:01:45,445 --> 00:01:47,565
[परवीन] कुछ करना चाहती थी वो ज़िंदगी में।
32
00:01:48,725 --> 00:01:52,405
ये तो नहीं पता था उसको,
मेरे साथ ये… कुछ ऐसा हो जाएगा।
33
00:01:53,685 --> 00:01:55,405
सबसे प्यारा भाई
34
00:01:55,485 --> 00:01:57,525
सबसे अच्छा मार्गदर्शक और साथी
35
00:01:57,605 --> 00:01:58,885
सबसे अच्छा दर्द हरने वाला
36
00:01:58,965 --> 00:02:01,245
[करण मेहता] उसने ये कार्ड
एक-एक करके नहीं भेजे,
37
00:02:01,325 --> 00:02:03,365
उसने सभी बना लिए थे मेरे जन्मदिन पर।
38
00:02:04,005 --> 00:02:05,125
करण मेहता - मेनका का दोस्त
39
00:02:05,205 --> 00:02:08,045
असल में उसे इतना लगाव था
कि मुझे सरप्राइज़ देना चाहती थी।
40
00:02:08,125 --> 00:02:12,005
कि अपने कार्ड उसने बनाए, अपने हाथों से,
तो वो मुझे जन्मदिन पर देना चाहती थी।
41
00:02:12,085 --> 00:02:13,445
हमारा रिश्ता सूरज की तरह है।
42
00:02:13,525 --> 00:02:15,325
जब आप देख नहीं सकते,
तब भी आपके लिए चमकूँगी
43
00:02:15,405 --> 00:02:19,445
मैं ऐसे देखता था कि एक भाई-बहन में भी
इतना अच्छा रिश्ता हो सकता है।
44
00:02:23,525 --> 00:02:25,205
कई बार लगता है
45
00:02:26,205 --> 00:02:28,125
कि नहीं है अब वह।
46
00:02:34,365 --> 00:02:37,925
पर हाँ, अब मुझे यह बात माननी ही होगी।
47
00:02:45,125 --> 00:02:47,805
[सुनीता] ऐसे लगता था
जैसे मेरे बेटे को कुछ हो ही गया।
48
00:02:48,805 --> 00:02:51,205
कितने दिन तो मैं उसके पास सोती थी।
49
00:02:51,285 --> 00:02:52,765
उसको अकेला नहीं छोड़ती थी।
50
00:02:52,845 --> 00:02:56,525
वो बार-बार उसी की बातें कर रहा था।
"मम्मा, मोनू दीदी को कुछ नहीं हो सकता।"
51
00:02:57,645 --> 00:03:01,925
"मम्मा, ऐसा क्यों किया उन्होंने?
ललित चाचू ने ऐसा क्यों करवाया उनसे?"
52
00:03:03,525 --> 00:03:05,405
ये तो भगवान को पता है न।
53
00:03:05,485 --> 00:03:09,005
कि ऐसा हुआ? कैसे हुआ? क्यों हुआ?
54
00:03:11,605 --> 00:03:13,205
[परवीन रो रही है]
55
00:03:23,285 --> 00:03:28,325
कुछ नहीं बनता, परवीन। चुप हो जा।
दीदी, कुछ नहीं बनता, चुप हो जा।
56
00:03:28,405 --> 00:03:32,325
यादें छोड़ गए हमारे पास, बस।
इतना अच्छा परिवार था।
57
00:03:32,405 --> 00:03:34,605
{\an8}आप जैसे भाई के प्यार के आगे
कोई खज़ाना कुछ नहीं… आप सबसे खास हैं
58
00:03:34,685 --> 00:03:37,085
{\an8}आप नहीं जानते,
पर आप मेरे लिए सबसे अच्छा तोहफ़ा हैं,
59
00:03:37,165 --> 00:03:38,165
मैं हमेशा आपके साथ हूँ…
60
00:03:38,245 --> 00:03:43,645
[डॉ. आलोक सरीन] मुझे हैरानी हो रही है
कि बुराड़ी में असल में क्या हुआ,
61
00:03:43,725 --> 00:03:47,445
{\an8}उस पर और ज़्यादा चर्चा नहीं हुई।
62
00:03:47,525 --> 00:03:48,445
{\an8}डॉ. आलोक सरीन - सायकाइट्रिस्ट
63
00:03:49,885 --> 00:03:53,805
इसके बारे में ठंडे दिमाग से
सोच-विचार करने से,
64
00:03:53,885 --> 00:03:55,965
बजाय इस मुद्दे से दूर भागने के,
65
00:03:56,045 --> 00:04:01,925
आने वाले समय में
इन चर्चाओं में मदद मिलेगी।
66
00:04:03,005 --> 00:04:08,405
ज़ाहिर है कि हालातों ने
बिल्कुल गलत रुख ले लिया।
67
00:04:09,205 --> 00:04:11,205
[थीम संगीत बज रहा है]
68
00:04:33,005 --> 00:04:35,365
[मुकेश सेंगर] वो सारा
ललित के दिमाग की उपज थी।
69
00:04:36,965 --> 00:04:41,285
{\an8}उसके दिमाग में कुछ चल रहा था बरसों से,
कुछ सालों से चल रहा था,
70
00:04:41,365 --> 00:04:43,165
{\an8}और वो इतना जकड़ा हुआ था उस चीज़ में।
71
00:04:43,245 --> 00:04:44,285
[डरावनी फुसफुसाहट]
72
00:04:44,365 --> 00:04:46,685
[मनोज कुमार] उनके दिमाग से खेल रहा था,
73
00:04:46,765 --> 00:04:47,845
शुरू से ही।
74
00:04:47,925 --> 00:04:50,885
मुझे लगता है कि इसके साथ
बहुत ही ज़्यादती हुई, उस परिवार के साथ।
75
00:04:53,085 --> 00:04:56,125
[भोपाल सिंह] रात के सत्संग
मज़ाक में मत लिया करो।
76
00:04:57,045 --> 00:05:02,645
और जिन लोगों के साथ
बात करने की मनाही है, उनसे दूर रहो।
77
00:05:02,725 --> 00:05:08,125
तुम्हारी हर गलती के भुगतान
ललित, शिवम व टीना को भुगतने पड़ते हैं।
78
00:05:08,205 --> 00:05:12,125
पर तुम समय रहते सब भूल जाते हो।
79
00:05:12,205 --> 00:05:16,245
{\an8}[विशाल आनंद] अगर उसने उस पूजा की
और हमारी बात नहीं मानी,
80
00:05:16,325 --> 00:05:19,125
{\an8}या रजिस्टर में लिखी हुई बात नहीं मानी,
तो उसको इतनी सज़ा दी जाएगी।
81
00:05:19,925 --> 00:05:24,725
[भोपाल] यह प्रभु की कृपा है
कि गलती पता चल रही है।
82
00:05:24,805 --> 00:05:28,325
दिसंबर महीने से पूरा एक वर्ष सज़ा मिलेगी।
83
00:05:30,325 --> 00:05:33,285
ये वर्ष तुम्हारे लिए अंतिम है।
84
00:05:35,285 --> 00:05:37,485
[अनीता आनंद] उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी।
85
00:05:38,525 --> 00:05:41,045
इस बदलाव से समझ में आ रहा है
86
00:05:41,125 --> 00:05:44,325
कि कई मामलों में वह खुद को
इतना लाचार महसूस करता था
87
00:05:44,405 --> 00:05:47,405
कि वह इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।
88
00:05:48,245 --> 00:05:51,965
कह सकते हैं
कि उसकी बर्दाश्त की हद खत्म हो गई थी।
89
00:05:56,005 --> 00:05:58,605
[मनोज] मेरे खयाल से ललित का
सबसे बड़ा हाथ था इसमें।
90
00:05:59,605 --> 00:06:01,725
इसलिए वह कामयाब हुआ
91
00:06:01,805 --> 00:06:05,405
कि उसने अपने आप को मुखिया ही बना दिया।
92
00:06:05,485 --> 00:06:07,725
तो सब उसकी बात मानते ही।
93
00:06:07,805 --> 00:06:12,085
बस वो एक आदमी था जो इन सबको
घुमाते-घुमाते यहाँ तक लेके आ गया।
94
00:06:12,165 --> 00:06:13,885
ललित।
95
00:06:13,965 --> 00:06:17,285
{\an8}केवल तुम्हारे कारण ही
सब अपनी जान से हाथ धो बैठे।
96
00:06:18,485 --> 00:06:22,045
पुलिस की जाँच से अब तक जो बातें
निकलकर सामने आ रही हैं,
97
00:06:22,125 --> 00:06:27,005
उसके मुताबिक घर के छोटे बेटे, ललित ने ही
सबको सामूहिक आत्महत्या करने के लिए उकसाया।
98
00:06:27,085 --> 00:06:28,645
ललित, मास्टरमाइंड? - दिल्ली का ख़ौफ़नाक घर
99
00:06:28,725 --> 00:06:30,245
दिल्ली क्राइम ब्रांच के अधिकारी
ललित की भूमिका की जाँच कर रहे हैं
100
00:06:30,325 --> 00:06:34,845
[अनीता] अफ़सोस की बात यह है कि इसे
एक अजीब घटना की तरह दिखाया जा रहा है।
101
00:06:34,925 --> 00:06:35,925
अनीता आनंद - क्लिनिकल हिप्नोथेरापिस्ट
102
00:06:36,005 --> 00:06:38,885
क्योंकि इस घटना में
और भी बहुत सी चीज़ें हो रही हैं,
103
00:06:38,965 --> 00:06:41,925
पर इसे बस तरह दिखा रहे हैं
जैसे यह बस एक सनसनीखेज घटना है,
104
00:06:42,005 --> 00:06:45,365
एक बेहद दृश्यरतिक हादसा है।
105
00:06:45,445 --> 00:06:47,925
इसे देखे जा रहे हैं
क्योंकि यह बेहद अजीब है।
106
00:06:48,005 --> 00:06:49,165
{\an8}द न्यूज़ - मिरर नाउ
107
00:06:50,525 --> 00:06:53,285
{\an8}सन्नाटे को चीरती सनसनी फिर देगी दस्तक।
108
00:06:57,725 --> 00:07:00,285
[पुरुष समाचार-वाचक]
बुराड़ी के भुतहा घर का सच!
109
00:07:01,965 --> 00:07:06,565
[मुकेश] तो मीडिया में हर तरह से
इस तरह के मामलों की रिपोर्टिंग होती है।
110
00:07:06,645 --> 00:07:09,925
और पहले भी होती रही है
और शायद आगे भी होगी।
111
00:07:11,285 --> 00:07:14,725
[पुरुष इंटरव्यूअर] पर वो सही है या गलत है,
जो ये रिपोर्टिंग थी, आपके हिसाब से?
112
00:07:18,005 --> 00:07:19,365
तुम तो फँसाओगे, यार।
113
00:07:24,005 --> 00:07:24,845
ठीक है।
114
00:07:26,525 --> 00:07:30,205
बढ़ावा देने वाली रिपोर्टिंग,
शायद उसको मैं सही नहीं माता हूँ।
115
00:07:30,285 --> 00:07:32,765
और इस मामले में
शायद यह थोड़ी-बहुत हुई भी है।
116
00:07:32,845 --> 00:07:36,685
कुछ लोगों ने इसको ज़्यादा दिखाया है
अपने दर्शकों को।
117
00:07:36,765 --> 00:07:40,565
{\an8}क्या यह हत्या का मामला है
जिसे पुलिस अनदेखा कर रही है?
118
00:07:40,645 --> 00:07:43,605
{\an8}[पुरुष समाचार-वाचक] किसी "बाबा" के
शामिल होने की संभावना का क्या हुआ?
119
00:07:43,685 --> 00:07:47,805
{\an8}[पुरुष रिपोर्टर] इन 11 पाइपों के ज़रिए
आत्माओं को निकलने के लिए जगह बनाई गई?
120
00:07:47,885 --> 00:07:50,565
इस मामले में जो एक बात ज़ाहिर तौर पर हुई,
121
00:07:50,645 --> 00:07:52,565
जिसकी वजह से हमें
मामले की इतनी कम जानकारी है,
122
00:07:52,645 --> 00:07:56,085
वह यह है कि इसे एक नाटकीय जुर्म के
रूप में रिपोर्ट किया गया।
123
00:07:56,165 --> 00:07:57,005
बरखा दत्त - पत्रकार
124
00:07:57,685 --> 00:08:01,245
इसे अंकज्योतिष से जुड़ी
एक घटना के रूप में रिपोर्ट किया गया,
125
00:08:01,325 --> 00:08:04,085
इससे एक तांत्रिक पहलू जोड़ दिया गया।
126
00:08:05,245 --> 00:08:07,645
और मेरे खयाल से यह उस घटिया तरीके की
127
00:08:07,725 --> 00:08:10,885
शुरुआत है
128
00:08:10,965 --> 00:08:14,165
जिसमें भारत की टीवी की
मुख्य धारा की पत्रकारिता
129
00:08:14,245 --> 00:08:15,445
फँसती जा रही है।
130
00:08:21,525 --> 00:08:23,845
[प्रितपाल कौर] मीडिया ने कहा
वहाँ चिल्लाने की आवाज़ आती है,
131
00:08:23,925 --> 00:08:25,565
भूत देखा, ये वो।
132
00:08:25,645 --> 00:08:30,725
लोगों को मज़ा आ रहा था,
वो उस खबर को बढ़ाकर दिलचस्प बनाने के लिए।
133
00:08:30,805 --> 00:08:32,405
वो ये सब दिखा रहे थे।
134
00:08:32,485 --> 00:08:38,564
{\an8}खबर बेचने के लिए मिर्च-मसाले लगाने का काम
मीडिया उस वक्त कर रहा था।
135
00:08:38,645 --> 00:08:39,924
{\an8}[अमरीक सिंह बोल रहे हैं]
136
00:08:40,005 --> 00:08:41,885
{\an8}[हिमानी भंडारी]
एक रिपोर्टर को सोचना चाहिए,
137
00:08:41,965 --> 00:08:43,845
{\an8}सोच-समझकर रिपोर्ट करना चाहिए।
138
00:08:43,924 --> 00:08:46,564
{\an8}और बुराड़ी मामले में
यह और ज़्यादा ज़रूरी था क्योंकि
139
00:08:46,645 --> 00:08:50,005
{\an8}आपके सामने एक अजीब मामला है
जो समझ में नहीं आ रहा…
140
00:08:50,085 --> 00:08:51,005
{\an8}हिमानी भंडारी - क्राइम रिपोर्टर
141
00:08:51,085 --> 00:08:54,445
…जिसमें वे सारे पहलू हैं
जिन्हें संवेदनशीलता के साथ संभालना चाहिए।
142
00:08:55,645 --> 00:08:58,965
[बरखा दत्त] सनसनीखेज खबरों के लिए
जो शर्मनाक भूख है,
143
00:08:59,045 --> 00:09:03,765
उसका कारण है एक समस्या को
"खुद से अलग" करके देखना।
144
00:09:04,565 --> 00:09:06,285
यह मान लेना बहुत आसान है
145
00:09:06,365 --> 00:09:09,245
कि ऐसा दूसरों के साथ होता है
और आपके साथ नहीं हो सकता।
146
00:09:10,845 --> 00:09:14,925
और यहाँ एक पूरे परिवार ने
खुद को फाँसी लगा ली,
147
00:09:15,005 --> 00:09:19,645
या कम से कम हमें यही बताया जा रहा है,
और हमें इस बारे में कुछ नहीं पता है?
148
00:09:20,405 --> 00:09:24,805
किसी ने हमें यह नहीं बताया
कि यह क्यों या कैसे हुआ।
149
00:09:24,885 --> 00:09:29,325
और हममें से किसी ने वापस जाकर
यह जानने की कोशिश भी नहीं की?
150
00:09:29,405 --> 00:09:31,645
सबने इस खबर को भुला दिया।
151
00:09:42,045 --> 00:09:44,045
{\an8}[गुरचरण सिंह] इनके डैडी थे भोपाल सिंह।
152
00:09:46,605 --> 00:09:50,805
{\an8}[पंजाबी में] बहुत सीधे-सादे बंदे थे।
कोई बीड़ी-सिगरेट वगैरह नहीं करते थे।
153
00:09:50,885 --> 00:09:52,245
{\an8}भोपाल सिंह
154
00:09:52,325 --> 00:09:55,325
बुज़ुर्ग में हम आपस में बैठ जाते थे।
गल्लां-बातें करते थे।
155
00:09:55,405 --> 00:09:56,725
गुरचरण सिंह - पड़ोसी
156
00:09:56,805 --> 00:10:00,085
बाकी वह टोहाना के बारे में
बातें करते रहते थे।
157
00:10:00,405 --> 00:10:04,605
टोहाना - हरियाणा
158
00:10:08,645 --> 00:10:12,125
खेती-बाड़ी के दिनों की,
अपने अच्छे-खासे दूध के कारोबार की।
159
00:10:14,765 --> 00:10:17,845
उनके पास मवेशी थे, खेती-बाड़ी भी करते थे।
160
00:10:20,245 --> 00:10:22,885
[गुरदयाल सिंह, हिंदी में]
ये चारों तरफ़ आठ एकड़ है जो,
161
00:10:23,765 --> 00:10:26,685
हम उसके खेत में…
भोपाल सिंह के खेत में बैठे हैं।
162
00:10:26,765 --> 00:10:32,445
और वो हमारे को
1988 या '89 में बेचकर गया है।
163
00:10:34,685 --> 00:10:36,405
मेरा नाम गुरदयाल सिंह है जी।
164
00:10:36,485 --> 00:10:37,525
गुरदयाल सिंह - पारिवारिक मित्र
165
00:10:37,605 --> 00:10:39,445
और ये मेरे दोनों भाई हैं।
166
00:10:40,165 --> 00:10:42,285
बड़े भाई का नाम तो करम सिंह है।
167
00:10:42,365 --> 00:10:44,725
ये छोटे भाई का नाम है गुरचरण सिंह।
168
00:10:44,805 --> 00:10:47,245
{\an8}वैसे, छोटा नाम, तारी भी बोल देते हैं इसको।
169
00:10:49,405 --> 00:10:53,085
[गुरचरण "तारी" सिंह]
जब हमारे पिता जी की मुलाकात हुई,
170
00:10:53,165 --> 00:10:56,045
उसने अपना धर्म भाई बना लिया था जी।
171
00:10:56,685 --> 00:11:01,805
मेरे पिता जी को… धर्म भाई बन गए थे
ये आपस में। इतना प्यार पढ़ गया था फिर।
172
00:11:03,525 --> 00:11:06,325
उन्होंने डेयरी भी बना ली थी यहाँ।
173
00:11:06,405 --> 00:11:09,405
इसने मज़दूरी करके अपने बच्चे पाले जी।
174
00:11:09,485 --> 00:11:11,285
फिर ट्रैक्टर लिया।
175
00:11:11,365 --> 00:11:13,005
[पंजाबी में] वहाँ खेती करने लगे।
176
00:11:13,085 --> 00:11:17,245
फिर जब शादी-ब्याह किए,
ज़्यादा ही पैसा खर्च कर दिया।
177
00:11:17,925 --> 00:11:22,405
ज़्यादा पैसा होने के कारण फिर मेरे पिता जी
से कहा कि मेरे ऊपर कर्ज़ा ज़्यादा है।
178
00:11:24,965 --> 00:11:28,405
तब उन्होंने हमें ज़मीन बेच दी।
179
00:11:29,405 --> 00:11:33,565
बिकने के बाद उन्होंने कहा, "अब मेरे लिए
यहाँ कोई साधन तो रह नहीं गया।"
180
00:11:34,365 --> 00:11:38,165
[गुरदयाल, हिंदी में] भोपाल सिंह जी ने बोला
कि, "मेरे बेटे यहाँ तो हाई-फ़ाई रहे,
181
00:11:38,245 --> 00:11:41,485
लेकिन यहाँ मेरे बेटे
रेड़ी नहीं लगा सकेंगे।"
182
00:11:43,805 --> 00:11:47,725
[पंजाबी में] उनके रिश्तेदार वहाँ थे,
तो वे वहीं चले गए।
183
00:11:51,045 --> 00:11:55,125
[हिंदी में] भोपाल सिंह जी की
जो आदत थी न, बड़े अच्छे…
184
00:11:55,205 --> 00:11:57,205
"अंकल जी" कहके हम उनको बुलाते थे।
185
00:11:58,445 --> 00:12:00,125
जो भी मतलब की बात है, की।
186
00:12:00,885 --> 00:12:05,205
और वैसे बिल्कुल कोई उनकी सोच छोटी नहीं थी,
बहुत ही खुले विचारों के थे।
187
00:12:05,285 --> 00:12:06,565
तिलक राज भाटिया - पारिवारिक मित्र
188
00:12:06,645 --> 00:12:08,445
सख्ती जैसी कोई बात नहीं थी उनमें।
189
00:12:10,365 --> 00:12:13,565
बड़ी हँसी-खुशी परिवार यहाँ था।
190
00:12:14,685 --> 00:12:18,165
ललित थोड़ा बचपना और शरारती जैसा लड़का था।
191
00:12:18,845 --> 00:12:20,765
काफ़ी शरारतें करता था ये।
192
00:12:22,205 --> 00:12:24,205
छोटा तो लाडला तो होगा ही। छोटा है।
193
00:12:24,285 --> 00:12:27,245
ललित तो लाडला तो है ही।
छोटा बच्चा तो लाडला ही होता है।
194
00:12:27,765 --> 00:12:29,525
दो नवंबर, 1970 - ललित का जन्म
195
00:12:29,725 --> 00:12:32,365
[संदीप चोपड़ा] ललित, मैं और चंदर,
196
00:12:34,365 --> 00:12:37,885
{\an8}तब हम लोग 12वीं में
शायद हम लोग बीयर पी लेते थे।
197
00:12:37,965 --> 00:12:41,565
{\an8}और बीयर पीने का मौका
जब कभी मिल जाए, तो छोड़ते नहीं थे।
198
00:12:44,005 --> 00:12:47,605
{\an8}फिर जब सुबह बातचीत करते हुए
दो, तीन, चार बज गए हैं,
199
00:12:47,685 --> 00:12:50,565
लेकिन वो कभी भी चुप नहीं होता था।
200
00:12:50,645 --> 00:12:53,845
लगा ही रहता था कुछ न कुछ,
कुछ पुराना, कुछ नया।
201
00:12:53,925 --> 00:12:55,005
संदीप चोपड़ा - ललित का दोस्त
202
00:12:55,085 --> 00:12:59,125
कभी कहीं का, कभी किसी का, कभी कुछ-कुछ करके
मतलब, हँसाता रहता था सबको।
203
00:12:59,845 --> 00:13:02,725
ललित से खून का रिश्ता तो नहीं था,
लेकिन उससे भी बढ़के था।
204
00:13:02,805 --> 00:13:03,885
चंदर मेहता - ललित का दोस्त
205
00:13:03,965 --> 00:13:05,845
बहुत अच्छा दोस्त था मेरा।
206
00:13:06,805 --> 00:13:11,125
जैसे बताया, कि जब मैं पहली बार मिला,
तो वो उसकी पहली दुर्घटना हो चुकी थी।
207
00:13:11,205 --> 00:13:12,805
{\an8}-[टायर घिस रहे हैं]
-[काँच टूट रहा है]
208
00:13:14,405 --> 00:13:16,285
{\an8}[संदीप] ललित की बाइक दुर्घटना थी,
209
00:13:16,365 --> 00:13:18,525
{\an8}ठीक से मुझे याद नहीं है।
210
00:13:19,245 --> 00:13:21,165
काफ़ी दिन तक वह अस्पताल में रहा।
211
00:13:22,445 --> 00:13:23,965
तो उसने परीक्षा, दरअसल, देनी थी,
212
00:13:24,045 --> 00:13:27,805
पर परीक्षा वो दे नहीं पाया था
क्योंकि वह अस्पताल में भर्ती था।
213
00:13:29,285 --> 00:13:32,765
तो जैसे उनके माता-पिता से बात होती थी
214
00:13:32,845 --> 00:13:36,485
कि उस दुर्घटना में भी
शायद उसके सिर पर ही चोट ज़्यादा थी।
215
00:13:37,325 --> 00:13:39,725
नींद बड़ी जल्दी आती थी उसको।
216
00:13:39,805 --> 00:13:43,805
नींद, हम लोग जैसे बात कर रहे हैं आपस में,
बैठे-बैठे सो जाता था।
217
00:13:46,245 --> 00:13:48,325
तो सबसे पहले दुर्घटना तब हुई थी उसकी।
218
00:13:48,925 --> 00:13:51,325
काफ़ी दिन तक वो अस्पताल में भर्ती रहा।
219
00:13:51,405 --> 00:13:56,245
और फिर दिल्ली जाने के पश्चात,
फिर दुर्घटना एक बड़ी वाली हुई।
220
00:13:56,325 --> 00:13:59,885
उसको दुर्घटना तो नहीं कह सकते।
वो एक हमला हुआ था उसके ऊपर।
221
00:14:00,565 --> 00:14:06,085
अपनी तरफ़ से उसको मार दिया था उन लोगों ने,
जो हमला करने वाले थे।
222
00:14:06,165 --> 00:14:07,405
तब उसकी आवाज़ गई थी।
223
00:14:08,605 --> 00:14:11,405
[सतीश कुमार] ललित जमुना पार में
224
00:14:11,485 --> 00:14:14,045
प्लाय की दुकान में नौकरी करता था।
225
00:14:14,645 --> 00:14:17,285
वहाँ पे कुछ पैसों को लेकर
झगड़ा हुआ उनका मालिक से।
226
00:14:17,365 --> 00:14:18,885
सतीश कुमार - जाँच अधिकारी
क्राइम ब्रांच, दिल्ली
227
00:14:18,965 --> 00:14:20,805
इसको लेके वहाँ पे झगड़ा हुआ।
228
00:14:21,365 --> 00:14:27,565
और इन्होंने बताया कि भई, ललित को उन्होंने
दुकान के अंदर स्टोर में डालके आग लगा दी।
229
00:14:28,885 --> 00:14:32,885
{\an8}छब्बीस मार्च, 2004
230
00:14:38,365 --> 00:14:42,325
{\an8}["तारी" सिंह, पंजाबी में] किसी को नहीं पता
कि हमलावर का क्या इरादा था,
231
00:14:42,405 --> 00:14:46,845
{\an8}उन्होंने इसे मार-पीटकर
उस प्लाय वाले कमरे के अंदर छोड़ दिया।
232
00:14:46,925 --> 00:14:52,165
वहाँ पड़े प्लाय को
और गत्ते वगैरह को आग लगा दी।
233
00:14:53,805 --> 00:14:56,725
जब उसे होश आया,
234
00:14:56,805 --> 00:14:59,245
उसे पता चला कि उसके ऊपर प्लाय गिर गई है।
235
00:15:00,165 --> 00:15:01,685
उसके कंधे पर प्लाय अटक गई थी।
236
00:15:01,765 --> 00:15:05,925
उसने जेब से फ़ोन निकालकर
अपने बड़े भाई को फ़ोन किया।
237
00:15:06,005 --> 00:15:08,165
"मुझ पर हमला हुआ है!
238
00:15:08,885 --> 00:15:11,525
मुझे पीटकर दुकान में बंद कर दिया है।
239
00:15:11,605 --> 00:15:14,445
जल्दी आ जाओ।
उन्होंने गोदाम में आग लगा दी है।"
240
00:15:14,525 --> 00:15:18,685
[हिंदी में] अगर योजना बनाकर हमला किया था,
तो उसके बारे में किसी ने इतना बुरा सोचा
241
00:15:18,765 --> 00:15:20,965
कि हत्या करने की कोशिश तक बात गई।
242
00:15:21,045 --> 00:15:26,405
बड़ा जानलेवा हमला था, अपनी तरफ़ से तो
उन्होंने सोच लिया था कि वह मर गया।
243
00:15:28,525 --> 00:15:32,445
सिर की चोट तो थी ही उसके, पहले भी लगी है।
244
00:15:32,525 --> 00:15:35,005
हो सकता है जब वो दूसरे वाला कांड हुआ,
245
00:15:35,765 --> 00:15:38,045
तो धुआँ उसके फेफड़ों में चला गया हो।
246
00:15:38,925 --> 00:15:41,045
तब उसकी आवाज़ गई थी।
247
00:15:43,645 --> 00:15:47,365
हम जाते थे जब उससे मिलने के लिए, इस दौरान,
248
00:15:47,445 --> 00:15:49,965
एक हँसता-खेलता-बोलता बंदा साढ़े तीन साल तक
249
00:15:50,045 --> 00:15:52,725
बोल ही नहीं सकता था। लिखके बताता था।
250
00:15:52,805 --> 00:15:54,565
तब दुकान पर उसने काम छोड़ दिया था।
251
00:15:54,645 --> 00:15:57,125
परिवार भी नहीं समझ पाया,
पूरा परिवार परेशान था
252
00:15:57,205 --> 00:15:59,165
क्योंकि घर में वही कमाता था।
253
00:16:01,285 --> 00:16:04,765
[प्रितपाल] उनका बेटा भी हुआ इसी दौरान,
जब उनकी आवाज़ नहीं थी,
254
00:16:04,845 --> 00:16:06,325
तो मैंने कई बार बात भी की
255
00:16:06,405 --> 00:16:12,045
कि ललित भैया जी का कितना दिल करता होगा
अपने बेटे को एक बार नाम लेके बुलाने का।
256
00:16:14,125 --> 00:16:17,205
मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि ऐसे है।
257
00:16:17,285 --> 00:16:19,765
मुझे लगा था
कि सच में इनका कुछ दिक्कत है गले की।
258
00:16:22,805 --> 00:16:24,085
[डॉ. अंबरीश सात्विक] इसकी संभावना कम ही है
259
00:16:24,165 --> 00:16:28,085
जब तक कि किसी को स्ट्रोक हुआ हो
या सिर में खून का रिसाव हुआ हो,
260
00:16:28,165 --> 00:16:31,125
जिससे बोलने की क्षमता पर असर पड़ा हो।
261
00:16:31,205 --> 00:16:35,005
या फिर किसी चोट या बीमारी से कंठनली को
262
00:16:35,725 --> 00:16:37,765
या स्वर यंत्र को चोट पहुँची हो।
263
00:16:37,845 --> 00:16:39,165
डॉ. अंबरीश सात्विक
वैस्कुलर सर्जन और लेखक
264
00:16:39,245 --> 00:16:41,525
मुझे नहीं लगता कि उन दोनों का कोई सबूत है।
265
00:16:42,125 --> 00:16:46,525
बाकी ये बात कि वो आवाज़ नहीं गई थी,
वो सिर्फ़ नाटक कर रहा था,
266
00:16:46,605 --> 00:16:48,925
वो मैं नहीं कह सकता।
267
00:16:49,005 --> 00:16:52,885
उन्होंने उस बात को… परिवार ने भी एक तरह
से भुला दिया था।
268
00:16:52,965 --> 00:16:55,645
जैसे मम्मी बोलते, "छोड़ो। चंदर, वो बात
मत करियो उसके साथ।
269
00:16:55,725 --> 00:16:58,285
तो वो बात मत करियो उसके साथ।"
270
00:16:58,965 --> 00:17:03,645
तो फिर उसके बाद तो हम धीरे-धीरे करके
भुला चुके थे उस बात को पूरी तरह से।
271
00:17:08,085 --> 00:17:14,124
[अनीता] उससे उबरने में काफ़ी समय लगता है।
272
00:17:14,205 --> 00:17:16,805
शरीर का दर्द मिटना चाहिए।
दिल का दर्द मिटना चाहिए।
273
00:17:18,565 --> 00:17:22,725
और ख़ास तौर से दुर्घटना के बाद
चूँकि वह बोलता नहीं था,
274
00:17:22,805 --> 00:17:25,285
लगा कि उसने अपनी आवाज़ खो दी है।
275
00:17:25,364 --> 00:17:28,725
क्या उसने वाकई आवाज़ खो दी थी?
यह हम नहीं जानते।
276
00:17:29,364 --> 00:17:33,845
या शायद मानसिक तौर पर
इतना गहरा सदमा लगा था
277
00:17:35,085 --> 00:17:38,405
कि उसने किसी से बात न करने का
फ़ैसला कर लिया।
278
00:17:38,485 --> 00:17:40,605
क्योंकि वह बहुत दर्दनाक था।
279
00:17:41,205 --> 00:17:44,005
और आग के उस हादसे के बाद
उसके पीटीएसडी का इलाज नहीं हुआ।
280
00:17:44,085 --> 00:17:45,125
रोमा कुमार - क्लिनिकल सायकोलॉजिस्ट
281
00:17:45,205 --> 00:17:46,485
किसी ने उसका इलाज नहीं किया।
282
00:17:48,605 --> 00:17:50,805
[अमरीक] जब डॉक्टर ने देखा था,
तो यह सलाह दी थी
283
00:17:50,885 --> 00:17:53,165
कि ललित को सायकाइट्रिस्ट से मिलवाओ।
284
00:17:53,245 --> 00:17:54,765
इन्होंने आके बताया भी है इनको
285
00:17:54,845 --> 00:17:57,285
कि इसको सायकाइट्रिस्ट को दिखाओ।
286
00:17:59,245 --> 00:18:02,885
लोगों को आजकल लगता है कि सायकाइट्रिस्ट को
सिर्फ़ "पागल" को ही दिखाया जाता है।
287
00:18:02,965 --> 00:18:06,285
बीमार था वो, तो बीमार को दिखाना चाहिए था।
288
00:18:09,725 --> 00:18:12,045
[अनीता] मनोविज्ञान की किताबों के हिसाब से
289
00:18:12,125 --> 00:18:16,005
कि जब कोई इंसान
बहुत गहरे आघात से गुज़रता है,
290
00:18:16,765 --> 00:18:19,125
और अगर उस आघात का इलाज न किया जाए,
291
00:18:19,205 --> 00:18:22,285
तो एक तरह की मनोविकृति पैदा हो जाती है।
292
00:18:24,205 --> 00:18:27,445
मनोविकृति दिमाग की वह स्थिति है
293
00:18:27,525 --> 00:18:31,325
जब वह ज़िंदगी में होने वाली चीज़ों को
294
00:18:31,405 --> 00:18:33,685
तर्कसंगत ढंग से समझ नहीं पाता।
295
00:18:35,165 --> 00:18:40,845
और मनोविकृति का
एक सीधा नतीजा है आवाज़ें सुनाई देना।
296
00:18:41,645 --> 00:18:43,445
{\an8}भोपाल सिंह की मृत्यु
297
00:18:43,525 --> 00:18:45,845
{\an8}फिर उसके पिता गुज़र गए।
298
00:18:45,925 --> 00:18:47,685
{\an8}[डरावनी फुसफुसाहट]
299
00:18:47,765 --> 00:18:49,685
{\an8}[परवीन] जब पापा की मौत हुई,
300
00:18:49,765 --> 00:18:51,965
{\an8}तो वो उनको ऐसे लगा
जैसे पापा की आवाज़ आई है।
301
00:18:52,045 --> 00:18:55,725
{\an8}उसमें उन्हें ऐसा लगा कि अब
दस बजे रोज़ हनुमान चालीसा करा करो।
302
00:18:55,805 --> 00:18:57,365
"इसका आवाज़ वापस आ जाएगी।"
303
00:18:57,445 --> 00:18:59,445
[जाप हो रहा है]
304
00:19:01,565 --> 00:19:04,525
तो उन्होंने एक न नित्य नियम बना लिया।
सुबह सात बजे,
305
00:19:04,605 --> 00:19:07,685
फिर दोपहर को 12 बजे, फिर रात को दस बजे।
306
00:19:07,765 --> 00:19:11,805
फिर उसी वक्त नहीं आई थी,
आवाज़ तो एक साल बाद आई।
307
00:19:15,005 --> 00:19:20,405
तो जैसे हनुमान चालीसा ही पढ़ रहे थे,
उनको ऐसा लगा कि ललित की आवाज़ वापस आ गई।
308
00:19:21,125 --> 00:19:24,205
उन्होंने आवाज़ सुनी उसकी।
बाकी तो सब चुप हो गए,
309
00:19:24,285 --> 00:19:26,205
फिर भैया ने ही हनुमान चालीसा पूरा किया।
310
00:19:26,285 --> 00:19:31,485
उसको नहीं पता चला बाकी भी पढ़ रहे हैं
मेरे साथ। उनके अंदर से ही आवाज़ आ रही थी।
311
00:19:36,645 --> 00:19:39,885
फिर उन्होंने खुशी-खुशी हमें फ़ोन किया
कि ललित की आवाज़ वापस आ गई।
312
00:19:39,965 --> 00:19:43,765
"जब आज हम पाठ कर रहे थे।
तो पापा ने ठीक बोला था!"
313
00:19:45,725 --> 00:19:48,405
[चंदर] तो वो कहीं न कहीं
ललित ने ये बात तो मुझे कही थी
314
00:19:48,485 --> 00:19:55,405
कि पापा का आशीर्वाद है। ऐसे भी बात होती थी
तो आवाज़ तो तब भी आती थी उसकी।
315
00:19:55,485 --> 00:19:58,365
{\an8}तो बस इतनी सी बात तक ही सीमित थी।
316
00:19:58,445 --> 00:20:02,805
{\an8}यह बात कि, "पापा ने मुझे ये कहा,"
जैसे बता रहे हैं ये कि पापा उनसे बोलते थे।
317
00:20:02,885 --> 00:20:07,405
ये वाली बात कभी मुझे नहीं बताई।
बात होती थी। "काम कैसा है?" "बढ़िया है।"
318
00:20:12,045 --> 00:20:16,405
[डॉ. जॉय टिर्की] पिता के गुज़रने के बाद
सब संभालने वाला कोई नहीं था।
319
00:20:16,485 --> 00:20:18,765
माँ बिस्तर पर थीं,
320
00:20:18,845 --> 00:20:21,165
बड़े भाई ने ज़्यादा कोशिश नहीं की,
321
00:20:21,245 --> 00:20:23,645
तो ललित को ही परिवार को साथ रखना था।
322
00:20:23,725 --> 00:20:25,165
जो उसने बखूबी किया भी।
323
00:20:25,245 --> 00:20:28,205
पिछले 11 सालों में,
किसी को कोई नुकसान नहीं पहुँचा।
324
00:20:28,285 --> 00:20:29,725
डॉ. जॉय एन टिर्की - पुलिस उपायुक्त
325
00:20:29,805 --> 00:20:31,485
सिवाय इस बार।
326
00:20:34,925 --> 00:20:37,365
[चंदर] जैसे-जैसे
उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होती गई,
327
00:20:37,445 --> 00:20:39,525
वो चीज़ और भी पक्की होती चली गई।
328
00:20:40,685 --> 00:20:47,445
उसका नतीजा ये निकला कि उन्होंने ललित के
ऊपर अंधविश्वास ही करना शुरू कर दिया।
329
00:20:50,685 --> 00:20:52,765
[डॉ. रोमा कुमार] तो जबसे
उसकी आवाज़ वापस आई,
330
00:20:52,845 --> 00:20:55,845
तबसे अब तक,
जो भी डायरी के पन्ने हमें मिले हैं,
331
00:20:55,925 --> 00:20:59,005
वह धीरे-धीरे यकीन दिला रहा था,
"हमारे पिता हमसे यह कर रहे हैं।"
332
00:20:59,085 --> 00:21:00,485
"हमें यह करना होगा।"
333
00:21:01,245 --> 00:21:03,485
सबसे एक खास तरीके से पेश आने को कहता था,
334
00:21:03,565 --> 00:21:05,965
और उसी बंदिश में रहने को कहता।
335
00:21:06,685 --> 00:21:08,685
और सब उस पर भरोसा करते थे।
336
00:21:13,205 --> 00:21:18,205
[परवीन] जैसे उन्होंने इतनी पाठ -पूजा की,
भगवान की तरफ़ से, आप लगा लो, उनका हो गया।
337
00:21:20,485 --> 00:21:24,805
जो अब भी… अब ललित जो कह रहा है न,
इसका मतलब, वो कहीं न कहीं,
338
00:21:24,885 --> 00:21:29,285
पापा की इच्छाएँ थीं। जो उनको लगता था
कि पापा ऐसा चाहते थे, घर में ऐसा सब हो।
339
00:21:29,365 --> 00:21:33,125
इसीलिए शायद उन्होंने ललित पर
और भी ज़्यादा विश्वास करना शुरू कर दिया।
340
00:21:36,805 --> 00:21:40,565
[रचना जोहरी] तो जैसे एक पूरी योजना है
341
00:21:40,645 --> 00:21:42,965
जिससे वह एक आदर्श…
342
00:21:43,045 --> 00:21:44,485
रचना जोहरी - सायकोलॉजिस्ट
343
00:21:44,565 --> 00:21:46,645
…और थोड़ा डरावना
पर प्रमुख सदस्य बन गया था।
344
00:21:46,725 --> 00:21:50,005
और सब वही करते जो वह उनसे कहता।
345
00:21:50,085 --> 00:21:54,725
और उस परिवार के अंदर,
जैसे एक पंथ बन गया था।
346
00:21:57,485 --> 00:22:01,005
[अंबरीश] अगर आप
किसी भी पंथ की शुरुआत देखें,
347
00:22:02,005 --> 00:22:04,645
तो उस पंथ के कथित नेता को
348
00:22:04,725 --> 00:22:09,325
प्रकृति के नियमों के खिलाफ़
349
00:22:09,405 --> 00:22:11,405
कोई अद्वितीय काम करके
यह साबित करना होता था
350
00:22:12,365 --> 00:22:18,205
कि उसमें दैवीय या अलौकिक शक्तियाँ हैं।
351
00:22:21,245 --> 00:22:23,565
उसकी आवाज़ का वापस आना,
352
00:22:23,645 --> 00:22:26,325
वह अद्वितीय उपलब्धि थी।
353
00:22:28,925 --> 00:22:34,485
{\an8}आप एक पंथ में तब तक कुछ नहीं कर सकते
जब तक वे पूरी तरह उसके अधीन न हों।
354
00:22:37,125 --> 00:22:39,485
[रोमा] इस तरह का
सामाजिक अलगाव पैदा कर दिया
355
00:22:39,565 --> 00:22:42,165
कि आपको कोई मस्ती नहीं करनी चाहिए।
356
00:22:42,245 --> 00:22:45,485
आपको खुशी, "एक खास तरह की" खुशी
357
00:22:45,565 --> 00:22:48,565
सिर्फ़ घर में हो रहे
पूजा-पाठ से मिलनी चाहिए।
358
00:22:51,645 --> 00:22:55,685
[नरेश भाटिया] जो हमने जब इनकी
किताबें वगैरह देखीं, जो उन्होंने लिखी थीं,
359
00:22:55,765 --> 00:22:59,965
सब में एक ही बात आती है कि,
"इस लिखे की कोई अवहेलना नहीं करेगा।"
360
00:23:00,765 --> 00:23:04,045
और कई इनके अच्छे काम भी होते रहे।
ऐसा नहीं है कि बुरा काम हुआ है।
361
00:23:04,125 --> 00:23:07,205
एक दुकान से दूसरी दुकान भी बनी।
362
00:23:07,285 --> 00:23:10,045
जैसा बताया गया कि,
"पैसा यहाँ नहीं, यहाँ लगाइए,"
363
00:23:10,125 --> 00:23:11,365
तो काम सफल भी हुआ।
364
00:23:11,445 --> 00:23:14,685
{\an8}रिश्ता यहाँ करना है। रिश्ता यहाँ
नहीं करना। तो अच्छे काम भी हुए।
365
00:23:14,765 --> 00:23:19,765
तो इतने अच्छे-अच्छे काम भी हो गए कि
परिवार नीचे से ऊपर तरक्की करता जा रहा है।
366
00:23:20,685 --> 00:23:23,125
तो सौ फ़ीसदी इनका विश्वास हो चुका है
367
00:23:23,205 --> 00:23:27,805
कि जो भी शक्ति हमें ये चीज़ बता रही है,
तो हर हाल में हमें करना ही है।
368
00:23:33,285 --> 00:23:38,325
[रोमा] वह धीरे-धीरे
सब पर अपना असर डाल रहा था।
369
00:23:38,405 --> 00:23:40,725
और सब उस पर विश्वास कर रहे थे।
370
00:23:40,805 --> 00:23:43,165
और उन्हें लगा यही ज़िंदगी
जीने का सबसे अच्छा तरीका है।
371
00:23:44,725 --> 00:23:47,965
शायद वह बोलता होगा कि,
"घर के राज़ घर में ही रहने चाहिए।"
372
00:23:48,605 --> 00:23:51,965
हम अक्सर अपने बच्चों की
परवरिश वैसे करते हैं
373
00:23:52,045 --> 00:23:56,405
जब कहते हैं कि, "जो ये हमारे घर की बात है,
बाहर नहीं जानी चाहिए।
374
00:23:56,485 --> 00:23:58,765
लोग क्या सोचेंगे?"
375
00:23:58,845 --> 00:24:00,125
तो लोग विश्वास कर लेते हैं।
376
00:24:00,205 --> 00:24:02,685
और हममें से बहुत से लोग मानते हैं
377
00:24:02,765 --> 00:24:04,925
कि घर के राज़ बाहर नहीं जाने चाहिए।
378
00:24:09,125 --> 00:24:12,445
ज़िंदगी में बहुत कुछ होता है
379
00:24:12,525 --> 00:24:17,045
पर एक चीज़ कुछ ऐसी हो जाती है
जिससे वे मनोविकृति के शिकार हो जाते हैं।
380
00:24:17,125 --> 00:24:18,205
अंतिम रस्म - 30 जून, 2018
381
00:24:24,525 --> 00:24:26,365
{\an8}सत्रह जून, 2018 - प्रियंका की सगाई
382
00:24:26,445 --> 00:24:28,405
{\an8}क्या उसे लग रहा था
383
00:24:28,485 --> 00:24:30,925
{\an8}कि सगाई में कोई दिक्कत आ रही है?
384
00:24:31,005 --> 00:24:34,405
अगर प्रियंका चली जाएगी,
तो क्या दुनिया को पता चल जाएगा
385
00:24:34,485 --> 00:24:36,285
कि उस परिवार में कुछ चल रहा है?
386
00:24:36,365 --> 00:24:38,525
इसका मतलब, "शायद हम खतरे में हैं।"
387
00:24:38,605 --> 00:24:41,565
और अचानक उसे एहसास हुआ कि वह चली जाएगी
388
00:24:41,645 --> 00:24:44,125
और सारी दुनिया वहीं थम जाएगी।
389
00:24:45,445 --> 00:24:50,845
[जॉय] अगर आप इसे ललित का
निजी साम्राज्य कहें,
390
00:24:50,925 --> 00:24:54,085
और साम्राज्य का एक बेहद अहम सदस्य
391
00:24:54,165 --> 00:24:57,405
परिवार छोड़कर जा रहा था।
392
00:24:58,125 --> 00:25:01,085
तो वह उसके लिए एक प्रतिबंधित साम्राज्य था।
393
00:25:04,845 --> 00:25:06,605
और कोई उसे छोड़कर नहीं जा सकता था।
394
00:25:10,325 --> 00:25:15,045
[प्रितपाल] मैंने देखा जब प्रियंका की
सगाई होनी थी, उससे कुछ दिन पहले से
395
00:25:15,125 --> 00:25:19,765
ललित भैया का स्वभाव काफ़ी बदल गया था।
396
00:25:21,205 --> 00:25:24,845
चुपचाप तो पहले भी रहते थे,
लेकिन अब थोड़ा ज़्यादा ही हो गए थे।
397
00:25:25,885 --> 00:25:28,965
जैसे हम लोग सामने हैं,
तो वो पीठ कर लेते हैं।
398
00:25:29,045 --> 00:25:34,365
या जैसे बच्चे प्रियंका की सगाई के लिए
रिहर्सल कर रहे थे डांस की, छत पे,
399
00:25:34,445 --> 00:25:38,205
तो मैंने जाके सामने से पूछा उनको कि,
"कैसी चल रही है तुम्हारी रिहर्सल?"
400
00:25:38,285 --> 00:25:42,885
तो ललित भैया पीठ करके बैठे रहे
और मुझे देखके थोड़ी देर बाद उठकर चले गए।
401
00:25:42,965 --> 00:25:45,885
तो उनके स्वभाव में फ़र्क तो आ गया था।
402
00:25:47,605 --> 00:25:51,605
तो मैंने प्रियंका को भी
एक दिन टहलने जाते हुए पूछा था,
403
00:25:51,685 --> 00:25:54,845
पूछा कि, "क्या हुआ, ललित भैया ठीक हैं?"
404
00:25:55,645 --> 00:25:59,165
तो उसने बोला, थोड़ा रुककर कि, "हाँ।"
405
00:25:59,245 --> 00:26:01,925
मैंने कहा आजकल बात नहीं करते वो।
406
00:26:02,005 --> 00:26:04,045
तो बोलती है उनके गले में दिक्कत है।
407
00:26:04,125 --> 00:26:06,885
मैंने कहा, "अच्छा, चलो दवा ले रहे हैं?"
बोली, "हाँ, ठीक है।"
408
00:26:06,965 --> 00:26:08,765
[आवाज़ बंद]
409
00:26:08,845 --> 00:26:13,165
[परवीन] अजीब लगा मेरे को
क्योंकि वो ऐसे कभी टिकते ही नहीं थे न।
410
00:26:14,325 --> 00:26:17,765
रात को भी सो गए,
सुबह भी सोए पड़े हैं पूरा दिन।
411
00:26:17,845 --> 00:26:21,885
कल से कल पूरा दिन सोया,
पूरी रात सोए, आज पूरा दिन सोए।
412
00:26:22,525 --> 00:26:25,765
मैंने टीना को पूछा, "क्या बात हो गई?
भैया सोए ही पड़े हैं।"
413
00:26:25,845 --> 00:26:27,965
कहती है, "पता नहीं।
कहते हैं नसों की दिक्कत है।
414
00:26:28,045 --> 00:26:31,125
खा ली है दवा, फिर उसके बाद सो गए।"
415
00:26:31,205 --> 00:26:33,005
फिर मैंने भी नहीं ज़्यादा ध्यान दिया।
416
00:26:33,085 --> 00:26:35,485
मेरे को अजीब लगा कि वो सोए क्यों रहे हैं।
417
00:26:36,885 --> 00:26:39,885
[चंदर] फिर मैंने बात भी की ललित से।
418
00:26:40,565 --> 00:26:46,605
टीना ने उठाया फ़ोन। कहती है, "वो तो, भैया,
सो रहे हैं। बात करवा दूँगी जब भी उठेंगे।"
419
00:26:46,685 --> 00:26:49,485
मैंने कहा, "सोने वाली बात पर ही
बात करनी थी। और क्या थी?
420
00:26:49,565 --> 00:26:51,205
इतना क्यों सोया रहता है वो?"
421
00:26:51,965 --> 00:26:55,565
बोली, "कोई ऐसी बात नहीं है घबराने की।"
पूछा, "कोई घबराने वाली बात तो नहीं है?"
422
00:26:56,365 --> 00:26:58,565
तो दरअसल, आखिरी बार मेरी बात ही तब हुई।
423
00:27:16,445 --> 00:27:20,605
[जतिन सिंह] मैंने पहली मौत देखी थी।
424
00:27:20,685 --> 00:27:21,965
{\an8}एक हफ़्ते तक डर लगा था बहुत।
425
00:27:22,045 --> 00:27:23,525
{\an8}जतिन सिंह - पड़ोसी
426
00:27:23,605 --> 00:27:26,405
{\an8}न अकेले बाहर निकलने का मन करता था,
न अकेले कमरे में बैठने का।
427
00:27:30,525 --> 00:27:34,765
हाँ, सपने में तो मतलब आ ही जाते थे।
अभी भी आए थे एकाध…
428
00:27:34,845 --> 00:27:38,285
कुछ महीने पहले आए थे।
याद नहीं है, पर आ जाते थे।
429
00:27:40,805 --> 00:27:43,365
तो जैसे कुछ रात को हो रहा होगा।
430
00:27:45,565 --> 00:27:48,725
एक बार सपने में, मैं छत पर खड़ा था।
431
00:27:49,885 --> 00:27:53,485
दीदी वगैरह भी थे साथ में। मज़ाक-मज़ाक में
मैंने आवाज़ मारनी शुरू कर दी।
432
00:27:54,405 --> 00:27:57,845
और ध्रुव वहाँ खड़ा है जहाँ से हम छत पे से
बात करते थे, उसी जगह पे।
433
00:28:01,725 --> 00:28:03,645
हमेशा की तरह खड़ा था।
434
00:28:03,725 --> 00:28:06,005
"ए, ध्रुव, ध्रुव!" तीन-चार बार चिल्लाया।
435
00:28:06,725 --> 00:28:09,285
वो मेरे को बोल रहा है,
"हाँ, जतिन, बोल क्या काम है?"
436
00:28:12,165 --> 00:28:14,285
ऐसे करके मेरी एकदम आँख खुल गई।
437
00:28:17,005 --> 00:28:19,005
जैसे रात के वक्त खेलते थे हम,
438
00:28:19,085 --> 00:28:21,445
उस वक्त आती है ध्रुव और शिवम वगैरह की याद।
439
00:28:31,365 --> 00:28:33,405
[हिमानी] इस हादसे के
बारे में क्या सोचती हूँ?
440
00:28:33,485 --> 00:28:34,765
ठीक है।
441
00:28:34,845 --> 00:28:36,645
यह कोई जुर्म नहीं है।
442
00:28:36,725 --> 00:28:39,005
{\an8}उनका मरने का कोई इरादा नहीं था,
443
00:28:40,405 --> 00:28:42,205
{\an8}इसलिए उसे आत्महत्या नहीं कह सकते।
444
00:28:43,085 --> 00:28:47,485
उन्होंने जो किया, अपनी मर्ज़ी से किया।
इसलिए यह हत्या भी नहीं है।
445
00:28:49,725 --> 00:28:51,445
इसे क्या कहकर बुलाएँ?
446
00:28:52,485 --> 00:28:54,885
बहुत अच्छा सवाल है, इसे क्या कहकर बुलाएँ?
447
00:29:04,605 --> 00:29:06,645
[मनोज] सारे सबूत
आत्महत्या की ओर इशारा करते हैं।
448
00:29:06,725 --> 00:29:08,965
[नरेश] क्या हम इसे
आत्महत्या बुला सकते हैं?
449
00:29:09,845 --> 00:29:12,285
-हाँ।
-या आकस्मिक मौत कहें?
450
00:29:14,125 --> 00:29:18,085
हादसे वाली मौत कह सकते हैं।
किताबों के पन्ने देखो, उसमें क्या था?
451
00:29:18,965 --> 00:29:22,525
जो शब्द आते हैं, "एक-दूसरे को
खोलने में सहायता करेंगे।"
452
00:29:22,605 --> 00:29:24,405
वो चीज़ तो आई ही नहीं।
453
00:29:25,125 --> 00:29:27,685
उन्हें तो उम्मीद थी न कि हम बच जाएँगे।
454
00:29:27,765 --> 00:29:31,285
हमें लगता है कि यह एक हादसा था।
455
00:29:32,645 --> 00:29:35,245
यह हत्या नहीं है। यह आत्महत्या नहीं है।
456
00:29:35,325 --> 00:29:37,925
-एक हादसा था।
-मौत एक हादसा थी।
457
00:29:39,045 --> 00:29:41,245
[जॉय] जब मौके पर तहकीकात पूरी हो चुकी,
458
00:29:41,325 --> 00:29:43,925
फिर तय हुआ कि हम
459
00:29:44,005 --> 00:29:47,045
सायकोलॉजिकल ऑटोप्सी करवाएँगे।
460
00:29:47,125 --> 00:29:50,685
कुछ वैज्ञानिक,
जिनमें एक सायकोलॉजिस्ट भी शामिल होगा,
461
00:29:50,765 --> 00:29:55,685
वे मृतकों के सोचने के
तरीके को जानने की कोशिश करते हैं
462
00:29:55,765 --> 00:29:59,205
और पता करते हैं
कि ऐसा कैसे हुआ और क्यों हुआ।
463
00:29:59,845 --> 00:30:02,365
तो सायकोलॉजिकल ऑटोप्सी में
ये सारी चीज़ देखी गई।
464
00:30:03,205 --> 00:30:07,885
ललित को ही ये दिक्कत हो सकती है,
मनोविकृति की।
465
00:30:07,965 --> 00:30:10,605
और उसके बाद, ललित से ही
फिर सारे परिवार में
466
00:30:10,685 --> 00:30:13,165
मनोविकृति की बीमारी फैली।
467
00:30:13,245 --> 00:30:15,725
और वो ललित की पूरी बात मानते थे।
468
00:30:17,165 --> 00:30:18,765
तो उनको सबको देखते हुए,
469
00:30:19,485 --> 00:30:20,765
सायकोलॉजिकल ऑटोप्सी में भी
470
00:30:20,845 --> 00:30:23,445
यही चीज़ सामने आई कि यह परिवार
आत्महत्या करने नहीं जा रहा था।
471
00:30:24,805 --> 00:30:26,165
{\an8}[जॉय] यह आत्महत्या नहीं है।
472
00:30:26,245 --> 00:30:31,045
{\an8}यह एक अनुष्ठान था जिसमें गड़बड़ हो गई
और वे अपनी जान से हाथ धो बैठे।
473
00:30:33,565 --> 00:30:38,325
{\an8}[रचना] बिना सोचे
नतीजा निकाल लेना बहुत आसान है,
474
00:30:38,405 --> 00:30:42,485
जिनमें सामूहिक मनोविकृति जैसी
चीज़ें भी हैं, जो मेरे खयाल से…
475
00:30:42,565 --> 00:30:46,805
जो शायद सच है। पर यह एक तकिया-कलाम जैसा है
476
00:30:46,885 --> 00:30:50,485
जो सब कहते हुए भी कुछ नहीं कहता।
477
00:30:50,565 --> 00:30:54,645
अह, यह लोगों को संतुष्ट कर देता है,
478
00:30:54,725 --> 00:30:57,725
एक ऐसी दुनिया में
जहाँ सब निश्चितता चाहते हैं।
479
00:30:57,805 --> 00:30:59,885
जबकि ज़रूरी यह है कि इस बात को मान लें
480
00:30:59,965 --> 00:31:01,325
कि आपके पास सारे जवाब नहीं हैं।
481
00:31:01,405 --> 00:31:03,765
तो यह कहना बेहतर होगा
482
00:31:03,885 --> 00:31:09,125
कि, "हमारे खयाल से यह हादसा इस तरह हुआ था।
483
00:31:09,205 --> 00:31:11,525
शायद ये चीज़ें हुई होंगी।"
484
00:31:14,325 --> 00:31:15,605
[बरखा] बजाय…
485
00:31:15,685 --> 00:31:18,525
उसे क्या कहते हैं? सायकोलॉजिकल ऑटोप्सी?
486
00:31:18,605 --> 00:31:21,605
हमें असल में सामाजिक ऑटोप्सी की ज़रूरत है।
487
00:31:22,365 --> 00:31:25,005
अंत में, लग रहा है जैसे
488
00:31:25,085 --> 00:31:28,965
मानसिक स्वास्थ्य के बारे में
बात करने से लोग बहुत कतराते हैं
489
00:31:30,045 --> 00:31:32,845
क्योंकि हम इस बातचीत को
ओछी नज़र से देखते हैं।
490
00:31:32,925 --> 00:31:35,405
मेरे खयाल से यही वजह है
491
00:31:35,485 --> 00:31:38,045
कि अक्सर सच सामने नहीं आता।
492
00:31:40,845 --> 00:31:45,405
[आलोक] मेरे खयाल से समाज को
इन बातों पर खुलकर चर्चा करनी चाहिए।
493
00:31:46,285 --> 00:31:49,045
ये चर्चाएँ न करना
इस समस्या का हल नहीं हैं।
494
00:31:49,725 --> 00:31:50,885
डॉ. आलोक सरीन - सायकाइट्रिस्ट
495
00:31:50,965 --> 00:31:55,005
समस्या यह है कि अगर हम
इन मुश्किल मुद्दों पर बात नहीं करेंगे,
496
00:31:55,925 --> 00:31:57,925
तो ऐसा हादसा दोबारा हो सकता है।
497
00:32:08,765 --> 00:32:12,605
{\an8}[चंदर] फिर अगले दिन शाम को
उन्होंने दाह-संस्कार के लिए हमें शव दिए।
498
00:32:12,685 --> 00:32:16,765
तो वहाँ भी मैं और टीटू…
तब तक दिनेश भैया आ गए थे।
499
00:32:16,845 --> 00:32:20,845
तो दिनेश भैया ने
और मैंने ही शिनाख्त की। उनसे शव लेने थे।
500
00:32:23,285 --> 00:32:27,805
[संदीप] लाशों को देखना, उनको उठाकर ले आना…
501
00:32:31,125 --> 00:32:34,765
वो भूल नहीं सकते हैं हम दोनों।
502
00:32:39,085 --> 00:32:42,685
[चंदर] वह बहुत भयावह दृश्य था।
एक-एक शव का उन्होंने
503
00:32:43,685 --> 00:32:47,645
चेहरा खोलके दिखाया कि बताओ ये वही है।
504
00:32:50,885 --> 00:32:52,805
[साइरन बज रहे हैं]
505
00:32:52,885 --> 00:32:58,285
[संदीप] मगर जब दाह-संस्कार की बात हो गई,
उसकी इजाज़त मिल गई,
506
00:32:58,365 --> 00:33:01,765
जब हम शवों को लेकर मुर्दा घर गए…
507
00:33:12,325 --> 00:33:14,325
[घंटियाँ बज रही हैं]
508
00:33:17,325 --> 00:33:22,245
[मनोज] हमने पहले ही वहाँ,
निगमबोध घाट, शमशान घाट, पर पूरा एक हिस्सा
509
00:33:22,325 --> 00:33:24,285
वो हमने घिरवा लिया पूरा।
510
00:33:24,925 --> 00:33:28,085
जिसमें 12-15 लोगों का
दाह-संस्कार करने की जगह थी।
511
00:33:29,285 --> 00:33:34,485
जो औपचारिकताएँ होती हैं,
पंडित से लेकर जो चिता बनती है,
512
00:33:34,565 --> 00:33:37,285
वो चिता पहले ही हमने बना दी वहाँ।
513
00:33:39,485 --> 00:33:41,125
[संदीप] फिर शमशान घाट पर
514
00:33:41,205 --> 00:33:43,925
इतने लोग होने के बावजूद…
515
00:33:45,005 --> 00:33:50,165
पूरे दोस्त, पूरा मोहल्ला,
पूरे उनके परिवार के लोग, पूरे रिश्तेदार,
516
00:33:52,605 --> 00:33:54,765
सब कुछ होने के बावजूद
517
00:33:55,685 --> 00:33:57,205
लोग कम पड़ गए थे।
518
00:33:58,805 --> 00:34:02,765
लोग कम पड़ गए थे।
पंडित कम पड़ गए थे वहाँ पे।
519
00:34:05,365 --> 00:34:10,125
क्योंकि एक शव के साथ में
जो भी विधि को कराएगा, तो एक पंडित चाहिए।
520
00:34:11,605 --> 00:34:13,965
और हम नहीं चाहते थे
किसी भी तरह से कि कोई भी…
521
00:34:15,965 --> 00:34:18,805
जो भी विधि-विधान हिंदु संस्कृति का हो,
522
00:34:18,885 --> 00:34:20,365
वो कहीं से छूटे।
523
00:34:21,845 --> 00:34:25,164
{\an8}तो फिर यह तय हुआ
कि एक पंडित सबके लिए होगा।
524
00:34:25,244 --> 00:34:26,724
रोशन लाल शर्मा - दाह-संस्कार के पंडित
525
00:34:26,805 --> 00:34:31,845
और सबके साथ में
जो-जो विधि-विधान को निभाना…
526
00:34:33,085 --> 00:34:37,164
{\an8}उस समय हमने सबने, मम्मी ने, मैंने टीना को।
527
00:34:37,244 --> 00:34:42,045
{\an8}महेश राठौड़ - टीना का भाई
528
00:34:47,405 --> 00:34:48,925
ललित जी को।
529
00:34:49,845 --> 00:34:51,485
शिबू को।
530
00:34:56,164 --> 00:34:57,925
वह भी हमने किया,
531
00:34:58,005 --> 00:35:01,045
हमको देखना है चेहरा,
कम से कम अंतिम समय में चेहरा तो देखें।
532
00:35:03,845 --> 00:35:07,245
उन्होंने भी सिर्फ़ मुँह दिखाया था।
बस मुँह खोला था।
533
00:35:09,085 --> 00:35:11,885
अंतिम दर्शन उस समय हुए थे हमारे।
534
00:35:15,365 --> 00:35:17,685
[रोते हुए] फूट-फूटकर रोने लग गए मम्मी।
535
00:35:22,045 --> 00:35:25,205
भई, चिता को आग तो बेटा देगा
या पोता देगा या कोई और देगा।
536
00:35:25,285 --> 00:35:28,245
रस्में जो करेंगे,
वो दो-चार लोग हैं, वो करेंगे।
537
00:35:28,325 --> 00:35:31,765
11 लोग नहीं थे परिवार में
कि 11 अलग-अलग रस्में कर दें।
538
00:35:33,045 --> 00:35:39,165
वही दिनेश यहाँ पे रस्में कर रहा है।
एक के लिए किया सारा, फिर दूसरे के लिए।
539
00:35:40,125 --> 00:35:42,845
मैं दिनेश को ही देख रहा था।
540
00:35:42,925 --> 00:35:49,645
मतलब, एक-एक करके वो रस्में निभा रहा है।
रो रहा है, पर फिर अगले के लिए जा रहा है।
541
00:35:51,125 --> 00:35:53,565
उसका बेटा है,
वो दूसरे के लिए रस्म निभा रहा है।
542
00:35:55,125 --> 00:35:59,005
इस तरह की चीज़ थी कि शायद
कोई इस चीज़ को अनुभव नहीं कर सकता।
543
00:36:00,565 --> 00:36:02,165
मैंने जीवन में पहली बार
544
00:36:03,405 --> 00:36:08,685
सभी अपने 11 व्यक्तियों को
एक साथ दाह-संस्कार होते हुए देखा था।
545
00:36:13,285 --> 00:36:15,805
[रोशन लाल शर्मा] सो भगवान कृष्ण ने
कहा है अर्जुन से…
546
00:36:16,685 --> 00:36:22,885
[महाभारत का श्लोक बोलते हैं]
547
00:36:24,325 --> 00:36:28,245
"हे, अर्जुन, ये हमारा मन है,
ये गीला नहीं होगा।
548
00:36:29,045 --> 00:36:35,965
इसको कोई काट नहीं सकता, मार नहीं सकता है।
यह अमर है, अजर है। प्राणी का मन अजर है।"
549
00:36:47,685 --> 00:36:51,805
लेकिन आँसू सूख चुके थे सबके।
550
00:36:52,445 --> 00:36:54,445
[आवाज़ बंद है]
551
00:36:58,325 --> 00:37:03,845
ज़हन में वही यादें, वही सब कुछ चल रहा था।
552
00:37:12,245 --> 00:37:14,125
मगर वह कभी…
553
00:37:17,085 --> 00:37:19,005
मुझे नहीं लगता कभी वो
554
00:37:19,965 --> 00:37:22,245
जा पाएगा या उसकी कमी कभी…
555
00:37:24,405 --> 00:37:25,925
पूरी हो पाएगी।
556
00:37:37,685 --> 00:37:39,685
[मंत्रोच्चारण हो रहा है]
557
00:37:46,285 --> 00:37:50,725
[संदीप] आपने मुझे बताया
कि उनकी आँखें दान हुई हैं।
558
00:37:50,805 --> 00:37:53,125
अब मुझे कुछ ऐसा लगा कि
559
00:37:55,205 --> 00:37:58,045
इस मामले में कुछ हुआ है।
560
00:37:58,125 --> 00:38:01,285
कुछ राहत की साँस आई।
561
00:38:03,245 --> 00:38:07,245
{\an8}दिनेश चुंडावत - भाई
562
00:38:12,685 --> 00:38:15,285
[शैलेंद्र त्रिपाठी]
किसी की मौत होती है कहीं पे भी,
563
00:38:15,365 --> 00:38:17,245
उस परिवार को जाकर समझाना होता है,
564
00:38:17,325 --> 00:38:20,165
प्रेरित करना होता है
आँखें दान करने के लिए।
565
00:38:21,165 --> 00:38:26,445
दिनेश जी को सलाम करता हूँ कि इस अवस्था में
उन्होंने अपने आप को संभालते हुए
566
00:38:26,525 --> 00:38:28,805
{\an8}एक ऐसा फ़ैसला लिया
567
00:38:28,885 --> 00:38:31,605
{\an8}जब दो-तीन पीढ़ी उनकी खत्म हो गई है।
568
00:38:31,685 --> 00:38:34,045
उस अवस्था में भी उन्होंने सोचा कि हाँ…
569
00:38:34,125 --> 00:38:35,525
शैलेंद्र त्रिपाठी - सलाहकार
570
00:38:35,605 --> 00:38:42,005
…उनमें से कहीं न कहीं अगर एक दान होता है,
तो परिवार ज़िंदा रहेगा लोगों के ज़रिए।
571
00:38:56,885 --> 00:39:01,485
[चंदर] हैरानी होती है, गुस्सा भी आता है।
दुख का तो कोई ओर-छोर है ही नहीं।
572
00:39:02,285 --> 00:39:05,485
काश एक बार मुझे
किसी बच्चे ने ही बोल दिया होता।
573
00:39:08,125 --> 00:39:10,045
पर उन्होंने वो शायद कोई प्रण ले रखा था
574
00:39:10,125 --> 00:39:12,645
कि बात निकलनी ही नहीं है,
बाहर जानी ही नहीं है।
575
00:39:13,365 --> 00:39:17,645
यही कह सकते हैं कि वे 11 लोग थे,
जो राज़ था, जो भी था,
576
00:39:17,725 --> 00:39:20,285
उस रात उन 11 लोगों के साथ ही खत्म।
577
00:39:48,165 --> 00:39:51,285
[प्रितपाल] आम, अच्छे लोग थे।
हमारे लिए तो आज भी अच्छे ही हैं।
578
00:39:53,365 --> 00:39:55,285
[अमरीक] और इनके जाने से
बड़ा फ़र्क पड़ गया।
579
00:39:56,365 --> 00:39:58,565
हमारी दुकान आमने-सामने है।
580
00:39:58,645 --> 00:40:02,205
जितनी बार भी जाएँगे
तो भूपी से आँखें मिलेंगी, या नीतू बैठी है।
581
00:40:02,285 --> 00:40:03,685
तो अब वो नहीं दिखते।
582
00:40:04,525 --> 00:40:06,405
खुद को लगता है कितने अच्छे दिन आने हैं।
583
00:40:06,485 --> 00:40:08,885
इनके बच्चे, हमारे बच्चे बड़े हो रहे हैं।
शादियाँ होनी थीं।
584
00:40:08,965 --> 00:40:10,285
सब बढ़िया रहना था।
585
00:40:16,125 --> 00:40:20,005
[गुरचरण, पंजाबी में]
इन 11 लोगों की मौत के बाद,
586
00:40:21,365 --> 00:40:24,165
सबसे ज़्यादा नुकसान हमें हुआ।
587
00:40:28,085 --> 00:40:30,405
बहुत ज़्यादा बदनामी हुई है।
588
00:40:31,245 --> 00:40:33,645
हमारी तो दुकान बंद रही है साल भर।
589
00:40:33,725 --> 00:40:35,525
कोई आता ही नहीं था।
590
00:40:36,565 --> 00:40:39,885
आहिस्ता-आहिस्ता सब भूल जाएँगे।
591
00:40:39,965 --> 00:40:43,725
नए लोग आ जाएँगे। हम भी आगे बढ़ जाएँगे।
दुनिया ऐसे ही आती-जाती रहती है।
592
00:40:48,685 --> 00:40:51,405
[आलोक, अंग्रेज़ी में] जवाब ढूँढ़ने की ललक
593
00:40:51,485 --> 00:40:53,965
जिससे सब एकदम साफ़ समझ में आ जाएगा
594
00:40:54,045 --> 00:40:57,965
और 11 लोगों की
मौत का कारण समझ में आ जाएगा,
595
00:40:58,045 --> 00:40:59,685
वह बहुत दमदार है।
596
00:41:00,525 --> 00:41:03,165
अफ़सोस कि ये जवाब
हो भी सकते हैं और नहीं भी।
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00:41:05,045 --> 00:41:08,245
इस किस्से से राहत कहीं और से मिलेगी।
598
00:41:09,565 --> 00:41:11,285
[मुकेश] हर केस का एक अंत होता है।
599
00:41:11,365 --> 00:41:14,245
लेकिन सवाल हैं इसमें बहुत सारे,
600
00:41:14,325 --> 00:41:17,045
जो कि जवाब शायद अभी तक नहीं मिल पाए हैं,
601
00:41:17,125 --> 00:41:21,525
न मिल पाएँगे
क्योंकि कोई बताने वाला नहीं है।
602
00:41:23,085 --> 00:41:27,365
[हिमानी] मुझे लगता है कि मैंने उस खबर को
कवर करने का हर पल फिर से जी लिया है।
603
00:41:27,445 --> 00:41:28,525
हर पल।
604
00:41:28,605 --> 00:41:31,525
और आज रात जब मैं घर वापस जाऊँगी,
605
00:41:32,685 --> 00:41:34,965
शायद मैं कुछ देर इसी के बारे में सोचूँगी।
606
00:41:35,765 --> 00:41:37,005
भुला नहीं पाऊँगी।
607
00:41:39,245 --> 00:41:41,725
[विशाल] सिर्फ़ एक साल का फ़र्क हुआ है।
608
00:41:42,405 --> 00:41:47,405
मगर मैं उस दौर में लौट गया
जिस दौर में मैं पिछले साल था।
609
00:41:47,485 --> 00:41:54,125
मैं इस इंटरव्यू के दौरान लगभग वही चीज़ें
महसूस कर रहा हूँ। वही अनुभव कर रहा हूँ।
610
00:41:57,725 --> 00:42:01,605
मैं फिर बता रहा हूँ, मैं जहाँ जाता हूँ,
बोलते हैं, "सर, आप तब तो वहाँ थे।"
611
00:42:03,125 --> 00:42:04,765
वह अभी भी उनके लिए एक राज़ है।
612
00:42:04,845 --> 00:42:07,045
जबकि उन्होंने अखबार में भी पढ़ लिया।
613
00:42:07,125 --> 00:42:09,845
देख भी लिया। पता भी चल गया।
बहुत लोगों को पता है।
614
00:42:12,765 --> 00:42:17,485
पर, "नहीं, असलियत बताओ, सर।"
कहता हूँ, "यार, असलियत और क्या होगी?
615
00:42:17,565 --> 00:42:20,205
मुझसे क्या सुनना चाहते हो?
और क्या असलियत होगी?"
616
00:42:22,525 --> 00:42:27,325
ये अभी भी इस चीज़ पर
यकीन नहीं कर पा रहे हैं।
617
00:42:33,965 --> 00:42:35,725
[सतीश] हर मामले में अलग-अलग होता है।
618
00:42:35,805 --> 00:42:39,605
किसी को पकड़ते हैं,
जब किसी केस में जी-जान से लगे हुए हैं,
619
00:42:40,525 --> 00:42:42,925
और वह सुलझ जाता है, तो बड़ी खुशी होती है।
620
00:42:44,125 --> 00:42:46,325
और उस केस को हमने सुलझाया।
621
00:42:47,085 --> 00:42:48,565
और वो सब लिखी है।
622
00:42:54,885 --> 00:42:57,765
[परवीन] कि वो 12 बजे
उन्होंने ऐसा क्या किया?
623
00:42:57,845 --> 00:43:00,165
क्या पागलपन किया उन्होंने?
624
00:43:01,605 --> 00:43:03,965
कुछ तो उनके दिमाग में चल ही रहा था न?
625
00:43:06,285 --> 00:43:08,925
[चंदर] भगवान से भी विश्वास उठ गया।
626
00:43:11,605 --> 00:43:17,205
मैं कल बब्बू को बोल रहा था, वो कहता है,
"घर में सबसे नास्तिक पहले ही तू था,
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00:43:17,285 --> 00:43:19,045
अब तू पूरा बनता जा रहा है।"
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00:43:19,125 --> 00:43:23,485
वो कहीं न कहीं उसमें
इस हादसे बहुत बड़ा हाथ था।
629
00:43:26,405 --> 00:43:28,965
उनके साथ ऐसा कुछ हुआ, तो कहाँ है भगवान?
630
00:43:29,045 --> 00:43:33,405
कोई शक्ति होती, एक आदमी को भी
दिमाग देती, अक्ल देती इतनी,
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00:43:33,485 --> 00:43:37,125
चिल्लाने की वो देती, कोई पड़ोसी सुनता।
632
00:43:38,405 --> 00:43:40,045
कहाँ हुआ भगवान? कहाँ हुआ फिर?
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00:43:44,405 --> 00:43:46,845
[आलोक] जिस गोपनीयता के साथ यह हुआ,
634
00:43:48,005 --> 00:43:52,845
इससे पता चलता है
कि समाज में लोग एक-दूसरे से
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00:43:53,765 --> 00:43:55,045
कितने कटे हुए रहते हैं।
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00:43:56,045 --> 00:43:59,845
तो समाज में ऐसी चर्चाएँ ज़रूरी हैं,
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00:43:59,925 --> 00:44:05,605
भले ही उससे आप विचलित हो जाएँ
क्योंकि इन लोगों की कहानी बताना
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अपने आप में…
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00:44:10,165 --> 00:44:11,925
इस किस्से का अंत कर रही है…
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उनके लिए भी, और हमारे लिए भी।
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00:44:34,285 --> 00:44:36,285
[थीम संगीत बज रहा है]