1 00:00:06,750 --> 00:00:09,958 [नाटकीय संगीत] 2 00:00:14,666 --> 00:00:16,666 [अखिलेश शर्मा बिहारी में] चंद्रकांत जब यहाँ आता था 3 00:00:18,083 --> 00:00:21,333 तो उस दौरान वो बताता था कि हम वहाँ कैसे क्या करते हैं 4 00:00:21,958 --> 00:00:25,250 और जो लोग दिल्ली में काम करते थे 5 00:00:27,958 --> 00:00:30,875 [नाटकीय संगीत जारी] 6 00:00:45,875 --> 00:00:47,916 दिल्ली जाने के बाद ही ये सब किया है। 7 00:00:49,458 --> 00:00:51,375 [बल्ब के बंद चालू होने की आवाज़] 8 00:01:03,416 --> 00:01:05,291 [देवनारायण] आदमी उसके लिए खिलौना था। 9 00:01:05,375 --> 00:01:06,541 [आदमी के चीखने की आवाज़] 10 00:01:14,791 --> 00:01:17,583 [डॉ. वाया अंग्रेजी में] अगर पूरा गाँव इस बारे में कुछ कहने से डर रहा है, 11 00:01:18,166 --> 00:01:21,541 और वह खुद ही ये कहता है कि अगर मैं यह न करूँ तो मेरा दिमाग 12 00:01:22,500 --> 00:01:23,625 पागल हो जाता है, 13 00:01:24,500 --> 00:01:27,958 इसका मतलब ये है कि उसने इससे कहीं ज़्यादा खून किए हैं। 14 00:01:28,041 --> 00:01:31,041 और उसकी ज़िंदगी में और भी बहुत कुछ हुआ होगा। 15 00:01:31,125 --> 00:01:33,458 इन सब बातों का कभी खुलासा नहीं हो सका। 16 00:01:35,208 --> 00:01:38,583 लोग वहाँ पर बोलते थे कि उसने 44 मर्डर किए हैं। 17 00:01:39,250 --> 00:01:40,791 [डरावना संगीत] 18 00:01:53,291 --> 00:01:55,458 NETFLIX डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ 19 00:01:56,708 --> 00:01:59,708 [थीम संगीत] 20 00:02:19,750 --> 00:02:22,416 अब जो आपको स्क्रीन पर दिखाई देगी, 21 00:02:22,500 --> 00:02:25,125 वो है घोषई के रहने वालों की ताज़ा गवाही। 22 00:03:08,583 --> 00:03:10,041 उसे झूठ से नफ़रत थी। 23 00:03:25,375 --> 00:03:26,583 [धुँआ छोड़ने की आवाज़] 24 00:03:27,458 --> 00:03:30,166 [बिहारी में] दिल्ली में गलत काम-धंधे के बारे में जब वो बताने लगा, 25 00:03:34,416 --> 00:03:38,041 हम लोगों में भी उसकी दहशत फैल गई कि हमें उसकी संगत में नहीं रहना है। 26 00:03:38,125 --> 00:03:41,166 क्योंकि एक निर्दोष आदमी थे, उमेश झा, उन्हें भी मार दिया। 27 00:03:41,250 --> 00:03:43,000 कपूरीदास को भी मार दिया। 28 00:03:43,083 --> 00:03:48,458 1980 का दशक घोषई 29 00:03:54,916 --> 00:03:56,250 बुरी आदतों से दूर रहता था। 30 00:03:56,333 --> 00:04:00,375 चंपादेवी, कलानंद और चंदर उनके घर गए। 31 00:04:04,791 --> 00:04:06,541 साथ में हमें भी लेकर गए। 32 00:04:13,375 --> 00:04:16,208 कपूरीदास ने जब इनके सवालों के पलटकर जवाब दिए 33 00:04:28,250 --> 00:04:30,833 [देवनारायण] तो एक शाम कपूरीदास बाज़ार गए 34 00:04:30,916 --> 00:04:33,041 सब्ज़ी वगैरह लाने के लिए। 35 00:04:34,916 --> 00:04:37,958 ये लोग पहले से वहाँ झुंड बनाकर 36 00:04:38,041 --> 00:04:40,125 झाड़ियों में छुपे हुए थे। 37 00:04:55,000 --> 00:04:57,500 [देवनारायण] जिस वजह से उसकी जान चली गई। 38 00:05:00,708 --> 00:05:04,041 ये हमें भी मार सकता है जैसे मुरलीधर को दिल्ली में मार दिया। 39 00:05:04,125 --> 00:05:07,583 -[भयावह संगीत] -[कराहने की आवाज़] 40 00:05:13,000 --> 00:05:14,125 यहाँ हल्ला हो गया 41 00:05:17,500 --> 00:05:20,750 [भयावह संगीत] 42 00:05:23,708 --> 00:05:24,708 [खून बहने की आवाज़] 43 00:05:24,791 --> 00:05:26,458 [मक्खियों के भिनभिनाने की आवाज़] 44 00:05:27,041 --> 00:05:31,916 हमें कपूरीदास, उमेश झा और मुरली शाह 45 00:05:32,000 --> 00:05:35,083 के मर्डर के बारे में की गई किसी रिपोर्ट का पता नहीं चल पाया है। 46 00:05:43,375 --> 00:05:47,791 2000 के शुरुआती साल नई दिल्ली 47 00:05:47,875 --> 00:05:53,958 आज़ादपुर मंडी 48 00:05:55,083 --> 00:05:57,458 [गाँव का आदमी] तो उस समय हम वहाँ मज़दूरी का काम करते थे। 49 00:05:58,833 --> 00:06:00,208 वज़न वगैरह उठाने का। 50 00:06:06,791 --> 00:06:08,791 रिक्शा-रेहड़ी चलाता था। 51 00:06:16,583 --> 00:06:17,416 संजय घोषई निवासी 52 00:06:17,500 --> 00:06:20,458 तोड़कर टीवी चुराता था 53 00:06:20,541 --> 00:06:23,916 और फिर रातोंरात फ़रार हो जाता था। 54 00:06:24,000 --> 00:06:27,083 [रहस्यपूर्ण संगीत] 55 00:06:34,291 --> 00:06:36,166 और चंदन कुमार मिश्रा था। 56 00:06:40,375 --> 00:06:42,916 मैंने फिर कसम खा ली कि ऐसा काम नहीं करना। 57 00:06:45,708 --> 00:06:47,583 मुझे भी मारने की कोशिश की थी। 58 00:06:49,166 --> 00:06:52,833 जब मैंने कहा कि मैं उसके साथ और काम नहीं करूँगा। 59 00:06:52,916 --> 00:06:55,708 मैं अपना पुराना काम ही करूँगा। 60 00:06:56,833 --> 00:07:01,166 ऐसे-वैसे काम न करके मैं जो करता था, वहीं करूँगा। 61 00:07:03,208 --> 00:07:06,333 उसे अच्छा नहीं लगा तो उसने मुझे भी मारने की कोशिश की। 62 00:07:06,416 --> 00:07:09,666 लेकिन मैं तो दो मंज़िला मकान से कूद गया। 63 00:07:09,750 --> 00:07:13,958 सोचा हाथ-पैर ही टूटेगा, कूद जाता हूँ। 64 00:07:15,583 --> 00:07:16,541 तो… 65 00:07:21,583 --> 00:07:23,125 [डॉ. वाया अंग्रेजी में] एक बात का यक़ीन है, 66 00:07:30,083 --> 00:07:32,250 कि कौन उसका अगला शिकार हो सकता है। 67 00:07:36,208 --> 00:07:38,541 [डॉ. वाया अंग्रेजी में] और फिर उन्हें अपने हिसाब से तैयार किया। 68 00:07:38,625 --> 00:07:40,208 मुझे ऐसा ही लगता है। 69 00:07:41,958 --> 00:07:43,583 तैयार करने की प्रक्रिया में, 70 00:07:54,458 --> 00:07:57,041 [डॉ. वाया] तो मुझे तुम्हें तैयार करने में कितने दिन लगाने हैं, 71 00:08:00,375 --> 00:08:02,875 उस दिन तुम्हें कैसे मारना है ये सब मैं तय करूँगा। 72 00:08:04,083 --> 00:08:06,083 [तनावपूर्ण संगीत] 73 00:08:06,166 --> 00:08:08,708 [डॉ. वाया अंग्रेजी में] वो ये सब इस तरीके से करता था 74 00:08:08,791 --> 00:08:11,541 कि सामने वाले को शायद लगता था कि ये मेरी मदद कर रहा है, 75 00:08:14,416 --> 00:08:15,666 अलग-अलग तरीकों से। 76 00:08:16,708 --> 00:08:19,125 लेकिन असल में उसकी नीयत मदद करने की नहीं थी, 77 00:08:50,625 --> 00:08:52,833 [रहस्य्पूर्ण संगीत] 78 00:08:54,208 --> 00:08:56,833 [संजय] जिसे भी मारता था, बांधकर ही मारता था। 79 00:08:56,916 --> 00:08:58,125 सीता राम 80 00:08:59,208 --> 00:09:02,458 [शरीर को चाकू से काटने की आवाज़] 81 00:09:09,416 --> 00:09:12,541 [पानी बहने की आवाज़] 82 00:09:31,041 --> 00:09:33,458 कि ऐसे मारा जाना कैसा लगता है। 83 00:09:34,541 --> 00:09:36,375 आपको खुद को सांस नहीं आएगी। 84 00:09:46,333 --> 00:09:48,625 हो सकता है मुझे बुरा लगे, लेकिन पछतावे की भावना नहीं आएगी। 85 00:09:51,291 --> 00:09:53,333 वो अब अपने शिकार को दोनों तरह से समझता है 86 00:09:53,416 --> 00:09:55,916 ज़िंदा रहते हुए भी और मरने के बाद भी। 87 00:09:56,000 --> 00:09:57,583 जब उन्हें इतनी बुरी तरह 88 00:09:57,666 --> 00:10:00,500 मारा जाता है और टॉर्चर किया जाता है। 89 00:10:00,583 --> 00:10:01,583 [कराहने की आवाज़] 90 00:10:07,875 --> 00:10:11,125 -[भयावह संगीत] -[कराहने की आवाज़] 91 00:10:26,166 --> 00:10:29,375 [शरीर को काटने की आवाज़] 92 00:10:33,833 --> 00:10:35,083 नाम बिधु जाधव। 93 00:10:36,416 --> 00:10:37,541 गाँव घोषई। 94 00:10:38,625 --> 00:10:40,291 उम्र 67 वर्ष। 95 00:10:42,083 --> 00:10:43,833 [बिहारी में] चंद्रकांत झा ने मुझे कहा 96 00:10:53,875 --> 00:10:55,958 तो पास ही में दूसरा कमरा लिया है। 97 00:11:01,166 --> 00:11:03,166 कमरा शिफ़्ट करने का बोलकर 98 00:11:06,250 --> 00:11:10,625 2003 नई दिल्ली 99 00:11:19,208 --> 00:11:21,750 [दरवाज़ा खोलने की आवाज़] 100 00:11:21,833 --> 00:11:24,041 [बिधु] जैसे ही उसने कमरे को खोला, 101 00:11:25,208 --> 00:11:26,208 चंद्रकांत झा ने… 102 00:11:31,958 --> 00:11:35,041 मुरली शाह तो हमारे गाँव के पड़ोसी थे, हम उन्हें पहचानते थे। 103 00:11:41,708 --> 00:11:44,041 [भयावह संगीत जारी] 104 00:12:04,625 --> 00:12:05,750 [बिधु] हम तो घबरा गए। 105 00:12:11,708 --> 00:12:14,625 तो दरवाज़े से खींचकर वो मुझे अंदर ले गया 106 00:12:15,375 --> 00:12:18,083 और उस समय वो मेरी फ़ोटो लेने लगा। 107 00:12:19,458 --> 00:12:22,500 [भयावह संगीत] 108 00:12:29,708 --> 00:12:30,791 [फ्लैश की आवाज़] 109 00:12:37,041 --> 00:12:39,958 हाँ, चंद्रकांत झा ने एक एल्बम बनाई थी। 110 00:12:45,916 --> 00:12:49,625 -जिनका उसने मर्डर किया था। -[कैमरे के क्लिक की आवाज़] 111 00:12:53,708 --> 00:12:56,791 अब वो हमको मार रहा है लेकिन कमरे में और लोग भी हैं 112 00:13:00,458 --> 00:13:04,166 ताकि मुँह खोलने वाला भी फंसे क्योंकि मर्डर वाली जगह पर वो भी था। 113 00:13:09,333 --> 00:13:13,083 सुबह से उठकर गए थे, तो मैंने कुछ भी नहीं खाया था। 114 00:13:17,458 --> 00:13:19,791 तो कम से कम कुछ खिला-पिला दो। 115 00:13:27,125 --> 00:13:30,291 [थ्रिलर संगीत जारी] 116 00:13:36,833 --> 00:13:38,875 [दरवाज़ा खोलने की आवाज़] 117 00:13:40,208 --> 00:13:41,958 जो उसका कैमरा वहाँ था ना साहब, 118 00:13:42,708 --> 00:13:45,166 मुरली शाह उसी को लेकर घर आया। 119 00:13:55,375 --> 00:13:57,083 अशोक शाह नाम का एक आदमी है, 120 00:14:09,208 --> 00:14:10,625 [अशोक शाह] ये हैं मुरली शाह। 121 00:14:30,291 --> 00:14:31,708 मुरली शाह 122 00:14:37,708 --> 00:14:39,833 उन्होंने कभी फ़ोटो प्रिंट नहीं करवाईं। 123 00:14:40,500 --> 00:14:42,041 उनके मरने के बाद, 124 00:14:42,666 --> 00:14:46,250 उनकी दूसरी पत्नी ने फ़ोटो को प्रिंट करवाया। 125 00:14:47,125 --> 00:14:50,083 [भयावह संगीत] 126 00:14:58,750 --> 00:15:00,083 आंख में चोट पहुँचाई गई थी, 127 00:15:01,208 --> 00:15:02,666 मुँह सील दिया गया था। 128 00:15:05,041 --> 00:15:07,583 [अशोक] धागे से मुँह सिला गया होगा, फ़ोटो में दिख रहा था। 129 00:15:11,833 --> 00:15:13,750 ये जो तीनों आदमी हैं, 130 00:15:14,458 --> 00:15:17,083 इन तीनों का मर्डर हुआ, 131 00:15:17,666 --> 00:15:18,708 वहाँ दिल्ली में। 132 00:15:28,125 --> 00:15:30,833 तो वही पूरे गाँव को एल्बम दिखाता था… 133 00:15:33,000 --> 00:15:34,541 अशोक शाह। 134 00:15:48,833 --> 00:15:51,375 [डॉ. वाया अंग्रेजी में] सबसे पहले वो चाहता था कि लोगों को चुप करा दे। 135 00:16:00,250 --> 00:16:03,541 [भयावह संगीत जारी] 136 00:16:11,916 --> 00:16:14,250 अब मुझे ये डर लगता है, साहब, 137 00:16:16,666 --> 00:16:19,791 मैंने उसके बारे में सारी बात बता दी 138 00:16:30,541 --> 00:16:32,541 कहीं वो जेल से छूट जाए तो 139 00:16:42,208 --> 00:16:44,416 अच्छा हो कि वो वहीं 140 00:16:44,500 --> 00:16:47,166 जेल में ही सड़ जाए, मर जाए। 141 00:16:57,458 --> 00:16:59,833 मैंने आज तक एक छोटे बच्चे पर भी 142 00:16:59,916 --> 00:17:01,625 हाथ नहीं उठाया है। 143 00:17:02,458 --> 00:17:04,708 [भयावह संगीत] 144 00:17:07,166 --> 00:17:08,916 [झींगुरों की आवाज़] 145 00:17:10,791 --> 00:17:13,041 [कुत्तों के भौंकने की आवाज़] 146 00:17:14,583 --> 00:17:17,333 उस एल्बम में हमारे गाँव के लोग भी हैं। 147 00:17:26,666 --> 00:17:28,500 क्योंकि हम भी उस जगह मौजूद थे। 148 00:17:28,583 --> 00:17:30,041 यही डर था, और क्या? 149 00:17:37,958 --> 00:17:40,833 [डॉ. वाया अंग्रेजी में] अगर पूरा गाँव इस बारे में कुछ कहने से डर रहा है, 150 00:17:45,708 --> 00:17:47,083 पागल हो जाता है, 151 00:17:54,083 --> 00:17:56,416 इन सब बातों का कभी खुलासा नहीं हो सका। 152 00:18:01,291 --> 00:18:04,541 देखिए अगर ये तीन लोग ऐसे बैठे हैं… 153 00:18:05,250 --> 00:18:08,083 मानो शरीर से लाचार हैं और उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। 154 00:18:08,583 --> 00:18:09,916 आखिरकार वो अकेला ही तो था। 155 00:18:10,625 --> 00:18:12,000 वो एक अकेला आदमी था। 156 00:18:12,083 --> 00:18:15,875 अगर तीन लोगों को इस तरह से काबू किया गया है 157 00:18:28,291 --> 00:18:30,958 कुछ बोलकर या कुछ करके, 158 00:18:31,041 --> 00:18:32,583 या कुछ ऐसी बात बताकर। 159 00:18:33,333 --> 00:18:36,500 एक बार सामने वाले के दिमाग में डर बैठ गया 160 00:18:36,583 --> 00:18:37,666 तो समझिए 161 00:18:38,833 --> 00:18:39,916 कि आपका आधा काम तो हो गया। 162 00:18:41,875 --> 00:18:45,291 फिर ये उसकी मर्ज़ी कि उसे किसे मारना है और किसे छोड़ना है। 163 00:18:46,250 --> 00:18:51,083 अगर आप इस फ़ोटो को कोर्ट के सामने ताज़े सबूत के रूप में पेश करें, 164 00:18:51,166 --> 00:18:53,625 तो पुलिस को फिर से कस्टडी मिल सकती है 165 00:18:53,708 --> 00:18:56,458 और कोर्ट फिर से जाँच का आदेश दे सकती है। 166 00:18:57,916 --> 00:18:59,958 इतना तो किया ही जाना चाहिए। 167 00:19:00,041 --> 00:19:03,375 क्योंकि एक बार फिर से तफ़्तीश शुरू हुई, 168 00:19:03,458 --> 00:19:06,250 तो बहुत सारे अनसुलझे मर्डर 169 00:19:09,958 --> 00:19:11,708 इससे चंद्रकांत को भी मदद मिलेगी 170 00:19:25,833 --> 00:19:28,958 उम्रकैद होती है या फांसी। 171 00:19:29,708 --> 00:19:31,583 तो हमने कम से कम सज़ा का अनुरोध किया है 172 00:19:31,666 --> 00:19:35,625 जबकि दूसरे पक्ष ने अनुरोध किया है कि कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए 173 00:19:35,708 --> 00:19:37,750 क्योंकि यह केस बहुत संगीन है। 174 00:19:38,333 --> 00:19:41,458 [रिपोर्टर] दिल्ली में इसके ऊपर आठ हत्याओं का आरोप लगा 175 00:19:41,541 --> 00:19:45,000 जिनमें से तीन में इसे अब तक दोषी पाया गया है। 176 00:19:48,708 --> 00:19:52,000 और मंगलवार को दूसरे केस में फांसी की। 177 00:19:56,125 --> 00:19:58,000 लेकिन सबूतों की कमी की वजह से 178 00:20:02,250 --> 00:20:05,041 सन 2013 में, नई दिल्ली सेशंस कोर्ट ने चंद्रकांत झा को तीन मामलों में 179 00:20:05,125 --> 00:20:07,750 हत्या का दोषी पाया। अनिल मंडल- अक्टूबर 2006 180 00:20:07,833 --> 00:20:09,541 उपेंद्र- अप्रैल 2007 दलीप- मई 2007 181 00:20:10,375 --> 00:20:15,208 उसने दिल्ली हाई कोर्ट में सज़ा-ए-मौत के खिलाफ़ अपील की। 182 00:20:15,291 --> 00:20:20,250 उसकी सज़ा-ए-मौत को उम्रकैद में बदल दिया गया। 183 00:20:46,125 --> 00:20:48,416 [आदमी] चंद्रकांत ने कहा था कि 184 00:20:48,500 --> 00:20:52,250 "गीता में भी लिखा है गलत आदमी को मारना पाप नहीं है। 185 00:21:05,625 --> 00:21:07,541 क्योंकि विपक्ष ने भी ये माना है 186 00:21:08,083 --> 00:21:09,458 कि जो लोग मारे गए हैं 187 00:21:10,166 --> 00:21:11,750 वो ठीक लोग नहीं थे। 188 00:21:12,291 --> 00:21:14,833 कोई चोरी करता था… 189 00:21:14,916 --> 00:21:16,750 कोई औरतों के साथ गलत काम करता था… 190 00:21:17,458 --> 00:21:20,791 कोई नॉनवेज खाकर उसके यहाँ बर्तन छोड़ देता था… 191 00:21:20,875 --> 00:21:21,708 तो… 192 00:21:22,541 --> 00:21:24,041 इसकी नज़रों में शायद वो गलत रहे होंगे। 193 00:21:24,125 --> 00:21:27,750 तो मुझे ऐसा लगा था कि वो अपनी गलती मान रहा है। 194 00:21:27,833 --> 00:21:32,083 बाकी, किसी के सामने इसने कभी ये नहीं कबूला कि मैंने इनको मारा है। 195 00:21:38,875 --> 00:21:42,083 वैसे तो इतना सख्त होना ठीक नहीं है, 196 00:21:42,708 --> 00:21:47,541 पर इसकी सोच यही थी कि जो इसके हिसाब से हो बस वही ठीक है। 197 00:21:58,500 --> 00:22:00,541 जन्म से ही 198 00:22:00,625 --> 00:22:02,250 थोड़ा गुस्सा है 199 00:22:02,333 --> 00:22:04,875 और इसने बचपन में 200 00:22:04,958 --> 00:22:07,416 अपने आस-पास हिंसा और गुस्से का माहौल देखा है 201 00:22:10,833 --> 00:22:15,041 कोई ऐसी जीन पैदा हो गई 202 00:22:15,666 --> 00:22:18,916 जिसकी वजह से इसका झुकाव हिंसा की तरफ़ बढ़ गया। 203 00:22:26,458 --> 00:22:29,166 लेकिन ज़रूरी नहीं है कि वो बीज बड़ा होकर एक पौधा बने। 204 00:22:37,083 --> 00:22:41,708 अपने आस-पास के सांस्कृतिक और सामाजिक माहौल से 205 00:22:43,291 --> 00:22:46,916 हो सकता है ये उसने जेल में देखा हो, कस्टडी के दौरान देखा हो 206 00:22:47,000 --> 00:22:50,041 या जहाँ वो रहता था उस माहौल में देखा हो 207 00:22:50,125 --> 00:22:52,166 या अपने आस-पास के लोगों में देखा हो। 208 00:23:02,791 --> 00:23:07,875 अगर देखा जाए तो पहले से ही उसे तफ़्तीश की बारीकियाँ मालूम हैं, 209 00:23:07,958 --> 00:23:10,583 और उसकी याददाश्त बहुत अच्छी है। 210 00:23:13,458 --> 00:23:18,000 उसने ये सारी चीज़ें कहाँ से सीखी हैं ये अचंभे वाली बात है। 211 00:23:34,083 --> 00:23:35,708 तो फांसी होना तय है। 212 00:23:54,041 --> 00:23:57,250 उसने कुछ सवाल ऐसे लिखे हुए थे जो उसके केस को कमज़ोर कर सकते थे। 213 00:23:57,333 --> 00:24:00,083 और उसे ये समझाना मुश्किल होता था कि आप ये सवाल न पूछें। 214 00:24:07,625 --> 00:24:10,833 ट्रायल के दौरान वो जेल में रहा। उसकी कोई भी शिकायत नहीं आई। 215 00:24:11,750 --> 00:24:13,916 मुझे लगा कि वो ऐसा जान-बूझकर कर रहा था 216 00:24:18,375 --> 00:24:20,208 कि देखो मेरा रिकॉर्ड कितना अच्छा है 217 00:24:20,291 --> 00:24:22,166 मेरा किसी से कोई झगड़ा भी नहीं हुआ। 218 00:24:22,250 --> 00:24:24,083 जेल में उसका बर्ताव बिल्कुल ठीक था। 219 00:24:33,291 --> 00:24:36,833 जेल में ठीक बर्ताव कर रहा हूँ , मेरी लिखावट अलग आ रही है, तो… 220 00:24:46,666 --> 00:24:48,875 ये सब ज़रूरी था… 221 00:24:48,958 --> 00:24:51,083 उसे लगता था कि ये सब उसके काम आएगा 222 00:24:51,166 --> 00:24:55,333 क्योंकि जिस दिन वो केस जीतेगा, वो सिस्टम से भी जीत जाएगा। 223 00:24:56,666 --> 00:24:58,416 और पूरी दुनिया में मशहूर हो जाएगा। 224 00:25:23,666 --> 00:25:26,333 [भारती मंडल] मुझे उसने दालें और चावल लाकर दिए। 225 00:25:27,125 --> 00:25:30,750 गैस स्टोव और पानी भी दिया। 226 00:25:30,833 --> 00:25:32,625 उसने बोला दाल-सब्ज़ी बना, 227 00:25:32,708 --> 00:25:34,666 मैं अभी तारीख में हाजिर होकर आता हूँ। 228 00:25:42,875 --> 00:25:46,458 [थ्रिलर संगीत जारी] 229 00:25:56,541 --> 00:25:59,791 -[काटने की आवाज़] -[कराहने की आवाज़] 230 00:26:05,458 --> 00:26:07,125 मेरा नाम भारती है। 231 00:26:07,208 --> 00:26:09,166 अनिल मंडल मेरे पति थे। 232 00:26:15,416 --> 00:26:18,166 लहसुन बेचकर थोड़ा-बहुत कमाते थे दोनों। 233 00:26:22,875 --> 00:26:25,458 कभी पंजाब जाकर धान वगैरह काटते थे। 234 00:26:31,791 --> 00:26:34,166 तो वो मुझे मायके छोड़ आए। 235 00:26:34,250 --> 00:26:36,375 वहाँ मुझे पता लगा 236 00:26:36,458 --> 00:26:39,541 कि किसी ने इन्हें चाकू के झूठे केस में फंसा दिया है। 237 00:26:40,125 --> 00:26:44,166 मैं वापिस आई तो ये जेल में बंद थे। 238 00:26:44,250 --> 00:26:46,083 किसी और ने इसकी ज़मानत करवाई। 239 00:26:46,166 --> 00:26:47,375 भारती मंडल अनिल मंडल की पत्नी 240 00:26:47,458 --> 00:26:48,541 शाम को आए, 241 00:26:53,875 --> 00:26:56,083 मैं अभी कोर्ट से तारीख निपटाकर वापस आता हूँ ।" 242 00:26:57,083 --> 00:26:59,541 लेकिन गए तो आज तक वापिस नहीं आए। 243 00:26:59,625 --> 00:27:02,666 [मलिन संगीत] 244 00:27:10,833 --> 00:27:13,791 कमाने-खाने के लिए, कहीं चले गए हैं। 245 00:27:13,875 --> 00:27:16,625 यही सोचती थी कि चाहे फिर जेल में हों, 246 00:27:16,708 --> 00:27:19,833 तो वहाँ किसी तरह रोटी-पानी मिल ही जाएगा, 247 00:27:27,333 --> 00:27:29,791 मुझे ये लगता था कि पापा अगर जेल में हैं, 248 00:27:29,875 --> 00:27:32,208 तो ज़िंदा ही होंगे, मरे थोड़ी होंगे। 249 00:27:32,291 --> 00:27:33,666 पुलिसवाले नहीं छोड़ रहे होंगे। 250 00:27:39,916 --> 00:27:42,166 उसी समय मैंने मंडी जाना शुरू किया। 251 00:27:43,208 --> 00:27:45,458 [अनिल का बेटा] कूड़े के ढेर से बोतलें भी बीनता था। 252 00:27:49,125 --> 00:27:50,083 कभी-कभी प्याज़ भी। 253 00:27:50,625 --> 00:27:53,333 इस तरह हमारे घर का किराया बन जाता था 254 00:27:53,958 --> 00:27:56,166 और उनकी ज़मानत के लिए पैसे भी। 255 00:27:57,416 --> 00:28:01,291 उस समय मैं दिनभर में बस पांच या दस रूपये कमाता था। 256 00:28:01,375 --> 00:28:04,291 इससे ज़्यादा कभी नहीं कमा पाया। 257 00:28:14,666 --> 00:28:16,833 मैं ऐसा कहता था, तो वो मुझे ले जाती थीं। 258 00:28:16,916 --> 00:28:18,541 वहाँ पुलिसवाला कहता था 259 00:28:27,791 --> 00:28:28,916 और किसी दिन आ जाना। 260 00:28:30,208 --> 00:28:32,541 उन्हें ढूँढने हम रोहिणी गए। 261 00:28:34,875 --> 00:28:38,291 चारों तरफ़ ढूँढा लेकिन कुछ पता नहीं लगा। 262 00:28:45,000 --> 00:28:49,083 कभी 1500, कभी 2000, कभी 2500 ले लेता था। 263 00:29:00,125 --> 00:29:01,125 ऐसे ही चलता रहा। 264 00:29:10,791 --> 00:29:12,958 [भारती मंडल] अभी कुछ तीन साल पहले ही 265 00:29:13,541 --> 00:29:16,125 उन्होंने बताया कि तेरा पति मर चुका है। 266 00:29:29,583 --> 00:29:32,041 आज भी नहीं पता कि उन्हें किस दिन मारा गया। 267 00:29:32,833 --> 00:29:35,250 [मलिन संगीत जारी] 268 00:29:40,500 --> 00:29:42,541 मेरी मम्मी ने बताया 269 00:29:50,291 --> 00:29:53,666 हम पहचान करते, कुछ पता तो चलता। 270 00:29:57,208 --> 00:29:59,750 [विजय मंडल] अगर उन्होंने मृत्यु प्रमाणपत्र बनाया है 271 00:29:59,833 --> 00:30:01,833 तो लाश मिली होगी, तभी बनाया है न। 272 00:30:02,958 --> 00:30:03,958 ऐसे ही थोड़े न बन जाते हैं। 273 00:30:07,250 --> 00:30:10,541 अब जो उन्होंने बनाकर दिया हम उसे ही सच मानते हैं 274 00:30:10,625 --> 00:30:12,458 -कि वो मर चुके हैं। -हाँ। 275 00:30:12,541 --> 00:30:14,416 लेकिन ये बात वो पहले बता देते तो क्या हो जाता? 276 00:30:14,500 --> 00:30:17,000 कुछ नहीं होता। हम उन्हें थोड़े ही कुछ कह देते। 277 00:30:24,458 --> 00:30:28,291 [मलिन संगीत जारी] 278 00:30:35,291 --> 00:30:38,125 -अब तो ये सब भुलाकर… -हाँ। 279 00:30:38,208 --> 00:30:40,625 -हमने ज़्यादा सोचना छोड़ दिया है। -अब हम ज़्यादा नहीं सोचते। 280 00:30:48,000 --> 00:30:50,666 मुझे जानना था कि आपको क्या कहना है। 281 00:30:54,166 --> 00:30:57,250 हम सब पिछली बातें भूलकर आगे बढ़ गए हैं। 282 00:31:05,166 --> 00:31:07,125 दिल्ली एक महासमुद्र की तरह है 283 00:31:07,208 --> 00:31:09,625 जहाँ हर साल बहुत से लोग आते हैं। 284 00:31:09,708 --> 00:31:11,583 और यहाँ वो बेचारे 285 00:31:12,500 --> 00:31:14,916 कमाने के लिए आते हैं, मरने के लिए तो नहीं आते। 286 00:31:15,500 --> 00:31:18,125 वो बेचारे गरीब तबके के लोग हैं 287 00:31:18,791 --> 00:31:20,708 उनके लिए कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई। 288 00:31:20,791 --> 00:31:23,875 किसी बड़े परिवार से उनका संबंध नहीं था। 289 00:31:30,291 --> 00:31:33,083 तो वो बात इसमें बिलकुल सच रही है 290 00:31:33,166 --> 00:31:36,500 कि वे प्रवासी मज़दूर थे, जिस वजह से… 291 00:31:37,166 --> 00:31:39,041 इस केस में तो नहीं कहूँगा, 292 00:31:39,125 --> 00:31:42,708 लेकिन कई केस होते हैं जिनमें ध्यान कम दिया जाता है। 293 00:31:43,458 --> 00:31:48,500 -[वेल्डिंग की आवाज़] -[शांत संगीत] 294 00:31:55,291 --> 00:31:57,375 मैं मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ नहीं हूँ , 295 00:31:57,458 --> 00:32:01,125 लेकिन एक सोशल साइंटिस्ट होने के नाते और कॉमन सेंस से इतना ज़रूर कह सकता हूँ 296 00:32:11,541 --> 00:32:14,125 तीन से पांच मज़दूर, जितने लोग उसमें रह लें। 297 00:32:14,208 --> 00:32:15,666 या उनका कोई घर भी नहीं है, 298 00:32:29,958 --> 00:32:34,541 [सोशल साइंटिस्ट] ज़्यादातर बिहारी मज़दूर छोटे-मोटे काम करते हैं। 299 00:32:41,750 --> 00:32:44,291 [हल्का मलिन संगीत] 300 00:32:51,250 --> 00:32:53,250 समाज के किसी खास वर्ग से होता है 301 00:32:53,333 --> 00:32:55,333 तो हम अक्सर उससे नज़रें फेर लेते हैं। 302 00:33:03,333 --> 00:33:05,041 कि इस व्यक्ति को सज़ा हो जाएगी। 303 00:33:05,125 --> 00:33:06,666 हो सकता है उसने ही जुर्म किया हो। 304 00:33:13,958 --> 00:33:15,666 चंद्रकांत का केस मीडिया में नहीं उछला। 305 00:33:15,750 --> 00:33:19,000 ऐसे ही हर साल सैकड़ों मामले कहीं खो जाते हैं। 306 00:33:19,708 --> 00:33:21,166 मीडिया और हम पत्रकार 307 00:33:21,250 --> 00:33:24,250 बस बड़े-बड़े मामलों पर ध्यान देते हैं। 308 00:33:29,083 --> 00:33:30,791 तो वो समाज के जिस वर्ग से आते हैं, उस वजह से 309 00:33:30,875 --> 00:33:32,583 हमारा ध्यान भटक जाता है। 310 00:33:43,291 --> 00:33:47,875 अगर आप गहराई में जाकर उसे समझें और उसकी मदद करने की कोशिश करें, 311 00:33:57,333 --> 00:33:59,125 समाज में सबके साथ रहने की, 312 00:33:59,208 --> 00:34:02,708 और समाज में उनकी कीमत की भावना पैदा की जाए, जिससे उन्हें कोई पहचान मिले। 313 00:34:02,791 --> 00:34:04,291 वरना उसके अंदर कोई बदलाव नहीं आएगा। 314 00:34:07,458 --> 00:34:10,083 ऐसे लोगों से उम्मीद रखने के लिए ज़रूरी है 315 00:34:24,083 --> 00:34:27,500 उसके अंदर समाज में रहने की भावना हमेशा के लिए जगाना मुमकिन है। 316 00:34:31,333 --> 00:34:34,166 उन्हें पुनर्वास केंद्रों में भेजें, 317 00:34:44,333 --> 00:34:47,833 -[जेल का दरवाज़ा खुलने की आवाज़] -[तनावपूर्ण संगीत] 318 00:34:55,666 --> 00:34:57,458 लोग इस केस के बारे में भूल चुके थे। 319 00:35:02,708 --> 00:35:05,250 [तनावपूर्ण संगीत] 320 00:35:14,916 --> 00:35:16,500 वो पेरोल पर बाहर है, 321 00:35:20,791 --> 00:35:23,916 [तनावपूर्ण संगीत] 322 00:35:37,416 --> 00:35:38,583 बिना किसी झिझक के। 323 00:35:39,750 --> 00:35:40,708 यही था दिमाग में। 324 00:35:42,250 --> 00:35:45,041 जिस इंसान ने मेरा भविष्य खराब कर दिया, 325 00:36:05,250 --> 00:36:07,666 [अंग्रेजी में] इस समय, अकेलेपन में उसका बर्ताव 326 00:36:10,208 --> 00:36:13,625 कि उसे बाहर जाने की इजाज़त मिले या नहीं। 327 00:36:13,708 --> 00:36:16,916 कानूनी रूप से, ये उसका अधिकार है और उसे बाहर जाने देना चाहिए। 328 00:36:46,208 --> 00:36:49,666 [थ्रिलर संगीत जारी] 329 00:36:56,708 --> 00:36:57,958 जेल के नियमों के चलते, 330 00:36:58,041 --> 00:37:00,458 हम चंद्रकांत झा से बात नहीं कर पाए। 331 00:37:00,541 --> 00:37:05,333 उसके भाई और भतीजे ने हमसे बात करने से मना कर दिया। 332 00:37:05,416 --> 00:37:12,416 चंद्रकांत इस समय तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सज़ा काट रहा है।