1 00:00:07,000 --> 00:00:08,791 [महिला] और इस वक़्त एक बड़ी ख़बर दिल्ली से आ रही है। 2 00:00:08,875 --> 00:00:12,791 सफ़दरजंग एन्क्लेव इलाके के डियर पार्क में एक तीस साल के व्यक्ति का शव मिला है। 3 00:00:12,875 --> 00:00:15,583 कनॉट प्लेस इलाके में एक लावारिस शव बरामद हुआ है। 4 00:00:15,666 --> 00:00:18,333 [दूसरी महिला रिपोर्टर] यह घटना दिल्ली के अंबेडकर नगर की है, 5 00:00:18,416 --> 00:00:22,291 जहाँ पुलिस, टुकड़ों में मिली लाश का सिर ढूंढ़ रही है। 6 00:00:25,833 --> 00:00:27,333 [भयावह संगीत] 7 00:00:29,333 --> 00:00:32,500 बीस अक्टूबर, 2006 को 8 00:00:32,583 --> 00:00:35,958 सुबह साढ़े छह या पौने सात का समय रहा होगा और एक फ़ोन आया। 9 00:00:39,750 --> 00:00:42,500 [फ़ोन पर आदमी] मैंने एक लाश गेट नंबर तीन के ठीक सामने रखी है। 10 00:00:44,708 --> 00:00:48,500 दिल्ली में एक साल में औसतन 500 क़त्ल होते हैं। 11 00:00:49,708 --> 00:00:51,916 [डरावना संगीत जारी] 12 00:00:52,000 --> 00:00:55,083 [अंग्रेज़ी में] पिछले 23 सालों में मेरे सामने ऐसा कोई केस नहीं आया। 13 00:00:59,708 --> 00:01:02,750 सबसे बड़ी चीज़ तो ये थी कि पूरे सिस्टम को चुनौती दे रहा था। 14 00:01:02,833 --> 00:01:04,375 दिल्ली पुलिस शांति सेवा न्याय 15 00:01:04,958 --> 00:01:07,125 [आदमी अंग्रेज़ी में] शायद विदेशों में ऐसे कुछ केस हुए हों, 16 00:01:07,208 --> 00:01:10,125 लेकिन भारतीय संदर्भ में, मेरा सामना ऐसे किसी शख्स से नहीं हुआ 17 00:01:10,208 --> 00:01:11,500 जिसने ऐसे क़त्ल किए हों 18 00:01:11,583 --> 00:01:15,333 और इतने लंबे समय तक पुलिस से से बचता रहा हो। 19 00:01:19,541 --> 00:01:22,416 [दूसरा आदमी अंग्रेज़ी में] यह सबसे हाई-प्रोफ़ाइल हत्या का केस था। 20 00:01:22,500 --> 00:01:25,208 अगर देश की राजधानी में ऐसा हो सकता है, 21 00:01:25,291 --> 00:01:27,541 तो फिर और किस शहर को सुरक्षित माना जाएगा? 22 00:01:29,541 --> 00:01:30,708 [नाटकीय संगीत] 23 00:01:30,791 --> 00:01:33,958 [फ़ोन पर आदमी] अगर इस क़त्ल में तुम मुझे पकड़ सकते हो तो पकड़ कर दिखाओ। 24 00:01:38,250 --> 00:01:40,416 NETFLIX डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ 25 00:02:07,458 --> 00:02:09,208 मैं सुदंर सिंह यादव हूँ। 26 00:02:09,875 --> 00:02:12,541 मैं दिल्ली पुलिस में, मंगोलपुरी अधिकार क्षेत्र में 27 00:02:12,625 --> 00:02:14,166 सहायक पुलिस आयुक्त था और अब रिटायर्ड हूँ। 28 00:02:14,250 --> 00:02:16,250 सन 2006 में, मैं साउथ दिल्ली में था। 29 00:02:16,333 --> 00:02:19,166 और दक्षिण डिस्ट्रिक्ट से मैं पश्चिम डिस्ट्रिक्ट, 30 00:02:19,250 --> 00:02:21,000 हरी नगर थाने में मेरी पोस्टिंग हुई थी। 31 00:02:22,375 --> 00:02:24,875 [सुंदर] 20 अक्टूबर, 2006 को 32 00:02:24,958 --> 00:02:28,791 सुबह की बात है, क़रीबन 6:30 या 06:45 का समय रहा होगा। 33 00:02:28,875 --> 00:02:30,083 और एक फ़ोन आया। 34 00:02:30,750 --> 00:02:33,083 और उस समय मैं थाने में ही मौजूद था। 35 00:02:33,166 --> 00:02:34,750 ड्यूटी अफ़सर बालकिशन साहब थे। 36 00:02:35,416 --> 00:02:37,083 सुबह 7:05 बजे, 20 अक्टूबर 2006 हरी नगर पुलिस थाना 37 00:02:37,166 --> 00:02:38,041 [फ़ोन पर आदमी] ओए ठुल्ले! 38 00:02:38,791 --> 00:02:41,041 तुम्हारे दो लड़के लगा रखे हैं तुमने। 39 00:02:41,125 --> 00:02:42,541 और वो साले कुछ नहीं कर रहे। 40 00:02:42,625 --> 00:02:44,000 पुलिस रिकॉर्ड पर आधारित ऑडियो रूपांतरण 41 00:02:44,083 --> 00:02:47,750 [फ़ोन पर आदमी] मैंने एक लाश तिहाड़ के गेट नंबर तीन के ठीक सामने रखी है। 42 00:02:50,041 --> 00:02:53,375 केंद्रीय जेल नंबर 3 तिहाड़ 43 00:02:53,458 --> 00:02:58,416 बालकिशन ने उस हेड कॉन्स्टेबल को फ़ोन किया जो वहाँ तैनात किया गया था। 44 00:02:58,500 --> 00:03:00,833 जाकर देखो, वहाँ कोई लाश तो नहीं रखी हुई। 45 00:03:04,791 --> 00:03:08,458 [सुंदर] वो हेड कॉन्स्टेबल गया वहाँ जाकर देखा कि एक टोकरी रखी हुई है। 46 00:03:09,041 --> 00:03:11,208 टोकरी बंधी हुई थी बहुत अच्छी तरह से। 47 00:03:11,791 --> 00:03:14,208 थोड़ा सा उसने खोल के देखा तो उसमें लाश थी। 48 00:03:19,666 --> 00:03:22,083 जब हम वहाँ पहुँचे, तो हमने देखा कि 49 00:03:22,625 --> 00:03:24,666 बंडल जो बंधा हुआ था, वो टोकरी थी एक 50 00:03:24,750 --> 00:03:27,500 टहनियों की बनी हुई टोकरी, जैसे फलों की टोकरी होती है। 51 00:03:28,750 --> 00:03:30,625 उस टोकरी में लाश रखी हुई थी। 52 00:03:31,416 --> 00:03:33,750 जिसकी उम्र तकरीबन 28 से 30 साल थी 53 00:03:34,583 --> 00:03:35,875 और उसका रंग सांवला था। 54 00:03:36,875 --> 00:03:39,125 और उसकी गर्दन कटी हुई थी। 55 00:03:39,208 --> 00:03:40,833 [भयावह संगीत] 56 00:03:42,833 --> 00:03:44,166 [सुंदर] हाथ-पैर जस के तस थे। 57 00:03:45,583 --> 00:03:49,083 लाश को पहले अख़बारों से ढँक रखा था, ताकि खून न बहे। 58 00:03:51,666 --> 00:03:54,041 उसके बाद उसमें कपड़े लगा रखे थे 59 00:03:55,250 --> 00:03:57,500 और अच्छी तरह से प्लास्टिक लगा रखा था। 60 00:03:58,541 --> 00:04:00,500 खून का कतरा बाहर नहीं आया था टोकरी से। 61 00:04:01,958 --> 00:04:05,375 मुझसे पहले, होशियार सिंह साहब ने वो चिट्ठी जो उसमें रखी गई थी 62 00:04:05,458 --> 00:04:06,541 उसको खोल लिया था। 63 00:04:07,500 --> 00:04:11,041 और उसमें बहुत ही गंदी गालियाँ पुलिस के लिए लिखी गई थीं। 64 00:04:12,208 --> 00:04:14,833 [अपराधी की आवाज़] दिल्ली पुलिस में सब हरामी हैं! 65 00:04:14,916 --> 00:04:16,541 तुम सब हरामखोर हो! 66 00:04:17,125 --> 00:04:19,375 अब तक मैं नाजायज़ केस झेलता रहा हूँ। 67 00:04:19,916 --> 00:04:22,291 लेकिन मैंने अब हकीक़त में ख़ून किया है। 68 00:04:23,000 --> 00:04:25,166 तुम लोग मुझे कभी भी नहीं पकड़ पाओगे। 69 00:04:26,041 --> 00:04:30,291 मैं कोई गेंगवार नहीं हूँ कि मुझे केस खुलने का डर लगा रहेगा। 70 00:04:31,125 --> 00:04:34,666 अगर इस खून में तुम मुझे पकड़ सको, तो पकड़ कर दिखाओ। 71 00:04:35,708 --> 00:04:38,541 तुम्हारे इंतज़ार में, तुम लोगों का बाप 72 00:04:38,625 --> 00:04:41,333 और तुम्हारा जीजाजी, सी.सी. 73 00:04:42,791 --> 00:04:44,541 [नाटकीय संगीत] 74 00:04:47,750 --> 00:04:50,583 उस समय लोगों को लगा ये एक सामान्य घटना है 75 00:04:50,666 --> 00:04:53,083 और सब लोगों ने उसी तरह कवर किया, सारे अख़बारों में। 76 00:04:53,666 --> 00:04:57,958 लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद एक अख़बार में एक नोट छापा गया 77 00:04:58,041 --> 00:05:01,333 और बताया गया कि उस लाश के साथ एक चिट्ठी मिली थी। 78 00:05:01,416 --> 00:05:07,208 खूनी लिखता है, अगर दम है तो मुझे पकड़ कर दिखाओ। 79 00:05:07,291 --> 00:05:09,416 [अमित झा] और उस चिट्ठी की बातें जो हैं 80 00:05:09,500 --> 00:05:13,000 वो उसमें छापी गई थीं, जिसमें ये लिखा गया था कि 81 00:05:13,083 --> 00:05:15,125 अगर दम है तो मुझे पकड़ कर दिखाओ। 82 00:05:15,208 --> 00:05:17,000 खूनी ने एक चिट्ठी लिखकर पुलिस को गालियाँ दी थीं। 83 00:05:17,083 --> 00:05:19,875 जिसके बाद इस केस का पूरा रुख बदल गया। 84 00:05:20,375 --> 00:05:23,625 [अंग्रेजी में] हर कोई जो बहुत ख़तरनाक है या जिसे ख़तरनाक माना जाता है 85 00:05:23,708 --> 00:05:26,958 समाज के लिए, राष्ट्र के लिए, उन्हें देश के सभी हिस्सों से बुलाकर 86 00:05:27,041 --> 00:05:29,333 तिहाड़ में डाल दिया जाता है। 87 00:05:33,166 --> 00:05:34,583 तिहाड़ जेल 88 00:05:35,750 --> 00:05:37,500 दिल्ली कारागार मुख्यालय 89 00:05:38,750 --> 00:05:41,041 [उत्कर्ष अंग्रेज़ी में] धारणा यह थी कि तिहाड़ 90 00:05:41,125 --> 00:05:44,583 एक ऐसी जगह है जो देश का सबसे सुरक्षित क्षेत्र है। 91 00:05:45,208 --> 00:05:50,166 फिर भी उसके बाहर लाशें मिल रही थीं और कुछ भी नहीं किया जा सकता था। 92 00:05:51,541 --> 00:05:53,375 गेट नंबर तीन 93 00:05:53,458 --> 00:05:58,208 20 अक्टूबर 2006 पहली लाश बरामद 94 00:05:58,291 --> 00:06:00,458 दिल्ली पुलिस 95 00:06:04,666 --> 00:06:06,958 [अंग्रेजी में] मेरा नाम हरगोबिंदर सिंह धालीवाल है। 96 00:06:07,791 --> 00:06:11,458 मैं पश्चिम डिस्ट्रिक्ट का अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त था। 97 00:06:12,625 --> 00:06:16,458 जिस भी अधिकार क्षेत्र में लाशें पाई जाती हैं, 98 00:06:16,541 --> 00:06:19,416 एफ़आईआर नज़दीकी पुलिस थाने में की जाती हैं। 99 00:06:19,500 --> 00:06:20,458 हरी नगर पुलिस थाना 100 00:06:20,541 --> 00:06:23,083 तिहाड़ जेल, हरी नगर पुलिस थाने के अंतर्गत आती है। 101 00:06:23,166 --> 00:06:25,208 तिहाड़ जेल 102 00:06:25,291 --> 00:06:29,916 [अंग्रेजी में जारी] जब यह लाश मिली थी तब सुबह का समय था। 103 00:06:30,000 --> 00:06:32,958 और लाश पर बस एक अंतर्वस्त्र था। 104 00:06:33,041 --> 00:06:36,208 कह सकते हैं कि वो पूरी तरह से नग्न थी। 105 00:06:40,458 --> 00:06:44,625 मेरा विचार था कि अपराधी फिर से फ़ोन करेगा। मेरा ये पूर्वानुमान था। 106 00:06:45,208 --> 00:06:49,166 तो अब ये हुआ कि चाहे इत्तेफ़ाक़ कह लीजिए या पूर्वानुमान कहिए, 107 00:06:49,250 --> 00:06:52,583 बालकिशन साहब ने मुझे बताया कि उन्हें फ़ोन आया था। 108 00:06:52,666 --> 00:06:53,833 सुबह 8:45 बजे, 20 अक्टूबर 2006 हरी नगर पुलिस थाना 109 00:06:53,916 --> 00:06:56,375 [फ़ोन पर अपराधी] क्या किया रे तुमने? कुछ किया तुमने लाश का? 110 00:06:57,375 --> 00:07:00,208 बालकिशन साहब ने कहा कि भाईसाहब कर रहे हैं। 111 00:07:00,875 --> 00:07:02,750 [फ़ोन पर अपराधी] अब भाईसाहब पर आ गया, साला? 112 00:07:02,833 --> 00:07:04,166 तुमसे कुछ नहीं होने वाला। 113 00:07:05,041 --> 00:07:06,500 अपने एसएचओ का फ़ोन नंबर दो। 114 00:07:08,916 --> 00:07:12,666 और बालकिशन साहब ने एसएचओ होशियार सिंह साहब का नंबर उनको दे दिया। 115 00:07:13,333 --> 00:07:15,125 सुबह 8:45 बजे, 20 अक्टूबर 2006 तिहाड़ जेल 116 00:07:15,208 --> 00:07:16,875 [सुंदर] एक फ़ोन आख़िर में उनके पास आया। 117 00:07:17,708 --> 00:07:21,208 तो होशियार सिंह साहब ने कहा, "भाई, ऐसा क्यों कर रहा है? क्या बात है?" 118 00:07:21,291 --> 00:07:22,333 तो उसने कहा… 119 00:07:22,416 --> 00:07:24,541 [फ़ोन पर अपराधी] ये जो हेड कॉन्स्टेबल खड़ा है न, बलबीर? 120 00:07:24,625 --> 00:07:26,458 केंद्रीय जेल नंबर 3 तिहाड़ दिल्ली पुलिस 121 00:07:26,541 --> 00:07:28,625 [फ़ोन पर अपराधी] उसने मेरे साथ जेल में ज़्यादती की थी। 122 00:07:30,583 --> 00:07:33,125 [सुंदर] इसके बाद में, मैंने फ़ोन ले लिया। 123 00:07:34,958 --> 00:07:38,416 दो-चार सवाल पूछे तो मुझे थोड़ी नाराज़गी शुरू हो गई। 124 00:07:39,416 --> 00:07:41,500 मैंने कहा, "अरे तू दुष्ट मान नहीं रहा है?" 125 00:07:42,208 --> 00:07:44,916 [फ़ोन पर अपराधी] साले, तू कौन होता है मुझे चुनौती देने वाला? 126 00:07:45,000 --> 00:07:46,708 मैं तुझे चुनौती देता हूँ! 127 00:07:47,708 --> 00:07:49,250 ये तोहफ़े आते रहेंगे। 128 00:07:49,333 --> 00:07:51,125 [नाटकीय संगीत] 129 00:08:03,875 --> 00:08:07,166 [अंग्रेज़ी में] वो जो भी कर रहा था, उसको लेकर बहुत ज़्यादा सतर्क था। 130 00:08:07,916 --> 00:08:12,291 तिहाड़ जेल और मुख्य सड़क पर लाशें डाल देना इतना आसान नहीं था। 131 00:08:14,916 --> 00:08:17,833 बेशक़ हमारी मुख्य चुनौती थी, उसकी पहचान करना। सबसे पहले। 132 00:08:17,916 --> 00:08:19,625 और साथ ही, उसको पकड़ना, 133 00:08:19,708 --> 00:08:24,791 ताकि वो किसी सबूत को नष्ट न कर सके। 134 00:08:30,750 --> 00:08:32,208 जिसने इस चिट्ठी का खुलासा किया 135 00:08:32,291 --> 00:08:36,583 वो चाहता था कि यह इतना बड़ा केस है, यह सबके सामने आए। 136 00:08:37,250 --> 00:08:41,208 क्योंकि अगर ये चिट्ठी नहीं आती, तो ये कोई केस नहीं होता। 137 00:08:41,291 --> 00:08:42,208 हर साल, 138 00:08:42,291 --> 00:08:46,833 अज्ञात शवों के 40 से 50 केस दिल्ली पुलिस के पास रहते हैं 139 00:08:46,916 --> 00:08:48,791 जिन्हें वो सुलझा नहीं पाती है। 140 00:08:48,875 --> 00:08:51,333 सिर्फ़ इस वजह से कि लाशों की पहचान ही नहीं होती। 141 00:08:51,416 --> 00:08:54,458 दिल्ली पुलिस लाचार अनजान लाशें 142 00:08:54,541 --> 00:08:56,750 अज्ञात शवों का कूड़े का मैदान बन रहा है। 143 00:08:56,833 --> 00:09:00,625 दिल्ली: रोज़ाना 8 शव बरामद, ज़्यादातर अज्ञात 144 00:09:00,708 --> 00:09:02,125 [अमित] जब लाश मिली, 145 00:09:02,208 --> 00:09:06,041 तीन दिन, 72 घंटे तक अज्ञात लाश को 146 00:09:06,125 --> 00:09:08,125 रखा जाता है, संरक्षित किया जाता है। 147 00:09:08,208 --> 00:09:12,708 अगर 72 घंटे में कोई उसकी शिनाख़्त नहीं करता है, 148 00:09:12,791 --> 00:09:16,416 तो पुलिस उसका अंतिम संस्कार कर देती है। 149 00:09:17,041 --> 00:09:22,000 तो कोई उसके बाद पूछने वाला नहीं होता कि वो जो लाश थी उसका क्या हुआ। 150 00:09:22,083 --> 00:09:24,375 और इसी तरीके से ये केस भी रह जाते। 151 00:09:29,458 --> 00:09:31,458 [सुंदर] जाँच की रणनीतियाँ होती हैं। 152 00:09:31,541 --> 00:09:32,708 जैसे, नंबर एक, 153 00:09:32,791 --> 00:09:35,291 यह देखना था कि उसने कहाँ-कहाँ से फ़ोन किया। 154 00:09:35,375 --> 00:09:37,708 सबसे पहला फ़ोन, हमने नियंत्रण कक्ष से पूछा, 155 00:09:37,791 --> 00:09:40,083 तो नियंत्रण कक्ष से हमें दो फ़ोन आए। 156 00:09:40,583 --> 00:09:44,375 जिसमें सबसे पहला फ़ोन नांगल रया से किया गया था। 157 00:09:44,458 --> 00:09:47,333 तिहाड़ जेल नांगल रया 158 00:09:47,416 --> 00:09:51,041 [सुंदर] और दूसरा फ़ोन तिलक नगर से किया गया था। 159 00:09:51,125 --> 00:09:54,458 तिलक नगर 160 00:09:55,166 --> 00:09:57,083 तिलक नगर 161 00:09:57,166 --> 00:09:59,291 [सुंदर] एसटीडी के पास जाकर पूछा 162 00:09:59,375 --> 00:10:01,875 तो वहाँ रामबाबू चौरसिया नाम का एक लड़का बैठा हुआ था। 163 00:10:02,458 --> 00:10:06,000 उससे पूछा, "सुबह से आपके पास से कितने फ़ोन किए गए हैं?" 164 00:10:06,083 --> 00:10:08,041 वो बोला, "साहब एक ही आदमी फ़ोन करके गया है।" 165 00:10:08,125 --> 00:10:11,833 सुबह 8:45 बजे 20 अक्टूबर 2006 166 00:10:11,916 --> 00:10:17,291 सर, वो सांवले से रंग का है। और यही 28 से 30 साल की उम्र का रहा होगा। 167 00:10:17,375 --> 00:10:22,125 और लम्बाई उसकी मध्यम थी, न ज़्यादा छोटा था न बड़ा था। 168 00:10:22,208 --> 00:10:26,500 फिर उससे पूछा कि आप इसको, यदि हम दिखा देंगे, तो पहचान कर लोगे, 169 00:10:26,583 --> 00:10:28,541 [सुंदर] उसने कहा, "हाँ, सर, पहचान कर लूँगा।" 170 00:10:31,000 --> 00:10:34,208 हालाँकि हम बाद में स्केच बनाने के लिए उसे साथ में ले गए थे। 171 00:10:39,708 --> 00:10:41,458 [रहस्यपूर्ण संगीत] 172 00:10:45,166 --> 00:10:47,541 [अंग्रेज़ी में] चिट्ठी में उसने ज़िक्र किया था 173 00:10:47,625 --> 00:10:49,791 कि उसे झूठे आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। 174 00:10:50,500 --> 00:10:53,208 [अपराधी की आवाज़] अब कान खोलकर सारी दिल्ली पुलिस सुन लो। 175 00:10:54,166 --> 00:10:56,833 कि अब तक मैं नाजायज़ केस झेलता रहा हूँ। 176 00:10:58,958 --> 00:11:01,666 [अंग्रेज़ी में] उसका पुलिस के ख़िलाफ ये आरोप था। 177 00:11:01,750 --> 00:11:05,083 कि उसे कुछ गंभीर अपराध के मामलों में फंसाया गया था। 178 00:11:05,166 --> 00:11:07,250 उसने अपने आपराधिक इतिहास को नकारा नहीं। 179 00:11:07,333 --> 00:11:10,041 उसने ये नहीं कहा कि वो निर्दोष आदमी था और वो… 180 00:11:10,125 --> 00:11:11,625 लेकिन उसने कहा कि शायद उसे… 181 00:11:13,125 --> 00:11:17,750 एक-दो बार कुछ मामलों में पकड़ा गया या गिरफ़्तार किया गया 182 00:11:17,833 --> 00:11:21,291 जिसके लिए वो जिम्मेदार तक नहीं था। 183 00:11:21,875 --> 00:11:24,166 अब चिट्ठी में, जो शब्द लिखे हुए थे, 184 00:11:24,250 --> 00:11:26,750 उसमें था, "मैंने मर्डर किए हूँ।" 185 00:11:29,708 --> 00:11:32,916 [सुंदर] ये भाषा साधारणतया बिहार के लोगों की होती है। 186 00:11:34,500 --> 00:11:36,458 "और मैं कोई गेंगवार नहीं हूँ…" 187 00:11:38,625 --> 00:11:44,041 "गेंगवार" शब्द जो है ज़्यादातर पुलिस की भाषा होती है या अपराधियों की। 188 00:11:45,875 --> 00:11:49,458 इसके बाद उसमें 2003 की एक लाश का ज़िक्र किया हुआ था। 189 00:11:51,375 --> 00:11:55,541 कि मैंने 2003 में भी एक लाश डाली थी और जिसमें आप कुछ नहीं कर पाए थे। 190 00:12:01,041 --> 00:12:04,750 अब जाँच में मैंने पूछा कि 2003 में कोई खून… 191 00:12:05,291 --> 00:12:10,208 दिसंबर का महीना बताया था उसने, वो हुआ है कि नहीं हरी नगर में। 192 00:12:10,875 --> 00:12:17,208 अब ये बड़ा अचम्भा लगा कि जो तारीख़ बताई थी या जो महीना बताया था उसी साल 193 00:12:17,291 --> 00:12:20,583 2003 में, एक लाश गेट नंबर… 194 00:12:20,666 --> 00:12:24,416 [सुंदर] ये गेट नंबर तीन है जहाँ अभी लाश मिली थी और गेट नंबर एक थोड़ा आगे है। 195 00:12:26,291 --> 00:12:28,166 गेट नंबर एक 196 00:12:28,250 --> 00:12:30,250 [सुंदर] वहाँ पर एक लाश थी। 197 00:12:30,791 --> 00:12:32,458 और वो केस चला था, 198 00:12:32,541 --> 00:12:35,666 जाँच की गई थी। लेकिन उसका कोई सुराग़ नहीं मिला था। 199 00:12:35,750 --> 00:12:39,416 कौन मारने वाला है, कौन मरने वाला है। मरने वाले तक का भी पता नहीं चला था। 200 00:12:39,500 --> 00:12:42,166 इसलिए वो केस, हम इसको एक शब्द बोलते हैं "अनट्रेस्ड" चला गया था। 201 00:12:42,250 --> 00:12:45,125 20.11.03, गेट नंबर 1 के पास प्लास्टिक के थैले में एक आदमी का शव 202 00:12:45,208 --> 00:12:47,166 रस्सियों से बंधा हुआ मिला 203 00:12:47,250 --> 00:12:50,416 [अमित] वो भी सिरकटी लाश थी तो पता नहीं चल पाया किसने मारा। 204 00:12:50,500 --> 00:12:51,375 केस अनट्रेस ही रह गया 205 00:12:51,458 --> 00:12:55,000 लेकिन जब 2006 में अक्टूबर वाला खून हुआ, 206 00:12:55,083 --> 00:13:00,708 और तिहाड़ जेल के बाहर जो लाश मिली तब जाकर उसकी जो चिट्ठी बाहर आई, 207 00:13:00,791 --> 00:13:06,250 इसके बाद ये पता लगा कि कोई ऐसा इंसान है जो इस तरीके से सीरियल किलिंग कर रहा है। 208 00:13:06,333 --> 00:13:12,458 ये जुड़ा कि पहले जो सिरकटी लाशें मिली हैं इन सबके पीछे एक इंसान शामिल हो सकता है। 209 00:13:24,416 --> 00:13:27,375 [अंग्रेजी में] कोई तिहाड़ जेल के सामने लाश क्यों फेंकेगा? 210 00:13:27,458 --> 00:13:31,291 साफ़ था कि ये एक संदेश देने के लिए था, 211 00:13:31,375 --> 00:13:36,375 कि वो कोई ऐसा था जो यहाँ बंद था… 212 00:13:36,458 --> 00:13:40,083 या फिर तिहाड़ जेल में क़ैद में रहा था। 213 00:13:40,166 --> 00:13:42,666 ये भी साफ़ ज़ाहिर था 214 00:13:42,750 --> 00:13:45,833 कि इस इंसान के मन में आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रति गहरा द्वेष था, 215 00:13:46,458 --> 00:13:51,583 चाहे वो पुलिस प्रशासन हो या जेल प्रशासन। 216 00:13:57,875 --> 00:14:01,541 दूसरा ये हुआ कि उसने फ़ोन पर बलबीर का नाम लिया था, तो मैंने पुष्टि की। 217 00:14:02,333 --> 00:14:03,291 सुबह 8:45 20 अक्टूबर 2006 218 00:14:03,375 --> 00:14:05,458 [फ़ोन पर अपराधी] ये जो हेड कॉन्स्टेबल खड़ा है न, बलबीर? 219 00:14:07,583 --> 00:14:09,458 इसने मेरे साथ जेल में ज़्यादती की थी। 220 00:14:11,166 --> 00:14:15,208 तो सबसे पहले मैंने पूछा कि बलबीर जेल में कहाँ पर तैनात था। 221 00:14:15,291 --> 00:14:19,333 तो ये पता लगा कि बलबीर जेल नंबर तीन में कहीं पर रहा है। 222 00:14:20,833 --> 00:14:22,291 [नाटकीय संगीत] 223 00:14:22,375 --> 00:14:24,833 [सुंदर] जो जेल नंबर तीन था उसकी एक ख़ासियत और भी थी 224 00:14:24,916 --> 00:14:28,083 कि वहाँ सजायाफ़्ता अपराधी रहा करते थे। 225 00:14:32,166 --> 00:14:35,666 तो तीन के हमने निवेदन भेजे। जो उम्र का विवरण आता है 226 00:14:35,750 --> 00:14:38,125 उसमें पांच साल घटा या बढ़ा देते हैं। 227 00:14:38,625 --> 00:14:43,333 तो वो उसका 30-32 साल या 35 साल का या 25 साल के करीब के लड़कों का, 228 00:14:43,416 --> 00:14:46,041 हमने हुलिया दिया जिसका रंग सांवला हो, बिहार का रहने वाला हो। 229 00:14:47,083 --> 00:14:51,333 [सुंदर] और इस तरह हमारे पास 30 से 35 लोगों की सूची आई। 230 00:14:56,958 --> 00:14:59,083 पुलिस शुरुआत में कोशिश करती है, 231 00:14:59,166 --> 00:15:03,500 लेकिन कुछ दिनों बाद ही उन्हें ऐसा लगने लगता है कि उनका समय ख़राब हो रहा है। 232 00:15:03,583 --> 00:15:08,583 मामलों का बोझ दूसरी तरफ ज़्यादा होता है, कुछ ऐसे केस होते हैं जिनमें सुराग़ होता है। 233 00:15:08,666 --> 00:15:11,500 तो उनकी जाँच उधर की तरफ़ जाती है बजाय इसके 234 00:15:11,583 --> 00:15:14,458 कि एक अज्ञात शव के पीछे वो लगे रहें। 235 00:15:16,041 --> 00:15:18,916 अक्टूबर 2006 236 00:15:22,791 --> 00:15:27,083 [सुंदर] 25 अप्रैल को मुझे होशियार सिंह साहब ने बताया कि यार 237 00:15:27,166 --> 00:15:28,166 एक लाश 238 00:15:28,666 --> 00:15:30,666 और डाल दी गई है। आप तुरंत आओ। 239 00:15:30,750 --> 00:15:33,125 गेट नंबर तीन 240 00:15:33,208 --> 00:15:34,958 [सुंदर] जब मैं वहाँ पहुँचा तो बड़ा अचम्भा लगा 241 00:15:35,458 --> 00:15:38,125 कि जो लाश रखी गई थी, 242 00:15:38,208 --> 00:15:40,375 एक सेंटीमीटर भी दाएं-बाएं नहीं थी, 243 00:15:40,458 --> 00:15:43,541 बिल्कुल हूबहू पहले वाली जगह पर ही लाश रखी गई थी। 244 00:15:46,583 --> 00:15:50,833 [सुंदर] उस लाश को इतना कसकर बाँधा गया था कि खुल नहीं रही थी। 245 00:15:50,916 --> 00:15:53,458 होशियार सिंह भी प्रयास कर रहे थे। हम भी प्रयास कर रहे थे 246 00:15:53,541 --> 00:15:57,333 लेकिन उसने गांठें इतनी सख़्ती से लगाई थीं कि खुल नहीं रही थीं। 247 00:15:58,750 --> 00:16:02,791 गेट नंबर तीन 248 00:16:02,875 --> 00:16:06,625 इस बीच में एक लड़का आया, 249 00:16:06,708 --> 00:16:08,833 वो कहता है, "मैं आता हूँ, मैं खोलता हूँ।" 250 00:16:17,625 --> 00:16:19,750 [सुंदर] पहले ही दवाब एक लाश से हो गया था 251 00:16:19,833 --> 00:16:21,583 अब तो और ज़्यादा हो गया। 252 00:16:21,666 --> 00:16:25,833 वो दूसरी जो लाश थी वो भी उसी तरीके से काटी गई थी। 253 00:16:32,375 --> 00:16:35,833 पहली वाली की गर्दन नहीं थी, और इसके जो है 254 00:16:35,916 --> 00:16:38,166 दोनों हाथ और पैर 255 00:16:38,250 --> 00:16:40,083 और उसका गुप्तांग भी गायब था। 256 00:16:44,916 --> 00:16:47,916 लेकिन इस लाश के साथ चिट्ठी नहीं थी। 257 00:16:48,875 --> 00:16:52,625 और जो बांधने का तरीका था वो सारा वैसे का वैसा ही था। 258 00:17:00,583 --> 00:17:02,625 इतने में फ़ोन आता है कि भाई 259 00:17:02,708 --> 00:17:05,583 इसके जो हिस्से हैं 260 00:17:06,166 --> 00:17:09,666 वो वहाँ पड़े हैं तीस हज़ारी कोर्ट के पास। 261 00:17:10,166 --> 00:17:11,708 तिहाड़ जेल 262 00:17:14,166 --> 00:17:16,291 तीस हज़ारी कोर्ट 263 00:17:17,083 --> 00:17:21,333 तीस हज़ारी कोर्ट 264 00:17:27,083 --> 00:17:30,041 [अंग्रेज़ी में] जिस तरह से लाश को फेंका गया था, 265 00:17:30,708 --> 00:17:32,666 यह बिल्कुल निश्चित था 266 00:17:32,750 --> 00:17:36,666 कि वो इंसान लाश को फेंकने के बाद उसके पास रुका नहीं था। 267 00:17:37,250 --> 00:17:41,125 जहाँ लाश मिली थी अपराध वहाँ नहीं किया गया था। 268 00:17:41,750 --> 00:17:45,541 यह बिल्कुल साफ था कि अपराध किसी और जगह किया गया था 269 00:17:45,625 --> 00:17:47,708 और लाश को यहाँ फेंका गया था। 270 00:17:47,791 --> 00:17:51,416 बेशक़, ये साफ़ ज़ाहिर था कि ऐसा सनसनी मचाने के लिए था। 271 00:17:51,500 --> 00:17:58,250 तिहाड़ जेल के गेट पर एक और लाश, खूनी ने पुलिस को ललकारा 272 00:17:59,166 --> 00:18:00,416 [अमित] जब ये घटना हुई थी, 273 00:18:00,500 --> 00:18:03,458 उस समय इतने सीसीटीवी कैमरे दिल्ली में नहीं लगे हुए थे। 274 00:18:03,541 --> 00:18:07,000 ऐसा कोई भी साधन नहीं था जिससे ये पता चल सके कि कौन है। 275 00:18:07,083 --> 00:18:08,583 पुलिस को शक़ सीरियल किलर खुला घूम रहा है 276 00:18:08,666 --> 00:18:14,291 तो एक तरीके से कहें, जैसे धूल में लट्ठ मारना। पुलिस वही कर रही थी। 277 00:18:14,375 --> 00:18:16,916 उनके पास कोई सुराग़ नहीं था। 278 00:18:17,000 --> 00:18:19,208 लाश की पहचान नहीं हो पाती थी 279 00:18:19,291 --> 00:18:22,375 क्योंकि वो सिरकटी होती थी तो ये पता ही नहीं चल पता था कि कौन मरा। 280 00:18:22,458 --> 00:18:24,833 बीस अक्टूबर, 2006 पहली लाश 281 00:18:26,500 --> 00:18:30,333 [सुंदर] सामान्य जो पुलिस जाँच है वो मृतक की तरफ से होती है, 282 00:18:30,416 --> 00:18:32,083 कि मृतक कौन है, 283 00:18:32,958 --> 00:18:37,250 अगर टीम को पता लग गया तो 90 प्रतिशत केस सुलझ गया। 284 00:18:37,333 --> 00:18:40,500 लेकिन यहाँ तो न मृतक का पता था। 285 00:18:40,583 --> 00:18:41,958 न आरोपी का पता था। 286 00:18:42,041 --> 00:18:44,166 [सुंदर] न घटनास्थल का पता था। 287 00:18:44,250 --> 00:18:46,458 तो इन सारी चीज़ों की वजह से ये बहुत कठिन केस था। 288 00:18:49,500 --> 00:18:53,208 [अंग्रेज़ी में] देखिए, ये ऐसा नहीं है कि हम एक सीरियल किलर के पीछे लगे हुए हैं। 289 00:18:53,291 --> 00:18:54,666 ऐसा कभी नहीं होता। 290 00:18:54,750 --> 00:18:59,750 आप संपत्ति अपराध करने वाले लोगों को पकड़ सकते हैं या ढूंढ़ सकते हैं। 291 00:19:00,541 --> 00:19:04,208 लेकिन ऐसा कोई नहीं है… मुझे नहीं लगता कि कोई पुलिस फ़ोर्स है 292 00:19:04,291 --> 00:19:06,416 जो बस सीरियल किलर के पीछे लगी हुई हो। 293 00:19:06,500 --> 00:19:08,916 क्योंकि जब तक कि अपराध सामने नहीं आता, 294 00:19:09,500 --> 00:19:11,250 आप उस पर काम नहीं करते। 295 00:19:11,333 --> 00:19:15,875 आपको एक पैटर्न चाहिए, आपको एक कड़ी चाहिए, आपको एक लाश चाहिए। 296 00:19:15,958 --> 00:19:20,875 आपको एक अपराध चाहिए जो आपके उस तक पहुँचने से पहले हो चुका हो। 297 00:19:20,958 --> 00:19:22,666 [फ्लैश की आवाज़] 298 00:19:27,750 --> 00:19:34,750 ताज़ा फल 299 00:19:38,208 --> 00:19:40,375 पुलिस के ऊपर जब दबाव आया 300 00:19:40,458 --> 00:19:43,750 तो इन्होंने छानबीन करते हुए आस-पास 301 00:19:43,833 --> 00:19:46,375 जितने भी थाने हैं। 302 00:19:46,458 --> 00:19:50,333 पश्चिमी जिले के साथ-साथ उस पूरे इलाके में जितने थाने थे 303 00:19:50,416 --> 00:19:52,916 सबको इस अपराध को सुलझाने में लगा दिया गया। 304 00:19:53,000 --> 00:19:55,541 क्योंकि सीधा-सीधा दिल्ली पुलिस को चुनौती दी गई थी। 305 00:19:56,125 --> 00:19:58,875 [अंग्रेज़ी में] मेरी अगुआई में टीम का गठन किया था। 306 00:20:02,125 --> 00:20:04,750 [हरगोबिंदर अंग्रेज़ी में] हमारे पास पश्चिमी ज़िले से विशेष स्टाफ़ के सदस्य थे, 307 00:20:04,833 --> 00:20:06,791 कुछ बहुत ही बेहतरीन अफ़सर, 308 00:20:06,875 --> 00:20:10,083 और साथ ही पश्चिमी ज़िले के अन्य उप-विभागों से भी। 309 00:20:10,166 --> 00:20:12,208 इस केस में बहुत लोगों को लगाया गया था। 310 00:20:14,875 --> 00:20:18,833 दिल्ली पुलिस 311 00:20:21,833 --> 00:20:25,750 [हरगोबिंदर अंग्रेज़ी में] हमने केस पर बहुत गहराई से और बिना समय गंवाए काम किया 312 00:20:25,833 --> 00:20:29,666 क्योंकि हमें एहसास हुआ कि जितना ज़्यादा समय इसमें लगेगा, 313 00:20:29,750 --> 00:20:32,958 आरोपी उतने ही ज़्यादा खून करेगा। 314 00:20:34,625 --> 00:20:36,791 यह ऐसा था कि आप समय के विरूद्ध भाग रहे थे, 315 00:20:36,875 --> 00:20:38,791 एक और निर्दोष इंसान को बचाने की कोशिश करते हुए 316 00:20:38,875 --> 00:20:42,166 जो उसके अपराधों की कड़ी का शिकार बन सकता था। 317 00:20:44,833 --> 00:20:47,000 [हरगोबिंदर अंग्रेज़ी में] और फिर, बेशक़, हमारी… 318 00:20:49,291 --> 00:20:53,750 खोज का क्षेत्र और अन्य सुराग़ ढूँढ़ने का क्षेत्र 319 00:20:53,833 --> 00:20:56,500 दिल्ली के विभिन्न इलाकों तक फ़ैल गया। 320 00:20:57,500 --> 00:21:02,875 इसमें दिल्ली के उत्तर पश्चिमी, पश्चिमी, और उत्तर पूर्वी डिस्ट्रिक्ट शामिल थे। 321 00:21:03,958 --> 00:21:05,458 [नाटकीय संगीत] 322 00:21:07,458 --> 00:21:10,500 उन्होंने उसके बाद जब जाँच जारी रखी, 323 00:21:10,583 --> 00:21:15,416 इस दौरान 18 मई, 2007 को फिर एक लाश मिली। 324 00:21:15,500 --> 00:21:17,291 25 अप्रैल 2007, दूसरी लाश 325 00:21:17,375 --> 00:21:19,083 18 मई, 2007 तीसरी लाश 326 00:21:19,166 --> 00:21:21,083 तिहाड़ जेल 327 00:21:21,166 --> 00:21:24,125 गेट नंबर 3 18 मई, 2007, तीसरी लाश बरामद 328 00:21:29,583 --> 00:21:32,666 [अंग्रेज़ी में] पिछले 23 सालों में मेरे सामने ऐसा कोई केस नहीं आया। 329 00:21:42,666 --> 00:21:46,500 हमने एक इंसान को कई खून करते देखा है। 330 00:21:46,583 --> 00:21:49,000 शायद विदेशों में ऐसे कुछ केस हुए हों, 331 00:21:49,083 --> 00:21:50,791 लेकिन भारतीय संदर्भ में, 332 00:21:50,875 --> 00:21:54,500 मेरा सामना ऐसे किसी शख्स से नहीं हुआ जिसने ऐसे क़त्ल किए हों 333 00:21:54,583 --> 00:21:59,708 और इतने सिलसिलेवार ढंग से किए हों। 334 00:21:59,791 --> 00:22:03,041 18 मई, 2007 तीसरी लाश 335 00:22:03,125 --> 00:22:05,250 बिल्कुल वही पैटर्न, 336 00:22:05,333 --> 00:22:07,333 और इस बार वहाँ एक चिट्ठी और मिली। 337 00:22:07,416 --> 00:22:08,875 पहले वो एक पेज की चिट्ठी थी। 338 00:22:08,958 --> 00:22:11,750 और इसमें दो-तीन पेज की चिट्ठी लिखी हुई थी। 339 00:22:12,250 --> 00:22:13,916 और लगभग वही गाली-गलौच… 340 00:22:14,541 --> 00:22:16,666 और इसमें काफी विवरण लिख रखा था। 341 00:22:16,750 --> 00:22:20,916 और उसमें पहली वाली लाश का भी ज़िक्र किया हुआ था 342 00:22:22,000 --> 00:22:24,791 [सुंदर] और दूसरी लाश जो डाली गई थी उसका भी ज़िक्र था। 343 00:22:26,000 --> 00:22:28,708 [अपराधी की आवाज़] 20 अक्टूबर, 2006 को लाश मिली थी। 344 00:22:29,750 --> 00:22:34,041 उसमें उस लाश का आप लोगों ने ठीक ढंग से मुआयना ही नहीं किया। 345 00:22:35,500 --> 00:22:39,250 क्योंकि उस लाश पर उसके हाथ पर "अमित" नाम लिखा था। 346 00:22:40,000 --> 00:22:43,583 लेकिन आप लोगों ने अख़बार में उसका नाम भी नहीं डलवाया था। 347 00:22:43,666 --> 00:22:45,583 [भयावह संगीत] 348 00:22:45,666 --> 00:22:48,750 [अंग्रेज़ी में] वो अखबार की खबरों पर बड़े क़रीब से ध्यान दे रहा था 349 00:22:49,333 --> 00:22:51,750 और लेखों को बारीकी से पढ़ रहा था। 350 00:22:53,208 --> 00:22:58,416 [अपराधी की आवाज़] इस सी.सी. को खूँखार और ख़तरनाक कातिल की उपाधि देकर 351 00:22:58,500 --> 00:23:00,333 इनाम रखवाने का कोशिश करो 352 00:23:01,500 --> 00:23:03,500 ताकि इस खेल में कुछ मज़ा आए। 353 00:23:05,416 --> 00:23:07,125 [अंग्रेज़ी में] उसे घोषित इनाम के बारे में पता था। 354 00:23:07,208 --> 00:23:08,750 उसे पता था 355 00:23:09,458 --> 00:23:12,291 कि पुलिस कैसे मीडिया से ख़बरें साझा करती है, 356 00:23:12,375 --> 00:23:14,750 और किस तरह से मीडिया में अपराधों की सूचना दी जाती है। 357 00:23:15,875 --> 00:23:21,083 [अपराधी की आवाज़] ध्यान रखना कि इनाम मेरे काम के लायक होना चाहिए। 358 00:23:21,166 --> 00:23:25,541 अगर मेरी बेइज़्ज़ती होगी, तो मैं तुम सबकी बेइज़्ज़ती करवा दूँगा। 359 00:23:27,291 --> 00:23:32,583 [अंग्रेज़ी में] वो चाहता था कि उसके अपराध की सूचना दी जाए, 360 00:23:32,666 --> 00:23:33,583 यूँ समझिए कि… 361 00:23:34,708 --> 00:23:37,875 वो चाहता था उसे उसके अपराध के ज़रिए याद रखा जाए। 362 00:23:38,541 --> 00:23:41,083 [अपराधी की आवाज़] ये चिट्ठी अख़बार वालों को भी पढ़ा देना, 363 00:23:41,166 --> 00:23:43,250 आगे फिर तोहफ़ा समय पर भेज दूँगा। 364 00:23:44,750 --> 00:23:48,458 तुम लोगों का जीजाजी और दामाद, सी.सी. 365 00:23:51,916 --> 00:23:56,208 [अंग्रेज़ी में] लेकिन ये इंसान सिस्टम के बारे में थोड़ा-बहुत जानता है, 366 00:23:57,041 --> 00:23:59,416 और सिस्टम को चुनौती दे रहा है, 367 00:24:00,166 --> 00:24:04,250 इसे गुनाह करने में मज़ा आता है 368 00:24:04,791 --> 00:24:06,166 और इसे करने के तरीके पर गर्व है। 369 00:24:07,375 --> 00:24:08,958 तो, ये लगभग ऐसा था मानो… 370 00:24:10,708 --> 00:24:13,458 इस मोड़ पर उसे हर काम में मज़ा आ रहा था। 371 00:24:15,333 --> 00:24:16,750 अब यदि आप दोनों चिट्ठियाँ देखें, 372 00:24:17,541 --> 00:24:20,041 लिखाई का पैटर्न वही था, भाषा वही थी। 373 00:24:20,125 --> 00:24:23,291 और जो शब्द इस्तेमाल किए थे वो लगभग एक से थे। 374 00:24:23,375 --> 00:24:25,708 और लिखावट भी एक सी ही थी। 375 00:24:28,458 --> 00:24:32,375 [सुंदर] दोनों चिट्ठियों के नीचे सी.सी. लिखा हुआ था, वो भी एक और सुराग़ था। 376 00:24:32,458 --> 00:24:35,458 सी.सी. 377 00:24:35,541 --> 00:24:38,708 [अंग्रेज़ी में] मेरी पहली प्रतिक्रिया थी कि दोनों चिट्ठियाँ एक इंसान ने लिखी थीं। 378 00:24:39,333 --> 00:24:40,500 यह एक बात है। 379 00:24:40,583 --> 00:24:43,250 और लिखावट की वजह से नहीं, 380 00:24:43,333 --> 00:24:46,166 उनमें लिखे शब्दों की वजह से। 381 00:24:50,041 --> 00:24:52,416 मैं डॉ. शिवरत्न ललित वाया हूँ, 382 00:24:53,333 --> 00:24:56,750 निदेशक, अपराध विज्ञान स्कूल, अपराध विज्ञान एवं व्यवहार विज्ञान। 383 00:24:58,583 --> 00:25:01,541 [शिवरत्न] जब इन दोनों चिट्ठियों का वैज्ञानिक सामग्री विश्लेषण किया गया, 384 00:25:02,208 --> 00:25:04,250 जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया था, 385 00:25:04,333 --> 00:25:06,333 जिस तरह की बोलचाल इस्तेमाल की गई, 386 00:25:07,000 --> 00:25:10,208 और जिस तरह वाक्य बनाए गए थे, उनकी जाँच की गई। 387 00:25:10,291 --> 00:25:15,083 गुणवत्ता और सामग्री के आधार पर, दोनों एक ही इंसान द्वारा लिखे गए थे। 388 00:25:18,541 --> 00:25:19,541 [शिवरत्न] दूसरी बात। 389 00:25:20,500 --> 00:25:22,750 इसमें साफ़ है कि… 390 00:25:22,833 --> 00:25:26,750 ये इंसान अतीत में कुछ खून करने का दावा कर रहा है, 391 00:25:27,541 --> 00:25:31,416 और उसका निकट भविष्य में कुछ और खून करने का इरादा है, 392 00:25:32,166 --> 00:25:36,041 जिसके लिए, वो ये कहने की कोशिश कर रहा है कि वर्तमान प्रशासन जिम्मेदार है। 393 00:25:37,375 --> 00:25:42,166 [अपराधी की आवाज़] तुम लोगों की माँ को तुम लोगों के ही बाप ने चोदकर पैदा किया है, 394 00:25:42,250 --> 00:25:44,125 तो मुझे पकड़कर दिखाओ। 395 00:25:44,875 --> 00:25:48,166 [शिवरत्न अंग्रेज़ी में] जैसी भाषा वो अपने संदेशों में प्रयोग करता है, 396 00:25:48,833 --> 00:25:50,333 वो एक अप्रत्यक्ष तरीका है 397 00:25:50,416 --> 00:25:54,958 अपने माता-पिता और अधिकारियों के ख़िलाफ गुस्सा ज़ाहिर करने का। 398 00:25:55,041 --> 00:25:59,125 देखिए, अगर उसके मन में किसी तरह का सम्मान और लगाव होता 399 00:25:59,208 --> 00:26:02,625 अपनी माँ के लिए, तो वो ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करता। 400 00:26:04,458 --> 00:26:07,708 उसका गुस्सा, माता-पिता या अभिभावक के लिए है 401 00:26:07,791 --> 00:26:13,625 जिससे एक बच्चा सुरक्षा की अपेक्षा करता है। 402 00:26:13,708 --> 00:26:19,250 उसके पास ऐसा कोई नहीं था, तो वही गुस्सा वो पुलिसवालों पर निकाल रहा है। 403 00:26:26,166 --> 00:26:27,875 [हरगोबिंदर अंग्रेज़ी में] देखिए, ये कोई ऐसा है 404 00:26:28,583 --> 00:26:32,750 जो ख़ुद को प्रशासन द्वारा पीड़ित महसूस करता है। 405 00:26:34,000 --> 00:26:36,208 और कोई जो… 406 00:26:38,250 --> 00:26:43,833 जो न केवल प्रताड़ित महसूस कर रहा है बल्कि उसे दूर करने के लिए कुछ करना चाहता है। 407 00:26:51,583 --> 00:26:56,750 वो इस तरह सिस्टम का हिस्सा नहीं है कि कानूनी रूप से इसके बारे में कुछ कर सके। 408 00:26:58,333 --> 00:27:03,833 लेकिन वो अपने बल पर जो भी कर सकता है उसकी कोशिश कर रहा है। 409 00:27:04,541 --> 00:27:07,458 और इससे बच निकलना इतने लंबे समय तक कि… 410 00:27:09,416 --> 00:27:11,125 मेरा मतलब, ये बहुत ही अलग बात है। 411 00:27:13,250 --> 00:27:15,541 [अंग्रेज़ी में] चिट्ठी में, वो ये भी कहता है कि… 412 00:27:16,541 --> 00:27:22,000 अगर वो एक साल में लगभग सात से आठ लोगों को नहीं मारता, तो शांति से जी नहीं सकता। 413 00:27:23,083 --> 00:27:26,291 [अपराधी की आवाज़] मैं, सी.सी., ये बात सीना तानकर कबूल कर रहा हूँ 414 00:27:27,083 --> 00:27:31,750 कि करीब-करीब साल में कम से कम सात से आठ क़त्ल हर हाल में करता हूँ। 415 00:27:32,458 --> 00:27:34,416 वरना मेरा दिमाग पागल होने लगता है। 416 00:27:36,666 --> 00:27:41,458 [अंग्रेज़ी में] वह खून करने की मनोवैज्ञानिक तीव्र इच्छा की बात करता है। 417 00:27:56,041 --> 00:27:58,083 20 अक्टूबर, 2006 पहली लाश 418 00:28:02,875 --> 00:28:06,083 [उत्कर्ष अंग्रेज़ी में] पाँच महीनों के दौरान, तीन से चार खून पहले ही हो चुके थे। 419 00:28:06,625 --> 00:28:09,875 हालाँकि शवों के अलग-अलग हिस्सों को दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में फेंका गया था, 420 00:28:10,375 --> 00:28:15,000 शव का एक बड़ा हिस्सा हमेशा तिहाड़ जेल के बाहर रखा जाता था। 421 00:28:15,083 --> 00:28:18,375 उसके बावजूद, अगर वे किसी को नहीं पकड़ सकते, उस इंसान को दबोच नहीं सकते, 422 00:28:18,458 --> 00:28:20,333 उस इंसान की पहचान तक नहीं कर सकते, 423 00:28:20,416 --> 00:28:22,375 और ये एक गुमनाम केस बनकर रह जाता है, 424 00:28:22,458 --> 00:28:27,166 यह दिल्ली पुलिस की जाँच और काबिलियत के बारे में बहुत कुछ कहता है। 425 00:28:27,666 --> 00:28:30,208 [अंग्रेज़ी में] देखिए, लाशें एक के बाद एक तेज़ी से बरामद नहीं हुई थीं। 426 00:28:30,291 --> 00:28:34,250 एक घटना और दूसरी घटना के बीच 427 00:28:34,333 --> 00:28:36,541 काफ़ी फ़ासला था। 428 00:28:37,708 --> 00:28:39,750 और ऐसा नहीं था कि लाश सही-सलामत थी। 429 00:28:41,708 --> 00:28:43,791 ये सुनने में बहुत विरोधाभासी लगता है 430 00:28:43,875 --> 00:28:46,333 कि उनमें एक पैटर्न था और साथ ही एक पैटर्न नहीं भी था। 431 00:28:46,416 --> 00:28:47,666 तिहाड़ जेल तीस हज़ारी कोर्ट 432 00:28:47,750 --> 00:28:51,000 शालीमार बाग़ स्वरुप नगर 433 00:28:51,083 --> 00:28:54,041 गाज़ियाबाद 434 00:28:55,041 --> 00:28:56,458 जब 18 मई का समय आ गया, 435 00:28:57,291 --> 00:28:59,125 तो हमारी फिर बैठक हुई। 436 00:28:59,208 --> 00:29:03,541 बातें हुईं, और बात करने के बाद तय हुआ कि भाई आपको क्या-क्या चाहिए, 437 00:29:03,625 --> 00:29:06,791 मैंने कहा, "सर, मुझे दिलीप कौशिक चाहिए और आदमी, मेरे लड़के तीन-चार वहीं। 438 00:29:06,875 --> 00:29:10,166 गाड़ी हमारे पास में नहीं है, क्या करें? हमारे पास सुराग़ हैं।" 439 00:29:10,250 --> 00:29:11,666 "कितने दिन तुम और लोगे?" 440 00:29:11,750 --> 00:29:14,125 मैंने कहा, "सर, दो-तीन दिन का समय आप हमें दे दीजिए, 441 00:29:14,208 --> 00:29:15,791 यदि तीन दिन में हम नहीं कर पाते, 442 00:29:15,875 --> 00:29:18,208 तो आप हमसे जाँच वापस ले लीजिएगा।" 443 00:29:18,708 --> 00:29:19,833 उन्होंने कहा, "ठीक है, 444 00:29:19,916 --> 00:29:23,416 अब से न क्राइम टीम काम करेगी इसके ऊपर, न स्पेशल सेल काम करेगी। 445 00:29:23,500 --> 00:29:26,250 तीन दिन तक सुंदर सिंह यादव साहब की ही टीम काम करेगी।" 446 00:29:26,333 --> 00:29:27,833 पद का नाम अधिकारी का नाम 447 00:29:27,916 --> 00:29:30,000 [सुंदर] उन्होंने पूछा कि आपको कौन सी टीम चाहिए। 448 00:29:30,708 --> 00:29:33,500 मुझे नरेंद्र पहलवान, वीरेंद्र त्यागी, 449 00:29:33,583 --> 00:29:37,000 दिलीप कौशिक, रोहताश चाहिए और दो गाड़ियाँ दे दी जाएं। 450 00:29:42,583 --> 00:29:46,916 अठारह मई को इतना दबाव आ गया कि प्रेस पीछा कर रही है। 451 00:29:47,000 --> 00:29:51,208 और एक तरह से हम बिल्कुल नाकाम होते जा रहे हैं। 452 00:29:51,291 --> 00:29:53,458 लेकिन उधर से हमारे पास सुराग़ भी हैं। 453 00:29:53,541 --> 00:29:56,375 दिल्ली पुलिस 454 00:29:56,458 --> 00:29:57,708 सन 1998 के पहले, 455 00:29:57,791 --> 00:30:00,791 सन 1997 में एक खून हुआ था उत्तर पश्चिमी डिस्ट्रिक्ट में। 456 00:30:00,875 --> 00:30:03,458 1998 में, उसने एक मंगल को मारकर सनसनी मचा दी 457 00:30:03,541 --> 00:30:06,375 [सुंदर] इस खून की तरह उस खून में भी, 458 00:30:06,458 --> 00:30:10,458 उस आदमी के हाथ नहीं थे, पैर नहीं थे, लिंग नहीं था और गर्दन नहीं थी। 459 00:30:10,541 --> 00:30:11,625 उसे 1998 में गिरफ़्तार किया गया 460 00:30:11,708 --> 00:30:15,208 वो देखकर, नरेंद्र को किसी तरह से 461 00:30:15,291 --> 00:30:18,083 मुख़बिर का सुराग़ मिलने लग गया था। 462 00:30:24,166 --> 00:30:25,708 बिना मुख़बिर पुलिस कुछ नहीं कर पाएगी। 463 00:30:25,791 --> 00:30:27,125 पुलिस ख़बरी 464 00:30:27,208 --> 00:30:30,666 पुलिस को कैसे पता कि बाहर क्या हो रहा है वो तो अपनी चौकी में रहती है, घर बैठी है। 465 00:30:30,750 --> 00:30:34,250 एक मुख़बिर ही ढूँढ़ता है किसने कहाँ केस किया, किसने क्या कर लिया। 466 00:30:39,875 --> 00:30:42,666 [आदमी] सिविल में घूमते हैं पुलिस वाले, स्पेशल सेल वाले बोलते हैं इनको। 467 00:30:42,750 --> 00:30:43,916 खून का आरोपी 468 00:30:44,000 --> 00:30:48,166 उनके मुख़बिर भी होते हैं, उनको हर एक बंदे के बारे में पता होता है कि क्या कर रहा है। 469 00:30:48,250 --> 00:30:50,541 कोई ग़लत काम कर रहा है या ठीक काम कर रहा है। 470 00:30:56,291 --> 00:30:59,791 [मुख़बिर] इस इलाके के जितने भी मुख़बिर हैं न जिसकी सीसीटीवी फ़ोटो आई है 471 00:30:59,875 --> 00:31:01,166 वो फ़ोटो मुख़बिर को दी जाएगी। 472 00:31:01,833 --> 00:31:07,750 फिर मुख़बिर उसकी फ़ोटो, जूते, बंदे की लम्बाई देखकर और किस रंग की शर्ट पहन रखी है… 473 00:31:08,375 --> 00:31:11,750 वो देखके पता लगा लेता है कि बंदा किस इलाके का है, कहाँ होगा। 474 00:31:14,541 --> 00:31:17,541 अभी आज के समय में मोबाइल बहुत ज़्यादा हो गए हैं, 475 00:31:17,625 --> 00:31:19,416 तकनीकी निगरानी बहुत ज़्यादा हो गई है। 476 00:31:19,500 --> 00:31:25,125 लेकिन उस समय में मुख़बिर नेटवर्क जिसे पुलिस का एक सबसे मज़बूत तंत्र कहा जाता है, वो था। 477 00:31:25,208 --> 00:31:28,958 [अमित] और इसके बारे में लगातार जानकारी जुटाई जा रही थी। 478 00:31:34,041 --> 00:31:35,541 [नाटकीय संगीत] 479 00:31:40,833 --> 00:31:42,583 [मुख़बिर] मुख़बिर पूरे दिन घूमता रहता है। 480 00:31:42,666 --> 00:31:45,833 उसे हर तरह के बंदे मिलते हैं, अच्छे मिलें, बुरे मिलें। 481 00:31:45,916 --> 00:31:46,916 उसका नेटवर्क होता है। 482 00:31:47,625 --> 00:31:50,500 तो मुख़बिर पूरा पता निकालेगा कि कहाँ खून हुआ है और किसने किया है, 483 00:31:50,583 --> 00:31:52,666 कहाँ उसने लाश दबाई है। 484 00:31:52,750 --> 00:31:56,125 मुख़बिर ही बताएगा, फिर उसके आधार पर पुलिस वाले कार्यवाही करते हैं। 485 00:32:03,875 --> 00:32:05,875 [सुंदर] नरेंद्र साहब अपने-आप काम कर रहे थे। 486 00:32:07,416 --> 00:32:11,083 उनके मुख़बिर ने बताया है कि आज़ादपुर मंडी में एक डॉक्टर है 487 00:32:11,166 --> 00:32:13,916 जिनके पास में इसी हुलिये का व्यक्ति आता है। 488 00:32:14,000 --> 00:32:17,583 आज़ादपुर मंडी 489 00:32:17,666 --> 00:32:20,375 अब हमारी अगुआई कर रहे थे, नरेंद्र पहलवान। 490 00:32:20,458 --> 00:32:22,458 मैं उनके साथ काम कर रहा था। 491 00:32:22,541 --> 00:32:27,208 तो दोपहर 2 बजे, मैं, दिलीप कौशिक, और नरेंद्र पहलवान, तीनों ही थे। 492 00:32:27,291 --> 00:32:30,041 और बाकी टीम को हमने पीछे कर दिया। 493 00:32:30,666 --> 00:32:32,958 [सुंदर] जब हम वहाँ पहुँचे तो एक डॉक्टर बैठे हुए थे। 494 00:32:33,041 --> 00:32:33,875 आज़ादपुर 495 00:32:34,666 --> 00:32:37,291 [सुंदर] तो वहाँ हमने डॉक्टर से पूछताछ शुरू की। 496 00:32:38,625 --> 00:32:40,500 क्योंकि मैं सिविल में था, स्पेशल स्टाफ़ में था, 497 00:32:40,583 --> 00:32:43,916 मैंने आईडी कार्ड निकालकर उनको दिखाया कि मैं सुंदर सिंह यादव हूँ। 498 00:32:44,000 --> 00:32:46,458 और स्पेशल स्टाफ़ में पश्चिमी डिस्ट्रिक्ट में मौजूद हूँ। 499 00:32:46,541 --> 00:32:49,541 और हम एक क़त्ल की छानबीन कर रहे हैं तो उस लिए आपके पास में आए हैं। 500 00:32:50,708 --> 00:32:54,791 [सुंदर] मैंने नाम लिया ही होगा कि उसी समय एक फ़ोन डॉक्टर साहब के पास आया। 501 00:33:00,708 --> 00:33:04,708 जैसे ही उसने फ़ोन काटा, नरेंद्र पहलवान ने उसे थप्पड़ जड़ दिया। 502 00:33:06,208 --> 00:33:08,583 पर उसका सवाल सटीक था, 503 00:33:08,666 --> 00:33:11,958 कि ये उसी का फ़ोन था न? 504 00:33:12,041 --> 00:33:12,875 उसने कहा, "हाँ।" 505 00:33:15,833 --> 00:33:19,416 [सुंदर] हम डॉक्टर को लेकर हमारे टैगोर गार्डन ऑफ़िस में आ गए। 506 00:33:22,541 --> 00:33:27,083 डॉक्टर ने मुझे बताया कि ये आदमी है, इसकी पाँच बेटियाँ हैं। 507 00:33:27,166 --> 00:33:31,208 पाँचों की डिलीवरी मैंने कराई है और इसका नाम चंद्रकांत झा है। 508 00:33:33,291 --> 00:33:38,083 संदिग्ध का नाम: चंद्रकांत झा 509 00:33:38,166 --> 00:33:42,875 उसने कहा, "साहब, एक बार ये जो चंद्रकांत झा है, वो मेरा एक साला है 510 00:33:42,958 --> 00:33:44,375 उससे उसकी कुछ अनबन हो गई। 511 00:33:44,458 --> 00:33:47,458 तो उसको चंद्रकांत झा बहला-फुसला कर ले गया, 512 00:33:47,541 --> 00:33:50,500 मुझे पता लगा कि चंद्रकांत झा मेरे साले को ले गया है। 513 00:33:50,583 --> 00:33:53,583 पहले भी मुझे पता था कि ये केसों में बंद रहा है 514 00:33:53,666 --> 00:33:55,208 और खून भी कर चुका है। 515 00:33:55,916 --> 00:33:57,958 मैं उनका पीछा करते उसके कमरे में गया, 516 00:33:58,041 --> 00:33:59,666 कमरे में गया तो 517 00:33:59,750 --> 00:34:03,500 पाता क्या हूँ कि चंद्रकांत झा ने मेरे साले के गले पर छुरी लगा रखी है। 518 00:34:06,250 --> 00:34:08,708 [सुंदर] उसे लगभग मार देता यदि मैं नहीं पहुँचता तो। 519 00:34:13,416 --> 00:34:15,916 और वो आज शाम चार बजे आने वाला था। 520 00:34:16,500 --> 00:34:19,083 अब आप मुझे यहाँ लेके आए हैं और अब वो मिलेगा नहीं। 521 00:34:24,958 --> 00:34:28,458 तो मैंने कहा, "यार, अब तू ऐसा कर कि फ़ोन से बात कर उसके नंबर से।" 522 00:34:30,583 --> 00:34:34,875 [सुंदर] उसने उस फ़ोन का नंबर मिलाया और बात की कि भाई आप आने वाले थे आए नहीं। 523 00:34:35,625 --> 00:34:37,791 उसने कहा कि ठीक है, भाई, कल मैं चार बजे आऊँगा। 524 00:34:37,875 --> 00:34:38,833 मई 2007 525 00:34:38,916 --> 00:34:41,291 18 - तीसरी लाश बरामद जाँच का पहला दिन 526 00:34:42,416 --> 00:34:44,500 19 - जाँच का दूसरा दिन 527 00:34:44,583 --> 00:34:47,083 [सुंदर] 19 मई को, शाम चार बजे हम सब काम पर लग गए। 528 00:34:47,958 --> 00:34:50,208 आज़ादपुर मंडी 529 00:34:50,916 --> 00:34:54,208 आज़ादपुर 530 00:34:57,416 --> 00:35:00,291 [सुंदर] सब के सब कोई किसी भेष में लगे। 531 00:35:01,125 --> 00:35:06,333 और मैं भी लगा। मैंने लुंगी कुर्ता पहना और मैं केले बेचने वाला बन गया। 532 00:35:07,583 --> 00:35:09,666 फ्रंटलाइन लड़के जो थे वो तो काम पर लगे हुए थे, 533 00:35:09,750 --> 00:35:13,750 बाकी जो मेरे जैसे लंबे कद के हैं या पहचान जिनकी हो सकती है पुलिस वालों की तरह से, 534 00:35:13,833 --> 00:35:17,583 वो थोड़ा सा पीछा हटके रहते थे पर मार्गदर्शन के लिए मुझे रहना पड़ता था। 535 00:35:17,666 --> 00:35:21,333 मतलब जैसी परिस्थिति होती है उसके हिसाब से जाँच को शुरू किया जाता है। 536 00:35:21,416 --> 00:35:23,541 [रहस्यपूर्ण संगीत] 537 00:35:40,583 --> 00:35:42,750 उसके बाद में चार बज गए। 538 00:35:42,833 --> 00:35:45,166 गर्मी का दिन था, बहुत परेशान हो लिए। 539 00:35:45,250 --> 00:35:46,916 और उस समय पर मेट्रो रेल 540 00:35:47,000 --> 00:35:48,000 का काम भी चल रहा था। 541 00:35:49,166 --> 00:35:53,041 [सुंदर] धुल, आँधियाँ, और गर्मियाँ। और बुरा हाल हो गया। 542 00:35:53,125 --> 00:35:55,041 वहाँ चार बजे तक वो आया नहीं। 543 00:35:59,541 --> 00:36:03,625 अगली रणनीति के लिहाज़ से सोचने से पहले हमने डॉक्टर की कॉल डिटेल रिकॉर्ड को देखा। 544 00:36:05,291 --> 00:36:07,250 [सुंदर] एक फ़ोन चंद्रकांत झा का था 545 00:36:07,333 --> 00:36:08,875 और एक फ़ोन उसकी पत्नी का था। 546 00:36:08,958 --> 00:36:10,958 जो डॉक्टर साहब ने एक फ़ोन का जवाब दिया था। 547 00:36:11,041 --> 00:36:15,250 और एक नरेंद्र पहलवान ने जब थप्पड़ मारा था तो एक फ़ोन उन्होंने उसकी पत्नी का बताया था। 548 00:36:18,333 --> 00:36:21,458 [सुंदर] सीडीआर में देखा कि ये दोनों टाटा के फ़ोन नंबर थे। 549 00:36:22,291 --> 00:36:24,750 टाटा और रिलायंस दोनों के नंबर यदि हम देखते हैं 550 00:36:24,833 --> 00:36:27,666 तो उस समय पर वो लोकेशन एक जगह नहीं दिखाते थे। 551 00:36:27,750 --> 00:36:30,875 वो लोकेशन दिखा रहा था जब भी बात होती थी 552 00:36:30,958 --> 00:36:34,625 नजफ़गढ़ से नरेला और जहाँगीरपुरी दिखाता था। 553 00:36:34,708 --> 00:36:36,000 [सुन्दर] पूरा ही इलाका दिखाता था। 554 00:36:38,666 --> 00:36:43,250 तो अब वो इलाका दिखाने के बाद उसको पकड़ना बहुत मुश्किल था क्योंकि इतना बड़ा इलाका है। 555 00:36:43,333 --> 00:36:45,500 ठीक है अब इनमें से नंबर छांटे जाएँ। 556 00:36:49,000 --> 00:36:52,875 एक नंबर ऐसा आ रहा था जिससे बहुत बार फ़ोन से बातें हुई थीं। 557 00:36:52,958 --> 00:36:54,750 लगातार बहुत बार बातें हुईं। 558 00:36:54,833 --> 00:36:58,458 और, कभी-कभी तो दो मिनट तीन मिनट भी बातें हुईं। 559 00:36:58,541 --> 00:37:02,166 और ये फ़ोन का लोकेशन का पता जो आया था, वो अलीपुर का था। 560 00:37:02,250 --> 00:37:04,375 जहाँगीरपुरी 561 00:37:05,583 --> 00:37:08,166 अलीपुर 562 00:37:08,250 --> 00:37:11,416 मई 2007 19 - जाँच का दूसरा दिन 563 00:37:13,375 --> 00:37:15,958 20 - जाँच का तीसरा दिन 564 00:37:16,041 --> 00:37:20,708 अलीपुर 565 00:37:20,791 --> 00:37:23,250 [सुंदर] बीस मई को हम अलीपुर चले गए। 566 00:37:28,166 --> 00:37:31,666 सब गलियाँ बाँट दी गईं। पाँच गली तेरी, चार गली तेरी। 567 00:37:33,041 --> 00:37:35,750 और उनका उद्देश्य था कि वहाँ 568 00:37:35,833 --> 00:37:38,708 जो आदमी निकल रहे हैं या आ रहे हैं, जा रहे हैं। 569 00:37:38,791 --> 00:37:43,250 उनसे पूछना कि यहाँ पर कोई किराएदार भी रहता है या नहीं इस हुलिए का। 570 00:37:43,333 --> 00:37:46,708 उनको ये नहीं बताना था कि ये क़त्ल की जाँच चल रही है। क़त्ल वाला मामला है। 571 00:38:04,000 --> 00:38:06,541 अब मैंने उन सभी को कहा कि भाई अब तो कोई और सुराग़ नहीं रहा। 572 00:38:06,625 --> 00:38:09,458 मुझे लगता है कि हम बिल्कुल ही नाकाम हो रहे हैं। 573 00:38:09,541 --> 00:38:13,125 अठारह, 19, 20 आज का हमारा दिन है, और अब वो हमको मिलेगा नहीं। 574 00:38:19,291 --> 00:38:22,291 अब क्या होता है, छानबीन में हर समय दिमाग़ में चलता है, 575 00:38:22,375 --> 00:38:24,416 कि अब अगला काम क्या किया जाए? 576 00:38:24,500 --> 00:38:26,000 मैंने एक ड्यूटी अफ़सर को फ़ोन किया। 577 00:38:26,083 --> 00:38:31,000 याद आया कि डॉक्टर का साला वहाँ पर बैठा हुआ था, तीन-चार दिन से हम उसे खिला रहे थे। 578 00:38:31,083 --> 00:38:32,583 [सुंदर] ये साला भी तो कुछ बताए। 579 00:38:34,375 --> 00:38:39,000 जो हेड कॉन्स्टेबल ड्यूटी पर था उसने उससे पूछा और तुरंत मुझे वापस फ़ोन किया। 580 00:38:39,083 --> 00:38:44,375 जी सर, ये बता रहा है कि जो वो चंद्रकांत झा है उसके पास में एक रेहड़ा है 581 00:38:44,458 --> 00:38:46,083 और रेहड़े पर एक इंजन लगा हुआ है। 582 00:38:51,166 --> 00:38:53,416 उसके बाद में फिर मैंने नरेंद्र पहलवान को फ़ोन किया। 583 00:38:56,708 --> 00:39:00,208 [सुंदर] मैंने कहा, "पहलवान जी, देखिएगा एक ऐसा रेहड़ा है जिस पर इंजन लगा हुआ है।" 584 00:39:01,708 --> 00:39:04,208 मुझसे बात करते-करते नरेंद्र ने कहा कि सर 585 00:39:04,291 --> 00:39:06,041 ये रेहड़ा तो यहीं खड़ा हुआ है। 586 00:39:08,708 --> 00:39:10,750 वो बोला, "सर, कहाँ घुसूँ? किधर जाऊँ?" 587 00:39:10,833 --> 00:39:13,791 मैंने कहा, "जहाँ दरवाज़े के बाहर रेहड़ा रखा हुआ है, उधर घुस जा।" 588 00:41:56,916 --> 00:41:58,791 संवाद अनुवादक: प्रीति भारद्वाज